30-06-2020, 01:24 PM
Update....15
मैंने रागिनी से पूछा- बोलो मेरी बच्ची, चोदूँ तुम्हें?
और सानिया की देख उससे पूछा- दिखा साफ़-साफ़, नहीं तो एक बार फ़िर बाहर निकाल कर पेलूँ भीतर?
यह कहते हुए मैंने लण्ड बाहर खींचा और दुबारा से रागिनी की बुर में पेल दिया। रागिनी के मुँह से दुबारा आऽऽ आऽऽ आह निकली। सानिया इस बार खड़ी हो गई ताकि सब साफ़ देख सके।
रागिनी ने सानिया को खड़ा देख बोला- आईए न दीदी आप भी। अंकल बहुत अच्छे हैं।
आगे कुछ कहने से पहले ही मैंने लण्ड को बुर के बाहर भीतर करके लौण्डिया की चुदाई शुरु कर दी। सानिया का चेहरा चुदाई देख एकदम लाल हो गया था, पर वो सिर्फ़ खड़े-खड़े देख रही थी। रागिनी को पहली बार मेरे जैसे मर्द से वास्ता पड़ा था जो लड़की को खूब मजे लेकर चोदता है और लड़की को भी साथ में मजे देता है।
मेरी आदत है कि मैं रन्डी भी चोदता तो प्रेमिका बना कर। जब भी किसी को चोदा तो उसको अपने लिए भगवान का उपहार माना और उसके शरीर को पूरे मन से भोगा।
मैंने रागिनी से कहा- मजा आया रागिनी?
उसकी आँख बंद थी, होठ से कांपती आवाज आई- हाँ अंकल बहुत। आप बहुत अच्छे हैं। आऽऽ अह अंकल अब थोड़ा जोर से धक्का लगा कर चोदिए ना ! जैसा धक्का लण्ड पेलते समय लगाया था। असल में अभी खूब प्यार से धीरे-धीरे लण्ड अंदर-बाहर करके उसको चोद रहा था। पूरा पैसा वसूल हो इसके लिए जरूरी था कि उसकी बुर कम से कम आध घंटा मेरे लण्ड से चुदे।
उसके जोर का धक्का लगाने की फ़रमाईश पर मैंने आठ-दस दमदार धक्के लगाए और धक्के पर रागिनी के मुँह से आह की आवाज आई।
मैंने रागिनी से कहा- आँख खोल और देख ना कौन चोद रहा है तुझे ! मुझसे आँख मिला, कुछ बात कर ना। रन्डी हो तो थोड़ा रन्डीपना दिखा।
उसे मेरी बात से ठेस पहुँची शायद ! पर वो आँख खोल कर बोली- हाँ साले बेटीचोद, लूट मजा मेरी चूत का साले। मेरे बाप की उमर का होकर साले, मुझे चोद रहा है?
मुझे उसकी गालियों से जोश आ गया- चुप साली ! फाड़ दूँगा तेरी चूत आज ! साली कुतिया ! मुझे बेटी-चोद बोलती है ! बाप से चुदा-चुदा के जवान हुई है साली और मुझे बोल रही है बेटी चोद… ? ले साली चुद, और चुद, और चुद, रन्डी साली।
और मैंने कई जोरदार धक्के लगा दिए।
8-10 मिनट चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया तो लण्ड बाहर निकाल लिया और बोला-“अब बेटा तुम मेरे ऊपर बैठ कर चोदो, मुझे थोड़ा आराम से लेटने दो, फ़िर मैं चोदूँगा।
उसने कहा- ठीक है अंकल !
और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। सानिया बार-बार अपने पैर सिकोड़ रही थी, उसकी चूत भी गीली थी, पर उसमें गजब का धैर्य था। खड़े-खड़े ही वो हम दोनों की चुदाई देख रही थी- चुपचाप !
मैंने रागिनी से पूछा- बोलो मेरी बच्ची, चोदूँ तुम्हें?
और सानिया की देख उससे पूछा- दिखा साफ़-साफ़, नहीं तो एक बार फ़िर बाहर निकाल कर पेलूँ भीतर?
यह कहते हुए मैंने लण्ड बाहर खींचा और दुबारा से रागिनी की बुर में पेल दिया। रागिनी के मुँह से दुबारा आऽऽ आऽऽ आह निकली। सानिया इस बार खड़ी हो गई ताकि सब साफ़ देख सके।
रागिनी ने सानिया को खड़ा देख बोला- आईए न दीदी आप भी। अंकल बहुत अच्छे हैं।
आगे कुछ कहने से पहले ही मैंने लण्ड को बुर के बाहर भीतर करके लौण्डिया की चुदाई शुरु कर दी। सानिया का चेहरा चुदाई देख एकदम लाल हो गया था, पर वो सिर्फ़ खड़े-खड़े देख रही थी। रागिनी को पहली बार मेरे जैसे मर्द से वास्ता पड़ा था जो लड़की को खूब मजे लेकर चोदता है और लड़की को भी साथ में मजे देता है।
मेरी आदत है कि मैं रन्डी भी चोदता तो प्रेमिका बना कर। जब भी किसी को चोदा तो उसको अपने लिए भगवान का उपहार माना और उसके शरीर को पूरे मन से भोगा।
मैंने रागिनी से कहा- मजा आया रागिनी?
उसकी आँख बंद थी, होठ से कांपती आवाज आई- हाँ अंकल बहुत। आप बहुत अच्छे हैं। आऽऽ अह अंकल अब थोड़ा जोर से धक्का लगा कर चोदिए ना ! जैसा धक्का लण्ड पेलते समय लगाया था। असल में अभी खूब प्यार से धीरे-धीरे लण्ड अंदर-बाहर करके उसको चोद रहा था। पूरा पैसा वसूल हो इसके लिए जरूरी था कि उसकी बुर कम से कम आध घंटा मेरे लण्ड से चुदे।
उसके जोर का धक्का लगाने की फ़रमाईश पर मैंने आठ-दस दमदार धक्के लगाए और धक्के पर रागिनी के मुँह से आह की आवाज आई।
मैंने रागिनी से कहा- आँख खोल और देख ना कौन चोद रहा है तुझे ! मुझसे आँख मिला, कुछ बात कर ना। रन्डी हो तो थोड़ा रन्डीपना दिखा।
उसे मेरी बात से ठेस पहुँची शायद ! पर वो आँख खोल कर बोली- हाँ साले बेटीचोद, लूट मजा मेरी चूत का साले। मेरे बाप की उमर का होकर साले, मुझे चोद रहा है?
मुझे उसकी गालियों से जोश आ गया- चुप साली ! फाड़ दूँगा तेरी चूत आज ! साली कुतिया ! मुझे बेटी-चोद बोलती है ! बाप से चुदा-चुदा के जवान हुई है साली और मुझे बोल रही है बेटी चोद… ? ले साली चुद, और चुद, और चुद, रन्डी साली।
और मैंने कई जोरदार धक्के लगा दिए।
8-10 मिनट चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया तो लण्ड बाहर निकाल लिया और बोला-“अब बेटा तुम मेरे ऊपर बैठ कर चोदो, मुझे थोड़ा आराम से लेटने दो, फ़िर मैं चोदूँगा।
उसने कहा- ठीक है अंकल !
और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। सानिया बार-बार अपने पैर सिकोड़ रही थी, उसकी चूत भी गीली थी, पर उसमें गजब का धैर्य था। खड़े-खड़े ही वो हम दोनों की चुदाई देख रही थी- चुपचाप !