30-06-2020, 12:44 PM
Update....2
मैंने अब उसकी पैन्टी को सीधा फ़ैला दिया।
वो एक पुरानी पन्टी थी-रुपा सॉफ़्ट्लाईन 32 नम्बर…
इतनी पुरानी थी कि उसके किनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से हल्का-हल्का घिस कर फ़टना शुरु कर चुकी थी। मैंने उसे सूँघा, पर उसमें से साबुन की ही खुशबू आई।
फ़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मुठ मारी और अपना माल उसके पैन्टी के घिसे हुए हिस्से पर निकाला और फ़िर बिना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सूखने के लिए डाल दिया।
मेरे दिमाग में अब ख्याल आने लगा कि एक बार कोशिश कर के देख लूँ, शायद सानिया पट जाए। पर मुझे अब देर हो रही थी सो मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गया।
शाम को करीब सात बजे मैं घर आया, सानिया बैठ कर टीवी देख रही थी। उसने ही मुझे चाय बना कर दी।
हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने कहा- तैयार हो जाओ सानिया, आज बाहर ही खाएंगे!
खुशी उसके चेहरे पर झलक गई और मैं उसके उस सलोने से चेहरे से नजर हटा न पाया।
हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली- सॉरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरे कपड़े रह गए। असल में मेरे जाने के बाद अम्मी जब सारे घर को ठीक करती है, तो वो यह सब भी कर देती है। कल से ऐसा नहीं होगा।
उसके चेहरे पे सारी दुनिया की मासूमियत थी।
मैंने भी प्यार से कहा- अरे, कोई बात नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तुम तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सिर्फ़ सूखने के लिए तार पर डाल दिया।
फ़िर थोड़ी शरारत मन में आई तो कह दिया- वैसे भी तुम तो खुद दस किलो की हो, तो तुम्हारी ब्रा-पैन्टी तो 10 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए न। उसको सूखने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीं पड़ा मुझे।
उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को गोल-गोल नचाया- पूरे 41 किलो हूँ मैं!
मैंने तड़ से जड़ दिया- ठीक है, फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर 41 ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी?
वो मुस्कुरा कर बोली- मेरा मजाक बना रहे हैं, मैं तैयार होने जा रही हूँ।
और वो अपने कमरे में चली गई, मैं अपने कमरे में।
कोई आधे घण्टे बाद हम घर से निकले। सानिया ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टॉप पहनी थी। बालों को थोड़ा ऊपर उठा पैनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबॉक के जूते।
मैं उसकी खूबसूरती पर मुग्ध था।
हम लोग पैदल ही एक घण्टा घूमे और फ़िर करीब नौ बजे एक चाईनीज रेस्तराँ में खाना खाकर दस बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद करीब 11 बजे सानिया अपने कमरा में और मैं अपने कमरा में सोने चले गए। सानिया के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई।
अगले दिन करीब छः बजे सानिया ने मुझे जगाया, वो सामने चाय लेकर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख कर।
हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे साढ़े आठ बजे निकलना था, सो वो बोली-‘आप बाथरूम से हो लीजिए, तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है।
मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है और अपने कपड़े हाथ में लेकर मेरे बेड पर बैठी है।
जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा- आज भी अपना 41 ग्राम छोड़ देना।
वो यह सुन जोर से बोली- छीः! और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-‘मैं जा रही हूँ चाचू, करीब एक बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मैं कैंटीन में कर लूँगी।
मैं उसको कसे पीले सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मटक रही थी।
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गया।
मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है।
कल शायद उससे गलती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है।
मुझे लगने लगा कि यह साली पट सकती है।
मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। यह वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपटी पैन्टी को ब्रा के साथ सूखने को डाल दिया।
शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया ने चाय बनाई और हम दोनों गपशप करते हुए चाय पीने लगे।
सानिया ने ही बात छेड़ दी- आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?
मैं समझ न सका
मैंने अब उसकी पैन्टी को सीधा फ़ैला दिया।
वो एक पुरानी पन्टी थी-रुपा सॉफ़्ट्लाईन 32 नम्बर…
इतनी पुरानी थी कि उसके किनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से हल्का-हल्का घिस कर फ़टना शुरु कर चुकी थी। मैंने उसे सूँघा, पर उसमें से साबुन की ही खुशबू आई।
फ़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मुठ मारी और अपना माल उसके पैन्टी के घिसे हुए हिस्से पर निकाला और फ़िर बिना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सूखने के लिए डाल दिया।
मेरे दिमाग में अब ख्याल आने लगा कि एक बार कोशिश कर के देख लूँ, शायद सानिया पट जाए। पर मुझे अब देर हो रही थी सो मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गया।
शाम को करीब सात बजे मैं घर आया, सानिया बैठ कर टीवी देख रही थी। उसने ही मुझे चाय बना कर दी।
हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने कहा- तैयार हो जाओ सानिया, आज बाहर ही खाएंगे!
खुशी उसके चेहरे पर झलक गई और मैं उसके उस सलोने से चेहरे से नजर हटा न पाया।
हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली- सॉरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरे कपड़े रह गए। असल में मेरे जाने के बाद अम्मी जब सारे घर को ठीक करती है, तो वो यह सब भी कर देती है। कल से ऐसा नहीं होगा।
उसके चेहरे पे सारी दुनिया की मासूमियत थी।
मैंने भी प्यार से कहा- अरे, कोई बात नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तुम तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सिर्फ़ सूखने के लिए तार पर डाल दिया।
फ़िर थोड़ी शरारत मन में आई तो कह दिया- वैसे भी तुम तो खुद दस किलो की हो, तो तुम्हारी ब्रा-पैन्टी तो 10 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए न। उसको सूखने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीं पड़ा मुझे।
उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को गोल-गोल नचाया- पूरे 41 किलो हूँ मैं!
मैंने तड़ से जड़ दिया- ठीक है, फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर 41 ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी?
वो मुस्कुरा कर बोली- मेरा मजाक बना रहे हैं, मैं तैयार होने जा रही हूँ।
और वो अपने कमरे में चली गई, मैं अपने कमरे में।
कोई आधे घण्टे बाद हम घर से निकले। सानिया ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टॉप पहनी थी। बालों को थोड़ा ऊपर उठा पैनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबॉक के जूते।
मैं उसकी खूबसूरती पर मुग्ध था।
हम लोग पैदल ही एक घण्टा घूमे और फ़िर करीब नौ बजे एक चाईनीज रेस्तराँ में खाना खाकर दस बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद करीब 11 बजे सानिया अपने कमरा में और मैं अपने कमरा में सोने चले गए। सानिया के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई।
अगले दिन करीब छः बजे सानिया ने मुझे जगाया, वो सामने चाय लेकर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख कर।
हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे साढ़े आठ बजे निकलना था, सो वो बोली-‘आप बाथरूम से हो लीजिए, तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है।
मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है और अपने कपड़े हाथ में लेकर मेरे बेड पर बैठी है।
जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा- आज भी अपना 41 ग्राम छोड़ देना।
वो यह सुन जोर से बोली- छीः! और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-‘मैं जा रही हूँ चाचू, करीब एक बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मैं कैंटीन में कर लूँगी।
मैं उसको कसे पीले सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मटक रही थी।
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गया।
मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है।
कल शायद उससे गलती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है।
मुझे लगने लगा कि यह साली पट सकती है।
मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। यह वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपटी पैन्टी को ब्रा के साथ सूखने को डाल दिया।
शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया ने चाय बनाई और हम दोनों गपशप करते हुए चाय पीने लगे।
सानिया ने ही बात छेड़ दी- आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?
मैं समझ न सका