28-06-2020, 11:18 AM
(This post was last modified: 29-06-2020, 03:02 AM by babasandy. Edited 17 times in total. Edited 17 times in total.)
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी को अपने विशालकाय लंड पर चढ़ा रखा था, उसका खंबा मेरी दीदी की गांड के छेद में पूरा समाया हुआ था..
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो मेरी दुल्हनिया,तेरा नंबर है , घोंट चूतड़ उठा के ,दिखा दे कैसी नंबरी चुदक्कड़ है तू , अपनी रूपाली दीदी का नाम मत डूबा.... बोलते हुए जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया...
उसकी बातें सुनकर मेरी दीदी शर्म के मारे लाल हो गई... पर मेरी बहन वासना की आग में धधक रही थी... उनकी आंखों में हवस के लाल डोर तैर रहे थे...
मेरी दीदी ने हलके हलके शुरू किया , लेकिन जुनेद पूरा साथ दे रहे थे, जब मेरी दीदी ऊपर की ओर खींचती , तो वो मेरी प्रियंका दीदी की पतली कमरिया पकड़ के ऊपर की ओर धकेलते ,और जब मेरी दीदी नीचे की ओर लंड घोटने के लिए पुश करती तो जुनैद दुगनी ताकत से मेरी बहन की कमर पकड़ के ऊपर की ओर झटका देता ... मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मस्ती के खंभे पर ऊपर नीचे होने लगी थी..
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियां भी बहुत जोर जोर हिल रही थी..
जुनैद एक हाथ से कभी लेफ्ट और कभी राइट चूची को दबा रहा था… दीदी भी आहे भर रही थी….
"हाय .. कितनी गरम गरम है तू .. मेरी किस्मत में तेरे जैसी चिकनी लौंडिया होगी .... मैंने तो कभी सपने में भी सोचा नहीं था .. जुनेद बढ़बढ़ाते हुए बोला..
देख साले कैसे तेरी दीदी मेरे लोड़े पर उछल रही है... जुनेद मेरी तरफ देखकर बोला और उसकी कुटिल मुस्कान देखकर मैं बेहद शर्मिंदा हो गया..
मेरी प्रियंका दीदी को तो जैसे मेरे वहां होने की कोई परवाह ही नहीं थी, अपने जिस्म की आग में जलती हुई उसे बुझाने का प्रयास करती हुई मेरी दीदी भूल गई थी उनका भाई सामने खड़ा देख रहा है सब कुछ..
मेरी प्रियंका दीदी के लंड पे ऊपर नीचे होने की स्पीड बढ़ गयी। साथ में जब आलमोस्ट पूरा लंड गांड में घुस जाता तो बजाय ऊपर नीचे करने के मेरी दीदी कभी आगे पीछे करती , गोलगोल घूमती , जिससे पूरे लंड का मजा गांड को मिल सके। और साथ में जुनैद के के सीने पे अपनी गोल गोल चूंचियां रगड़ती , उनकी पीठ पे मस्ती से अपने नाख़ून से नोचती ...
पांच छ मिनट बाद एक मिनट के लिए मेरी प्रियंका दीदी रुकी और नीचे देखी तो बहुत जोर से शर्मा गई..
जुनेद के हाथ दोनों , पलंग पर थे। वो कब का मेरी दीदी को ऊपर नीचे करना बंद कर चुके थे... इसका मतलब मेरी प्रियंका दीदी सिर्फ अपनी ताकत से लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.
जुनैद का लंबा मोटा लंड एकदम जड़ तक गांड में घुसा हुआ था मेरी कमसिन नाजुक दीदी की...
खुली खिड़की से आ रही ठंडी हवा के बावजूद मेरी प्रियंका दीदी की देह पसीने पसीने थी..
वह .. क्या चीज बनायीं है तू राम ने ... तेरी चूचियां तो बड़ी मस्त हैं .. सेब के जैसी ... दिल कर रहा है खा जाऊं इन्हें ..." जुनैद ने कहा और मेरी प्रियंका दीदी की छाती पर जड़े मोती जैसे गुलाबी दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा.... मेरी दीदी की छाती के गुलाबी दाने भी अकड़ के तन गए थे.
मेरी प्रियंका दीदी भी अपनी प्रशंसा सुनकर बाग़ बाग़ हो गयी .. थोडा इतराते हुए उन्होंने अपनी आंखें खोली और जुनैद की तरफ देखकर सिसक उठी...
उतावलेपन और उत्तेजना में मेरी बहन ने जुनैद का सिर पकड़ लिया और अपनी गरम गरम सांसें छोड़ने लगी..
मेरी प्रियंका दीदी- आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! मम्मी... सिसकारियां लेने लगी..
जुनेद पागलों की तरह मेरी प्रियंका दीदी की चूचियों को खा रहा था.
अब पहली बार मेरी प्रियंका दीदी ने कहा- उनमह.. ! अब बस कीजिए.. ! आ अहह.. ! प्लीज़.. ! इसस्स.. ! हाय मम्मी...
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो.. प्रियंका जी.. मेरी दुल्हनिया...इतने दिन के बाद आप मिली हैं, आज मुझे.. ! इतनी जल्दी, कैसे छोड दूँ.. ! आज रात को आप यही रहेंगी, मेरे साथ.. ! आज तो आपके जिस्म को निचोड़ निचोड़ के पियूँगा.. ! और कहते कहते, मेरी दीदी के चूची चूसने लगा..
मेरी संस्कारी प्रियंका दीदी फिर तो जैसे बच्चे मस्ती से ट्रैम्पोलिन पे उछलते हैं बस उसी तरह से , बार बार आलमोस्ट लंड के ऊपर तक से लेकर पूरे जड़ तक... उछल उछल कर गांड में लंड घोंट रही थी।
मेरी प्रियंका दीदी की पायल और चूड़ियों की छन छन और खन खन की आवाज कमरे में गूंज रही थी..
थोड़ी देर में कूद कूद के मेरी दीदी थक गई.. जब जुनैद को मेरी प्रियंका दीदी की थकान का एहसास हुआ तो उसने मेरी दीदी को पलट के घोड़ी बना दिया...
जुनेद की मर्दानगी और उसकी ताकत देखकर मैं भी दंग रह गया था हालांकि मेरी सगी बहन ही उसका शिकार हो रही थी...
यह बात तो जुनैद की माननी पड़ेगी,, नंबरी चुदक्क्ड़ थे और गांड मारने में तो एकदम एक्सपर्ट , ... इंच क्या एक सूत भी लंड टस से मस नहीं हुआ मेरी प्रियंका दीदी की गांड में से..
पूरा का पूरा लंड गांड में और मेरी प्रियंका दीदी को निहुरा के उसने अब जो मेरी दीदी की री गांड मराई शुरू हुयी बस लग रहा था , अब तक जो था वो सिर्फ ट्रेलर था।
हाय मम्मी हाय दैया हाय मर गई रे.... हा ... धीरे ...अह्ह्ह्हह्हह ई मां... मेरी प्रियंका दीदी चीखने लगी..
पर जुनैद के ऊपर कोई असर नहीं... वह अपनी पूरी ताकत से लगे पड़े थे... मेरी दीदी का बुरा हाल हो गया था...
हाय राम धीरे-धीरे चोदिए ना...उईईईईई माँ कितना मोटा लंड है .. मेरी ... अह्ह्ह्हह्हह उह्ह्हह्ह... मेरी दीदी बिलबिला रही थी..
हां तेरे सैयां जी का लोड़ा है बहन चोद रंडी... अब मैं नहीं रुकने वाला.... देख बहन के लोड़े देख साले .... तेरी दीदी की गांड पेल रहा हूं.... जुनेद मेरी तरफ भी देख रहा था... मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी देखकर फिर भी मेरा लौड़ा तना हुआ था... अपनी सगी बहन को ही देखकर....
खूब दर्द , खूब मजा... मेरी प्रियंका दीदी की गांड में..
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की आधी देह बिस्तर पे थी , पेट के बल. गोल गोल ,पथराई चूचियाँ बिस्तर से रगड़ती, चूतड़ हवा उठा हुआ ,
और जुनैद मेरी बहन की दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में संभाले हुए पागलों की तरह ... दीदी के पैर मुश्किल से जमीन पर छू रहे थे..
धकाधक सटासट पेलम पेल मचा दी थी मेरी बहन की गांड में उस गुंडे ने जो मुझे अपना जीजा समझ रहा था...
असलम ने मेरी रूपाली दीदी की गांड मराई बंद कर दी थी... वह दोनों भी चुपचाप इस दृश्य को देख रहे थे...
एक बात और , रात में तो चारो और सन्नाटा था ,घुप्प अँधेरा था ,कमरे में मुश्किल से लालटेन को रौशनी में कुछ झिलमिल झिलमिल सा दिखता था,लेकिन इस समय तो दिन चढ़ आया था। सुनहली धूप खिड़की से हो के पूरे कमरे में पसरी थी , बाहर टटकी धुली अमराई , गन्ने और धान के खेत दिख रहे थे , धान के खेतों से रोपनी वालियों के गाने की मीठी मीठी आवाजें सुनाई दे रही थी।
लेकिन मेरी प्रियंका दीदी को न कुछ सुनाई दे रहा था ,न दिखाई दे रहा था न महसूस हो रहा था , सिवाय कसी कच्ची गांड में जड़ तक घुसा हुआ , गांड फाडू , जुनैद का मोटा लंबा लण्ड। मेरी प्यारी दीदी दीदी की गांड भी जोर से से परपरा रही थी , फटी पड़ रही थी , की बस ,...
और जुनैद को भी मेरी प्रियंका दीदी की 24 साल की कच्ची कुंवारी गांड के म झटका मारने के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
हाय रे जालिम... फट गई मेरी... थोड़ा धीरे धीरे कीजिए ना... सैंया जी.... मां मर गई रे...आईईईई उउउउउउउ... मेरी दीदी तो लगभग रोने लगी थी... पर फिर भी अपनी गांड उठा उठा कर दे रही थी..
मेरी बहन की छोटी सी प्यारी मासूम गांड जो अब तक कुंवारी थी जुनैद के रहमों करम पर थी..
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से पेलने लगा…
उसने मेरी दीदी को डॉगी पोज में सेट किया...डॉगी पोज में भी पूरा रगड़ते दरेरते अंदर तक जाता है।
एक बार डॉगी पोज सेट करने के बाद ,उसने मेरी बहन को लगाने शुरू किये और अब मेरी प्रियंका दीदी की गांड को भी उनके लण्ड की आदत पड़ती जा रही थी। उनके हर धक्के का जवाब मेरी कमसिन दीदी कभी धक्के से तो कभी गांड को सिकोड के कभी निचोड़ के , उनके लण्ड को दबोच के देती थी।
पर अचानक जुनैद को क्या हुआ.. उसने मेरी दीदी के चूतडों को हवा में जोर से उठाया , पूरे ऊपर तक , लण्ड को आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाला और फिर एक धक्के में ही,... पूरा जड़ तक ,
मेरी प्रियंका दीदी की बस जान नहीं निकली। हाँ चीख निकल गयी, बहुत जोर से , ...
" उई माँ , ओह्ह्ह आह्ह ,उईईईईई , उई माँ ,'...
इधर मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल रही थी, दूसरी तरफ असलम " जो मेरी रुपाली दीदी को कुत्तिया बनाकर उनकी गांड में धीरे-धीरे लोड़ा अंदर बाहर कर रहा था और मेरी रूपाली दीदी की पीठ के ऊपर दारू का बोतल रखा हुआ था जिसे वह पी रहा था" मेरी तरह मुस्कुरा कर बोला..
साले तेरी बहना तो अपनी मम्मी को याद कर रही है..उन्हु क गांड मरवाने का मन है , ले आना अगली बार , उन्हु के ओखली में धान कुट देंगे हम दोनों...
हम तीनों ही शर्मिंदा हो गए असलम की बात सुनकर..
जुनैद ने एक बार फिर अपना मोटा मूसल ऑलमोस्ट एकदम बाहर निकाला धीमे धीमे, मेरी कोमल रंगीली छम्मक छल्लो प्रियंका दीदी की गांड के छल्ले के बाहर और मेरी तरफ कुटिल मुस्कान के साथ बोला....
" एकदम , अरे जिस भोसडे से ये मस्त सोने की गुड़िया , मक्खन की पुड़िया निकली है ,वो भोसड़ा कितना मस्त होगा। उसको तो एक बार चोदना ही होगा...
और ये कह के उन्होंने पहली बार से भी करारा धक्का मारा। दर्द से मेरी प्रियंका दीदी की जोर से चीख निकल गई...
हाय मां मर गई रे.... बड़ा दुखता है ...
जवाब असलम ने दिया..., " अरे बिचारी कह रही है , तो सिर्फ एक बार क्यों , उस छिनार की जिसकी बुर से ये जनी है एक लण्ड से और एक बार से काम नहीं चलता। फिर सिर्फ भोसड़े से काम थोड़े ही चलेगा , हचक हचक के उसकी गांड भी कूटनी होगी। "
जुनैद के धक्कों की रफ़्तार अब बढ़ गयी थी , और साथ में वो बोल भी रहे थे , ...
" एकदम सही बोल रही है , और जब इस नयी कच्ची बछेड़ी के साथ इतना मजा मिल रहा है तो घाट घाट का पानी पी , न जाने कितने लौंडे घोंटी , उस के भोसड़े में कितना रस होगा। एक बार क्यों बार बार , ...और गांड भी ,... एक बार आएँगी न, तो बस अपने सारे पुराने यारों को भूल जाएंगी। "
दोनों गुंडे मेरी मम्मी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे... मुझे बड़ा ही अजीब लग रहा था... पर मेरा लौड़ा बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
जुनैद के इन झटकों के कारण मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल जा रही थी.
लेकिन एक अलग ढंग की मजे की लहर मेरी बहन की देह में दौड़ रही थी , मेरी प्रियंका दीदी की चूत बार बार सिकुड़ रही थी ,अपने आप। अच्छी तरह पनिया गयी थी। बस जैसे झड़ते समय होता है ,वैसे ही , मुझे लग रहा था मेरी दीदी अब गयी तब गयी ..
मेरी बहना की गांड में जुनैद के न धक्के कम हुए न उनका जोर। दर्द ,छरछराहट भी वैसी ही थी , लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था मन ही मन.. बड़ी शर्मिंदगी की बात है दोस्तों पर मुझे आपको बताना ही पड़ेगा.... उनका सगा भाई होने के बावजूद भी मैं इस दृश्य को देखना चाहता था और देख भी रहा था... बड़ा ही अजीबोगरीब अनुभव रहा है यह मेरे लिए..
, मन कर रहा था और जोर से , और जोर से ,... मेरे प्रियंका दीदी की गांड मारे जुनैद.. कितनी अजीब बात है... मैं खुद ही मन ही मन सोच रहा था कि मेरी बहन की गांड एक गुंडा जोर जोर से मारे... और वह मार भी रहा था मेरी उम्मीदों से काफी बढ़ कर...
जुनेद ने लण्ड बाहर निकाला , लेकिन अबकी अंदर नहीं घुसेड़ा ,रुक गए।
मेरी प्रियंका दीदी ने पीछे मुड़कर देखा अपनी आंखों में हवस लिए हुए.... जैसे पूछ रही हो "क्यों रुक गए".
थोड़ी देर बाद जुनैद ने दुबारा लौड़ा घुसा दिया मगर इस बार बहुत धीरे-धीरे मेरी बहन की गांड में...
मेरी प्रियंका दीदी के पैरों को उन्होंने अपने पैरों के बीच डालकर जोर से सिकोड़ लिया और अब मेरी दीदी की गांड और भिंच गयी। और आधा लण्ड घुसेड़ के वो रुक गए ,
फिर एक हाथ से अपने खूंटे के बेस को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर जोर जोर चार पांच बार क्लाक वाइज , फिर एंटी क्लाक वाइज ,...
उन्होंने फिर गोल गोल घुमाना रोक के मेरी प्रियंका दीदी की फिर से रगड़ रगड़ रगड़ के गांड मारना शुरू कर दिया। मेरी दीदी की देह बिस्तर से रगड़ रही थी ,मेरी दीदी एकदम झड़ने के करीब थी।
बीच बीच में वो रोक के जैसे कोई मथानी से माखन मथे ,उसी तरह से अपने हाथ से पकड़ के मेरी बहना की गांड में अपना लौड़ा घुमा रहे थे...
मेरी प्रियंका दीदी की हालत खराब थी, मेरी दीदी भी उनका लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी।
और कुछ देर में मेरी दीदी की चूत को बिना कुछ किये मेरी बहन झड़ने लगी, इतना तो मेरी दीदी चुदते समय भी नहीं झड़ थी।
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की देह काँप रही थी ,जोर जोर से बोल रही थी , हाँ सैंया जी हाँ मार लो मेरी चोद दो मेरी , मार लो गांड ,... हो हो उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्..
मेरी प्रियंका दीदी पलंग पर ढेर हो गई, साथ में मेरी दीदी की गांड भी अपने सैया जी का लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी और उसका असर उन पर भी पड़ा , दो चार धक्के पूरी ताकत से मार के , वो झड़ने लगे। खूंटा एकदम अंदर तक धंसा था।
देर तक दोनों साथ साथ झड़ रहे थे।
तकरीबन एक कटोरी मलाई जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड में डाल दिया था... मेरी बहना सिसक रही थी..
जुनेद मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर लेटे रहे और मेरी दीदी पेट के बल बिस्तर के ऊपर..
मेरी प्रियंका दीदी कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी ..
संज्ञा शून्य , शिथिल , निश्चल , मेरी प्रियंका दीदी की पलकें मूंदी हुयी थीं ,साँसे लम्बी लम्बी धीमे धीमे चल रही थीं।
मेरी कमसिन कामपिपासु दीदी को पूरी देह में एक मीठे मीठे दर्द की चुभन दौड़ रही थी।
मेरी बहना को तो सिर्फ एक चीज का अहसास था , अभी भी पिछवाड़े धंसे ,अंदर तक गड़े ,मोटे खूंटे का।
कुछ देर में धीमे धीमे हलके से वो बाहर सरक गया , जैसे कोई मोटा कड़ियल सांप सरकते फिसलते हुए , बिल से निकल जाय।
और मेरी दीदी ने भी अपनी गांड की छेद भींच लिया , जोर से सिकोड़ के। साजन के जाने बाद जैसे कोई सजनी ,अपने घर की सांकल बंद कर ले।
एक तूफ़ान जो अभी अभी ऊपर से गुजर गया था , उसका अहसास बस समेट के सजो के बचा के मेरी प्रियंका दीदी अपनी बंद पलकों में रखी हुई थी...
पर जुनेद मेरी प्रियंका दीदी को राहत की सांस भी नहीं लेने दे रहा था... उसने मेरी दीदी को उल्टा कर दिया और मेरी दीदी की छाती के ऊपर सवार होकर मेरी बहन के मुंह में अपना लौड़ा घुसा दिया..
मेरी प्रियंका दीदी ने पट से चिरई की चोंच की तरह मुंह चियार दिया , और सट से जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी बहन के मुंह में ठोक दिया... मेरी प्रियंका दीदी उसका लौड़ा पीने लगी.. चाटने लगी .. प्यार से चूमने लगी... अपने साजन का हथियार..,.
वही साइज , वही कड़ेपन के अहसास ,जिसके लिए मेरी दीदी बेहया हो गई थी... पर अचानक मेरी बहन को याद आया कि यही लोड़ा तों उनकी गांड के छेद में से निकल कम के मुंह में आया है..
अजीब स्वाद खट्टा मीठा.....एकदम अलग। उबकाई आने लगी मेरी बहना को.. पर जुनेद.... वह तो एक खेला खाया हुआ मर्द था... उसने अपना जोर लगाए रखा और मेरी प्रियंका दीदी को अपना लौड़ा चाट चाट के साफ करने पर मजबूर कर दिया...
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो मेरी दुल्हनिया,तेरा नंबर है , घोंट चूतड़ उठा के ,दिखा दे कैसी नंबरी चुदक्कड़ है तू , अपनी रूपाली दीदी का नाम मत डूबा.... बोलते हुए जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया...
उसकी बातें सुनकर मेरी दीदी शर्म के मारे लाल हो गई... पर मेरी बहन वासना की आग में धधक रही थी... उनकी आंखों में हवस के लाल डोर तैर रहे थे...
मेरी दीदी ने हलके हलके शुरू किया , लेकिन जुनेद पूरा साथ दे रहे थे, जब मेरी दीदी ऊपर की ओर खींचती , तो वो मेरी प्रियंका दीदी की पतली कमरिया पकड़ के ऊपर की ओर धकेलते ,और जब मेरी दीदी नीचे की ओर लंड घोटने के लिए पुश करती तो जुनैद दुगनी ताकत से मेरी बहन की कमर पकड़ के ऊपर की ओर झटका देता ... मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मस्ती के खंभे पर ऊपर नीचे होने लगी थी..
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियां भी बहुत जोर जोर हिल रही थी..
जुनैद एक हाथ से कभी लेफ्ट और कभी राइट चूची को दबा रहा था… दीदी भी आहे भर रही थी….
"हाय .. कितनी गरम गरम है तू .. मेरी किस्मत में तेरे जैसी चिकनी लौंडिया होगी .... मैंने तो कभी सपने में भी सोचा नहीं था .. जुनेद बढ़बढ़ाते हुए बोला..
देख साले कैसे तेरी दीदी मेरे लोड़े पर उछल रही है... जुनेद मेरी तरफ देखकर बोला और उसकी कुटिल मुस्कान देखकर मैं बेहद शर्मिंदा हो गया..
मेरी प्रियंका दीदी को तो जैसे मेरे वहां होने की कोई परवाह ही नहीं थी, अपने जिस्म की आग में जलती हुई उसे बुझाने का प्रयास करती हुई मेरी दीदी भूल गई थी उनका भाई सामने खड़ा देख रहा है सब कुछ..
मेरी प्रियंका दीदी के लंड पे ऊपर नीचे होने की स्पीड बढ़ गयी। साथ में जब आलमोस्ट पूरा लंड गांड में घुस जाता तो बजाय ऊपर नीचे करने के मेरी दीदी कभी आगे पीछे करती , गोलगोल घूमती , जिससे पूरे लंड का मजा गांड को मिल सके। और साथ में जुनैद के के सीने पे अपनी गोल गोल चूंचियां रगड़ती , उनकी पीठ पे मस्ती से अपने नाख़ून से नोचती ...
पांच छ मिनट बाद एक मिनट के लिए मेरी प्रियंका दीदी रुकी और नीचे देखी तो बहुत जोर से शर्मा गई..
जुनेद के हाथ दोनों , पलंग पर थे। वो कब का मेरी दीदी को ऊपर नीचे करना बंद कर चुके थे... इसका मतलब मेरी प्रियंका दीदी सिर्फ अपनी ताकत से लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.
जुनैद का लंबा मोटा लंड एकदम जड़ तक गांड में घुसा हुआ था मेरी कमसिन नाजुक दीदी की...
खुली खिड़की से आ रही ठंडी हवा के बावजूद मेरी प्रियंका दीदी की देह पसीने पसीने थी..
वह .. क्या चीज बनायीं है तू राम ने ... तेरी चूचियां तो बड़ी मस्त हैं .. सेब के जैसी ... दिल कर रहा है खा जाऊं इन्हें ..." जुनैद ने कहा और मेरी प्रियंका दीदी की छाती पर जड़े मोती जैसे गुलाबी दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा.... मेरी दीदी की छाती के गुलाबी दाने भी अकड़ के तन गए थे.
मेरी प्रियंका दीदी भी अपनी प्रशंसा सुनकर बाग़ बाग़ हो गयी .. थोडा इतराते हुए उन्होंने अपनी आंखें खोली और जुनैद की तरफ देखकर सिसक उठी...
उतावलेपन और उत्तेजना में मेरी बहन ने जुनैद का सिर पकड़ लिया और अपनी गरम गरम सांसें छोड़ने लगी..
मेरी प्रियंका दीदी- आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! मम्मी... सिसकारियां लेने लगी..
जुनेद पागलों की तरह मेरी प्रियंका दीदी की चूचियों को खा रहा था.
अब पहली बार मेरी प्रियंका दीदी ने कहा- उनमह.. ! अब बस कीजिए.. ! आ अहह.. ! प्लीज़.. ! इसस्स.. ! हाय मम्मी...
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो.. प्रियंका जी.. मेरी दुल्हनिया...इतने दिन के बाद आप मिली हैं, आज मुझे.. ! इतनी जल्दी, कैसे छोड दूँ.. ! आज रात को आप यही रहेंगी, मेरे साथ.. ! आज तो आपके जिस्म को निचोड़ निचोड़ के पियूँगा.. ! और कहते कहते, मेरी दीदी के चूची चूसने लगा..
मेरी संस्कारी प्रियंका दीदी फिर तो जैसे बच्चे मस्ती से ट्रैम्पोलिन पे उछलते हैं बस उसी तरह से , बार बार आलमोस्ट लंड के ऊपर तक से लेकर पूरे जड़ तक... उछल उछल कर गांड में लंड घोंट रही थी।
मेरी प्रियंका दीदी की पायल और चूड़ियों की छन छन और खन खन की आवाज कमरे में गूंज रही थी..
थोड़ी देर में कूद कूद के मेरी दीदी थक गई.. जब जुनैद को मेरी प्रियंका दीदी की थकान का एहसास हुआ तो उसने मेरी दीदी को पलट के घोड़ी बना दिया...
जुनेद की मर्दानगी और उसकी ताकत देखकर मैं भी दंग रह गया था हालांकि मेरी सगी बहन ही उसका शिकार हो रही थी...
यह बात तो जुनैद की माननी पड़ेगी,, नंबरी चुदक्क्ड़ थे और गांड मारने में तो एकदम एक्सपर्ट , ... इंच क्या एक सूत भी लंड टस से मस नहीं हुआ मेरी प्रियंका दीदी की गांड में से..
पूरा का पूरा लंड गांड में और मेरी प्रियंका दीदी को निहुरा के उसने अब जो मेरी दीदी की री गांड मराई शुरू हुयी बस लग रहा था , अब तक जो था वो सिर्फ ट्रेलर था।
हाय मम्मी हाय दैया हाय मर गई रे.... हा ... धीरे ...अह्ह्ह्हह्हह ई मां... मेरी प्रियंका दीदी चीखने लगी..
पर जुनैद के ऊपर कोई असर नहीं... वह अपनी पूरी ताकत से लगे पड़े थे... मेरी दीदी का बुरा हाल हो गया था...
हाय राम धीरे-धीरे चोदिए ना...उईईईईई माँ कितना मोटा लंड है .. मेरी ... अह्ह्ह्हह्हह उह्ह्हह्ह... मेरी दीदी बिलबिला रही थी..
हां तेरे सैयां जी का लोड़ा है बहन चोद रंडी... अब मैं नहीं रुकने वाला.... देख बहन के लोड़े देख साले .... तेरी दीदी की गांड पेल रहा हूं.... जुनेद मेरी तरफ भी देख रहा था... मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी देखकर फिर भी मेरा लौड़ा तना हुआ था... अपनी सगी बहन को ही देखकर....
खूब दर्द , खूब मजा... मेरी प्रियंका दीदी की गांड में..
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की आधी देह बिस्तर पे थी , पेट के बल. गोल गोल ,पथराई चूचियाँ बिस्तर से रगड़ती, चूतड़ हवा उठा हुआ ,
और जुनैद मेरी बहन की दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में संभाले हुए पागलों की तरह ... दीदी के पैर मुश्किल से जमीन पर छू रहे थे..
धकाधक सटासट पेलम पेल मचा दी थी मेरी बहन की गांड में उस गुंडे ने जो मुझे अपना जीजा समझ रहा था...
असलम ने मेरी रूपाली दीदी की गांड मराई बंद कर दी थी... वह दोनों भी चुपचाप इस दृश्य को देख रहे थे...
एक बात और , रात में तो चारो और सन्नाटा था ,घुप्प अँधेरा था ,कमरे में मुश्किल से लालटेन को रौशनी में कुछ झिलमिल झिलमिल सा दिखता था,लेकिन इस समय तो दिन चढ़ आया था। सुनहली धूप खिड़की से हो के पूरे कमरे में पसरी थी , बाहर टटकी धुली अमराई , गन्ने और धान के खेत दिख रहे थे , धान के खेतों से रोपनी वालियों के गाने की मीठी मीठी आवाजें सुनाई दे रही थी।
लेकिन मेरी प्रियंका दीदी को न कुछ सुनाई दे रहा था ,न दिखाई दे रहा था न महसूस हो रहा था , सिवाय कसी कच्ची गांड में जड़ तक घुसा हुआ , गांड फाडू , जुनैद का मोटा लंबा लण्ड। मेरी प्यारी दीदी दीदी की गांड भी जोर से से परपरा रही थी , फटी पड़ रही थी , की बस ,...
और जुनैद को भी मेरी प्रियंका दीदी की 24 साल की कच्ची कुंवारी गांड के म झटका मारने के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
हाय रे जालिम... फट गई मेरी... थोड़ा धीरे धीरे कीजिए ना... सैंया जी.... मां मर गई रे...आईईईई उउउउउउउ... मेरी दीदी तो लगभग रोने लगी थी... पर फिर भी अपनी गांड उठा उठा कर दे रही थी..
मेरी बहन की छोटी सी प्यारी मासूम गांड जो अब तक कुंवारी थी जुनैद के रहमों करम पर थी..
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से पेलने लगा…
उसने मेरी दीदी को डॉगी पोज में सेट किया...डॉगी पोज में भी पूरा रगड़ते दरेरते अंदर तक जाता है।
एक बार डॉगी पोज सेट करने के बाद ,उसने मेरी बहन को लगाने शुरू किये और अब मेरी प्रियंका दीदी की गांड को भी उनके लण्ड की आदत पड़ती जा रही थी। उनके हर धक्के का जवाब मेरी कमसिन दीदी कभी धक्के से तो कभी गांड को सिकोड के कभी निचोड़ के , उनके लण्ड को दबोच के देती थी।
पर अचानक जुनैद को क्या हुआ.. उसने मेरी दीदी के चूतडों को हवा में जोर से उठाया , पूरे ऊपर तक , लण्ड को आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाला और फिर एक धक्के में ही,... पूरा जड़ तक ,
मेरी प्रियंका दीदी की बस जान नहीं निकली। हाँ चीख निकल गयी, बहुत जोर से , ...
" उई माँ , ओह्ह्ह आह्ह ,उईईईईई , उई माँ ,'...
इधर मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल रही थी, दूसरी तरफ असलम " जो मेरी रुपाली दीदी को कुत्तिया बनाकर उनकी गांड में धीरे-धीरे लोड़ा अंदर बाहर कर रहा था और मेरी रूपाली दीदी की पीठ के ऊपर दारू का बोतल रखा हुआ था जिसे वह पी रहा था" मेरी तरह मुस्कुरा कर बोला..
साले तेरी बहना तो अपनी मम्मी को याद कर रही है..उन्हु क गांड मरवाने का मन है , ले आना अगली बार , उन्हु के ओखली में धान कुट देंगे हम दोनों...
हम तीनों ही शर्मिंदा हो गए असलम की बात सुनकर..
जुनैद ने एक बार फिर अपना मोटा मूसल ऑलमोस्ट एकदम बाहर निकाला धीमे धीमे, मेरी कोमल रंगीली छम्मक छल्लो प्रियंका दीदी की गांड के छल्ले के बाहर और मेरी तरफ कुटिल मुस्कान के साथ बोला....
" एकदम , अरे जिस भोसडे से ये मस्त सोने की गुड़िया , मक्खन की पुड़िया निकली है ,वो भोसड़ा कितना मस्त होगा। उसको तो एक बार चोदना ही होगा...
और ये कह के उन्होंने पहली बार से भी करारा धक्का मारा। दर्द से मेरी प्रियंका दीदी की जोर से चीख निकल गई...
हाय मां मर गई रे.... बड़ा दुखता है ...
जवाब असलम ने दिया..., " अरे बिचारी कह रही है , तो सिर्फ एक बार क्यों , उस छिनार की जिसकी बुर से ये जनी है एक लण्ड से और एक बार से काम नहीं चलता। फिर सिर्फ भोसड़े से काम थोड़े ही चलेगा , हचक हचक के उसकी गांड भी कूटनी होगी। "
जुनैद के धक्कों की रफ़्तार अब बढ़ गयी थी , और साथ में वो बोल भी रहे थे , ...
" एकदम सही बोल रही है , और जब इस नयी कच्ची बछेड़ी के साथ इतना मजा मिल रहा है तो घाट घाट का पानी पी , न जाने कितने लौंडे घोंटी , उस के भोसड़े में कितना रस होगा। एक बार क्यों बार बार , ...और गांड भी ,... एक बार आएँगी न, तो बस अपने सारे पुराने यारों को भूल जाएंगी। "
दोनों गुंडे मेरी मम्मी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे... मुझे बड़ा ही अजीब लग रहा था... पर मेरा लौड़ा बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
जुनैद के इन झटकों के कारण मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल जा रही थी.
लेकिन एक अलग ढंग की मजे की लहर मेरी बहन की देह में दौड़ रही थी , मेरी प्रियंका दीदी की चूत बार बार सिकुड़ रही थी ,अपने आप। अच्छी तरह पनिया गयी थी। बस जैसे झड़ते समय होता है ,वैसे ही , मुझे लग रहा था मेरी दीदी अब गयी तब गयी ..
मेरी बहना की गांड में जुनैद के न धक्के कम हुए न उनका जोर। दर्द ,छरछराहट भी वैसी ही थी , लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था मन ही मन.. बड़ी शर्मिंदगी की बात है दोस्तों पर मुझे आपको बताना ही पड़ेगा.... उनका सगा भाई होने के बावजूद भी मैं इस दृश्य को देखना चाहता था और देख भी रहा था... बड़ा ही अजीबोगरीब अनुभव रहा है यह मेरे लिए..
, मन कर रहा था और जोर से , और जोर से ,... मेरे प्रियंका दीदी की गांड मारे जुनैद.. कितनी अजीब बात है... मैं खुद ही मन ही मन सोच रहा था कि मेरी बहन की गांड एक गुंडा जोर जोर से मारे... और वह मार भी रहा था मेरी उम्मीदों से काफी बढ़ कर...
जुनेद ने लण्ड बाहर निकाला , लेकिन अबकी अंदर नहीं घुसेड़ा ,रुक गए।
मेरी प्रियंका दीदी ने पीछे मुड़कर देखा अपनी आंखों में हवस लिए हुए.... जैसे पूछ रही हो "क्यों रुक गए".
थोड़ी देर बाद जुनैद ने दुबारा लौड़ा घुसा दिया मगर इस बार बहुत धीरे-धीरे मेरी बहन की गांड में...
मेरी प्रियंका दीदी के पैरों को उन्होंने अपने पैरों के बीच डालकर जोर से सिकोड़ लिया और अब मेरी दीदी की गांड और भिंच गयी। और आधा लण्ड घुसेड़ के वो रुक गए ,
फिर एक हाथ से अपने खूंटे के बेस को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर जोर जोर चार पांच बार क्लाक वाइज , फिर एंटी क्लाक वाइज ,...
उन्होंने फिर गोल गोल घुमाना रोक के मेरी प्रियंका दीदी की फिर से रगड़ रगड़ रगड़ के गांड मारना शुरू कर दिया। मेरी दीदी की देह बिस्तर से रगड़ रही थी ,मेरी दीदी एकदम झड़ने के करीब थी।
बीच बीच में वो रोक के जैसे कोई मथानी से माखन मथे ,उसी तरह से अपने हाथ से पकड़ के मेरी बहना की गांड में अपना लौड़ा घुमा रहे थे...
मेरी प्रियंका दीदी की हालत खराब थी, मेरी दीदी भी उनका लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी।
और कुछ देर में मेरी दीदी की चूत को बिना कुछ किये मेरी बहन झड़ने लगी, इतना तो मेरी दीदी चुदते समय भी नहीं झड़ थी।
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की देह काँप रही थी ,जोर जोर से बोल रही थी , हाँ सैंया जी हाँ मार लो मेरी चोद दो मेरी , मार लो गांड ,... हो हो उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्..
मेरी प्रियंका दीदी पलंग पर ढेर हो गई, साथ में मेरी दीदी की गांड भी अपने सैया जी का लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी और उसका असर उन पर भी पड़ा , दो चार धक्के पूरी ताकत से मार के , वो झड़ने लगे। खूंटा एकदम अंदर तक धंसा था।
देर तक दोनों साथ साथ झड़ रहे थे।
तकरीबन एक कटोरी मलाई जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड में डाल दिया था... मेरी बहना सिसक रही थी..
जुनेद मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर लेटे रहे और मेरी दीदी पेट के बल बिस्तर के ऊपर..
मेरी प्रियंका दीदी कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी ..
संज्ञा शून्य , शिथिल , निश्चल , मेरी प्रियंका दीदी की पलकें मूंदी हुयी थीं ,साँसे लम्बी लम्बी धीमे धीमे चल रही थीं।
मेरी कमसिन कामपिपासु दीदी को पूरी देह में एक मीठे मीठे दर्द की चुभन दौड़ रही थी।
मेरी बहना को तो सिर्फ एक चीज का अहसास था , अभी भी पिछवाड़े धंसे ,अंदर तक गड़े ,मोटे खूंटे का।
कुछ देर में धीमे धीमे हलके से वो बाहर सरक गया , जैसे कोई मोटा कड़ियल सांप सरकते फिसलते हुए , बिल से निकल जाय।
और मेरी दीदी ने भी अपनी गांड की छेद भींच लिया , जोर से सिकोड़ के। साजन के जाने बाद जैसे कोई सजनी ,अपने घर की सांकल बंद कर ले।
एक तूफ़ान जो अभी अभी ऊपर से गुजर गया था , उसका अहसास बस समेट के सजो के बचा के मेरी प्रियंका दीदी अपनी बंद पलकों में रखी हुई थी...
पर जुनेद मेरी प्रियंका दीदी को राहत की सांस भी नहीं लेने दे रहा था... उसने मेरी दीदी को उल्टा कर दिया और मेरी दीदी की छाती के ऊपर सवार होकर मेरी बहन के मुंह में अपना लौड़ा घुसा दिया..
मेरी प्रियंका दीदी ने पट से चिरई की चोंच की तरह मुंह चियार दिया , और सट से जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी बहन के मुंह में ठोक दिया... मेरी प्रियंका दीदी उसका लौड़ा पीने लगी.. चाटने लगी .. प्यार से चूमने लगी... अपने साजन का हथियार..,.
वही साइज , वही कड़ेपन के अहसास ,जिसके लिए मेरी दीदी बेहया हो गई थी... पर अचानक मेरी बहन को याद आया कि यही लोड़ा तों उनकी गांड के छेद में से निकल कम के मुंह में आया है..
अजीब स्वाद खट्टा मीठा.....एकदम अलग। उबकाई आने लगी मेरी बहना को.. पर जुनेद.... वह तो एक खेला खाया हुआ मर्द था... उसने अपना जोर लगाए रखा और मेरी प्रियंका दीदी को अपना लौड़ा चाट चाट के साफ करने पर मजबूर कर दिया...