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अम्मी का प्यार .......
#22
अम्मी की फुद्दी की देवरों को चीरता होआ एन्ड तक्क सीधे जा अम्मी की बच्चे दानी पे जा टकराया की एक ज़ोरदार चीख पोरे घर में गुंजी aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh putrrrrrrrrrrr मार सुट्ट्याए मेंऊऊऊ मेरेया रब्बबाआ मेरीए फुदडीईईई पार dittti,aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh....ammi की दर्दनाक चीखों की परवा किये बग़ैर मैं ने अपना लूँ बाहिर की और खींचा तो लूँ फुद्दी की अंदरूनी स्किन साथ रैगर खता बाहिर सिरे तक्क आया तो मैं फिर से एक कस्सस क धक्का दे मारा बेचारी फिर से chilayiii,ayyyyyyyyyyyyyyyyyyyyye मैंनं मर्डरर गईइइइइइ मेरे khudyaaaaa,putrrrrrrrrrr holiiiiiiiiiiiiiii, हैईईई मैं नै बछडीइइइइइइ अज्ज्ज्ज पागलो जैसे चुदाई क नशे में पता नै क्या कुछ बोल चिलायी जा रही थी और मैं अम्मी क मोठे चुतरों को मज़बूती से थामे कस कस क धक्के लगाई जा रहा था से अम्मी का पूरा बदन हिल रहा तह बात का पूरा ख्याल रख रहा था क धक्के क ज़ोर की वजह से अम्मी का सर आगे को रैंक क अंदर न लगे कहीं खातिर मैं मज़बूती से हिप्पस को थमा होआ था और अम्मी की फुद्दी में अपना मोटा लम्बा लूँ घुसाई जा रहा था धक्के साथ मेरी थिएस अम्मी क मोठे चुतरों साथ टकराती तो एक थपप्पपपपपपप थपप्पपपपप की आवाज़ पैदा होती पेरो क पंजू क बल था इस लिए मेरा लूँ पीछे से आगे नै बल क थोड़ा ऊपर से नीचे की और अम्मी की फुद्दी में ड्रिलिंग कर रहा था लूँ एक ल हे झटके में अंदर दाल अगले हे पल निकल लेता और वीथिन सेकंड फिर से अंदर घुसा देता की फुद्दी की तिघनेसस फील कर अंदर से मैं तो मस्त होगया था और लूँ पागलो जैसे किसी सांड जैसे घुसाई जा रहा था और ये बी नै देख रहा था क नीचे झुकी औरतट जो दर्दनाक चीखें निकल रही है वो मेरी सही माँ है जो मुझे इस दुनिआ में लेन का सबब्ब बानी थी और आज उसी माँ की उसी जगह को जहाँ से मैं कभी आया था मैं जानवरों जैसे अपना मोटा लम्बा लूँ डाले छोड़ी का रहा था...सुछ में अम्मी की फुद्दी का जवाब नै था लूँ पूरी गहरायी में जा रहा था और हर बरी अम्मी की बच्चेदानी को छु कर वापिस आ रहा था वही बच्चे दानी थी जिस में ९ माह मैं कभी रहा था और आज उसी क दरवाज़े पर अपने लूँ साथ बार बार दस्तकक दे रहा था...अम्मी लगातार चिलए जा रही थी क पुतररररररर रेहम्म्म्म कररररर कुछहहहहह अपनीईई माआ पे हैएएइ मैं मररररर गईइइइइइ हॉलीइइइइइइ पुतरररररर...मैं तो अम्मी की मोती गांड में खोया मज़बूती से हिप्पस थामे धक्के लगाई जा रहा था...सुछ में मैं अम्मी क हुस्न का देवना होगया होआ था तभी तो सुध बुध खोये पागलो जैसे अम्मी की फुद्दी को छोड़ी जा रहा था...पता नै शायद किसी और को फील न हो जो अपनी माँ को छोड़ते हैं पर मुझे ये अंदर से सकूं वाली और एक अजीब से मज़े वाली फीलिंग्स आ रही थी तब क मैं अपनी सही माँ को छोड़ रहा हूँ में चुदाई का सुना हे था बास क ब्रा मज़ा आता है जब किसी ऐसी औरत को चोदे जो रिश्ते में कुछ लगती हो ऐसी औरतट जिस क साथ रिश्ता दुनिआ जहाँ क सब रिश्तों से बेहतर और आला मुक़ाम रखता है उस औरतट को छोड़ने में जो नशा और सुरूर नसीब होता है उस का इस दुनिआ में कोई मुतबादळ नै...अम्मी की चीखों क साथ साथ इस एहसास साथ जीना क नीचे झुकी औरत मेरी माँ है जो मेरे ज़ोरदार धक्कों को सेह रही उफ्फ्फफ्फ्फ़ सोच कर हे इतना मज़ा है तो कोई सोचे जब रियल में कोई छोड़ रहा होता है अपनी हे माँ को तब कैसा एहसास होता होगा...जस्ट इमेजिन!!!!!!!!! लकी गाइस इस एहसास को समझ रहे होंगे जिसे मैं लफ़्ज़ों में बयान करना छह रहा...मैं अम्मी को वैसे हे किचन रैंक में सर घुसाए उनको घोरी बनाये उनकी मोती गांड ल चुतरों को पाकर उनकी फुद्दी में तेज़ धक्के लहई जा रहा था फूल रैगर साथ अंदर जाता और फुद्दी क लिप्स बी अंदर को होजाते लूँ बाहिर खींचता तब जो तिघटनेस और घीलेपनं फील होता उस का तो कोई जवाब हे नै था...कोई ५ मिनट्स हो चुके थे मुझे अम्मी की मोती गांड को थामे उनकी टाइट फुद्दी पे केहर बरसते अपने धक्को का में बी मेरे माथे से पसीने की बूंदे नमूदार होना शुरू होगयी थी की बल कहती कमर पे बी पसीने की कुछ बूंदे मेरी गिरी और साथ उन का अपना पसीना तो बारे दिलकश सा मंज़र था बल कहती अम्मी की सुडोल कमर और नीचे को उन क भरी चुतर जिन को मज़बूती से झाकराय मैं पूरी ईमानदारी साथ ढके लगाई जा रहा था...पोरे किचन में ठप्प थप्प्प्प पचक्क्क्क पच्चक्क्क की आवाज़ें गूंज रही थी की फुद्दी क पानी की वजह से पच्चक्क्क पच्चक्क्क की आवाज़ें बी आ रही थी और पूरी रदम में किसी साउंड ट्रैक क म्यूजिक की तरह पोरे किचन में गूंज रही थी...तभी मुझे लगा जैसे मेरे पीछे किचन क दूर पे कोई है एक दम्म से बिना धक्के रोके गर्दन घुमा कर देखा तो वो अहमद भाई थे जो हैरानी से हम दोनों माँ बेटे को देख रहे थे ऊँगली क इशारे से उन्हें चुप्प रहने का कहा तभी उन्हों ने मुझे रैंक क ऊपर की और इशारा किया ऊपर देखा तो चूल्हे पे रखा दूध बॉईल कर रहा था किसी तरह आगे होकर चूल्हा ऑफ किया और फिर से अम्मी की फुद्दी मरने लग प्र ललचाती नज़रों से मुझे अम्मी को छोड़ते देख रहे थे उन क लिए बी ये पहला मौक़ा था देखने का हम दोनों माँ बेटे को आँखों की चमक साफ़ बता रही थी क उनको बी हसरत होरही थी क काश मैं अली की जगह अभी अम्मी की रेल बना रहा होता भाई अपने पे हाथ फेर रहे थे...अभी थोड़ी देर पहले अम्मी ने उन खरे लूँ पे जो धोका दिया था और उन्हें दांत का भगा सा दिया था उसी क असर की वजह से भाई क दिल में बी अरमान झाग रहे थे...मेरा मैं तो नै था एक पल क लिए न पर दिल पर पथरर रख मैं भाई को आखिर इशारा कर हे दिया क भाई आजाओ चुप्प कर क अंदर पहले तो समझे नै फिर जब दोबारा इशारा किया तो समझ गए और ख़ुशी से मुस्कराते जल्दी से किचन क दूर पर हे नंगे होगये...उनका लूँ फूल खरा जोश मर रहा था का लूँ मेरे से लम्बाई और मोटाई दोनों में काम था पर एक नार्मल इंसान क साइज से ब्रा हे था...मेरे मैं में बास यही था तब क भाई मुझ से इतना प्यार करते है और इतना भरोसा कर सब कुछ मेरे साथ शेयर कर लिया और मैं उन क लिए कुछ देर क लिए अम्मी की फुद्दी उन्हें छोड़ने बी नै दे सकता...भाई बिलकुल मेरे पास आकर खरे होगये की चीखें अभी बी जारी थी क aaahhhhhhhhhhhh पुतरररररररर थोरा होलिई मार अपनी माँ दी फुड्दिई हयईईईई रब्बबा पुत्र थोड़ा ते रेहम कर आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ाआईईईई धीरे...मैं जब देखा क भाई फुल मूड में और पोजीशन में है Sमैं एक दम्म से एक कस क धक्का अम्मी की फुद्दी में दे मारा और अगले हे पल लूँ फुद्दी से बाहिर निकल लिया क साइज बराबर अम्मी क फुद्दी का होल नज़र आया जो आहिस्ता आहिस्ता बंद होने हे वाला था क मैं एक दम्म उठा अम्मी क पीछे से साइड को होगया और जल्दी से भाई को अपनी जगज पे पोजीशन दिला दी...ये पोजीशन बारे से बारे इम्तेहानात(एक्साम्स) में ली गयी टॉप पोसिशन्स से बी कई गुना बार कर और वैल्युएबल पोजीशन थी और ऐसी पोजीशन क लिए सही मनो में हर जवान लड़का खुवाईश कर रहा होता है अपनी ज़िन्दगी की उस स्टेज पे पोहंच कर जब वो १६ साल का होता है और एक एकलौती औरतट जिस क वो सपने देख रहा होता है वो उस की माँ होती है....और आज उसी छह क साथ भाई ने फोरन से पोजीशन संभाल अम्मी क मोठे चुतरों को थाम किसी माहिर खिलाड़ी की तरह लूँ को बिना हाथ लगाए अम्मी की फुद्दी क बंद होते होल पे रखा और एक कस क धक्का दे मारा और अम्मी फिर से चिलाना शुरू दर्द और मज़े साथ...भाई बी पोरे जोश साथ अम्मी की फुद्दी मरे जा रहे थे और अम्मी को ज़रा एहसास नै होआ क ये लूँ उन क दूसरे बेटे का है...मैं दोनों नंगे जिस्मों क मिलाप क पीछे खरे खरे देख रहा था और साइड पे राखी एक पानी की बोतल से पानी पिया बीच अम्मी लगातार चिलए जा रही थी पर अब थोड़ा मज़ा ज़्यादा था उनकी चीखों में...कोई ५ से ७ मिनट्स मज़ीद गुज़रे होंगे क मैं भाई अहमद को इशारा किया क अब मेरी बरी...अम्मी को पहली बरी अपनी नज़रों सामने फुद्दी मरवाते मुझे बी ब्रा जोश चरा होआ था तो भाई जुन्जी उठे मैं फ़ौरन से दोबारा अम्मी की फुद्दी का मोर्चा संभाल लिया और डीएनए दान अम्मी की फुद्दी को छोड़ी जा रहा था से क्या लाजवाब मज़ा आ रहा था तब क सामने अम्मी को छोड़ने का अपना हे मज़ा था...यूँ बरी बरी अम्मी को छोड़ते पाना घंटा हो चूका था और अब अम्मी थकना शुरू होगयी थी तोर पर उन क घुटने आगे में इतने हैवी बदन साथ फर्श पे इतनी देर झुकी रहना और ज़ोरदार धक्के सहना बरी बात थी अम्मी की...अम्मी अब रेहम की भीक सी मांग रही थी क पुत्र्र मेरे घुटने अब चलने लायक नै रहना दे अब अपना मसल मेरी फुद्दी से...अम्मी की दर्द भरी आवाज़ को फील कर मुझे आखिर एहसास आ हे गया क जो बी है ात थे एन्ड वो हमारी माँ है...मैं भाई को इशारा किया आप जाओ अब अपने उतरे कपड़े पाकर जल्दी से किचन से बाहिर चले गए...मैं ने बी अपना लूँ अम्मी की फुद्दी से निकला और अम्मी की रैंक से सर निकलने में हेल्प की तो अम्मी का सर जब निकला तो उनका चेहरा लाल होचुका था बी काफी और अम्मी जूनही उठने की तरय करने लगी तो उनकी की दर्द भरी आआअह्ह्ह्हह्हह निकली और वो एक डैम से सीधे जे फर्श पे लेत गयी...मैं एक दम्म से अम्मी क पास बेथ नीचे अम्मी क चेहरे की और बढ़ा और उनको बंद आँखें देख थोड़ा परेशां होते अम्मी क गाल सहलाता बोलै अम्मीय क्याआ होआ ठीक है न...अम्मी लम्बे लम्बे सांस ले रही थी और उन क हैवी मम्मी बी ऊपर नीचे होरहे थे...कुछ पल बाद मेरे बार बार कहने पे अम्मी ने आँखे खोल मेरी और देखा और एक चमाट हलकी से मेरी गाल पे मर बोली अली पुत्र आज तो टुन्ने हद्द कर दी छोड़ा जैसे मुज्जे चलने फिरने क लायक हे नै चूर्ण...मैं प्यार से थोड़ा मुस्कराया औरम्मि को सहारा देकर उठाया और साथ हे उन क गले में लाटकक रही उनकी फटी कमीज को बी उन क बदन से ालेड़ा कर दूर फ़ेंक दिया और शरती आँखों साथ अम्मी का खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में थमा और अम्मी की आँखों में देखने लग प्र...अम्मी की मोती नशीली आँखों में देख बोलै अम्मीय आप खुदी तो लुभाया(सडके) मुझे शुरू में अपनी मोती गांड क चुतरों को हिला हिला कर तो मैं बी बास पागल सा होगया आप क नशे में...अम्मी मेरे मौन से अपनी तारीफ सुन थोड़ा लाल होइ शर्म से फिर बोली चल अब मुझे मेरे बैडरूम तक चोर आ आने वाला होगा...मैं दिल हे दिल में मुस्कराया और बोलै अम्मी अहमद भाई आते नै होंगे बल क उन्हों ने तो आ कर आप की मस्त फुद्दी बी मर डाली मेरे साथ और आपको पता बी नै चला.........
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RE: अम्मी का प्यार ....... - by Boob420 - 27-02-2019, 06:58 PM



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