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अम्मी का प्यार .......
#21
और भाई अहमद को देख एक पल क लिए शॉक रह गयी क वो समझ ताहि थी टेबल वाली हरकत बाद मैं हे आ सकता उन क पीछे किचन में तभी उन्हों ने भाई को मुझे सब मेरा नाम ले लिया...भाई मुस्कराते होअय बोले अम्मी मैं हूँ अली बाहिर अभी खाना खा रहा है इतना कहते हे वो पीछे से अम्मी क चुतरों को सहलाने लग परे अपने दोनों हाथों साथ...अम्मी पहले तो थोड़ा शर्मिंदा होइ भाई सामने मेरा नाम पुकारने की वजह से फिर थोड़ा रेसिस्ट करते होअय भाई को पीछे हटने का कहा और बोली पुत्र्र अली बहार बैठा अगर उस ने देख लिया तो...भाई आगे से बोले अम्मी देख लेगा तो कोनसा पहर टूट पर्ण है सब जनता है वो...अम्मी बोली फिर बी पुत्र्र यूँ शर्म आती है तू पीछे हैट जा दोबारा मनाने की तरय की पर अम्मी थोड़ा सख्ती साथ उन्हें मना करते होअय बोली मेरी बात नै सुनाई दे रही तुझे पहले अम्मी से ब्रा डरते थे तो वो किसी भीगी बिल्ली जैसे मौन बना कर अम्मी की बैक से हैट गए...मैं जल्दी से अपनी जगह पे वापिस आ बैठा और भाई को मौन बनता देख आते देखने लगा बिना कुछ बोले ऊपर अपने रूम की और चल दिए...मुझे बरी हंसी आयी क भाई आज बी अम्मी से इतना डरते है हमारी है हे ऐसी थी सख्त सी सी और बला की खूबसूरत... मैं खाना फिनिश कर सब बर्तन टेबल से उठा कर एक एक कर क किचन में रखे मुझे काम करता देख थोड़ी हैरान सी होइ फिर खाने वाले बर्तन वाश बेसिन में दाल तरफ को होकर चूल्हा जलाया और एक बर्तन में दूध निकल उसे गरम करने क लिए चूल्हे पे रख दिया सब क बीच मैं बाहिर टेबल से सारे बर्तन बरी बरी ले आया और जब आखरी बर्तन बी ला कर बेसिन में रखे तो अपने सामने इतने क़रीब अम्मी क भरी जिस्म को देख और साथ मोठे चुतर गांड क देख मेरा मैं मचलने लग प्र...कल दोपहर से मैं चुदाई नै की थी वजह से लूँ कुछ ज़्यादा हे फूल रहा था अम्मी की गदरायी जवानी देख कर...अम्मी अब तक्क मेरे से कोई बात नै की थी भाई वाली बात जो अभी थोड़ी देर पहली होइ थी उस पे मूड ऑफ कर रखा था...मैं सोचा अम्मी का मूड ज़रा ठीक किया जाये और मेरे ज़ेहन में इंस्टैंटली एक मज़ेदार तरकीब आयी...मैं बैक से अम्मी क थोड़े क़रीब जाते उन्हें पुकारा अम्मीईईई पीछे मुर क बोली क्या है बीटा साथ हे बोलै प्र क अम्मी यूँ साद सा मौन बनाये बिलकुल अछि नै लगती क्या बात है...अम्मी बोली कुछ नै तू जा तुम दोनों क लिए मैं दूध गरम कर लू बोलै अम्मी भाई तो चले गए एक डैम से बोली कहाँ चला ह्या वो...मैं बोलै पता नै अम्मी चुप कर बाहिर को निकल गए कहीं शायद आप कुछ कहा उसे...अम्मी मेरी बात सुन बोली उफ्फ्फ एक तो आज कल बच्चे बी न सा दांत क्या दिया इस वक़्त बाहिर चला गया...मैं बोलै अम्मी आप परेशां न हो भाई आजाये गए थोड़ी देर तक्क बोल मैं अम्मी क बिलकुल पास जा खरा होगया और उनका मासूम सा चेहरा अपने दोनों हाथों में थाम बोलै अम्मी आप हंसती होइ हे अछि लगती और अपनी उँगलियों से उन क होंटो पे स्माइल से बनाई...अम्मॉ बरी घोर से मुझे सीरियस तरीके से देख रही थी की साँसे थोड़ी भरी और हैवी फील होने लग पारी जब हम दोनों माँ बेटे का ऑय कांटेक्ट होआ गर्म साँसों साथ मुझे देखि जा रही थी अम्मी एक दम्म से मुस्करा दी और प्यार से मेरे चेहरे पे अपना नरम हाथ फेर बोली पुत्र सब समझ जाता है न मेरा अब जा मैं ज़रा दूध देख लू और इतना कर दूसरी और चूल्हे की तरफ मुर गयी और चूल्हे पे रोहे दूध को देखने लग पारी से उन क चेहरे की हंसी साफ झलक रही थी वैसे हे पीछे अम्मी क खरा उन्हें घर रहा था...तभी अम्मी बरी ऐडा साथ पीछे गर्दन घुमाये बोली पुत्र तू अभी तक्क यही खरा है नै...मैं कुछ नै बोलै अम्मी को नोटिस करने लग प्र बैक से बोली अहमद कब तक आएगा अम्मी की बात समझते बोलै अम्मी एक दो घंटे तक्क शायद आजाये भाई...अम्मी हम्म्म्म बरी ऐडा से बोलै और साथ हे दूध में चमच्च हिलाते होअय अपनी मोती गांड पीछे को थोड़ी कर हिलने लग पारी तो अम्मी की हरकत पे एक दम्म से जोश में आज्ञा क पहले की निस्बात्त अब अम्मी अपनी गांड कुछ ज़्यादा हे हिला रही थी जिस से मेरे पाजामे में तम्बू सा बानी जा रहा था अम्मी की हरकतों से... अम्मी जब देखा क मैं कोई क़दम उठाने की बजाए बास उन्हें देखि जा रहा हूँ एक सुन होअय अम्मी ने चूल्हा थोड़ा हल्का किया और सामने किचन की स्लैब को पकड़े बग़ैर पीछे देख अपनी टाँगे थोड़ी खोल सी दी...अम्मी साफ़ साफ़ इशारा दे रही थी क्यों क उन्हें लग रहा था क भाई नै है घर तो छोटे साथ मज़े कर लू उन्हों ने बी कल से चुदाई नै करवाई थी तू ऑब्वियस्ली उनका बी दिल कहीं न कहीं कर रहा था...अम्मी को अपने भरी वजूद साथ यूँ टाँगे थोड़ी खोल गांड थोड़ी और बाहिर को निकले देख मेरे लूँ ने पाजामे में एक झटका मारा...अम्मी अब बरी ऐडा साथ अपने मोठे चुतरर हिला रही थी थी और सीधे सीधे मुझे इनविटेशन सा दे रही थी क पुत्र आजा और चार जा अपनी माँ पर...मैं एक हाथ पाजामे क ऊपर से लूँ को सवहलय और सामने का नज़ारा देखने लग प्र...अम्मी एक काला सूट पहना होआ था स्वेटर बी ओरा होआ था जो थी...मैं अपने प्लान मुताबिक़ जेब से सेल निकला और भाई को मश्ग किया जल्दी से क ५ मं बाद नीचे आराम से आना नंगे पाऊँ चुपके से और सेल साइलेंट पे लगा कर ट्रॉउज़र में रखा...अम्मी अभी बी बेसब्री से बिना पीछे मौन किये अपनी गांड को हिला रही थी पहले से बी कुछ ज़्यादा उन्हों ने जब देखा क पुत्र्र तो अभी बी नै मायल होरहा उन की तरफ तो उन्हों ने अपना आखरी पेंटर चलाया और सामने की किचन की स्लैब क नीचे बने रैंक्स(खानो) में से एक रैंक का दूर खोलने क लिए थोड़ा और झुक सी गयी कह लें पूरा बेंड हे होगयी पेरो बल जैसी हैवी खातून क लिए यूँ अपने बदन साथ पूरा झुकना आसान नै था...अम्मी क झुकने से उनकी मोती फैली होइ गांड और बी फैल गयी और क़यामतट ख़ेज़ मंज़र पेश करने लग पारी...इतनी बरी गांड क चुतरों को देख मैं बी कण्ट्रोल खोने लग प्र अम्मी अब राइट लेफ्ट बरी ऐडा साथ अपने दोनों चुतरों को हिलाया तो एक थरथराहट से पैदा होहाई अम्मी क चुतरों में...कपड़ो क ऊपर से बी अम्मी की गांड सुछ में विशाल (बुहत बरी) लग रही थी से मज़ीद कण्ट्रोल करना न मुमकिन होरहा था क्यों मेरे सामने मेरी सही माँ अपनी साड़ी शर्म ो हेय साइड कर अपनी बरी गांड हिला हिला कर मुझे इनविटेशन दे रही थी क आजा पुत्र चर्र जा अपनी माँ पे...अहमद भाई क न होने का जान कर अम्मी का ये रूप सामने आया था वर्ण अम्मी हमेशा कंज़रवेद हे रहती थी नोर्मल्ली अहमद भाई क होते...कल से चुदाई न होने की वजह से अम्मी बी पूरा दिन प्यासी रही थी आज इसी वजह से अब शायद वो ऐसे बेहवे कर रही थी...मेरे लिए तो ये मंज़र किसी लाटरी से कम् नै था क मेरा सामने अम्मी की मोती गांड फैली होइ हिल रही थी और मुझे अपनी और खींच रही थी...मेरे सब्र का बंधन बी टूट गया और मैं पागलो जैसे आगे होकर अम्मी की मोठे गांड पीछे जा लगा ज़ोर से लगने का ये नतीजा निकला क अम्मी क सामने जो रैंक खुला होआ था उस में काफी कपड़े काट कर तेह कर क रखे होअय थे जिन से अम्मी बर्तन खुश्क करती थी शार्ट वो पूरा रैंक उन कपड़ो से भरा प्र था...मैं जब एक डैम से अम्मी की मोती गांड पीछे जा लगा तो अम्मी से बैलेंस संभाला न गया अपना और उन का सर उस रैंक में जा घुसा था उस में कपड़े थे जिस की वजह से सर उन कपड़ो पे जा लगा वर्ण रैंक खली होता तो चोट बी लग सकती थी क सर क लिए उन कपड़ो ने बटोर तक्किय काम किया...मेरे साथ लगने से अम्मी की एक आअह्ह्ह्ह निकली पर वो बोली कुछ नै क क्यों मेरा सर रैंक में दाल दिया...एक डैम से अम्मी का से रैंक में घुसने से मैं पोछा अम्मी ठीक है न आप तो अम्मी की मुस्कराती आवाज़ आयी हाँ पुत्र्र तेरी माँ ठीक है बास जल्दी से अपनी इस माँ क अंदर की आग भुजा दे अब मेरे से नै रहा जा सकता से प्यासी हूँ मैं...अम्मी आज पोरे वाइल्ड रूप में थी...मैं उन्हें कहा क अम्मी पाऊँ क बल की बजाए आप घुटनो क बल झुक जाये आगे से सर बाहिर निकलने की नाकाम कोशिश करते होअय बोली पुत्र्र मेरा सर लगता फँस सा गया है खुदी कुछ कर...अम्मी की बात सुन कर बजाए इस क क मैं उनका सर निकलने में हेल्प करता मैं अम्मी की गांड साथ लगा रहा और अपने लूँ को ट्रॉउज़र क अंदर से हे अम्मी की मोती नरम गांड पे घिसने लग प्र...सन कुछ यूँ था क किचन की रैंक में अम्मी का सर थोड़ा फँस सा गया था निकलने क लिए उन्हें पीछे होना पर्ण था जो मैं होने नै दे रहा था क्यों क अम्मी की गांड साथ पीछे से तो मैं साथ लगा लूँ घिस रहा था नीचे फर्श पे अब घुटनो क बल घोरी बानी होइ था और उन्हों ने अपने हाथ नीचे फर्श पे लगाए होआ थे और तरय कर रही थी क किसी तरह सर बाहिर निकल जाये रैंक से पर ऐसा हो नै था रहा फिर से बोली पुत्र यहाँ से तो निकाल पहले बोलै अम्मी रहने दे न कुछ देर सांस तो सही से आ रही है तो क्या मसला इस पोज़ में बी मज़े करते है... अम्मी बोली पर पुतररर उन्हें बीच में हे चुप करते बोलै अम्मी मेरे लिए प्ल्ज़ बास थोड़ी देर आगे से कुछ न बोली मीन्स उनकी हाँ थी...अम्मी अगर चाहती तो अपनी मोती से थोड़ा ज़ोर पीछे को लगा मुझे पीछे करती और खुद अपना सर रैंक क अंदर से निकल लेती पर अम्मी का बी अंदर से पूरा मैं था तभी वो हिल जल बी नै थी रही अब...अम्मी की मोती गांड को देख मेरा ग मछली जा रहा था और अब कण्ट्रोल करना ब्रा मुश्किल होरहा था वैसे हे थोड़ा झुका कर अम्मी की गांड से कमीज उनकी ऊपर कमर की और की और उनकी शलवार की इलास्टिक में उँगलियाँ दाल शलवार को मोठे चुतरों से नीचे उतरने लग प्र उतर मैं घुटनो तक्क नीचे को लार दी दोनों सिदो से और साथ हे एक काले रंग की पंतय जो अम्मी पहनी थी उसे बी उतर घुटनो तक कर दिया इस क अम्मी की शलवार उन क पेरो से निकलता मैं शलवार को उतारत्व होअय गुछू मुचू कर पंतय साथ अम्मी क घुटनो नीचे रख दिया जिस से ये फायदा होआ क अम्मी क फर्श पे झुकाये होअय घुटनों को बी एक नरम सी सपोर्ट मिल गयी...अम्मी क हैवी चुतर जब नंगे होअय उफ़ उनका सफ़ेद रंग और नरम मॉस देख मेरे लूँ में जोश बढ़ने लगा में मैं अम्मी की कमीज जो कमर तक की थी वो बी ज़ोर से ऊपर गले की और मज़ीद करना चाही तो एक chirrrrrrrrrrr की आवाज़ साथ कमीज सिदो से पहात गयी और बारे आराम से अम्मी क कंधो तक्क आगयी बैक पे काले रंग क ब्रा की स्ट्राप नज़र आयी जिसे मैं ने खोल दिए जिस से अम्मी क मोठे मम्मी बी लगे होगये की बिलकुल शफाफ सुडोल बल कहती कमर को नंगा देख मैं उसे एक बरी चूम सा लिया नीचे होकर जूनही खुली तो वो नीचे रखे अम्मी क हाथों तक्क आगयी जिसे अम्मी ने साइड फ़ेंक दिया अम्मी पूरी नंगी झुकी घोरी बानी होइ थी और उन का सर अभी तक रैंक अंदर था और बाक़ी सारा जिस्म बाहिर था गले की और ऊपर कन्धों तक्क कर दी होइ थी को पूरा नंगा कर मैं पीछे होकर खरा होआ और जल्दी से अपनी शर्ट और ट्रॉउज़र उतर दूर फ़ेंक दिया और फुल नंगा होगया लूँ फुल जोश में खरा था बिलकुल किसी रोड जैसे की बैक पीछे खरे जूनही मेरी नज़र नीचे फर्श पे घोरी बानी अम्मी क नंगे जिस्म पे पारी तो उफ्फ्फ एक नशे की लहर पूरी बॉडी में डोर पारी... अम्मी की ५२ इनचेस की मोती हैवी फैली होइ गांड किसी पहर क जैसे ऊपर को होने क साथ बाहिर को निकली होइ थी जिसे देख मेरे तो मौन में पानी सा आज्ञा ख़ेज़ मंज़र था वो सूचि आम बन्दे क लिए जान लेवा था कमज़ोर दिल का बाँदा ये मंज़र देखता तो उसे दिल का डोरा बी पर सकता रहा शॉक से क औरतट की गांड इतनी खूबसूरत और फैली होइ बी हो सकती है की गांड झुकने से और ज़्यादा फैली होइ नज़र आ रही थी और गांड क मोठे चुट्र्र आपिस में सख्ती साथ जुड़े होअय थे अम्मी क चुतरों में हे खरा खरा खोया होआ था क तभी अम्मी की डब्बी डब्बी सी रैंक क अंदर किये मौन से आवाज़ आयी क पुतरररर जल्दीई कर अब नै रहा जा रहा कहीं न आजाये...अम्मी क मौन से साफ़ साफ़ इनविटेशन सुन मैं ने बी देर करना मुनासिब न समझा और अपने खरे लूँ साथ आगे बार अम्मी की मोती बाहिर को निकली गांड को दोनों हाथों में थम पेरो क बल हे ऊपर झुक सा गया ने अम्मी की गांड क मोठे चुत्रो को साइड कर पहिलाये तो मुझे अम्मी क दोनों सूराख नज़र आये का सूराख तो फुल टाइट था ऐसे जैसे कभी किसी ने इस क अंदर ऊँगली तक्क न डाली हो मेरा बी किया क एक बरी फिर अम्मी की मस्त टाइट गांड में दालु लूँ पर फिर सोचा ये सही वक़्त नै है नीचे देखा तो अम्मी की फुद्दी क बंद लिप्स नज़र आये शफाफ बी बाल नै था फुद्दी पे दूधिया रंग में अम्मी की फुद्दी कमल की लग रही थी खसियतत थी अम्मी की फुद्दी में क एक तो साइज छोटा नार्मल से और दोसरा ये क फुद्दी क लिप्स बंद हे नज़र आते ऐसे जैसे किसी ने पहले छोड़ा हे न हो तो वारे न्यारे हो रहे थे एक हाथ बढ़ा कर अम्मी की फुद्दी लो टच किया तो अम्मी की एक डैम से सिसकी निकल पारी की फुद्दी बिलकुल मुलायम किसी मखन्न जैसे और थोड़ी गीली बी थी झलक रहा था क अम्मी की फुद्दी बी लूँ मांग रही थी...मैं ने अपने मोठे लूँ को एक हथबमे पाकर कर अम्मी क चुतरों क बीच से ले जाते होअय सीधा अम्मी की फुद्दी पे लगाया और थोड़ा रब किया तो अम्मी की तो ाःह हे निकल गयी और नशीले अंदाज़ में अम्मी की आवाज़ मेरी कानो में गुंजी क पुत्र घिस मैट घुसा दाल अपना मोटा लूँ अपनी अम्मी की फुद्दी में...मैं लूँ की कैप को अम्मी की फुद्दी क लिप्स बीच होल पे रखा और अम्मी क हैवी चुतरों को पाकर आओ देखा न ताओ और एक लम्बी सांस खींच पूरी ताक़त साथ एक कस्सस क ज़ोरदार धक्का दे मारा लूँ
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RE: अम्मी का प्यार ....... - by Boob420 - 27-02-2019, 06:58 PM



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