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अम्मी का प्यार .......
#20
Park क उस बेंच पर बैठे अहमद भाई ने अपनी ज़िन्दगी क सब राज़ साफ़ दिल साथ मेरे साथ शेयर कर दिए...भाई की बातें सुन एक पल क लिए मेरी आँखें बी नम्म सी होगयी...भाई सुछ में मेरे से ब्रा प्यार करते थे थोड़ी मैं उन्हें िदअलीज़े करता था...अहमद भाई ने सब बता कर सर नीचे झुका लिया जैसे शर्मिंदा हों मैं आगे बार उन्हें गले से ज़ोर से लगा लिया क भाई आप क्यूँ शर्मिंदा हो रहे में शर्मिंदगी वाली कोई बात नै किसी साथ आप क सीक्रेट्स शेयर नै करूँगा...भाई मेरी बातें सुन मुस्करा दिए और थोड़ा रिलैक्स हो गए.....AAA हम दोनों भाई घर की और चल दिए.. .आज मन का काफी बूझ हल्का हो चूका था को अम्मी बारे सब बता कर और उन् से जान कर ख़ुशी हो रही थी क ात लीस्ट ये लुका छुपी और एक दूसरे क आगे शर्मिंदा होने से बचे गए...दोनों भाई जब घर पोहंचे और दूर बेल्ल बजायी तो अम्मी ने गेट खोला और हम दोनों को साथ देख एक पल क लिए वो शॉकेड रह गयी फिर हमें अंदर आने का बोल साइड होगयी दोनों भाई बातें करते अंदर आये और अपने अपने रूम में चले गए फ्रेश होने...थोड़ी देर बाद जब मैं फ्रेश होकर एक अकेले ट्रॉउज़र में अपने वाशरूम से बाहिर निकला तो सामने अम्मी को खरा पाया...अम्मी अपनी कमर पे हाथ रखे दोनों थोड़ा सीरियस दिख रही थी ने एक खुला काळा रंग का मोटा सूट पहना होआ था और उस क ऊपर एक शाल ओढ़ी होइ थी को अपनी जानिब घोरता देख मैं मुस्कराया और अम्मी की सवालियां नज़रों को पढ़ मैं आगे बढ़ा और अम्मी क बिक्लुल पास खरा होगा और उनकी और स्माइल साथ देखते होअय उन क दोनों हाथ कमर से चुरवा कर अपने हाथों में लिए और उन्हें आराम से बीएड पर बिठाया और बिना उन क कुछ बोले मैं बोल पढ़ा क अम्मी मैं जनता आप क्या पोछना छह रही...अम्मी भाई और मेरे बीच अब कुछ बी ढाका छुपा नै रहा दोनों आप से बृहत्त प्यार करते हैं और आपकी इज़्ज़त पर आंच तक्क नै आने देंगे यूँ लुका चुफि से सब करने का कोई फायदा नै. आप परेशां न हो सब नार्मल है अब बी खुश हैं हमारे बारे में जान कर...अम्मी मेरी बातें हैरानी से सुन थोड़ा धीमे लहजे में नीचे सर कर बोली अहमद ने तुझे सब बता दिया अली उनका फेस अपने हाथों में थाम ऊपर कर बोलै अम्मी उन्हों ने मुझे सब बता दिया है और मैं बी ये जान कर खुश होआ क आप को इतने सालो से भाई अकेले खुशियां हर लेहाज़ से दे रहे थे पर अब आप क दोनों बेटे आप की झोली खुशिओ से भर दें गए...अम्मी मेरी बात सुन थोड़ा शर्मायी और मुझे हल्का सा थप्पड़ कंधे पे मरते बोली अली तुम दोनों ने तो मेरी जान हे निकल दी थी से सब सोच सोच सर पहात रहा था क पता नै तुम दोनों भाई एक दूसरे साथ कैसे पेश आओ गए...अम्मी थोड़ा रिलैक्स होते थोड़े कॉन्फिडेंस साथ बोली चलो ाचा होआ सब ठीक होगया अब चल उठ कपड़े पहन नीचे आजा मिलकर डिनर करते है...इतना बोल अम्मी बीएड से उठी और जाने लगी तो मैं उनका हाथ पाकर लिया जिस पर उन्हों ने चेहरा घुमा बरी ऐडा साथ अपनी उसी मग़रूर हसीं जैसी ऐडा साथ बोलै अली चोरो बी बीटा अभी अहमद नीचे है...उन्हें हाथ से थोड़ा ज़ोर से अपनी और खींचा जिस से वो एक दम्म से मेरे सीने आ लगी और उनका हैवी बदन मेरी बाहों में की आग़ोश में आज्ञा और हम दोनों माँ बेटे की नज़रे एक दूसरे साथ मिली ऊपर से नंगा हे था तो अम्मी अपने एक हाथ मेरी नंगी चोरी छाती पे रख थोड़ा शर्मायी और नीचे नज़रे झुकाये बोली अली चोरो बी न बोलै अम्मी आप तो ऐसे कुंवारी लडकियो जैसे शर्मा रही बोली मुझे सोच सोच शर्म आ रही क तुम दोनों भइओ को एक दूसरे बारे पता चल गया और इतना कहते हे अम्मी का चेहरे और लाल होगया शर्म से...ज़ाहिर सी बात थी क अम्मी जैसी खातून क लिए ये जान लेना कोई आसान बात नै थी क उस क दोनों सघे बेटे आपिस में ये जानते दोनों अपनी सही माँ को छोड़ते हैं….अम्मी क मोठे मम्मी मेरी नंगी छाती साथ रैगर खा रहे थे और मैं दोनों हाथ पीछे लेजाकर अम्मी की बाहिर को निकली मोती गांड क चुतरों पर रख दिए और उन्हें थोड़ा ज़ोर से मसलने लग प्र...जिस पर अम्मी की बी एक सिसकी निकली...अम्मी क लरज़ते मोठे रसीले होंटो को अपने होंठों क क़रीब प् कर और अम्मी की गर्म साँसों को अपने चेहरे पे फील करते होअय मैं अम्मी क होंटो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लग प्र...अम्मी बी मेरा पूरा साथ दे रही थी अम्मी क चुतरों को मसलते होअय अम्मी क होंठों का रस पिए जा रहा था ५ मं हम दोनों माँ बीटा पागलो जैसे एक दूसरे को किसिंग करते रहे अम्मी की ज़ुबान अपने मौन में दाल मैं चूसने लग परता और कभी अम्मी मेरी ज़ुबान को जैसे किसिंग करते होअय हमें कुछ हे देर होइ होगी क तभी मेरे सेल बजा और हम दोनों माँ बेटे को कुछ होश आयी और अम्मी एक दम्म से मेरे से पीछे हटी और लम्बी लम्बी सांसें लेते होअय अपने होंठों को साफ़ करने लग पारी बी लम्बी साँसे ले खुद की सांसें संभाली और साइड पे परे सेल को उठाया तो देखा एपीआई रज़िया की कॉल थी कॉल उठाने से पहले अम्मी को इशारा किया क वो यही रुके पर अम्मी एक नटखट स्माइल साथ मुझे अनघोटा दिखते ना में इशारे करते जल्दी से रूम से बाहिर निकल हाई हँसते होअय की ऐडा से ट्रॉउज़र क अंडे मेरे तम्बू बने लूँ ने एक झटका मारा और अम्मी क जाते होये हिलते चुतरों को देखने लग प्र जब नज़रों क सामने से ग़ायब होइ तो मैं कॉल उठायी कर क मैं एपीआई का हाल पोछा तो एपीआई एक दम्म से मुझे ग़ुस्से से बोली मेरे हाल की इतनी हे फ़िक्र होती तू एक बरी मिलने तो आ जाता कोई कॉल न कोई मश्ग जैसे भूल हे गया है...एपीआई का हिला सुन मैं मुस्कराते होअय बोलै एपीआई मेरी जान कॉलेज में बिजी था बास अभी तो शाम होगयी है सुबह कॉलेज क बाद पक्का आप क हाँ आऊँगा आगे से बोली क कलललल आज की रात कैसे गुज़री गीई....एपीआई क कहने का मतलब मैं समझ चूका था फिर बी मैं प्यार से बोलै क एपीआई आज की रात थोड़ा कण्ट्रोल कर लें कल पक्का आपका भाई आपकी ख़िदमतत्तत(ज़ोर देते होअय) हाज़िर होजाये गए...एपीआई मेरी बात सुन कर और थोड़ा हंसी और बोली ाचा ठीक है कल ठीक १२ बजे आजाना क्यों क ढाई बजे क बाद अरूबा आजाती कॉलेज से ओके बोल फ़ोन रोह दिया और एक लम्बी सांस लेते होअय मैं एक टी शर्ट फुल बाज़ू वाली पहनी और नीचे डिनर क लिए चला गया डाइनिंग टेबल पे भाई पहले से बैठे मेरा हे वेट कर रहे थे और अम्मी किचन से खाना ला कर टेबल पे रख रही थी और भाई एक दूसरे क सामने बैठे थे...टेबल पे ६ कुर्सियों की जगह थी बीच में और दो सिदो में की एक कुर्सी क बिलकुल साथ वाली दोनों चेयर्स पर हम दोनों भाई आमने सामने बैठे थे खाना और पानी रख हम से दूर चेयर पर बैठने लगी तो मैं बोलै अम्मी यहाँ आ कर बैठे न मेरी बात सुन एक पल क लिए मुझे घुरा फिर हम दोनों भाई क साथ वाली साइड सिंगल चेयर पर बेथ गयी सन कुछ ये था क अम्मी मेरी राइट हैंड पे थी और भाई क लेफ्ट बीच १ फ़ीट का फैसला होगा एक दूसरे क पास थे काफी और कोई बी नै था बोल रहा...अम्मी अचे से कवर उप थी शलवार कमीज में और दोपट्टा बी सही से ओढ़ा होआ था अम्मी हम दोनों को खाना दाल कर देने लग पारी और हम तीनों चुप चाप खाना खाने लग परे...तभी अहमद भाई ने आखिर ख़ामोशी टोरी और अम्मी की और मुखातिब होते बोले अम्मी ने कब आना है छुट्टी पे का नाम सुनते अम्मी ने एक डैम से अहमद भाई की और देखा और बोली कह तो रहे थे जल्दी आजाऊंगा तेरी छुटियाँ ख़त्म होने से पहले अब देखो कब आते है...हम तीनों में अभी बी हिचकचाहट काफी थी तभी इधर उधर की बातों में लगे थे...मैं थोड़ी हिम्मत कर टेबल नीचे से अपना एक नंगा पाऊँ अम्मी की अपने साइड वाले पाऊँ पे रखा तो अम्मी क मौन में जाता निवाला एक दम्म से रुक गया और उन्हों ने मेरी और सवालियां नज़रों से देखा उनसे नज़रे चुराए मुस्कराते होअय खाना खाने लग प्र और साथ हे अपने पाऊँ क अंघूठे साथ अम्मी की शलवार की स्लीव को ऊपर करने लग प्र जिस से अम्मी की नंगी तंग पे मेरा पाऊँ लगने लग प्र तो जैसे एक दम्म से बेचैन से होगयी और मेरी और अब थोड़ा ग़ुस्से से देखने लग पारी...मैं थोड़ा तंग करने क मूड में था और मुझे पता नै अजीब सा मज़ा बी आ रहा था अम्मी को चरने का भाई की मजूदगी में...अम्मी शर्म क मरे एक दम्म से अपनी चेयर से उठ खरी होइ और बोली मैं ज़रा किचन में पानी भूल गयी दोनों खाओ मैं ज़रा लती हूँ पानी... भाई मेरी और सवालियां नज़रों से एक्सप्रेशंस दिए जैसे पॉच रहे हो क्या होआ मैं न में सर हिला दिया...भाई खाना ख़त्म कर लिया तो बोले तू खा मैं ज़रा पानी पी लू अम्मी अभी तक्क लायी नै बोल भाई किचन की और चल दिए की बातों से मैं सब समझ गया था क भाई किचन में क्यों गए हैं अपनी चेयर से एक डैम से उठ नंगे पाऊँ हे जल्दी से किचन क दूर की साइड पे जा खरा होआ और अंदर का नज़ारा देखने लग प्र...अंदर अम्मी पानी वाली टोटी से खरे खरे बॉटल्स भर रही थी और उनका चेहरा दूसरी और था खरे होते होअय उन की मोती फैली होइ गांड बाहिर को निकल ऐसे जैसे ललचा रही हो...भाई धीरे से पीछे से अम्मी से जा लगे और अम्मी एक दम्म से 'ालिई ये क्या बेहूदगी है बी तू..."इतना बोलते बोलते अम्मी ने जूनही गर्दन घुमा कर पीछे देखा
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RE: अम्मी का प्यार ....... - by Boob420 - 27-02-2019, 06:57 PM



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