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अम्मी का प्यार .......
#16
मैं सीधे किचन में गया और फ्रिज से दूध निकल थोड़ा पिया और एक सैंडविच सा खाया आसरा होगया तब मैं सोचस एपीआई रमीज़ा से जा कर मिल लेता हूँ रमीज़ा का सामान अम्मी क रूम में था तो मैं वही गया पर रूम में कोई नै था मैं वाशरूम नॉक किया वहां बी कोई नै वक़्त गेट क बाहिर घरी अपनी देख ली थी मतलब एपीआई आ चुकी पर गयी किदार ऊपर बी सारे रूम चेक किये पर कहीं कोई नै दिखा परेशां होआ क सब कहाँ चले गए बी नै दिख रहे...तभी मुझे ऐसे लगा जैसे ऊपर छत्त से अवाक्स आयी हो कुछ जैसे ऊपर कोई है में वैसे तो सब रूम्स ग्राउंड और १स्ट फ्लोर पर हे थे पर एक रूम ऊपर छत्त पे बी था जिसे स्टोर रूम टाइप बनाया होआ था जहाँ सब बिस्टेर वग़ैरा रखते थे क सिलसिले में बी सब बिस्टेर वही से निकले थे...मैं सीरियन चार चाट पे चला गया साइड पे वो रूम था जिस का दूर लॉक था क्यों क मैं हल्का सा undefined किया चोरो जैसे पर वो नै खुला सोचा पता नै कोण है अंदर परेशानी होइ क अब क्या करूँ....मैं साइड से होकर खिरकी पास गया पर वहां से बी कुछ मई था दिखा रहा टाइप था तो बंद बंद सा रूम था ज़्यादा तर बंद हे रहती थी...खैर मुझे एक डैम से ख्याल आया क ऊपर रूम की एक साइड पे एक रोशनदान बना होआ है और उस पे एक एग्जॉस्ट फैन पे लगाया होआ था जिसे सर्दियों की वजह से बंद हे रखते थे छत्त पे पारी सीढ़ी उठायी और उसे रूम की देवर साथ आराम से लगाया ऊपर को चार गया रोशनदान क पास तरह मैं फैन क पारो को एक साइड कर जब दहन से अंदर देखा तो लाइट्स ों थी अंदर की जिस की वजह से अंदर रूम काफी रोशन था तरफ बिस्टेर वग़ैरा पारी थी एक तरफ एक पुराण बीएड बी प्र था जो पूरा साफ़ साफ़ मेरी नज़र की रेंज में आ रहा था जब घोर से बीएड की और देखा तो मेरे तो मनो होश हे ुर्र गए सामने का सन देख कर...सामने बीएड पर एपीआई रमीज़ा दुल्हन क जोड़े में पूरी सजी होइ सीढ़ी लेती थी और उन् का लेहंगा कमर तक उठा होआ था और उनकी टांगली तान्हे कंधो पे उठाये वो आदमी डीएनए दान एपीआई को छोड़ी जा रहा था चिलायी जा रही थी और वो आदमी छोड़ी जा रहा रहा बेदर्दी से साइड एंगल था जिस की वजह से दोनों की जिस्मो साथ उन क चेहरे पे वैया नज़र आ रहे थे आदमी का चेहरा घोर सा देखा तो मैं तो जैसे शॉक क मरे मौन खोले उसी सीरिहि से गिरते गिरते बचा था क्यों क सामने जो सन देख रहा था वो हक़ीक़त से परे लग रहा था...बीएड पे एपीआई की टंगे कन्धों पे उठाये छोड़ने वाला और कोई नै अब्बू थे अब्बू अपनी हे सही बेटी को छोड़ रहे थे हैरान परेशां मौन खोले देखि जा रहा था...अब ज़रा आगे बढ़ने से पह्लव अब्बू और एपीआई रमीज़ा क बारे में बताता चालू जैसे क फौज में थे ६ फ़ीट से ज़्यादा थी और पोरे पहलवान टाइप थे तक़रीबन ५४ साल थी से बारे थे कागि आगे में आगे में बी लगता नै था क वो ४ बच्चो क बाप है और इतनी आगे है रियल में बिल्ट थे क़िस्म क और कम् बोलने वाले इंसान थे...एपीआई रमीज़ा तक़रीबन २० साल की थी लगता था जैसे आगे ज़्यादा हो उस की एक वजह एपीआई का भरा होआ बदन था सख्त मम्मी कमर और थोड़ी गदरायी होइ और मोती गांड जिस का साइज ात लीस्ट ३८ होगा तब का कलर बुहत गोरा था और हाइट बी अछि थी बाल और मासूम सा चेहरा शुरू से ज़्यादा नै बोलती थी चुप चुप अपने में मगन रहती थी पर अब्बू की शुरू से लाड़ली थी जब बी छुट्टी पे आते किसी और क लिए कुछ लाये न लाये पर एपीआई रमीज़ा क लिए कुछ न कुछ ज़रूर लाते थे तो वेहम ो गमन में बी नै था क मेरे हे घर में ये सब होरहा तक जिस का कभी वीडियोस में नै देखा बास सुना था क फॅमिली में बी लोग सेक्स करते पर आज खुद अपनी आँखों से देखा तो यक़ीन होआ क ये सुच है...आज कुछ देर बाद एपीआई रमीज़ा की बारात आने वाली थी और एपीआई दुल्हन क जोड़े में अंदर थी ने अपनी शार्ट कुर्ती सीने से खोली होइ थी जिस से उन क मोठे सख्त मम्मी साफ नज़र आ रहे थे और नीचे लेहंगा कमर तक उठाया होआ था और पंतय साइड पे पारी थी कुछ यूँ था क अब्बू ने एपीआई की टांगों को अपने कंधो पे रख होआ तह और उनकी क्लीन शवेद सफ़ेद फुद्दी में धक्के लगाई जा रहे थे बारे जोश में क गले से लेकर हाथों तक्क काफी गोल्ड की जेवेलरी पहनी थी एक नोज पिन जैसा एअर्रिंग नाक पे पहना था और उस से निकलती एक चैन ऊपर सर की मांग में लगे झूमर पे जा मिलती थी बुरी तरह से चिलायी जा रही थी मज़े...अब्बू सिरे तक्क लूँ निकलते और धरमममम से फुद्दी में दाल देते आहें और सिसकियाँ भर्ती जा रही थी क लिए ब्रा डिफिकल्ट दिख रहा था यूँ इतनी जेवेलरी पहन फुद्दी मरवाना...मैं तो मनो हैरानगी से आँखें पहरे देखि जा रहा था और खुद को यक़ीन दिला रहा था क हाँ भाई ये सब सुच है अंदर तेरे बाप अपनी हे सही बेटी को दुल्हन क रूप में उस की शादी क रोज़ अपने हे घर में छोड़ रहा था का ढके लगते एक बरी लूँ फिसलन की वजह से फुद्दी से बाहिर निकला तो मैं अब्बू क लूँ का साइज देखा तो लूँ मैक्स ६ इनचेस लम्बा होगा पर मोटा काफी थी ने दोबारा से बाहिर निकला लूँ एपीआई की फुद्दी पे रखा और एक करारा धक्का दे मारा आगे को तो एपीआई चिलायी ahhhhhhhhhhhhhh ayyyyiiiiiiiiiiiiiiii अब्ब्बूउऊउउउउउ ग हॉलीइइइइइइ अम्मीी ग मैं मर गयी अब्ब्ब्बूउ होली मरु न....एपीआई की चीखों बीच अब्बू कुछ न सुनते होअय बास पागलों जैसे धक्के पगायी जस रहे थे क चेहरा पसीना दे भरा होआ तह और वो अपने से पूरी जान लगते पोरे ज़ोर साथ एपीआई की फुद्दी को छोड़ी जा रहे थे अब्बू वैसे हे टंगे उठाये थोड़ी एपीआई की और बेंड की और आगे हाथ बढ़ा कर दोनों सख्त मम्मी अपने हाथो में ले मसलने लग परे कुछ देर बाद एपीआई की आहों और चीखों बीच पहली बरी अब्बू क मौन से अलफ़ाज़ निकले मेरी लाड़ली पारी की रानी अह्ह्ह्हह्हह बेटी तेरी फुद्दी कितनी टाइट है अंदर से ऐसे जैसे किसी ने तंदूर जिलाया हो मेरा लूँ उस की गर्माहट में पक्क रहा हो बी आहें भर्ती बोली अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ज अब्ब्बू सब आप का हे है थोड़ा धीरे करे न अब्बू उल्टा और तेज़ी साथ छोड़ने लग परे और एपीआई की टाँगे चोर एपीआई क ऊपर झुक का पूरा उन क लिपस्टिक लगे होंटो को चूम पागलो जैसे लगे होअय थे...अह्हह्ह्ह्ह बेटी तू सुछ में दुनिआ की सब से प्यारी लाड़ली बेटी है जो अपने अब्बू का इतना ख्याल रखती है क दूध मसलते अब्बू एपीआई की आँखों में आँखे डाले क़रीब से उन्हें देख रहे थे और नीचे से अपने लूँ की मर से अपनी बेटी की फुद्दी को घायल करि जा रहे थे धक्के साथ एपीआई की जेवेलरी आवाज़ करती पर एपीआई सब सहते होअय अब्बू क चेहरे को अपने चेहरे क इतने पास देख अपने दोनों हाथो में थमा और उन क फेस से पसीना साफ़ किया और उन्हें चूमती होइ आहें भर्ती इमोशनल होती बोली अब्बूउउ धक्को में इतने बिजी थे क एक बरी तो उन्हें जैसे आवाज़ सुनाई न दी जब एपीआई ने चेहरा थामे अपनी आँखों में अब्बू की आँखे डाले फिर से पुकारा अब्ब्बूउउ एक दम्म से एपीआई की आईज में देख जैसे मदहोश होगये ने अपनी ऊपर को होइ टांगो से अब्बू की कमर को झाकर लिया होआ था एपीआई क चेहरे की खुमारी में ऐसे खोए क उन क धक्के एक पल क लिए जैसे रुक से गए और वो ेल तक देखि जा रहे थे एपीआई को फिर से अब्बू का चेहरा साफ़ कर बोली अब्बूउउ मैं दुनिआ सब से लकी गर्ल हूँ जिसे आप जैसे इतना प्यार करने वाले अब्बू मिले है बी इमोशनल होते आगे होकर एपीआई को चूमा और बोले बेटी आज तो पराये घर की होजाये गई तो तेरे इस बूढ़े बाप का क्या बने गए रहूं गए मैं की आँखों में सुचै देख एपीआई को अब्बू पे ब्रा प्यार आया जैसे और एपीआई ने अब्बू को चूम कर बोलै किस ने कहा आपकी बेटी आपको चोर कर जा रही तो अक्सर आती रहा करूँ गई अब्बू तब जी भर कर प्यार लीजिये करिये गए अपनी इस लाड़ली को थोड़ा खुश होअय और एपीआई क चेहरे को सहलाते बास देखते रहे जैसे एपीआई क हुस्न आगे पिघल गए हों थोड़ी देर बाद थोड़ा शरमाते होअय बोली अब्बब्बब्बूउ अब बास बी करे यूँ देखना मुझे पता है आप मुझ से बृहत्त प्यार करते है करे अम्मी लोग बी आने वाले होंगे बोले बेटी थोड़ी देर देख लेने दे ग भर क फिर पता नै कब मौक़ा मिले और साथ हे एपीआई क मम्मो को मसलते उन क मौन में ज़ुबान डाले पैशनेट किसिंग करते दोबारा से अपने लूँ को एपीआई की फुद्दी में इन आउट करने लग परे चिलाती जा रही थी मज़े और दर्द साथ बीच में बोले हैए मेरी लाड़ली ने मेरी दिली तमन्नाह पूरी लार दी आज जो शादी क जोड़े में दुल्हन बानी छुड़वा रही है पता नै कितनी हे रातें मैं इस पल का वेट किया था... बाहिर सिरिबपे खरे खरे मुझे अंदर देखते कोई १० मं से ऊपर का टाइम हो चूका था अचे काम क वक़्त टाइम गुज़रने का पट नै चलता वैसे हे मेरे साथ होरहा था अंदर झांकते होअय...लउकीली उन् दोनों का दहन नै प्र साइड जो दूसरी और रही कानो में धक्को की आवाज़ साथ एपीआई की चीखों की आवाज़ जैसे रस गोल रही थी और मैं बी बाहिर खरे मदहोश हो रहा था...अंदर अब अब्बू ने अपनी लाड़ली बेटी को घोरी बनाया होआ रहा और पीछे से उस की सवारी कर रहे थे...एपीआई की मोती गांड को थामे बारे ज़ोरो से लगे होअय थे बार बार बीच में अब्बू को स्लो धक्के लगाने का बोल रही थी पर अब्बू तो किसी दीवाने जैसे बोल रहे थे क बेटी आज मैट रोक अपने बाप को जी भर कर लेने दो प्यार और तेज़ी क साथ धक्के लगाई जा रहे थे...एपीआई सब बर्दाश्त करे आहें और सिसकियाँ भरी जा रही थी...मेरे लिए ये सन किसी एलियन एनकाउंटर से बी ज़्यादा था क एलियन देख इतनी हैरानी न होती जितनी उस वक़्त अब्बू को इतने ज़ोर से एपीआई को छोड़ते होअय...मैं सोचा पता नै कब से ये लोग एक दूसरे क प्यार में परे होअय है और हम घर वालो को थोड़ी सी बी भनक्क तक न लगी अम्मी को नै...इन्ही सोचो में घूम देख रहा था क तभी अब्बू दोबारा से एपीआई को बीएड पे सीधा लेता कर टाँगे कन्धों पर रखे कस कर आखरी क झटके लगाए और तभी अब्बू बोले बेटी कहाँ निकलू बी मस्ती में बोली अंदर हे अब्बू और अब्बू किसी जानवर जैसे घुर्राटे होअय आखरिंक १० झटके लगाए और एपीआई क अंदर हे फ़ारिग़ होगये...मैं हैरान परेशां देख और सोच रहा था क ऐसा बी कभी सोचा होगा किसी ने...मैं अब मज़ीद रुकना वहां मुनासिब नै समझा और आराम से नीचे उत्तर सीरियन अपनी पुराणी जगह रख डब्बे पाऊँ छत्त से नीचे चला गया दिमाग़ कुछ पल क लिए जैसे सुन्न सा होगया हो सब देख यक़ीन हे नै आ रहा था क मैं ये सब देख चूका हूँ...मैं जैसे तैसे नीचे गया और चेंज कर अरेंजमेंट वाली जगह चला गया वहां कामो को देखने लग प्र बज चुके थे मेहमान तक़रीबन आ चुके थे कर आखिर सारे ३ दूल्हा लोग आये बरात लेकर और थोड़ी देर बाद एपीआई रमीज़ा बी एपीआई रज़िया और अम्मी साथ घरी में आयी घर से ने खुद को बिलकुल ऐसे कर लिया होआ था जयस्व कुछ देर पहले उन क साथ कुछ होआ हे न हो को घोर से शादी क जोड़े में देख सुछ में लगा क हम एपीआई रमीज़ा तो वाकय बरी खूबसूरत है चेहरा देख कोई बी मर मिटाय ने मेक उप वग़ैरा सब कुछ ठीक कर लिया होआ था और गोल्डन जेवेलरी में साझींवो स्टेज पे दूल्हा साथ बेथ गयी बी आ चुके तैयार होकर नज़रों में उदासी साफ़ झलक रही थी बी रह रह कर उनकी तरफ देख ये बार नोटिस की और मैं उन दोनों को नोटिस किया नीचे निकाह पढ़ाया गया और फिर सब एक दूसरे क गले मिल मुबारक बाद देने लग परे...रुक्सती क वक़्त जब घरी में बिठाने का टाइम आया तो तब पहली बारी मैं अब्बू को रट देखा ने एपीआई को अपने गले लगाया और खूब रोये ब्रा चुप कराया एपीआई बी रो रही थी जिस से उन का मेकअप काफी बिहार सा गया था की आँखों में एक दूसरे क लिए प्यार देख मैं बी हैरान होआ क सुछ में एपीआई रमीज़ा अब्बू की लाड़ली लगी तब...खैर रोने धोने क बीच मुझे बी फील होआ क एपीआई अब चली जाएगी हम सब को चोर कर...खैर रुखसती होइ और अब्बू क उन क दोस्त अपने साथ दिलासा देने क लिए बाहिर ले गए सब क बीच मेरा दहन अम्मी बी ज़रा नै गया मैं एपीआई और अब्बू में इतना खोया था क अम्मी को नोटिस हे नै किया खाना खा चुके थे और अब वापस जा रहे थे तभी सामने से आती ामी को देखा तो मेरे चेहरे पे ऑटोमेटिकली स्माइल आगयी जैसे रौनक सी आगयी हो ने मोतिओं से सजा लाल लेहंगा पहना होआ था ऊपर एक शार्ट कमीज से पहनी थी और एक बरी से शाल से खुद को कवर किया होआ था मेक उप में ग़ज़ब ध रही थी जे नै थी रही जैसे ४ बच्चों की माँ हों खुद को यूँ घोरते देख वो मुस्करायी और मेरे पास आकर मुझे होश में लती बोली पुत्र कहाँ खो गए बदले में मुस्करा दिया थोड़ा शर्मा बी गया मुझे शर्माता देख मेरे बाल सहलाये और बोली बृहत्त शरारती होता जा रहा है तू बी लगता शादी कर देनी चाहिए ने मुस्कराते होअय बोलै एक दम्म से अम्मी क क़रीब होकर खरा होगया क़रीब क अम्मी की गर्म साँसे मुझे फील होरही थी एक से मुझे इतना क़रीब देख थोड़ा घबराई पर मैं उन क दोनों हाथ सामने अपने हाथो में लिए और उनकी आईज में आईज डाले इतना क़रीब होगया क अम्मी क लरज़ते लाल लिपस्टिक लगे होंठ मेरे होंटो क बिलकुल क़रीब आगये और अम्मी गहरी गहरी लम्बी गर्म साँसे मेरे फेस पे चोर रही थी उन क हाथ थामे आईज में देखते होअय बोलै अम्मी आपको सुच में लगता है मुझे दुल्हन की ज़रूरत है....अम्मी ये सुन एक दम्म से ऐसे शर्म साथ पलकें झुकाएं मुस्करायी क मेरे दिल किया बरी महफ़िल में चूम लू फिर कण्ट्रोल किया और दोबारा अम्मी को पुकारा तो अम्मी लाल होते शर्म साथ ऊपर मेरी और देखते बोली तो किस की ज़रूरत है फिर बोलै अम्मी मेरी आँखों में झाँक ले...अम्मी ये जवाब सुन की क़ातिल हसीना की मेरे दिल पे चुरिया चलती अपने हाथ चुरवाये मेरे से और शर्म से फुल लाल होअय मुस्कराती पलट कर जाने लग पारी उनकी इस ऐडा पे फ़िदा सा होगी और जाते वक़्त लहंगे में बी उन क मोठे चुतरों को देख एक बरी अपने लूँ को मसला....शुक्र है किसी ने देखा नै अस सुच...खैर शादी बारात चली गयी और काफी मेहमान बी साथ चले गए मेहमान हमारे घर की और चल परे एपीआई रज़िया और अम्मी और छोटे भाई को लेकर घर चले गए क ६ बज चुके थे काफी पर चुकी थी और अँधेरा काफी हॉय होआ था और साथ ठण्ड बी...तभी अब्बू को लेकर उन क दोस्त आये अभी बी परेशां से लग रहे थे उन्हें रूम में लेजा कर बीएड पे लिटाया और दूध साथ नींद की गोली दे दी क आराम करे अब्बू क दोस्त बी चले गए मेहमानो को देखने लग पारी बी बिखरे काम निपटने लग प्र..
रात क ९ बज रहे थे और काफी ठण्ड बार गयी होइ थी और बदल बी गरज रहे थे रहा था जैसे बारिश होने वाली है को खाना और बिस्टेर वग़ैरा देने में टाइम का पता हे नै चला को बी इतनी फुर्सत नै मिली क वो चेंज कर ले थक चुके थे तक़रीबन तो सोने की तैयारी में थे बार बार आना जाना लगा होआ था ऊपर वाले स्टोररूम में जहाँ दोपहर को पूरा नज़ारा देखा था दिए जा रहा था मेहमानो को पर बार बार दोपहर वाला मंज़र आँखों सामने आ रहा था और लूँ पंत क अंदर तन्न रहा था मेरे ज़ेहन में सोच आयी तो मैं स्टोर रूम क अंदर से जो रोशनदान था उसे पुराने कपड़ो साथ ब्लॉक कर दिया पोरे रूम में कोई बाहिर से झाँक नै सकता था काम पर चुके थे मेहमान जो ज़्यादा थे तो हमसायों वग़ैरा से लाफ़ी बिस्टेर अकथाय किये होअय थे उन की एक लम्बी तेह स्टोर रूम में लगाई होइ...१० बजने वाले थे और पोरे घर में अब काफी हद्द तक्क सन्नाटा चाय होआ था जैसे सब सोगये हैं बिस्टेर ऊपर वाले फ्लोर पे लगाया होआ था लोग नीचे वाले फ्लोर पे थे...शाम से घर क कामो में अम्मी को अपनी नज़रों सामने घूमता देख उन क बदन को और ख़ास तोर पे उन क मोठे हिलते चुतरों लो लाल लहंगे में हिलते एक दूसरे साथ रैगर कहते देख मुझे और जोश चढ़ा होआ था...अम्मी तक़रीबन सब काम निपटा लिए होअय थे और अपने रूम में जा रही थी टीवी लाउन्ज में एक रज़ाई एक मेहमान को दे रहा था को बल खता जाते होअय देख मुझ से रहा नै गया और मैं अम्मी क पीछे उन क रूम की और चल दिया क बैडरूम क दूर पे खरे होकर जब अंदर झाँका तो अम्मी अलमारी से कपड़े निकल रही थी कुछ पे बीएड पे एपीआई रज़िया सोई होइ थी कुछ मेहमान औरतों साथ को ऊपर मेरे रूम में सुलाया गया था जहाँ बाक़ी मर्द थे जब कपड़े निकल वाशरूम की और जाने लगी तो वाशरूम का दूर लॉक था और लाइट अंदर से आ रही थी मीन्स अंदर को था वही खरी व८ करने लग पारी चेंज जो करना था...तब मैं रूम में एंटर होआ तो अम्मी ने मुझे देखा और स्माइल दे कर पोछा बीटा अभी तक्क सोये नै बोलै अम्मी वो मेहमानो को बिस्टेर वग़ैरा दे रहा था बोली सब को दे दिए जान बूझ क झूट बोलै क नै अम्मी वो मुझ से स्टोररूम वाली पिछली बिस्टरो वाली पति खुल हे नै रही ज़रा जा कर देख लें...अम्मी ने एक पल क लिए कुछ सोचा फिर अपने हाथों में लिए चेंज करने वाले कपड़े लिए बोली ाचा मैं देख लेती हूँ तू ऐसा कर जा कर तू बी चेंज कर ले दोपहर से कपड़े नै चेंज किये मुस्कराता होआ अम्मी से बी पहले ऊपर अपने रूम में गया नीचे अम्मी धीरे धीरे ऊपर को आ रही थी जल्दी से अपने रूम जा कर अब्बू को सोया देखा और अपनी अलमारी से एक टी-शर्ट और ट्रॉउज़र पाकर जल्दी से वापिस मुरा और ऊपर चाट की और जाने लगा जहाँ अम्मी पहले से जा चुकी थी.
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RE: अम्मी का प्यार ....... - by Boob420 - 27-02-2019, 06:55 PM



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