Thread Rating:
  • 2 Vote(s) - 3.5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
अम्मी का प्यार .......
#8
बोली अली दरअसल वोऊ जीजू का लूँ लूँ नै छोटी सी लुल्ली है पतली सी इंडेक्स फिंगर दिखती होइ बोली इतनी सी है और इतनी हे पतली तो वो आज तक मेरी सील क परदे तक पोहंच हे नै पाए से हे थोड़ा बुहत अंदर कर फ़ारिग़ होजाते थे से पहले एक्सीडेंट में उनकी मर्दानगी चलती बानी थी डॉक्टर्स पास दिखाया पर कुछ नै बना...मैं साडी बातें सुन थोड़े ग़ुस्से से बोलै तो एपीआई ये सब मुझे क्यों बता रही और वो बी इस वक़्त मेरे लेफ्ट बाज़ू पे हल्का सा थापर मरते बोली उल्लू कहीं क समझे नै और थोड़ा शरमाते होअय बोली एपीआई अभी तक्क वर्जिन है...मेरे मौन से तो बास क्याआआआआ निकला और आँखे हैरानी से बरी होगयी फिर बी सुरती क लिए दोबारा पोछा क सुछ में एपीआई एपीआई फिर से हाँ में सर हिलाया थोड़ा शर्म साथ ब्लश करते होअय पूरी बात सही में मेरे पल्ले पारी तो मैं तो ख़ुशी से अंदर हे अंदर झूम उठा और मेरे लूँ में बी है मामूली सा खिचाव पैदा होआ बी ये फील किया चेहरे की मुस्कराहट देख एपीआई क बी गाल लाल होगये एपीआई बोली ज़्यादा हंसो मत और वो साइड ड्रा में आयल की शीशी पारी है वो ले आओ तो बिजली की तेज़ी से हुक्म की तामील की और एपीआई की टांगो बीच आकर जब उनकी फुद्दी पे बने बालों क जंगल को देखा तो एपीआई थोड़ा शर्मिंदा सी होगयी पर मैं उन्हें मज़ीद शर्मिंदा नै होने दिया और शीशी खोल आयल से हाथ में लेकर उन क फुद्दी क होल पे थोड़ा लगाया और बाक़ी से अपने लूँ को चिकना कर दिया १ मं बी नै लगा होगा क मेरा लूँ चमकने लग प्र आयल से और एपीआई उसे हैरानी से देख रही थी एपीआई की लेग्स दोबारा से कंधो पे उठाये पोजीशन सेट कर क मोर्चा संभाला की टोपी को एपीआई क बालों क घने जंगल से गुज़रते फुद्दी क होल पे रखा का साइज बी नार्मल से काम था और लिप्स बी छोटे और अंदर को थे ने बी एक हाथ नीचे लेकर मेरे लूँ को सही डायरेक्शन दी और हाथ में पकड़े थोड़ी सी नर्वस्नेस क साथ मेरी तरफ देखा जैसे ग्रीन झंडी दिखा रही हो क अब आने दो बी मुस्कराया और दोनों हाथो से टाँगे उठाये एक लम्बी सांस खींच थोड़ा undefined किया तो लूँ को कैप अंदर घुस गयी जिस से एपीआई का थोड़ा सा मौन खुला और और एक हलकी सी दर्द भरी चीखी सुनाई दी क कैप क गिर्द फुद्दी क लिप्स की झाकरण फील होइ जैसे लिप्स ने कैप को सख्ती से झाकरा हो तो शुक्र था एपीआई की फुद्दी अंदर से थोड़ी गीली थी पल बाद वो मई एपीआई की और देखा क जैसे पॉच रहा हों क आगे बरहु एपीआई ने बास इतना हे बोलै क थोड़ा आराम नाल फिर से एक लम्बी सांस खींच एपीआई को ज़ोर से झाकरे एक कस क ढाका दे मारा और आधे स्व ज़्यादा लूँ एक हे झटके में सब परदे चीरते होअय एपीआई की फुद्दी में घुस गया की एक ज़ोरदार ऊंची चीखी पोरे रूम में goonji,hayeeeeeeeeeeeeeee aiiiiiiiiiiii अम्मी ग मैंन मर गयी हलकी से पाचकक की आवाज़ आयी जब लूँ अंदर पहली बार घुसा में आपि की सील किसी ने नै टोरी थी पहले जो आज मेर लूँ ने खोल डाली का दर्द से मौन खुला होआ था और वो चीख रही थी अली निकालो बाहिर ाआईई ब्रा दर्द होरहा उफ्फ्फ की आँखों में बी थोड़ा सा दर्द की वजह से पानी आज्ञा और अपने हाथ से मुझे पीछे धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी थोड़ी देर वैसे हे रुका और थोड़ा ऊपर होकर एपीआई को दिलासा सा देने लगा क बास होगया एपीआई और उन् क मोठे मम्मी दबाने लग प्र क थोड़ा रिलैक्स हों एपीआई पल बीते थे क एपीआई का दर्द थोड़ा काम होआ तो मैं थॉर सा लूँ धीरे से बाहिर निकलना शुरू किया को लगा क मैं निकलने लगा हूँ लूँ बाहिर सिरे तक निकला और नीचे मैं देखा तो लूँ को स्किन पे एपीआई की फूडी से निकला थोड़ा सा ब्लड बी नज़र आया एन्ड तक निकल एपीआई की आँखों में देखा जो क क्लोज थी थोड़ी फिर से करारा धक्का मारा और इस बार लूँ पोरे का पूरा जार तक्क एपीआई की फुद्दी में जा घुसा था फिर से चिलाना शुरू क हाय मैं मर गयी लोको मेनू बचा लो ग मैं मेरा प्रा मेनू मर दें लगा a,aaaaiiiiiiiiii...main पूरा लूँ घुसाए फिर से रुक गए और एपीआई की हालत नार्मल होने का व८ करने लगा और साथ हे एपीआई क मोठे मम्मी दबाने क साथ साथ निप्पल्स मौन में लेकर चूसने बी लग प्र देर बाद फिर से मैं लूँ सिरे तक बाहिर निकला और फिर से एक हे झटके में अंदर फिर से चिलायी पर मैं बिना चीखों पे दहन दिए एक क बाद एक करारे धक्के लगाना शुरू होगया मेरे आगे इल्तेजा कर रही थी क अली होली हैइए मेरे खुदाया होली मर अली मर जाना ा पे तो जैसे भूत सवार था दिनों से फुद्दी मरने को नै मिली थी पोरे जोश में एपीआई की टंगे कंधो पे उठाये थोड़ा उन्हें आगे की तरफ बेंड कर क फुद्दी मरने में लगा था की सिसकियाँ और आहें पोरे रूम में गूंझ रही थी झटके साथ उनका मौन खु जाता और एक चीख निकलती रदम में मैं धक्के लगा रहा था और एपीआई बी चीला रही थी दर्द से ५ मं बाद मुझे लगने लग प्र क एपीआई बी अब एन्जॉय कर रही है क्यों उनकी आहों में अब दर्द काम और मज़ा ज़्यादा फील होरहा था से अपनी गांड बी हिलना शुरी होगयी थी हर धक्के साथ साथ दे रही थी एपीआई अब लूँ फुल कैसा होआ फुद्दी की अंदर वाली नरम स्किन साथ रैगर खता होआ अंदर बाहिर होरहा था की फुद्दी अंदर से साई मैनो में टाइट होने क साथ साथ गर्म बी थी जैसे कोई ाघ की भट्टी में लूँ डाला हो धक्को की स्पीड पहले से तेज़ होगयी थी और अब मैं एपीआई को थोड़ा बेंड करते होअय टैंगो को उन क फेस पास लेट होअय ऊपर झुका होआ था और एपीआई क मोठे मम्मी साथ साथ चूस रहा था और काट बी रहा था उन पर जोश में बी मस्ती में आहें भर्ती मेरा सारः दे रही थी पहली बरी चुदाई क दौरान मेरी आँखें एपीआई की आँखों से जा मिली और मैं हाथ आगे बढ़ा कर उनकी आईज की साइड पे जमाय ाँसों साफ़ किये और आँखों में देख एक डैम से धक्के लगाना रुक गया एक डैम से मेरी और सवालियां नज़रो से देख जैसे पॉच रही हो क रुके क्यों अब उन्हें तंग करने क मूड में था ना में सर हिलाया बिना कुछ बोले तब एक डैम से शर्म से लाल होगयी और एक साइड मौन फेर लिया मैं आगे हों उनकी गाल पे कोस किये फुर गर्दन को चूमने लग प्र मज़े में सिसकियाँ बर्न लग पारी मैं उनका फेस सीधा किया तो उनकी आईज शर्म से क्लोज थी उनकी आईज को चूमा और फेस उन क चेहरे क पास रखे रुका रहा ५ सेकण्ड्स की गुज़रे होंगे क एपीआई जब फील किया क मैं ढके नै लगा रहा तो बेचैनी क आलम में आईज एक डैम से खोल ली और जब देखा क मैं उन्ही को देख रहा हूँ तो आईज फिर से शर्म से क्लोज कर ली तो एपीआई की इस शर्म वाली ऐडा पे मनो फ़िदा होगया जैसे दरअसल एपीआई क मौन से सुन'न चाहता था क धक्का लगाओ एपीआई से बी रहा नै गया और एक डैम से आईज खोलते होअय थोड़ी डोमिनेंट होती होइ बोली अली रुक क्यों हाय लगाओ बोलै क्या लगाएं एपीआई फिर से शर्म से मुस्करा दी और बोली अली धक्के लगाओ मम्मो क निप्पल्स रब करते होअय बोलै कहाँ लगाओ फिर से शर्मा सी गयी मुझे एपीआई पे तरस आज्ञा और मैं लूँ एन्ड सिरे तक बाहिर ले आया इतना क टोपी लूँ को अंदर हे रही और ढाका नै लगाया एपीआई इस इंतज़ार में थी क अब धक्का लगाने लगा हूँ मैं आपि क होंठ चूम उनकी आईज में देखा और धीरे से बोलै लगाएं हाँ में सर हिलाया और मैं एक कस क धक्का दे मारा की आँखें एक डैम से क्लोज होइ क मौन से एक चीख क साथ एक ाः निकली और बारे सेक्सी अंदाज़ में उन्हों ने दांतों से अपना निचला होंठ कटा तो एपीआई क एक्सप्रेशंस देख जोश में आज्ञा और डीएनए दान एपीआई की फुद्दी मरने लग प्र की हैवी तनहे उठाये थोड़ा थक गया तो मैं टंगे चोर दी तो एपीआई ने टंगे हवा में खोल ली मैं एपीआई मोठे मम्मो पे ग्रिफ्ट बनाये तेज़ रफ्ताति से ढके लगा रहा था ने टाँगे मेरी कमर क गिर्द लपेटी होइ थी दोनों क जिस्म हर ढके साथ एक दूसरे से रैगर कहते और मज़े की लहरें डर्टी मैं गहरे ढके पगा रहा था और बीच बीच में मेरे लूँ की टोपी एपीआई की बच्चेदानी पे जा कर ठोकर मरती तो एपीआई एक डैम से उछाल पार्टी और चीला देती की फुद्दी क लिप्स लूँ क साथ रैगर खा रहे थे जब अंदर जाता तो लिप्स बी लूँ को झाकराय अंदर को जाते और जब लूँ बाहिर को आता तो लिप्स बी बाहिर को आते पूरी म्हणत और ईमानदारी से लगातार फूल स्पीड से छोड़ी जा रहा था की फुद्दी में पता ने अभी तक पानी नै छोरा था और तभी उन्हों ने मुझे कस क बाहों में झाकर सा लिया और चिलायी ालईईई ज़ोर नाल हैए इ फर्रर्रर्र दाल अपनी एपीआई की फहुउद्दी चीयर दाल अब पागलपन में पता क्या कुछ बोली जा रही थी बी फुल ज़ोरो से लगा होआ था तभी एपीआई क जिस्म ने दो चार झटकत खाये और फुद्दी अंदर मेरे लूँ पे मुझे पानी सा फील होआ जहर चुकी थी और अब गीली फुद्दी स्व थप्प्प्प्प थप्प्प्प्प की आवाज़ आ रही थी क झरने क बाद बी मैं नै रुक और लगातार उन्हें छोड़ता गया तक्क आधा घंटा होचुका था एपीआई की टाइट फुद्दी मरते और हम दोनों बहिन भइओ क बदन पसीनो से लत पैट होचुके थे इतनी ठण्ड में बी मसल्सल चीख रही थी मज़े से और बार बार कह रही थी होर तेज़ अली आआआहहह होर तेज़ बरी अब तक झरने क बाद बी एपीआई की मस्ती काम नै थी होइ गर्मी थी उन की फुद्दी में एपीआई क होंठ चूम रहा था ऊपर झुके होअय एपीआई ने मेरी कमर को अपनी टैंगो साथ झाकर सा लिया होआ था और मुझे बाहों में लिए बेतहासा चूमि जा रही थी कोई ४० मं बाद मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है माथे से पसीने की बूँदें नीचे गिर रही थी एपीआई क बदन पे ने बी मेरे धक्को से फील कर लिया क मैं फ़ारिग़ होने वाला हूँ तो वो बी कुछ न बोली बास मुझे चूमती रही मेरे लूँ ने एपीआई की टाइट फुद्दी आगे घुटने तक दिए और आखरी क थ्रस्ट लगाए मैं एपीआई की फूडी की जार तक लूँ ले जाकर फ़ारिग़ होने लग प्र दिनों का पानी तटों में अकथा होआ प्र था तो ढेर सरे पानी से एपीआई की फुद्दी लबा लैब भर दी क जिस्म पे ढेर होअय मैं हांफ रहा था और एपीआई ने बी मुझे बाहों में ले लिया होआ था और लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी का जिस्म ब्रा नरम था कोई २ मं बाद हमारी सासे नार्मल होइ थी एपीआई ने मुझे थोड़ा हिलाया मैं उन क जिस क ऊपर से लुरक कर साइड को होगया और मेरा लूँ जूनही फुद्दी से निकली एपीआई की फुद्दी से जैसे नहर बेहनी शुरू होगयी हो हैरानी से बाकी इतना पानी अली घड़े हो सूची आँखे मोंडे मुस्करा दिया ने अपनी साइड पे फेंकी शलवार से अपनी फुद्दी साफ़ की और मेरे साथ हे लेत गयी और मौन कर क बोली लगता काफी थक गए हो मुस्करा दिया और एपीआई की बालों की लत्ते फेस से साइड करते होअय पोछा एपीआई कैसा लगा आपको मुस्करा क अली बहतततततत ाचा लगा में आज औरत होनर का एहसास दिलाया तू ने जान है तेरे में और मैं तुझे बचा समझ रही थी और साथ हे मेरे बाल सहलाने लग पारी पता है तू ने क्या किया बोलै क्या एपीआई तो एपीआई मुस्करा क बोली तू ने आज अपनी एपीआई की फूडी की सील खोली है में जब वो पर्दा फ्त तो ब्रा दर्द होआ क ९ सालो बाद आज मेरी फुद्दी को उस क हिस्से का प्यार मिला है एपीआई क फेस पे किश किया और बोलै एपीआई भाई आप क साथ अचे नै है बोली अचे हैं बृहत्त पर उन से नै होता ये सब इलाज करवाया है वो बी अंदर से थक चुके
[+] 1 user Likes Boob420's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: अम्मी का प्यार ....... - by Boob420 - 27-02-2019, 06:50 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)