28-06-2020, 06:01 AM
०२ .
मेरा हाल बहुत ख़राब हो गया था उस कार वाले घटना को देख के, मैंने पहले सेक्स चुदाई की बातें सुनी बहुत थी, लेकिन आज तक सिर्फ ब्लू फिल्म देखा था, और मुझे ये पहली बार देखने का मौका मिला था, लेकिन मुठ मर लेने के बाद मेरा दिमाग हल्का हो गया था, और मुझे अपने जरुरी काम करना था, और मैं अपनी अम्मी के तरफ का बस पकड़ के निकल गया, और मेरे दिमाग में वो बुर्के वाली औरत आने लगी,
..क्या ऐसे पूरा बुरका वाली औरत ऐसे हरकत कर सकती है, वो तो उसका।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। चूस रही थी, मुझे यकीं नहीं हुआ जो मैंने देखा, और मैं अपना सर हिलने लगा, और अचानक ही मेरे आँखोने के सामने मेरी अम्मी आयी जो उसी कार में लण्ड चूस रही थी, और मेरा खून ठंडा हो गया।
कुछ देर में मेरा बस मेरे ननिहाल के चौक पे पहुंचा दिया, और मैं तेज कदमो के साथ अपने नानी के घर के तरफ जाने लगा , ये एक मामूली सा छोटे सहर का कॉलोनी था, और मैं अपनी अम्मी को घर वापस लाने को और तेज़ हो गया, और मैं अपने नानी के घर पहुँच गया, और वह भी वैसे ही सन्नाटा था जैसे मुझे अपने घर पे उसे पिछली रात मिला था, और मैं थोड़ा घबरा गया, मुझे मालूम था की कल मेरे अम्मी के परिवार और अब्बू के वालिद वालिदा से बहुत झगड़ा भी हुआ था, मैं डरते हुए अपने अम्मी के कमरे में गया और वहा पे मेरी अम्मी बैठी हुई थी, और उन्हें देखकर मैंने चैन की साँस ली, मेरे अम्मी बिस्तर पे किसी मुर्दे की तरह लेती हुई थी, उनका चेहरा दूसरी तरफ था और मुझे दिख नहीं रहा था,
'अम्मी अम्मी' मेरी अम्मी वही के वही किसी मुर्दे की तरह पारी हुई थी, और अचानक मुझे डर लगा की कहीं खुदखुशी तो नहीं कर लिया, ये सोच मेरे सरीर को झकझोर दिए और मैं अम्मी के पास जा उन्हें जोर जोर से हिलने लगा,
'अम्मी अम्मी उठो अम्मी '
'क्या हुआ ' अम्मी चीखते हुए मुझे बोलती है, मैं उनकी आवाज़ सुन खुस हो गया और उन्हें गले लगा लिया, और अम्मी भी मुझे गले लगा लिया, और मैं इसी से खुस हो गया, जब मैं अम्मी को छोरा तो मेरा नज़र उनके चेहरे पे गयी, ऐसा लग रहा था उनके चेहरे का नूर किसी जिन्न ने निकल लिया हो, और उनके चेहरे में अंशु के बहुत गहरे निशान थे,
'मेरा शेरा बीटा ' और मेरी अम्मी मेरा सर पे हाँथ फेरने लगी,
'अम्मी मैं आपको ले जाने आया हूँ, अभी अपना सामान पैक कीजिये और अभी निकलते हैं अपने घर के लिए '
'क्यों रे ये तेरा घर नहीं है क्या ' और अम्मी मेरे सर पे अपना हाँथ फेरेना जारी रखती है ,
'अम्मी चलो ना'
'नहीं बीटा मैं अब उस घर में कभी कदम नहीं रखूंगी' मैं ये सुन चौंक गया,
'अम्मी ये क्या बोल रही हो, वो अपना घर है, अब्बू हैं वह पे ' अब्बू का नाम सुनते ही मैंने अपने अम्मी के आँखों में एक गुस्से से भरा चमक आ जाता है,
'नहीं बीटा अब मेरा उस जगह से कोई रिस्ता नहीं है, और वैसे भी तेरे अब्बू तो तेरे लिए नहीं अम्मी ला ही रहे हैं '
'अम्मी मैंने अब्बू से बात कर ली हैं, कोई दूसरा निकाह नहीं होने वाला, आप चलिए न सब सही हो गया है ' मेरी आवाज़ टूटने के कगार पे थी,
'तू अभी बच्चा है रे, तेरे अब्बू को बोलने से क्या होगा उन्होंने कांड ही ऐसा किया है, तू कुछ खाएगा बीटा ' मेरी अम्मी उठ के रसोई के तरफ जाने लगती
'अम्मी आप एक बार अब्बू से बात तो करो, अब्बू ने वालिद साहब को मना कर दिया है निकाह से ' लेकिन अम्मी मेरे बात को अनसूना कर रसोई में घुस जाती है, और मैं सोचने लगता हूँ की मेरे अब्बू ने ऐसा क्या कर दिया है की अम्मी बात भी नहीं करना चाहती है, और तो और वो इतना पक्का कैसे कह सकती है की दूसरा निकाह होगा जब अब्बू ने खुद उसे बोलै है की वो दूसरा निकाह नहीं करेंगे, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उधर मेरी अम्मी मेरे लिए खाना लेके आ गयी, और मुझ खाना देके वहा से बाहर निकल जाती है, और मैं अपने अम्मी के पीछे खाना चोर के भागता हूँ,
'अम्मी प्लीज अम्मी चलो न घर प्लीज आप वह चलोगे तो बातचीत से सब सही हो जायेगा, प्लीज अम्मी ' मेरे आँखों में आँशु आने लगे थे, और मेरी अम्मी ने मुझे देखा और और मेरे सर को अपने सीने में लगा लिया,
'बेटा मैं नहीं चल सकती, तू समझ नहीं रहा है'
'तो आप समझाओ न अम्मी, आप इतना पक्के से कैसे कह सकती हैं की अब्बू दूसरा निकाह करेंगे जब उन्होंने मन कर दिया है ' ,ैमे अम्मी को ये चीख के बोलै और मेरी अम्मी फिर रोने लगी और मुझे बहुत बुरा लगा की मैं ेबेवजह होना आवाज उठाया, तभी पीछे से एक तेज आवाज़ आती है,
'पेट से हैं वो,' पीछे मेरा मामा जान खड़ा था, और मुझे उसकी बात समझ में नहीं आयी,
'क्या मतलब '
'भाई आप संत हो जाओ, प्लीज खुदा के लिए ' मेरी अम्मी गिड़गड़े लगाती है, और मैं भी वही अम्मी के साथ बैठ जाता हूँ,
'क्यों सांत हो जाऊ, ये अब १८ का है, बच्चा नहीं है, तेरे बाप ने उस लड़की को पेट से कर दिया है, प्रेग्नेंट है वो,' मैं ये सुन चौंक गया ,मुझे ये मालूम ही नहीं था, और मेरी अम्मी रोते हुए अपने बिस्तर पे रोने लगाती है, और मैं वाही स्तब्ध खड़ा था, और मैं क्या बोलता मैं भी अपनी अम्मी के साथ अंशु बहाने लगा, और मेरा मामा गुस्से से बाहर चला गया, मेरी अम्मी वही पे रोटी रही और मैं बगल में लेता रहा, कुछ देर में मेरी अम्मी नींद में चली जाती ै, और मैं भी सफर से थक गया था और मुझे नींद आ जाती हैं,
मेरा हाल बहुत ख़राब हो गया था उस कार वाले घटना को देख के, मैंने पहले सेक्स चुदाई की बातें सुनी बहुत थी, लेकिन आज तक सिर्फ ब्लू फिल्म देखा था, और मुझे ये पहली बार देखने का मौका मिला था, लेकिन मुठ मर लेने के बाद मेरा दिमाग हल्का हो गया था, और मुझे अपने जरुरी काम करना था, और मैं अपनी अम्मी के तरफ का बस पकड़ के निकल गया, और मेरे दिमाग में वो बुर्के वाली औरत आने लगी,
..क्या ऐसे पूरा बुरका वाली औरत ऐसे हरकत कर सकती है, वो तो उसका।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। चूस रही थी, मुझे यकीं नहीं हुआ जो मैंने देखा, और मैं अपना सर हिलने लगा, और अचानक ही मेरे आँखोने के सामने मेरी अम्मी आयी जो उसी कार में लण्ड चूस रही थी, और मेरा खून ठंडा हो गया।
कुछ देर में मेरा बस मेरे ननिहाल के चौक पे पहुंचा दिया, और मैं तेज कदमो के साथ अपने नानी के घर के तरफ जाने लगा , ये एक मामूली सा छोटे सहर का कॉलोनी था, और मैं अपनी अम्मी को घर वापस लाने को और तेज़ हो गया, और मैं अपने नानी के घर पहुँच गया, और वह भी वैसे ही सन्नाटा था जैसे मुझे अपने घर पे उसे पिछली रात मिला था, और मैं थोड़ा घबरा गया, मुझे मालूम था की कल मेरे अम्मी के परिवार और अब्बू के वालिद वालिदा से बहुत झगड़ा भी हुआ था, मैं डरते हुए अपने अम्मी के कमरे में गया और वहा पे मेरी अम्मी बैठी हुई थी, और उन्हें देखकर मैंने चैन की साँस ली, मेरे अम्मी बिस्तर पे किसी मुर्दे की तरह लेती हुई थी, उनका चेहरा दूसरी तरफ था और मुझे दिख नहीं रहा था,
'अम्मी अम्मी' मेरी अम्मी वही के वही किसी मुर्दे की तरह पारी हुई थी, और अचानक मुझे डर लगा की कहीं खुदखुशी तो नहीं कर लिया, ये सोच मेरे सरीर को झकझोर दिए और मैं अम्मी के पास जा उन्हें जोर जोर से हिलने लगा,
'अम्मी अम्मी उठो अम्मी '
'क्या हुआ ' अम्मी चीखते हुए मुझे बोलती है, मैं उनकी आवाज़ सुन खुस हो गया और उन्हें गले लगा लिया, और अम्मी भी मुझे गले लगा लिया, और मैं इसी से खुस हो गया, जब मैं अम्मी को छोरा तो मेरा नज़र उनके चेहरे पे गयी, ऐसा लग रहा था उनके चेहरे का नूर किसी जिन्न ने निकल लिया हो, और उनके चेहरे में अंशु के बहुत गहरे निशान थे,
'मेरा शेरा बीटा ' और मेरी अम्मी मेरा सर पे हाँथ फेरने लगी,
'अम्मी मैं आपको ले जाने आया हूँ, अभी अपना सामान पैक कीजिये और अभी निकलते हैं अपने घर के लिए '
'क्यों रे ये तेरा घर नहीं है क्या ' और अम्मी मेरे सर पे अपना हाँथ फेरेना जारी रखती है ,
'अम्मी चलो ना'
'नहीं बीटा मैं अब उस घर में कभी कदम नहीं रखूंगी' मैं ये सुन चौंक गया,
'अम्मी ये क्या बोल रही हो, वो अपना घर है, अब्बू हैं वह पे ' अब्बू का नाम सुनते ही मैंने अपने अम्मी के आँखों में एक गुस्से से भरा चमक आ जाता है,
'नहीं बीटा अब मेरा उस जगह से कोई रिस्ता नहीं है, और वैसे भी तेरे अब्बू तो तेरे लिए नहीं अम्मी ला ही रहे हैं '
'अम्मी मैंने अब्बू से बात कर ली हैं, कोई दूसरा निकाह नहीं होने वाला, आप चलिए न सब सही हो गया है ' मेरी आवाज़ टूटने के कगार पे थी,
'तू अभी बच्चा है रे, तेरे अब्बू को बोलने से क्या होगा उन्होंने कांड ही ऐसा किया है, तू कुछ खाएगा बीटा ' मेरी अम्मी उठ के रसोई के तरफ जाने लगती
'अम्मी आप एक बार अब्बू से बात तो करो, अब्बू ने वालिद साहब को मना कर दिया है निकाह से ' लेकिन अम्मी मेरे बात को अनसूना कर रसोई में घुस जाती है, और मैं सोचने लगता हूँ की मेरे अब्बू ने ऐसा क्या कर दिया है की अम्मी बात भी नहीं करना चाहती है, और तो और वो इतना पक्का कैसे कह सकती है की दूसरा निकाह होगा जब अब्बू ने खुद उसे बोलै है की वो दूसरा निकाह नहीं करेंगे, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उधर मेरी अम्मी मेरे लिए खाना लेके आ गयी, और मुझ खाना देके वहा से बाहर निकल जाती है, और मैं अपने अम्मी के पीछे खाना चोर के भागता हूँ,
'अम्मी प्लीज अम्मी चलो न घर प्लीज आप वह चलोगे तो बातचीत से सब सही हो जायेगा, प्लीज अम्मी ' मेरे आँखों में आँशु आने लगे थे, और मेरी अम्मी ने मुझे देखा और और मेरे सर को अपने सीने में लगा लिया,
'बेटा मैं नहीं चल सकती, तू समझ नहीं रहा है'
'तो आप समझाओ न अम्मी, आप इतना पक्के से कैसे कह सकती हैं की अब्बू दूसरा निकाह करेंगे जब उन्होंने मन कर दिया है ' ,ैमे अम्मी को ये चीख के बोलै और मेरी अम्मी फिर रोने लगी और मुझे बहुत बुरा लगा की मैं ेबेवजह होना आवाज उठाया, तभी पीछे से एक तेज आवाज़ आती है,
'पेट से हैं वो,' पीछे मेरा मामा जान खड़ा था, और मुझे उसकी बात समझ में नहीं आयी,
'क्या मतलब '
'भाई आप संत हो जाओ, प्लीज खुदा के लिए ' मेरी अम्मी गिड़गड़े लगाती है, और मैं भी वही अम्मी के साथ बैठ जाता हूँ,
'क्यों सांत हो जाऊ, ये अब १८ का है, बच्चा नहीं है, तेरे बाप ने उस लड़की को पेट से कर दिया है, प्रेग्नेंट है वो,' मैं ये सुन चौंक गया ,मुझे ये मालूम ही नहीं था, और मेरी अम्मी रोते हुए अपने बिस्तर पे रोने लगाती है, और मैं वाही स्तब्ध खड़ा था, और मैं क्या बोलता मैं भी अपनी अम्मी के साथ अंशु बहाने लगा, और मेरा मामा गुस्से से बाहर चला गया, मेरी अम्मी वही पे रोटी रही और मैं बगल में लेता रहा, कुछ देर में मेरी अम्मी नींद में चली जाती ै, और मैं भी सफर से थक गया था और मुझे नींद आ जाती हैं,