27-02-2019, 06:45 PM
पर एपीआई रमीज़ा कभी कभार हे आती थी दूर होने की वजह से बार अकेली नै आयी थी सिक्युरिटी की घरी में ड्राइवर एपीआई रज़िया क घर चोर क आया था काम में अक्सर बिजी रहते थे...खैर मैं ने उन सब को वेलकम किया और और बचो को घोड़ में उठा क प्यार किया और सब को अंदर आने दिया और दूर लॉक कर दिया लोग अम्मी से मिले और एपीआई रज़िया ने अम्मी की चल में लरखरहट देखि तो बोली अम्मी क्या होआ आपको तो अम्मी ने एक नज़र मुझे देखा और फिर बोली बेटी वो बारिश एक डैम से आगयी तो सेहन से जल्दी में कपड़े उतारते वक़्त पाऊँ में मोच आगयी अब काफी बेहतर है...एपीआई रमीज़ा बी बोली अम्मी आज तो बारिश की वजह से हम लोगो बरी ज़लालत झेलनी पारी...एपीआई का सामान नीचे एपीआई रज़िया क रूम में रख दिया और सब क साथ टीवी लाउन्ज में बेथ मैं न बाते करने लग प्र तरह हंसी मज़ाक़ में हम सब ने मिल कर डिनर किया और इस पोरे वक़्त में अहमद भाई बेचैन से नज़र आ रहे थे अम्मी क पीछे किचन में बी गए पर अम्मी ने शायद उन्हें मना कर दिया क आज मई सब हैं सरा सा मौन बना किचन से निकले और अपने रूम में चले गए मैं बी बचो साथ खेलने क बाद रूम में चला गया और बिस्टेर पर पार्टी हे मुझे नींद आगयी इतनी थकावट जो थी दिन मुझे एपीआई ने उठाया ८ बजे क क़रीब क अली उठो कॉलेज नै जाना मैं तो नै था पर मैं फिर बी तैयार होकर कॉलेज चला मुझे नै दिखी हे नाश्ता दिया में बी दिल नै था लग रहा बार बार अम्मी क भरी बदन का ख्याल आ रहा था क मम्मो का नज़ारा आँखों सामने आता तो मेरा लूँ झटका मरता इन् सोचो में कॉलेज से चुटी होइ और मैं घर आज्ञा को हल्का बुखार होगया था और ठण्ड लग गयी थी एपीआई ने मुझे बताया और अम्मी अभी बी रेस्ट कर रही थी तरह आज का दिन बी गुज़र गया कुछ ख़ास नै होआ...रात को अम्मॉ की तबीयत्त कुछ बेहतर होइ और वो अचे से बातें बी कर रही थी अभी बी अम्मी से नज़रे चुरा रहा था भाई इस बीच सराय होअय भेजूं जैसे चिर चिराय से फील होरहे थे क साथ एपीआई रज़िया सोती थी रात को और एपीआई रमीज़ा बच्चों साथ उन क रूम में लिए अहमद भाई का कोई चांस नै लग रहा था दिन यूँही बीत गए पता हे नै चला रमीज़ा क हस्बैंड बी आये उन्हें लेने हम सब से मिले और उन्हें लगाए रज़िया अभी घर हे थी रमीज़ा क जाने क अगले दिन मैं कॉलेज में था तो ब्रेक क बाद कोई फंक्शन होना था तो मैं सारे ११ हे कॉलेज से निकल आया निकली होइ थी काफी मेरे मैं अम्मी को छोड़ने का काफी दिनों से कर रहा था पर हिम्मत नै होरही थी क कैसे अम्मी से बात करूँ ऊपर से अम्मी बी ठीक से बात नै कर रही थी मेरे से सोचा शायद जल्दी चला जाओं तो कोई मौक़ा मिल जाये अभी आधे रस्ते में हे था क एपीआई रज़िया को उन क छोटे देवर साथ बाइक पे जाते देखा उन्हों ने मुझे नै देखा ब्रा खुश होआ क आज तो पक्का चांस मिल जाना है बाइक तेज़ की और कोई १० मं बाद घर क गेट पे था का वक़्त था १२ का टाइम था ज़ेहन में एक्ससिटेमेंट में भाई का ख्याल हे नै आया सोचा अम्मी को सरप्राइज देता हूँ मैं बाइक बाहिर हे खरी की और अपनी चाबी से गेट खोला और जूनही सेहन से होते हॉल का गेट खोल जो लॉक नै था सामने जो नज़ारा देखा मैं तो शॉकेड होआ जहाँ सामने वाले मेरे से बी ज़्यादा शॉकेड होगये टीवी लाउन्ज क बारे वाले सोफे की एक साइड पकड़े अम्मी झुकी होइ थी और उन का फेस मेरी तरफ हे था में दोपट्टा और कमीज पहनी होइ थी क पीछे भाई उन् की शलवार उतरे भरी हिप्पस पकड़े फूडी वहशियाना तरीके से मर रहे थे और अम्मॉ चीला रही थी और उन् का मौन खुला होआ था देखते हे भाई को जैसे सांप सूंघ गया हो और उन क ढके एक डैम से रुक गए की बी आँखें खुली की खुली रह गयी क माथे पे पसीना साफ़ झलक रहा था पता नै तब क्यों एक डैम से इतना ग़ुस्सा आया क मैं उलटे पाऊँ बहार निकल आया पीछे से मुझे पुकारती रह गयी बाइक स्टार्ट की और बाहिर को निकल प्र मुझे ये ग़ुस्सा था क इतने दिनों से मैं अम्मी क लिए मरी जा रहा था और अम्मी मुझे ठीक से बुला तक नै थी रही और अब कैसे भाई से फुद्दी मरवा रही थी...ग़ुस्से में मैं एपीआई रज़िया क घर चला आया मुझे देख क बरी खुश होइ नाराज़ देख प्यार से मुझे बिठाया और बोली आज बी अम्मी से झगर कर आया है मेरा सोना भाई में पहले बी अक्सर जान मेरा मूड ठीक नै था होता और नाराज़ होता था एपीआई क हाँ आजाता था मुझे ब्रा प्यार करती थी कुछ नै बताया एपीआई को और चुप कर क उन क रूम में बेथ कर टीवी देखने लग प्र बार मेरे ज़ेहन में वो सन आजाता क अम्मी झुकी होइ चीला रही थी और भाई उन्हें छोड़ रहे थे में मैं सेल बी साइलेंट पे लगा दिया था एपीआई को अम्मी की कॉल आयी पता था मैं एपीआई क हाँ हे हु गए उन्हें बताया क आप परेशां न हो अम्मी मैं हूँ इस क पास...थोड़ी देर बाद एपीआई मेरे लिए खाना लेकर आयी और मैं जब मना किया तो मेरे पास बेथ क मुझे निवाला बना कस्र खिलने लग पारी एपीआई का प्यार देख कर मैं बी मुस्करा दिया और खाने लग प्र ने देख क मेरी गाल पे एक किश किया और बोली ये होइ मेरे सोने भाई वाली बात सुच में मेरे से ब्रा प्यार करती थी से मुझे गॉड में उठाये फिरती रहती थी नज़रों सामने सरे पल किसी फिल्म की तरह चलने लगे और होश मुझे तब आयी जब एपीआई मुझे हला कर बोलै कहाँ खो गए अली मैं बास मुस्करा दिया और एपीआई क घोड़े हाथों से खाना खाने लगा ख़त्म कर क जब एपीआई जाने लहि मुर क तो मुझे एक डैम से प्यार आया और मैं उठ कर पीछे से एपीआई को हुग कर लिया और बोलै आपि आओ बुहत अछि हैं मेरा प्यार देख क हांसे लग पारी और अनजाने में जब मेरा लूँ उन की बैक पे टच होआ तो उन्हों ने बी फील किया और खुद को मेरी बाहों से चुरा कर बोली अब बास कर अली इतना ब्रा होगया है और बचपना अभी तक नै गया तब थोड़ी नर्वस सी फ़ीली होइ और तिरछी नज़रों से उनका दहन मेरी पंत पे सामने लूँ की तरफ प्र क लूँ सोया होआ था फिर बी कुछ हद तक उस की शेप नज़र आ रही थी तब जल्दी से बर्तन लेकर बहार चली गयी उस दिन से पहले मेरे दिल में कभी एपीआई क लिए कोई ग़लत ख्याल नै आया पर आज एपीआई को अपने लूँ की तरफ देखते मेरा बी मैं मचला दिनों से चुदाई जो नै मिली थी लूँ को तो एक ये बी वजह थी...खैर मैं बीएड पे बैठा टीवी देखने लग प्र ज़रा थोड़ा एपीआई क सुसराल वालो का इंट्रो करवा दूँ क हुब्बी २ भाई और ३ बहाने थी दोनों बहने मैरिड थी और अपने अपने घर आबाद थी से छोटी बहिन जिस का पहले बी ज़िक्र किया था जो मेरे से एक साल छोटी थी और गाओं क हे सरकारी कॉलेज जाती थी अरूबा से ब्रा भाई जो क यूनिवर्सिटी जाता था रज़िया की सास कई साल पहले फोट हो चुकी थी क ससुर गाओं में हे इमामत क फ़राएज़ से इंजाम देते थे बी रिटायर फौजी थे कोई ६० क क़रीब होगी पर आज बी हटते काटते किसी पहलवान से काम नै थे उन से मैं बी डरता था वो बारे सख्त मिज़ाज क थे दो बरी उन्हें एपीआई रज़िया को बी दन्त'ते देखा था जब एपीआई ने शायद दोपट्टा सही से नै था ओढ़ा बुहत पहले की बात थी क हुब्बी लोगो की काफी ज़मीने थी जो ीन्हो ने ठेके पर दी होइ थी और गाओं में एक आलिशान कोठी डाली होइ थी की बरी दोनों नन्दाय की बहने) आगे में काफी बरही थी और दोनों गाओं में हे बेयी होइ थी की तो औलाद बी जवान थी उन्ही का एक बीटा मेरे साथ मेरी क्लास में कॉलेज पढ़ता था ये तो था एपीआई क सुसराल का इंट्रो का रूम ऊपर वाली मंज़िल पे था और नीचे सास ससुर वाले रूम क इलावा २ कमरे और थे मैं टीवी में मगन रहा और इसी में शाम होगयी का देवर हॉस्टल रहता था तो वो बी चला गए थोड़ी देर मेरे से घपसुप लगा कर घर क कामो में बिजी थी बीच में अरूबा न ट्यूशन से वापिस आगयी ज़रा अरूबा क बारे में बता दूँ नटखट सो शरती सी लड़की थी की लाड़ली थी सा कद्द था ५ फ़ीट से बी काम था हेअल्थी टाइप थी आगे से कई ज़्यादा हैवी जिस्म था थी और खूबसूरत बी थी दिखने में तब मेरे ज़ेहन में ऐसा को ख्याल मई आया क वक़्त हम चारो ने डिनर किया क ससुर(मौलवी साहब) यही सब उन्हें पुकारते थे वो बी थे क बाद मैं एपीआई क रूम में था और उस वक़्त घर का ज़रा ख्याल नै आया क अम्मी लोग क्या कर रहे होंगे क पास होने से मैं सब भूल गया था देर टीवी देखने बाद एपीआई मेरे लिए दूध लायी सारः अरूबा न बैठी टीवी पे फिल्म देख रही थी एपीआई क ससुर बाहिर गए होअय थे बार बार ऐसे जैसे फ्री होरही थी पर मैं उसे को खास लिफ्ट नै कराई क लाये दूध पीने बाद तभी टाइम देखा तो ९ बजने वाले थे बेल्ल बजी तो एपीआई बोली जाओ अरूबा अब्बू ग आये होंगे और तुम बी जा कर आज नीचे हे सजाओ अपने रूम में अली मेरे साथ सोये गए ठीक है बोलती होइ नीचे चलो गयी वक़्त उस की गांड देखि तो सुछ में काफी बरी थी अरूबा को गांड आगे में बी पूरी औरत लगती थी ने मुझे उसे देखते नोटिस कर लिया और मुझे बोली चलो अली अब तुम बी सजाओ सुबह कॉलेज बी जाना है बी एपीआई क बीएड में ब्लैंकेट में घुस गया और मेरे साइड एक तरफ आपि बी आकर लेत गयी क लिए मैं बचो जैसे था इसी लिए मुझे साथ हे सुलाती थी हर बरी ज़ेहन में बी कोई ऐसी वैसी सोच नै आयी थी क मैं तो खुश था बुहत एपीआई क साथ होने से एपीआई को उन क हुब्बी की कॉल आगयी और वो उन से बाटे करने लग पारी साथ बैठते बैठे मेरे सर पे हाथ फेरती होइ मुझे बी जैसे सुल्ने लगी आपि क नरम हाथो क एहसास से मुझे बी जल्दी हे नीड आगयी...रात क किसी पहर मेरी आँख खुली वाशरूम जाना था तो मैं आँखे मलते होअय वाशरूम गया पेशाब कर क वापिस आया तो देखा एपीआई नै थी बीएड पे जाते मैं इतना नोटिस नै किया पर अब मेरी आँखें पूरी खुली होइ थी एपीआई को रूम में न देख क परेशां होगया सोचा इस वक़्त कहाँ गयी होंगी ों किये बिना हे मैं अपने सेल पे टाइम देखा तो रात क २ बजे का क़रीब का टाइम था पे अम्मी एयर भाई को काफी मिस्ड कॉल्स और ंसग्स आये थे मैं बिना पढ़े इग्नोर किया उन्हें और सेल रख दिया और लेत गया सोचा एपीआई पानी पीने गयी होंगी आजाये गई मं बाद बी जब एपीआई नै आयी तो मैं उठा नंगे पाऊँ हे रूम का दूर खोल क बाहिर आज्ञा बी कोई नै था ऊपर वाले फ्लोर पे सीरियन उतरते नीचे आया तो मुझे अजीब से आवाज़ें सुनाई देनी लगी जैसे कोई चीख रहा हो दबी आवाज़ में आवाज़ का पीछा किया तो वो एपीआई क सास ससुर वाले रूम से आ रही थी जब उस जानिब बढ़ा तो रूम की बाहिर की जानिब खुलती खिरकी पे एक साया दिखा जो खिरकी की आर से अंदर देख रहा तो थोड़ा हिल बी रहा था जब दबे पाऊँ उस क क़रीब गया तो वो इंसान खिरकी पे एक हाथ रखे झुका होआ था और अंदर जानक रहा और एक हाथ उस का अपनी शलवार क अंदर था जो क हिल रहा था इंसान बैक देख क मुझे पहचान होगयी क इतनी बरी और गदरायी गांड अम्मी क इलावा सिर्फ रज़िया एपीआई की थी हाँ वो रज़िया एपीआई हे थी जो खिरकी से अंदर जानक रही थी क अंदर लाइट्स ों थी आउट बाहिर हॉल में अँधेरा था इसी लिए बाहिर से अंदर तो देखा जा सकता था पर अंदर से बाहिर नै क झुकने की वजह से मैं उन क बिलकुल पीछे जा कर खरा होगया और उन क हिलने की वजह से उन् की मोती गांड बी हिल रही थी... हिलने में उन्हें बी मेरे उन क पीछे खरे होने का एहसास नै होआ मैं घोर से अंदर खिरकी क रस्ते देखा तो मेरे तो होश हे मनो ुर गए एपीआई क ससुर फुल नंगे खरे थे का क़द ७ फ़ीट क क़रीब था और पहलवानी और फौज की वजह से उन् का बदन पूरा हथेला था जानने थे इस आगे में बी किसी बॉडी बिल्डर से काम नै था उन् ला जिस्म और हैवी बिल्ट था पे थोड़े थोड़े बाल थे नै थी पर धरी बुहत घनी और लम्बी थी सफ़ेद धरी थी जिस से उन की उम्र का अंदाज़ा होता था क बीच ो बीच बीएड क पास फर्श पे वो नंगे पाऊँ फुल नंगे खरे थे और एक लड़की को बाहों में इस तरह उठाया होआ था क उस की लेग्स उस क फेस की तरफ फुल बेंड की होइ थी और उस क पाऊँ ऊपर छत्त की और थे जैसे उसे फोल्ड किया हो क दोनों हाथ उस की दोनों लेग्स क नीचे से होते होअय उस क हिप्पस पर थे जिन्हे अंकल ने ज़ोर से झाकरा होआ था और उस लड़की ने अपनी दोनों बाहें अंकल क गले में डाली होइ थी शार्ट अंकल ने उस लड़की को बाहों में लिए मशीनरी पोजीशन में बेंड किया होआ था मैं उस लड़की का चेहरा देखा तो शॉकेड होगया क्यों क वो ग़ैर नै थी बल क अंकल की अपनी सही छोटी बेटी अरूबा थी...अरूबा क बाल खुले पीछे को लहरा रहे थे का छोटा सा हैवी बदन अंकल ने अपनी बाहों में ऐसे उठाया होआ था जैसे कोई माँ की गुड़िया हो जब नीचे दहन दे देखा तो अंकल का लूँ उफ्फ्फ इतना ब्रा लूँ मैं आज तक नै देखा अपने लूँ पे फख्र करता था क बारे है पर अंकल का लूँ किसी घोड़े की तरह था ज़ काम बी जो अंदाज़ा लगाया उस क मुताबिक़ १० इंच से काम नै होगा और मोटा इतना क किसी क दोनों हाथों में पूरा न आये घोड़े जैसे लूँ अरूबा की फुद्दी में था और अंकल उस क हिप्पस को थामे बरी ज़ोरो से अपनी सही बेटी को खरे खरे छोड़ रहे थे की दर्दनाक चीखें निकल रही थी अब्बू मैं मर gayi,aaiiiiiiiiiiiiii हैएएइ अब्बू होली हाय अम्मम्मि ग मेनू बचा लू...अंकल नीना कुछ बोले किसो सांड क जैसे फुल ज़ोरो से छोड़ी जा रहे थे उन् की बाहों में किसी छोटी बची की तरह लग रही थी जिस को अंकल अपने लूँ पे चढ़ाये झूला झूला रहे थे दर्दनाक चुदाई देख मेरे बी रोंगटे मनो खरे होगये क कैसे एक बाप अपनी सही लाड़ली बेटी की फुद्दी की दाज्जीयां ुरा रहा था क बाल लम्बे थे जो पीछे को झूल रहे थे और अरूबा क मम्मी बी काफी मोठे और सख्त थे और उन् पे निप्पल बी ब्राउन कलर में खरे थे छोटी की वजह से अरूबा अपने अब्बू की बाहों में किसी गुड़िया क जैसे लैह रही थी बी सुडोल सा था अरूबा का और कब फुद्दी को देखा तो मुझे तरस आज्ञा बिलकुल साफ़ थी एक बी बाल नै था गोरी और उस का होल पूरा फैला होआ था जिस में अंकल का गोर जैसा लूँ बरी स्पीड से इन आउट होरहा था मनो में अंकल का लूँ अरूबा की फुद्दी को चीयर कर अंदर बाहिर होरहा था बेचारी बार बार अपने अब्बू की आँखों में देख चीला क दर्द भरे लहजे और ांसो'ों साथ कह रही थी अब्बू हॉलीइइइइइइ मैं मर जाना हईये रब्बबा मेनू बचा ला का चेहरा लाल होचुका था बी साफ़ दिख रहा था माथे पे किसी माहिर खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले लगे होअय थे लगातार छोड़ने तब सुछ में हैरानी होइ क एक बाप अपनी बेटी को इतना दर्द बी दे सकता है मसल्सल चिलए जा रही थी ये सब देख मेरा बी लूँ पाजामे में खरा हो चूका था और ला शौरी में आगे झुकी एपीआई की गांड क साथ लग गया जूनही अपनी गांड पे मुझे फील किया वो एक डैम से हार्बर क सीढ़ी होगयी और अपनी शलवार से बी हाथ निकल लिया जिस से वो अपनी फुद्दी को रब कर रही थी सामने का नज़ारा देख कर एक डैम से मेरी और मुर क खरी होगयी और बोली अली तुम यहाँ क्या कर रहे हो एपीआई की मुस्करा क बोलै एपीआई आप कमरे में नै थी मैं आप को ढूंढते होअय यहाँ आज्ञा क्या लार रही थी और ये आप का हाथ इतना गीला सा क्यों है शर्म से पानी पानी होगयी बोली कुछ नै और मैं एपीआई को बोलै ये सब क्या कर रहे हैं मुझे शहहहहह मौन पे ऊँगली रखते होअय बोली शोर मैट करो और जाओं रूम में मैं बी अति हूँ न में सर हिलाया और बोलै एपीआई मुझे बी देखना है सर पे हाथ रख क जैसे तंग आगयी हो बोली क्या देखना अभी तुम छोटे हो ज़िद्द की तो एपीआई कुछ न बोली और दोबारा से खिरकी की और मुर कर थोड़ा झुक कर अंदर का नज़ारा देखना शुरू होगयी एपीआई क गांड क बिलकुल साथ लग गया और थोड़ा एपीआई पे झुके अंदर देखने लगा एक पल क लिए मुझे ग़ुस्से से देखा फिर कुछ न बोली अंदर मौलवी साहब अपनी बेटी अरूबा की छोटी सी फुद्दी की लगातार दाज्जीय ुरा रहे थे और अरूबा चिलए जा रही थी खरा लूँ एपीआई क हिप्पस में घुसने लग प्र कमीज और शलवार क ऊपर से हे मुझे फील नै होइ शायद नै थी पहनी होइ एपीआई ने बी अब थोड़ा रंग में रंग रही थी और मदहोश होरही थी और मेरे लूँ पे अपनी गांड पीछे को कर क रैगर रही थी ऊपर नीचे इसे ग्रीन सिग्नल समझा और एपीआई पे झुक क उन क कान पास किश कर क बोलै एपीआई ये दोनों क्या कर रहे है बोली कुछ न और अपना लेफ्ट हाथ दोबारा से सामने से अपने शलवार में डाला और रब करने लग पारी सुच में ऐसे जैसे नशे में हो तब ली गर्म से मदहोश होचुकी थी दोबारा पोछा तो एपीआई एक लम्बी आह भरते होअय बोली अली मैट पोचू बास देखते जाओ का ये रूप मैं पहली बरी देख रहा था ने सोचा थोड़ा आगे बरते है और अपना लेफ्ट हाथ आगे ले जा कर एपीआई क लेफ्ट हाथ की और करता गया एपीआई क हाथ निकल शलवार से मैं अपना हाथ अंदर दाल दिया एपीआई में मेरा हाथ अपनी फुद्दी पे फील किया वो एक दम्म से पीछे सर क देखि ग़ुस्से से मैं बोलै पलज़्ज़ज़ एपीआई बोली अली ये सब ठीक नै है अपना हाथ निकालो वहां से बोलै एपीआई बास थोड़ी देर क लिए कुछ पल मुझे घुरा फिर आगे सर लार अंदर देखने लग पारी तो मनो खुश होगया हाथ मेरा फुद्दी पे टच होआ तो मुझे घने बालों का एक जंगल मनो फील होआ हो की फुद्दी पे बुहत बाल थे फुद्दी क लिप्स ढून्ढ फिंगर्स से उन्हें रब करने लग प्र जो क पहले से गीले थे २ मं बरी मुश्किल से गुज़रे होंगे क एपीआई क चुतरों की रैगर अपने लूँ पे फील कर कर क मेरा दिल मचलने लगा दिनों से लूँ पहले हे प्यासा था तो मेरे से रहा नै गया और मैं थोड़ा पीछे होकर अपना पजामा पेरो तक उतर दिया मैं पहना नै था होआ सोचा यही सही वक़्त है लोहा गर्म है हथोड़ा मर दिया जाइये सामने झुकी एपीआई की क़मीज़ा ऊपर कमर तक की और शलवार को दोनों सिरों से पाकर एक हे झटके में उतर दिया और पेरो तक कर दिया से पहले क मैं एपीआई को कोई मौक़ा देता मैं एपीआई क हिप्पस पहिलाये टंगे थोड़ी चोरी की लूँ को बालो से भरी फुद्दी क होल की तरफ गाइड किया इस लिए होल ढूंढ़ने में कोई मसला नै क्यों क पहले से हे मेरा एक हाथ फुद्दी को रब कर रहा था की फुद्दी से रास टपक रहा था और फुल गीली थी अंदर से बी एक हाथ से लूँ को होल पे रखे थोड़ा undefined किया तो मेरे लूँ की मोती कैप थोड़ी सी फुद्दी में घुस गयी और उसी पल एपीआई क मौन से एक सिसकारी निकली और उन्हों ने पीछे देख मुझे अपने एक हाथ से दूर हटने का इशारा किय से बोली कमीने पीछे हैट ये की गुनाह कर रहा है तेरी बहिन हूँ अली दे मुझे एपीआई को थोड़ा काबू करते होअय अपनी ग्रिफ्ट में बोलै एपीआई प्ल्ज़ थोड़ा डा अंदर करने दे वो बी तो कर रहे न शामे फिर ग़ुस्से से बोली वो तो कमीने लोग है तू तो मेरा सोना भाई है न निकल इसे मेरे अंदर से अब थोड़ा सख्त लहजे में बोलै एपीआई प्यार से डालने दे वर्ण ज़बरदस्ती डाला तो आप की चीखें निकल जनि है इधर और सब को पता चल जाना अब सहमे होअय लहजे में बोली अली अब तू अपनी साथ ज़्यादती करेगा बी एक पल क लगा क ये सही नै है एपीआई क ऊपर झुक कर उन क चेहरे क बिलकुल पास होकर एपीआई क आईज में देखते होअय बोलै एपीआई आप तो मेरी जान है मैं क्यों आप साथ ज़्यादती करूँगा पर सूची मेरा ब्रा दिल कर रहा थोड़ा सा करने दे न कुछ नै होता चेहरे पे ये प्यार भरा उतावलापन और बेचैनी देख एपीआई थोड़ा पिघल गयी और बोली पर अली सब ग़लत है तेरी बरी बहिन हूँ और शादीशुदा हूँ मैं क्या मौन दिखाऊँगी अपने हस्बैंड को सब गुनाये कबीरा है बोलै एपीआई बास थोड़ी देर प्ल्ज़ मैं मर जाऊँगा सूची इस बेचैनी से और साथ हे बोलै किस हस्बैंड की बात कर रही जिस ने आज तक आप को कभी प्यार हे नै दिया बी सब समझ आता है एपीआई आज तक तो वो आप को औलाद की ख़ुशी नै दे सके जब क आप में कोई खामी नै और आप की बातें बुहत पहले की सुन चूका हूँ एपीआई मेरी बातें सुन जहाँ हैरान बी होइ वही नज़रे नीचे झुका ली से एक डैम से ऊपर मेरी और देखा और बोली अली फिर बी ये सब जाएज़ नै है मेरी बात समझ थोड़ा सख्त लहजे में बोलै तो एपीआई जो अंदर होरहा वो जाएज़ है क यूँ आधी रात को खिरकी से देख देख अपनी फुद्दी रब करना और प्यासी रहना जाएज़ है दोनों जानते क आप को प्यार की ज़रूरत है और मुझे बी तो अब बास आप को मेरी क़सम आप कुछ नै बोलेगी नज़रें झुका क सामने को होगयी पहले जैसे और खिरकी को दोनों हाथों से पाकर लिए सपोर्ट खातिर एपीआई की रज़ामंदी देख खुश होगया तभी एपीआई पीछे मुर क मेरी और देखि और बोली अली मेरी एक बात मानेगा लूँ डालने हे वाला था क एपीआई की बात सुन ला थोड़ा कण्ट्रोल करते हम्म्म किया बास बोली ये जगह ठीक नै है बैडरूम में चलते है बी मुस्करा दिया और हाँ में सर हिलाया और थोड़ा पीछे हैट गया और लूँ जो थोड़ा सा अंदर घुसा रहा वो बी बाहिर निकल आया सीढ़ी होइ और शलवार ऊपर कर ली बी पजामा ऊपर कर लिए और जब हम दोनों की नज़र सामने पारी रूम क अंदर तो वहां अब अंकल अरूबा को बीएड पे लिटाये छोड़ रहे थे और बेचारी अरूणा अभी बी दर्द से चीला रही थी...एपीआई मेरा हाथ थमा और बिना कुछ नाले ऊपर अपने बैडरूम में लगाई में एंटर होते हे एपीआई ने दूर लॉक लिए लाइट्स ों की और मुझे सामने बीएड पे बिठा कर बोले अब बताओ अली क्या चाहते हो तुम एक डैम से कंफ्यूज होगया क एपीआई का शायद मूड चेंज होगया है शर्मिंदा होकर नीचे देखने प्र क अब एपीआई डांटे की मुझे और तब पता नै क्यों मेरे मौन से बी कुछ नै निकला दोबारा से मुझे पुकारा और बोली बताओ अब क्या करना चाहते हो ऊपर देखा एपीआई की आँखों में और धीरे से बोलै एपीआई आपको प्यार करना चाहता हूँ अकेला पैन दूर करना चाहता हूँ ली साड़ी प्यास भुजा देना चाहता हूँ मने मुझे कोफ़्त होती जब एपीआई रमीज़ा को इतना खुश देखता और कम्पलीट देखता से आप की ये उदासी नै देखि जाती घुट घुट कर बिना प्यार क जीना आप से बुहत प्यार करता हूँ एपीआई मेरी बातें सुन थोड़ी इमोशनल होगयी और मेरी तरफ घोर से देख कर बोली तू कब से इतना ब्रा होगया हैं क इतनी बरी बरी बातें करने लग प्र उनकी ाँसों में ांसो आज्ञा हलके से और मेरे पास बीएड क क़रीब आकर मुझे मुझे खरा करते बोली मुझे नै पता था मेरा भाई इतना प्यार करता है क बिन कहे हे मेरे सरे दर्द समझता है एपीआई का हाथ अपने हाथों में लेकर चूमा और उन क ाँसों साफ़ करते होअय बोलै अब से एक बी ाँसों नै आने दूंगा एपीआई आपकी आँखों में मेरी बात से इतना इमोशनल होगयी क मुझे कस कर अपने गले लगा लिया और मुझे बोली तुझे नै पता अली इतने बरसों से किस अज़ाब से गुज़री हूँ मैं क एक एक पल क लिए तरसी हूँ उन्हें सीधा कर चुप कराया और होंठों पे ऊँगली रख बोलै अब बास एपीआई मैं हूँ न आप साथ अब से बास खुशियां हे खुशियां आप की झोली में भर दूंगा...अब ज़रा एपीआई क बारे में बता दूँ क जानते है क एपीआई २९ साल की हैं और ९ साल शादी को होचुके और कोई औलाद नै क हुब्बी में कोई प्रॉब्लम थी माह तो एपीआई ने रट होअय अम्मी से तलाक़ ताल की बात कर दी थी क मेरे से नै बर्दाश्त होता अम्मी अब ने हौसला दिया था क बेटी ये सब इतना आसान नै...एपीआई जैसे क बता चूका क अम्मी पे हाई है क साथ उन का जिस्म बी गदराया होआ होगया था की फिगर मैं खुद मैसूर की थी और वो थी ४०-३२-४६ की बॉडी थी एपीआई की को फुल तकर देती थी बी अम्मी जैसे गोरा था और हाइट बी अम्मी क जितनी हे थी नक्स बी कमल क थे क बाद अगर किसी की मोती गदरायी गांड का देवना होआ था तो वो एपीआई रज़िया हे थी...तो एपीआई क होंठों पे ऊँगली रखे मैं उन क बाल जो क बंधे थे उन्हें खोल और सहलाने लग प्र एपीआई बास एक तक मुझे देखि जा रही थी का खूबसूरत चेहरा और अम्मी की तरह मोठे रसीले होंठ देख मैं आगे बार एपीआई क होंटो को चूम लिया किसिंग स्लो स्लो पैशनेट होती गयी मेरे मौन में ज़ुबान डेल एपीआई चुसवा रही थी २ मं बाद एपीआई ने एक डैम दे मुझे पीछे बीएड की तरफ धकेला बीएड पे जा गिरा और हाफ लेत गया मेरी टंगे बीएड से नीचे थी आगे बरी और मेरी शर्ट पाकर उतर दी एक डैम से और मेरी छाती पे हाथ फेरती नीचे को आने लगी और मेरी और देख मेरे पजामा बी उतरने लग पारी ऊपर होकर पजामा उतरने में हेल्प की मेरी टैंगो से निकल साइड फ़ेंक दिया एपीआई की आँखों में एक डैम दे चमक आगयी मैं उन की नज़रों का पीछा किया तो वो मेरी सेमि ेरेक्ट लूँ की और देख रही थी ने नीचे बेथ लूँ को अपने नरम हाथों में थम लिया और सहलाने लग पारी और ऊपर नीचे एंगल से बरी घोर से देखने लग पारी क नरम हाथो क एहसास प् कर मुझे बी ाचा लगा पर एपीआई अभी बी शलवार कमीज में थी मैं उन्हें बोलै आप बी उतरे न ये सब एपीआई मेरी तरफ देख नखरे वाले लहजे में बोली अब अपनी एपीआई को नंगा देखना चाहता है तू हाँ में मुस्कराते होअय सर हिलाया तो एपीआई बी मुस्करा दी और मेरे सामने सीढ़ी खरी होगयी और अपनी कमीज पाकर ऊपर को कर क उतरने लग पारी जूनही उन की कमीज उत्तरी उन् क बारे बारे ताज़े मम्मी स्किन कलर क ब्रा में क़ैद नज़र आये पे बी काफी हद तक undefined था उनकी बॉडी क लेहाज़ से अपनी और यूँ प्यासी नज़रों से देखते होअय अपनी ब्रा की हुक खोले होअय पीछे से मुझे बोली अपनी एपीआई क दूध देखे गए फिर हाँ में मुंडी हिलायी ने जूही अपने जिस्म से नृ हटाया तो उन क मोठे मम्मी सामने आगे गए स बी लटके होअय नै थे सफ़ेद और बीचे में ब्राउन कलर क निप्पल्स उफ़ जांच रहे थे की निस्बात्त साइज में छोटे थे पर सख्ती में कई ज़्यादा आगे थे क कमल क मौन देख मेरा हैरानी से थोड़ा मौन खुल गया और हलक बी खुश्क जाने लगा ये सब देख हांसे लग पारी और मेरी पास नीचे को झुक कर अपने मां मुझे क़रीब से अपने हाथो में पकड़े दिखती होअय बोली ले इन्हे छू कर देख आगे हाथ बढ़ाये और दोनों को अपने हाथों में लेकर दबाया में बारे नरम थे पर सख्तपन बी था थोड़ा तरह मेरे हाथों में बी नै थे आ रहे मैं थोड़ी देर एक तक उन्हें देखते होअय दबाया और आगे बार निप्पल्स को चूम बी लिया क मौन से तब एक मज़े की सिसकारी निकली लूँ नीचे फूल जोश में आ चूका था जब ये नोटिस किया तो वो थोड़ा पीछे हैट नीचे बेथ गयी मेरी टैंगो दरमियान और मेरे लूँ को दोनों हाथों में लेते होअय थोड़े हैरानी वाली एक्सप्रेशंस देकर मेरी और देख कर बोली अली ये तो काफी ब्रा है और मोटा देखो कितना मोटा है उफ़ मेरे दोनों हाथों में बरी मुश्किल से आ रहा है कुछ नै बोलै और मुस्करा दिया बास से अब बरी मुश्किल से कण्ट्रोल हो रहा था ने बी मेरे बेचैन चेहरे को देख थोड़ा मुस्करायी और लूँ हाथों से चोर पीछे होकर सीढ़ी खरी होगयी और मेरी तरफ बरी ऐडा से देख मुर गयी सन ये था क मैं बीएड से नीचे टाँगे रख हाफ कुहनियों क बल लेता एपीआई की और ऊपर उठ कर देख रहा था लूँ फुल खरा था और मेरे सामने एपीआई दूसरी तरफ मौन किया सिर्फ शलवार में खरी थी नंगी सफफ पीठ देख मुझे ब्रा ाचा लगा और वहां ब्रा की स्ट्राप क निशान थे थोड़े घने बाल एपीआई ने गर्दन की एक तरफ अकथाय कर आगे को किये होअय था एपीआई ने पीछे सर घुमा कर मेरी और देखा आँखों में मस्ती साफ़ झलक रही थी आगे को थोड़ा झुकी जिस से उन की मस्त मोती गांड पीछे को थोड़ा फैल गयी एपीआई ने सलौली सलौली बरी ऐडा से अपने चुतर हिलाये अपनी शलवार उतरने लग पारी तो हलक़ एक डैम से खुश्क होगया ये सब देख की मोती गांड क चुतर जब पोरे नंगे होअय तो मेरे लूँ ने एक झटका मारा ख़ुशी में ने शलवार अपने पेरो से निकल दी और मुझे थोड़ा चीरते होअय अपने हिप्पस हिलने लग पारी जिस से उन क हिप्पस में थरथराहट से पैदा होइ और दोनों चुतर आपिस में रैगर खाने लगे मोठे और हैवी चुतर देख मेरे तो लूँ पे छुरियां चलने लग पारी दिल किया उठ कर अपनी बाहों में झाकर लू क बीच दोनों सुराख़ छुपे होअय थे और चुतरों से नीचे मोती हेअल्थी थिएस और टाँगे थी जो शफा चाट साफ़ थी मीन्स एक बी बाल नै था ऊपर अम्मी क जैसे देर जब मज़ीद एपीआई ने ये जान लेवा मंज़र पेश किया मेरे कण्ट्रोल की तो ऐसी की तैसी होगयी और मैं एक डैम से उठते होअय एपीआई क चुतरों क पाकर पागलो जैसे उन्हें ऊपर से हे चूमने लग प्र नीचे बेथ मेरे रिएक्शन से थोड़ा हंस पारी और वैसे हे थोड़ा झुकी रही एपीआई क चुतरों को दोनों हाथों से थोड़ा पहिलाया तो मुझे एपीआई की गांड का टाइट ब्राउन सा छेद नज़र आया और उस क नीचे बालों का एक ढेर नज़र आया.. इतने घने सुर लम्बे बाल देख मेरे चूमने को मन नै किया इतना क्यों क फुद्दी का हॉल तो दिख नै था रहा इतने घने बाल थे उठा और आपि को सीधा कर बाहों में लिए थोड़ी देर चूमा और फिर एक डैम से बीएड पे गिरा दिया बी मेरे उतावलेपन से मस्ती में आगयी और किसी बेशर्म जैसे खुदी सीढ़ी होकर एक तकिय अपने सर नीचे रख लिया और टाँगे खोले मुझे बोली ऊँगली क इशारे से अपने तरफ आने का इशारा किया तो पहले से उतावला होचुका था मैं एक डैम से बीएड पे चरा और एपीआई की टैंगो बीच आकर एपीआई की हेअल्थी और वज़नी टैंगो को अपने हाथों में उठा कर कन्धों पे रखा और पोजीशन सेट की एपीआई ने मुझे रुकने का इशारा किया और एक डैम से मस्ती क मूड में थोड़ा सीरियस होते बोले अली आज हमारे इस नए रिश्ते की शुरवात से पहले मैं तुम्हारे साथ कुछ शेयर करना चाहती हूँ मैं में गली दी क ऐन टाइम पे क्या शेयर करना मुझे एक बरी फुद्दी में मर लेने दो फिर जो चाहे शेयर कर लेना फिर बी थोड़ा कण्ट्रोल करते एपीआई की आँखों में देखते होअय बोलै ग एपीआई करे शेयर एक लम्बी सांस ली और थोड़ा हिचकचाने लग पारी बोलने में बोलै एपीआई जल्दी बोले न क मेरे लूँ फटने की कहर पर था तब एपीआई क मौन से जो अलफ़ाज़ निकले उन्हें सुन मैं तो शॉकेड होगया