27-06-2020, 03:14 PM
सुमन ने उसके फुफ्कार रहे लंड को पकड़कर बुरी तरह निचोड़ डाला और बोली : "जब आपके अरमान इतने ख़तरनाक है तो उन्हे दबा क्यों रखा है...निकल जाने दो...''
दोनो ने आँखो ही आँखो में एक दूसरे को देखा और अगले ही पल भूखे भेड़ियों की तरह एक दूसरे के होंठों पर टूट पड़े...
ऐसी ख़तरनाक स्मूच शायद दोनो ने आज तक नही ली थी...उत्तेजना का पारा उपर पहुँच चुका था और फटने के बाद जो हालत होती है, वो हो रही थी दोनो की इस वक़्त...
सुमन को कपूर साहब शुरू से ही पसंद थे, गोरे चिट्टे पंजाबी बन्दे थे वो, सोसायटी में जब वो वाइट कलर की शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर बेडमींटन खेलते थे तो उनके कसरती शरीर को देखकर वो अक्सर सोचा करती थी की ऐसे एथलीट जैसी बॉडी के मालिक के नीचे आकर चुदने में कितना मज़ा आएगा..
लेकिन अभी वो अपनी प्लानिंग के तहत कुछ ज़्यादा नही करना चाहती थी....सिर्फ़ उतना करना चाहती थी जिसके बाद कपूर साहब उसके हुस्न के गुलाम बन जाए और कुछ भी करने से ना घबराए..
सुमन ने अपना ब्लाउस नीचे करते हुए अपना एक मुम्मा निकाल कर बाहर किया और उसे कपूर साहब के आगे लहरा दिया, आज तक जिस मुम्मे को देखकर उनका लंड करवट लिया करता था, वो नके सामने था , कपूर तो एक नंबर का हरामी था, उसे पता था की ऐसी डिश के साथ क्या किया जाता है,वो अपना पूरा मुँह खोलकर उसके मुम्मे को निगल गया और एक जोरदार चुप्पा दे डाला..
आअअहह.....इतना मीठा मुम्मा था उसका...जैसे शहद लगाकर आई हो..
वैसे ये सच भी था...आज शाम को तैयार होते हुए शशांक ने उसके निप्पल्स पर मज़ाक-2 में थोड़ा सा शहद लगा दिया था, ताकि उसके मीठेपन में डूबकर उसका शिकार पागल हो जाए...और ये योजना काम भी कर गयी...उसके मुम्मे को चखने के बाद तो कपूर पागल सा हो गया और उसके दूसरे मुममे को भी निकालने लगा...और तभी सुमन ने उसे मना करते हुए अपना वो नंगा मुम्मा वापिस अंदर डाल लिया.
कपूर को तो ऐसा लगा जैसे उसके मुँह से कोई स्वादिष्ट पकवान वापिस खींच लिया गया हो...वो अपने खड़े लंड के साथ उसे टुकूर-2 देखने लगा.
सुमन बोली : "इतनी भी क्या जल्दी है कपूर साहब...अभी तो पूरी रात पड़ी है...और ये जगह सही भी नही है इस काम के लिए...''
कपूर (हकलाते हुए) : "पर...पर...बाहर तो सब लोग होंगे...उनके सामने कैसे...शशांक भी होगा...और मेरी वाइफ भी...''
वो बेचारा असमंजस में था की ये सब कैसे हो पाएगा..
सुमन (सेक्सी अंदाज में बोली) : "तुम्हारी बीबी की तो तुम जानो, मेरा पति मुझे कुछ नही कहेगा...इन्फेक्ट बाहर बैठा हर पति अब इन सबमे टोका टाकी नही बल्कि मज़ा करते है...''
इतना कहकर सुमन ने कल रात वाली पूरी कहानी उसे सुना दी...
कपूर को तो यकीन ही नही हुआ की इतना कुछ हो गया...एक बार पहले भी शशांक ने उसे इस तरह के खेल में शामिल होने की बात कही थी, पर अपनी बीबी की वजह से वो उससे दूर ही रहा था...वो खुद तो करना चाहता था पर अपनी बीबी को वो अच्छी तरह से जानता था की वो इसके लिए कभी नही मानेगी...अपने पति को किसी और की चुदाई करते देखकर वो तो उसका खून ही कर देगी...और वो खुद भी काफ़ी पत्निव्रता टाइप की औरत थी...शादी के बाद से आज तक उसने किसी और मर्द के बारे में ना तो बात की थी और ना ही उसे कोई और पसंद था...अपने पति में उसे पूरे जहान की खुशिया दिखाई देती थी.
उसे सोच में पड़ता देखकर सुमन बोली : "तुम बस अपनी फ़िक्र करो...भाभी को मनाना मेरा काम है...''
ये सुनकर कपूर की आँखे चमक उठी...वो झट्ट से बोल उठा : "ठीक है फिर, अगर तुम उसके मुँह से इस बात की रज़ामंदी करवा दो तो मुझे भी कोई प्राब्लम नही है...''
और दोनो एक बार फिर एक गहरी स्मूच करके बाहर की तरफ चल दिए.
इसी बीच, कपूर साहब और सुमन के अंदर जाने के बाद, शशांक ने इशारा करके सबा और डिंपल को उनके शिकार की तरफ जाने को कहा..और वो दोनो आँखो ही आँखो में इशारा करके अपनी सीट से उठी और गुप्ता जी की तरफ चल दी. गुप्ता जी के लिए शशांक ने उन दोनों को इसलिए कहा था क्योंकि दोनों एक से बढ़कर सैक्सी थी, एक साथ 2 हुस्न परियों के जाल से बचना नामुमकिन ही था
सरदरजी और राहुल शशांक के पास जाकर बैठ गये और बातों मे ऐसे मशगूल हो गये जैसे उन्हे उस कमरे में और क्या चल रहा है, उससे कोई फ़र्क हि नही पड़ता..
गुप्ता जी ने जब देखा की सबा और डिंपल उसके अगल बगल आकर बैठ गयी है तो वो घबरा सा गया...एक पंजाबन सरदारनी और दूसरी ,., हूरपरी, दोनो उसके सपनो में ना जाने कितनी बार आकर चुदवा चुकी थी...और आज वो अपने सेक्सी कपड़े पहन कर उसके दोनो तरफ ऐसे बैठ गयी थी जैसे अपनी हर उस सपने वाली चुदाई का बदला लेने आई हो..
डिंपल ने गुप्ता जी से कहा : "क्या हुआ गुप्ता जी...काजल भाभी एकदम से कहाँ चली गयी...''
वो बेचारे क्या बोलते, सबा बीच में बोल पड़ी : "लगता है उन्हे हमारे सैक्सी कपड़े देखकर जेलीसी हो गयी है, वही बदलने गयी है...है ना गुप्ता जी..''
गुप्ता बेचारा परेशान सा उन दोनो परियों के बीच फँसा बैठा था...सबा को इस तरह से बाते करता देखकर उसे मज़ा तो आ रहा था पर साथ ही उनके पतियों का डर भी सता रहा था...
डिंपल : "पर तुम कैसे कह सकती हो की हमारे कपड़े सैक्सी है...ये तो नॉर्मल से है...ऐसे तो मैं अक्सर घर पर पहना करती हूँ ...''
सबा : "डिंपल भाभी, आपके लिए ये नॉर्मल है, पर इन मर्दों के लिए नही...अभी थोड़ी देर पहले मैने देखा था की राहुल कैसे आपकी नंगी टाँगो को देखकर अपनी एक्साईटमेंट दबा रहे थे...''
डिंपल : "अर्रे....उसे अगर मेरी टांगे इतनी ही पसंद आ रही है तो उसे बोल ना की आकर छू ले इन्हे...मैं बुरा नही मानूँगी...हा हा...''
वो दोनो एक दूसरे से ऐसे बाते कर रहे थे जैसे गुप्ता बीच में बैठा ही नही है..
और उनकी बाते सुनकर वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने लंड को खड़ा होने से रोक रहा था.
उसकी टांगे देखकर तो वो भी काफ़ी एक्साइटेड हो गया था...तो क्या डिंपल उसे भी अपनी टांगे छूने देगी...तो क्या इसलिए वो उसके पास बैठकर वो बात कर रही है...यानी...यानी डिंपल चाहती है की वो उसकी टाँगो को छुवे...
पर कैसे...वहां तो सब लोग मोजूद थे...और उसका पति भी...ऐसे में वो कैसे उसकी टाँगो को छू पाएगा..
डिंपल ने गुप्ता जी को देखा और बोली : "मैने तो गुप्ता जी को भी ऐसा करते देखा था...''
गुप्ता जी कुछ बोल पाते, इससे पहले ही सबा बोल पड़ी : "तो इनको छुवा दो..इन्हे भी मज़ा मिल जाएगा और आपकी वो कई दिनों की दबी हुई इक्चा पूरी हो जाएगी, जिसमे आप किसी और मर्द से, अपने ही पति के सामने मज़े लेना चाहती थी..''
गुप्ता का सिर चकरा गया, ये कैसी बातें कर रही थी दोनो...अपने ही पति के सामने डिंपल भला किसी और से मज़े क्यों लेगी...लेकिन वो सोचता ही रह गया और डिंपल ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर रखा और धीरे से बोली : "गुप्ता जी...मन को मत मारिए...कर लीजिए अपने मन की...और मेरी इच्छा भी पूरी करिए...''
गुप्ता जी को लगा की शायद ये उन औरतों में से है, जिसे घर तो खाने को भरपूर मिलता है, पर फिर भी बाहर के खाने की भूख हमेशा रहती है...जैसे आजकल के मर्दों में होता है..
गुप्ता ने देखा की शशांक , राहुल और गुरपाल तो आपस में बाते करने में व्यस्त है, उसने तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए डिंपल की जाँघ को अपने कठोर हाथों से मसल दिया...
उफफफफफफफफ्फ़ इतनी मुलायम जाँघ थी उसकी....अभी तो सेटन के कपड़े की लुंगी पहनी हुई थी...जब नंगी टाँगो को दबाएगा तो कैसा लगेगा...
डिंपल ने उसकी ये इच्छा भी पूरी कर दी...उसने गुप्ता का हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी के उस हिस्से में रख दिया,जहाँ से उसकी टाँगों का नंगापन नज़र आ रहा था...और अपनी नंगी जाँघ पर उसका हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया..
अब तो गुप्ता एकदम बावला सा हो गया...उसके लंड ने भी पेंट में डंडा गाड़कर तंबू बना दिया..दूसरी तरफ से सबा ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया...ये तो गुप्ता के लिए किसी सपने जैसा था...जिस सबा की चर्चा पूरे केम्पस में थी,वो खुद उसके हाथ को पकड़कर अपनी नर्म और गर्म जाँघ पर रख रही थी..और दूसरी तरफ उनकी सोसायटी की सबसे सेक्सी और मस्त मुम्मो वाली भाभी डिंपल, उसके हाथ को पकड़कर खुद अपनी जांघों पर मसल रही थी..मतलब सॉफ था,उन दोनो की चूतों में आग लगी हुई थी...और उसे बुझाने के लिए वो गुप्ता की मदद माँग रही थी...
गुप्ता जी ने एक नज़र फिर से शशांक ,राहुल और गुरपाल की तरफ देखा...और इस बार वो सकपका सा गया...वो तीनों उसी को देख रहे थे...गुप्ता जी के दोनो हाथ उनकी बिबियो की जांघों पर थे..कमरे में एकदम सन्नाटा सा छा गया..
और तभी गुरपाल ने हंसते हुए कहा : "ओये...हैप्पी दीवाली गुप्ता जी...कर लो एंजाय...हा हा...''
और सभी लोग ठहाका लगाकर हंस दिए...गुप्ता ने देखा की राहुल भी अपनी बीबी सबा को नही रोक रहा...यानी उन्हे कोई प्राब्लम नही थी...उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा...और उसकी इस खुशी को डिंपल ने दुगना कर दिया जब उसने एक झटके से गुप्ता जी के चेहरे को अपनी तरफ किया और उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर जोरदार किस्स करने लगी...
वो किस्स करीब एक मिनट तक चली, और इस किस्स ने गुप्ताजी के शरीर के सारे बाल और अंग खड़े कर दिए थे...वो साँस लेने के लिए हटा,और उसके पति की तरफ देखा,वो अपने में ही मस्त था,दारु पी रहा था, दोस्तों से बाते कर रहा था ...जैसे उसे अपनी बीबी की इस हरकत से कोई फ़र्क ही नही पड़ता..राहुल का भी यही हाल था
दोनो ने आँखो ही आँखो में एक दूसरे को देखा और अगले ही पल भूखे भेड़ियों की तरह एक दूसरे के होंठों पर टूट पड़े...
ऐसी ख़तरनाक स्मूच शायद दोनो ने आज तक नही ली थी...उत्तेजना का पारा उपर पहुँच चुका था और फटने के बाद जो हालत होती है, वो हो रही थी दोनो की इस वक़्त...
सुमन को कपूर साहब शुरू से ही पसंद थे, गोरे चिट्टे पंजाबी बन्दे थे वो, सोसायटी में जब वो वाइट कलर की शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर बेडमींटन खेलते थे तो उनके कसरती शरीर को देखकर वो अक्सर सोचा करती थी की ऐसे एथलीट जैसी बॉडी के मालिक के नीचे आकर चुदने में कितना मज़ा आएगा..
लेकिन अभी वो अपनी प्लानिंग के तहत कुछ ज़्यादा नही करना चाहती थी....सिर्फ़ उतना करना चाहती थी जिसके बाद कपूर साहब उसके हुस्न के गुलाम बन जाए और कुछ भी करने से ना घबराए..
सुमन ने अपना ब्लाउस नीचे करते हुए अपना एक मुम्मा निकाल कर बाहर किया और उसे कपूर साहब के आगे लहरा दिया, आज तक जिस मुम्मे को देखकर उनका लंड करवट लिया करता था, वो नके सामने था , कपूर तो एक नंबर का हरामी था, उसे पता था की ऐसी डिश के साथ क्या किया जाता है,वो अपना पूरा मुँह खोलकर उसके मुम्मे को निगल गया और एक जोरदार चुप्पा दे डाला..
आअअहह.....इतना मीठा मुम्मा था उसका...जैसे शहद लगाकर आई हो..
वैसे ये सच भी था...आज शाम को तैयार होते हुए शशांक ने उसके निप्पल्स पर मज़ाक-2 में थोड़ा सा शहद लगा दिया था, ताकि उसके मीठेपन में डूबकर उसका शिकार पागल हो जाए...और ये योजना काम भी कर गयी...उसके मुम्मे को चखने के बाद तो कपूर पागल सा हो गया और उसके दूसरे मुममे को भी निकालने लगा...और तभी सुमन ने उसे मना करते हुए अपना वो नंगा मुम्मा वापिस अंदर डाल लिया.
कपूर को तो ऐसा लगा जैसे उसके मुँह से कोई स्वादिष्ट पकवान वापिस खींच लिया गया हो...वो अपने खड़े लंड के साथ उसे टुकूर-2 देखने लगा.
सुमन बोली : "इतनी भी क्या जल्दी है कपूर साहब...अभी तो पूरी रात पड़ी है...और ये जगह सही भी नही है इस काम के लिए...''
कपूर (हकलाते हुए) : "पर...पर...बाहर तो सब लोग होंगे...उनके सामने कैसे...शशांक भी होगा...और मेरी वाइफ भी...''
वो बेचारा असमंजस में था की ये सब कैसे हो पाएगा..
सुमन (सेक्सी अंदाज में बोली) : "तुम्हारी बीबी की तो तुम जानो, मेरा पति मुझे कुछ नही कहेगा...इन्फेक्ट बाहर बैठा हर पति अब इन सबमे टोका टाकी नही बल्कि मज़ा करते है...''
इतना कहकर सुमन ने कल रात वाली पूरी कहानी उसे सुना दी...
कपूर को तो यकीन ही नही हुआ की इतना कुछ हो गया...एक बार पहले भी शशांक ने उसे इस तरह के खेल में शामिल होने की बात कही थी, पर अपनी बीबी की वजह से वो उससे दूर ही रहा था...वो खुद तो करना चाहता था पर अपनी बीबी को वो अच्छी तरह से जानता था की वो इसके लिए कभी नही मानेगी...अपने पति को किसी और की चुदाई करते देखकर वो तो उसका खून ही कर देगी...और वो खुद भी काफ़ी पत्निव्रता टाइप की औरत थी...शादी के बाद से आज तक उसने किसी और मर्द के बारे में ना तो बात की थी और ना ही उसे कोई और पसंद था...अपने पति में उसे पूरे जहान की खुशिया दिखाई देती थी.
उसे सोच में पड़ता देखकर सुमन बोली : "तुम बस अपनी फ़िक्र करो...भाभी को मनाना मेरा काम है...''
ये सुनकर कपूर की आँखे चमक उठी...वो झट्ट से बोल उठा : "ठीक है फिर, अगर तुम उसके मुँह से इस बात की रज़ामंदी करवा दो तो मुझे भी कोई प्राब्लम नही है...''
और दोनो एक बार फिर एक गहरी स्मूच करके बाहर की तरफ चल दिए.
इसी बीच, कपूर साहब और सुमन के अंदर जाने के बाद, शशांक ने इशारा करके सबा और डिंपल को उनके शिकार की तरफ जाने को कहा..और वो दोनो आँखो ही आँखो में इशारा करके अपनी सीट से उठी और गुप्ता जी की तरफ चल दी. गुप्ता जी के लिए शशांक ने उन दोनों को इसलिए कहा था क्योंकि दोनों एक से बढ़कर सैक्सी थी, एक साथ 2 हुस्न परियों के जाल से बचना नामुमकिन ही था
सरदरजी और राहुल शशांक के पास जाकर बैठ गये और बातों मे ऐसे मशगूल हो गये जैसे उन्हे उस कमरे में और क्या चल रहा है, उससे कोई फ़र्क हि नही पड़ता..
गुप्ता जी ने जब देखा की सबा और डिंपल उसके अगल बगल आकर बैठ गयी है तो वो घबरा सा गया...एक पंजाबन सरदारनी और दूसरी ,., हूरपरी, दोनो उसके सपनो में ना जाने कितनी बार आकर चुदवा चुकी थी...और आज वो अपने सेक्सी कपड़े पहन कर उसके दोनो तरफ ऐसे बैठ गयी थी जैसे अपनी हर उस सपने वाली चुदाई का बदला लेने आई हो..
डिंपल ने गुप्ता जी से कहा : "क्या हुआ गुप्ता जी...काजल भाभी एकदम से कहाँ चली गयी...''
वो बेचारे क्या बोलते, सबा बीच में बोल पड़ी : "लगता है उन्हे हमारे सैक्सी कपड़े देखकर जेलीसी हो गयी है, वही बदलने गयी है...है ना गुप्ता जी..''
गुप्ता बेचारा परेशान सा उन दोनो परियों के बीच फँसा बैठा था...सबा को इस तरह से बाते करता देखकर उसे मज़ा तो आ रहा था पर साथ ही उनके पतियों का डर भी सता रहा था...
डिंपल : "पर तुम कैसे कह सकती हो की हमारे कपड़े सैक्सी है...ये तो नॉर्मल से है...ऐसे तो मैं अक्सर घर पर पहना करती हूँ ...''
सबा : "डिंपल भाभी, आपके लिए ये नॉर्मल है, पर इन मर्दों के लिए नही...अभी थोड़ी देर पहले मैने देखा था की राहुल कैसे आपकी नंगी टाँगो को देखकर अपनी एक्साईटमेंट दबा रहे थे...''
डिंपल : "अर्रे....उसे अगर मेरी टांगे इतनी ही पसंद आ रही है तो उसे बोल ना की आकर छू ले इन्हे...मैं बुरा नही मानूँगी...हा हा...''
वो दोनो एक दूसरे से ऐसे बाते कर रहे थे जैसे गुप्ता बीच में बैठा ही नही है..
और उनकी बाते सुनकर वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने लंड को खड़ा होने से रोक रहा था.
उसकी टांगे देखकर तो वो भी काफ़ी एक्साइटेड हो गया था...तो क्या डिंपल उसे भी अपनी टांगे छूने देगी...तो क्या इसलिए वो उसके पास बैठकर वो बात कर रही है...यानी...यानी डिंपल चाहती है की वो उसकी टाँगो को छुवे...
पर कैसे...वहां तो सब लोग मोजूद थे...और उसका पति भी...ऐसे में वो कैसे उसकी टाँगो को छू पाएगा..
डिंपल ने गुप्ता जी को देखा और बोली : "मैने तो गुप्ता जी को भी ऐसा करते देखा था...''
गुप्ता जी कुछ बोल पाते, इससे पहले ही सबा बोल पड़ी : "तो इनको छुवा दो..इन्हे भी मज़ा मिल जाएगा और आपकी वो कई दिनों की दबी हुई इक्चा पूरी हो जाएगी, जिसमे आप किसी और मर्द से, अपने ही पति के सामने मज़े लेना चाहती थी..''
गुप्ता का सिर चकरा गया, ये कैसी बातें कर रही थी दोनो...अपने ही पति के सामने डिंपल भला किसी और से मज़े क्यों लेगी...लेकिन वो सोचता ही रह गया और डिंपल ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर रखा और धीरे से बोली : "गुप्ता जी...मन को मत मारिए...कर लीजिए अपने मन की...और मेरी इच्छा भी पूरी करिए...''
गुप्ता जी को लगा की शायद ये उन औरतों में से है, जिसे घर तो खाने को भरपूर मिलता है, पर फिर भी बाहर के खाने की भूख हमेशा रहती है...जैसे आजकल के मर्दों में होता है..
गुप्ता ने देखा की शशांक , राहुल और गुरपाल तो आपस में बाते करने में व्यस्त है, उसने तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए डिंपल की जाँघ को अपने कठोर हाथों से मसल दिया...
उफफफफफफफफ्फ़ इतनी मुलायम जाँघ थी उसकी....अभी तो सेटन के कपड़े की लुंगी पहनी हुई थी...जब नंगी टाँगो को दबाएगा तो कैसा लगेगा...
डिंपल ने उसकी ये इच्छा भी पूरी कर दी...उसने गुप्ता का हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी के उस हिस्से में रख दिया,जहाँ से उसकी टाँगों का नंगापन नज़र आ रहा था...और अपनी नंगी जाँघ पर उसका हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया..
अब तो गुप्ता एकदम बावला सा हो गया...उसके लंड ने भी पेंट में डंडा गाड़कर तंबू बना दिया..दूसरी तरफ से सबा ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया...ये तो गुप्ता के लिए किसी सपने जैसा था...जिस सबा की चर्चा पूरे केम्पस में थी,वो खुद उसके हाथ को पकड़कर अपनी नर्म और गर्म जाँघ पर रख रही थी..और दूसरी तरफ उनकी सोसायटी की सबसे सेक्सी और मस्त मुम्मो वाली भाभी डिंपल, उसके हाथ को पकड़कर खुद अपनी जांघों पर मसल रही थी..मतलब सॉफ था,उन दोनो की चूतों में आग लगी हुई थी...और उसे बुझाने के लिए वो गुप्ता की मदद माँग रही थी...
गुप्ता जी ने एक नज़र फिर से शशांक ,राहुल और गुरपाल की तरफ देखा...और इस बार वो सकपका सा गया...वो तीनों उसी को देख रहे थे...गुप्ता जी के दोनो हाथ उनकी बिबियो की जांघों पर थे..कमरे में एकदम सन्नाटा सा छा गया..
और तभी गुरपाल ने हंसते हुए कहा : "ओये...हैप्पी दीवाली गुप्ता जी...कर लो एंजाय...हा हा...''
और सभी लोग ठहाका लगाकर हंस दिए...गुप्ता ने देखा की राहुल भी अपनी बीबी सबा को नही रोक रहा...यानी उन्हे कोई प्राब्लम नही थी...उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा...और उसकी इस खुशी को डिंपल ने दुगना कर दिया जब उसने एक झटके से गुप्ता जी के चेहरे को अपनी तरफ किया और उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर जोरदार किस्स करने लगी...
वो किस्स करीब एक मिनट तक चली, और इस किस्स ने गुप्ताजी के शरीर के सारे बाल और अंग खड़े कर दिए थे...वो साँस लेने के लिए हटा,और उसके पति की तरफ देखा,वो अपने में ही मस्त था,दारु पी रहा था, दोस्तों से बाते कर रहा था ...जैसे उसे अपनी बीबी की इस हरकत से कोई फ़र्क ही नही पड़ता..राहुल का भी यही हाल था