25-06-2020, 02:42 PM
(This post was last modified: 10-09-2021, 03:48 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कार्ड
तबतक कार्ड ले के वो पलंग पर पहुँच गए थे और वहीँ से उन्होंने गुहार लगाई ,
" गुड्डी आ न "
और हम दोनों उनके साथ।
"और ये कार्ड कोई ऐसे वैसे नहीं थे , इनकी सास ने गिफ्ट किये थे दो पैकेट। काम सूत्र कार्ड्स ,कुल ५३ आसन और सिर्फ सम्भोग के ही नहीं ओरल ,ऐनल सब कुछ।
वो पत्ते फेंट रहे थे ,तभी मुझे एक शरारत सूझी।
" हे गुड्डी को पत्ता खींचने दो न प्लीज। "
वो समझ रहे थे मेरा मतलब इसलिए झिझक रहे थे। मैंने गुड्डी को चढ़ाया।
" अरे यार तू तो बड़ी हो गयी , इंटर कर चुकी ,रिजल्ट आ जाएगा तो कालेज में चली जाएगी , बोल खींच लेगी न पत्ते। "
" हाँ एकदम , "
अपने छोटे छोटे जुबना उभार के वो छोरी बोली।
असल में अक्सर रात को मैं या पत्ते खींचते थे , जो पत्ता निकलता था ,उसी आसन में पहला राउंड।
अब क्या करते वो उन्हें बावन पत्तों की किताब गुड्डी की ओर बढ़ाई , और मैंने फिर एक स्नैप।
" शाबास गुड्डी , बस आँखे बंद ,और सोच ,... १०० तक गिनते हुए , बस फिर पत्ता खींचना। "
मैंने गुड्डी को शरारत से देखते समझाया।
" सोचना क्या है भाभी " आँखे तो उस शोख ने बंद कर ली फिर बड़े भोलेपन से मुझसे पूछा।
" सिम्पल यार ,तू किस तरह से अपनी सोनचिरैया का ताला अपने भैय्या से खुलवाना चाहती है , जैसा कार्ड निकलेगा बस वैसे ही तेरे भैय्या तेरे ऊपर चढ़ाई करेंगे। "
उनकी ममेरी बहन का चेहरा हल्का सा सुर्ख हुआ ,थोड़ा सा झिझकी वो पर, ... कार्ड खींच दिया।
पर मैंने न गुड्डी को आँखे खोलने दीं ,न इन्हे कार्ड देखने दिया ,और कार्ड को वैसे ही पट करके रख दिया।
" हे एक और खींच न , ये तो फर्स्ट टाइम वाला था , अबकी वाला हम दोनों मानेंगे की तेरी फेवरिट मनपसंद पोजीशन है। "
मैंने फिर कहा।
अबकी न वो झिझकी ,न शर्मायी बस , थोड़ी देर आँखे बंद करके ,और फिर पत्ता खींच दिया।
उसे भी मैंने गुड्डी से ही पट करवा के रखवा लिया और फिर उससे बोला ,अब खोल आँख और पहला वाला पत्ता पलट ,पता चल जाएगा की मेरी ननदिया की नथ कैसे उतरेगी।
गुड्डी से ज्यादा तो वो कार्ड के पलटे जाने का इन्तजार कर रहे थे।
और गुड्डी ने कार्ड पलट दिया।
एकदम सही सेल्केशन ,पहली चुदाई के लिए।
मिशनरी पोजीशन ,
कार्ड में लड़की जाँघे एकदम खुली,टाँगे मरद के कंधो पर ,मोटा सुपाड़ा अंदर तक धंसा और लड़की के चेहरे पर मजे और दर्द के मिले जुले भाव।
गुड्डी की आँखे एकदम उसी फोटो पर चिपकी ,हाँ वही थोड़े थोड़े शर्मा रहे थे।
"हे गुड्डी यार अब आसन भी तूने तय कर लिया पहली बार फड़वाने का , और तीन बार मेरे सामने बोल भी दिया , दूँगी ,दूँगी ,दूँगी तो बस अब दिन घडी मुहूरत निकलवा लेती हूँ ,"
और ये कहते हुए मैंने गुड्डी की छोटी सी स्कर्ट में हाथ डाल के उसकी सोनचिरैया को मसल दिया ,
पनिया रही थी वो।
" हे गुड्डी ,दूसरा वाला भी खोल न "
लेटेस्ट आई फोन दिलवाने वाले भइया की कोई बात टाल सकती थी क्या उनकी छुटकी बहिनिया आज ,बस उसने झट्ट से पत्ते को पलट दिया।
मेरे और इनके मुंह से एक साथ निकला ,' वाऊ "
कुतीया वाली पोजीशन ,
इनकी फेवरिट
और मेरे जीजू लोगों की भी तो ,कमल जीजू ,अजय जीजू दोनों की ,
एक लड़की निहुरी और पीछे से एक मर्द चढ़ा , आधे से ज्यादा मोटा लंड अंदर घुसा ,एक हाथ से चूँची दबाता और दूसरे से उसकी कमर पकड़े।
गुड्डी थोड़ी थोड़ी लजा रही थी ,लेकिन उसकी आँखे उसी कार्ड पर चिपकी ,
" अरे यार तेरे और तेरे भैय्या की पसंद एकदम एक है , ये इनकी भी फेवरिट पोजीशन है ,अब तो कुतिया बना के तुझे रोज गपागप गपागप घोटायेंगे। "
मैंने कनखियों से देखा ,भैय्या और छुटकी बहिनिया की निगाह एक पल के लिए मिली , निगहने मुस्करायीं ,शरमाई और और फिर ,
दोनों ने मुझे दोनों को ,एक दूसरे को देख लिया और दोनों झेप गए।
असल में गुड्डी के लिए मेरी भी तो यही प्लानिंग थी ,
हचक हचक कर ,कुतिया की तरह ,
जैसे कातिक में देसी कुतीया गरमाती है न और खुद कुत्ते ढूंढ ढूंढ कर ,
बस वैसे ही फरक सिर्फ ये होगा की वो कुतिया तो सिर्फ महीने गरमाती है और ये ,... बारहो महीने ,
तीसो दिन ,चौबीसो घंटे गरमाई रहेगी।
बात बदलने में तो उनका कोई मुकाबला नहीं ,बोले ,
चल गुड्डी अब कार्ड शुरू करते हैं।
" एकदम भैय्या। "
भैय्या की बहिनी बोलीं।
तबतक कार्ड ले के वो पलंग पर पहुँच गए थे और वहीँ से उन्होंने गुहार लगाई ,
" गुड्डी आ न "
और हम दोनों उनके साथ।
"और ये कार्ड कोई ऐसे वैसे नहीं थे , इनकी सास ने गिफ्ट किये थे दो पैकेट। काम सूत्र कार्ड्स ,कुल ५३ आसन और सिर्फ सम्भोग के ही नहीं ओरल ,ऐनल सब कुछ।
वो पत्ते फेंट रहे थे ,तभी मुझे एक शरारत सूझी।
" हे गुड्डी को पत्ता खींचने दो न प्लीज। "
वो समझ रहे थे मेरा मतलब इसलिए झिझक रहे थे। मैंने गुड्डी को चढ़ाया।
" अरे यार तू तो बड़ी हो गयी , इंटर कर चुकी ,रिजल्ट आ जाएगा तो कालेज में चली जाएगी , बोल खींच लेगी न पत्ते। "
" हाँ एकदम , "
अपने छोटे छोटे जुबना उभार के वो छोरी बोली।
असल में अक्सर रात को मैं या पत्ते खींचते थे , जो पत्ता निकलता था ,उसी आसन में पहला राउंड।
अब क्या करते वो उन्हें बावन पत्तों की किताब गुड्डी की ओर बढ़ाई , और मैंने फिर एक स्नैप।
" शाबास गुड्डी , बस आँखे बंद ,और सोच ,... १०० तक गिनते हुए , बस फिर पत्ता खींचना। "
मैंने गुड्डी को शरारत से देखते समझाया।
" सोचना क्या है भाभी " आँखे तो उस शोख ने बंद कर ली फिर बड़े भोलेपन से मुझसे पूछा।
" सिम्पल यार ,तू किस तरह से अपनी सोनचिरैया का ताला अपने भैय्या से खुलवाना चाहती है , जैसा कार्ड निकलेगा बस वैसे ही तेरे भैय्या तेरे ऊपर चढ़ाई करेंगे। "
उनकी ममेरी बहन का चेहरा हल्का सा सुर्ख हुआ ,थोड़ा सा झिझकी वो पर, ... कार्ड खींच दिया।
पर मैंने न गुड्डी को आँखे खोलने दीं ,न इन्हे कार्ड देखने दिया ,और कार्ड को वैसे ही पट करके रख दिया।
" हे एक और खींच न , ये तो फर्स्ट टाइम वाला था , अबकी वाला हम दोनों मानेंगे की तेरी फेवरिट मनपसंद पोजीशन है। "
मैंने फिर कहा।
अबकी न वो झिझकी ,न शर्मायी बस , थोड़ी देर आँखे बंद करके ,और फिर पत्ता खींच दिया।
उसे भी मैंने गुड्डी से ही पट करवा के रखवा लिया और फिर उससे बोला ,अब खोल आँख और पहला वाला पत्ता पलट ,पता चल जाएगा की मेरी ननदिया की नथ कैसे उतरेगी।
गुड्डी से ज्यादा तो वो कार्ड के पलटे जाने का इन्तजार कर रहे थे।
और गुड्डी ने कार्ड पलट दिया।
एकदम सही सेल्केशन ,पहली चुदाई के लिए।
मिशनरी पोजीशन ,
कार्ड में लड़की जाँघे एकदम खुली,टाँगे मरद के कंधो पर ,मोटा सुपाड़ा अंदर तक धंसा और लड़की के चेहरे पर मजे और दर्द के मिले जुले भाव।
गुड्डी की आँखे एकदम उसी फोटो पर चिपकी ,हाँ वही थोड़े थोड़े शर्मा रहे थे।
"हे गुड्डी यार अब आसन भी तूने तय कर लिया पहली बार फड़वाने का , और तीन बार मेरे सामने बोल भी दिया , दूँगी ,दूँगी ,दूँगी तो बस अब दिन घडी मुहूरत निकलवा लेती हूँ ,"
और ये कहते हुए मैंने गुड्डी की छोटी सी स्कर्ट में हाथ डाल के उसकी सोनचिरैया को मसल दिया ,
पनिया रही थी वो।
" हे गुड्डी ,दूसरा वाला भी खोल न "
लेटेस्ट आई फोन दिलवाने वाले भइया की कोई बात टाल सकती थी क्या उनकी छुटकी बहिनिया आज ,बस उसने झट्ट से पत्ते को पलट दिया।
मेरे और इनके मुंह से एक साथ निकला ,' वाऊ "
कुतीया वाली पोजीशन ,
इनकी फेवरिट
और मेरे जीजू लोगों की भी तो ,कमल जीजू ,अजय जीजू दोनों की ,
एक लड़की निहुरी और पीछे से एक मर्द चढ़ा , आधे से ज्यादा मोटा लंड अंदर घुसा ,एक हाथ से चूँची दबाता और दूसरे से उसकी कमर पकड़े।
गुड्डी थोड़ी थोड़ी लजा रही थी ,लेकिन उसकी आँखे उसी कार्ड पर चिपकी ,
" अरे यार तेरे और तेरे भैय्या की पसंद एकदम एक है , ये इनकी भी फेवरिट पोजीशन है ,अब तो कुतिया बना के तुझे रोज गपागप गपागप घोटायेंगे। "
मैंने कनखियों से देखा ,भैय्या और छुटकी बहिनिया की निगाह एक पल के लिए मिली , निगहने मुस्करायीं ,शरमाई और और फिर ,
दोनों ने मुझे दोनों को ,एक दूसरे को देख लिया और दोनों झेप गए।
असल में गुड्डी के लिए मेरी भी तो यही प्लानिंग थी ,
हचक हचक कर ,कुतिया की तरह ,
जैसे कातिक में देसी कुतीया गरमाती है न और खुद कुत्ते ढूंढ ढूंढ कर ,
बस वैसे ही फरक सिर्फ ये होगा की वो कुतिया तो सिर्फ महीने गरमाती है और ये ,... बारहो महीने ,
तीसो दिन ,चौबीसो घंटे गरमाई रहेगी।
बात बदलने में तो उनका कोई मुकाबला नहीं ,बोले ,
चल गुड्डी अब कार्ड शुरू करते हैं।
" एकदम भैय्या। "
भैय्या की बहिनी बोलीं।