25-06-2020, 01:13 PM
(This post was last modified: 09-09-2021, 08:30 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
डांस बेबी डांस
एक ओर से उस किशोरी केछोटे छोटे कड़े कड़े बूब्स टॉप से आलमोस्ट बाहर निकले उनके सीने पर रगड़ते हुए ,
और पीछे से मेरे ऑलमोस्ट खुले ब्लाउज से छलकते बड़े बड़े मेरे जोबन की नोक उनके पीठ को बेधते हुए।
मेरे हाथ सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उन्हें बाहों में बांधे हुए उनकी छुटकी बहिनिया को भी पकडे थे ,
,
मेरे एक हाथ ने गुड्डी का छोटा सा स्कर्ट उठा दिया और दुसरे ने उनके एकदम टनटनाये बालिश्त भर के मस्त लंड को सीधे
उसकी कच्ची कली को ढंकने की नाकाम कोशिश करती दो इंच की पट्टी वाली थांग पे ,
म्यूजिक के साथ साथ हम तीनो ग्राइन्ड कर रहे थे ,
टच मी ,टच मी ,टच मी ,
किस मी किस मी किस मी
गुड्डी के होंठ गाने के लफ्जों को न सिर्फ दुहरा रहे थे बल्कि उन्हें खुल के दावत भी दे रहे थे।
और ग्राइंड डांस जल्द ही ड्राई हंपिंग में बदल गया।
गुड्डी और वो एक दूसरे की बाँहों में
और उनका खूंटा सीधे गुड्डी के गुलाबो के ऊपर बस बीच ,में बहुत पतला सा उनका शार्ट और न के बराबर उसकी पैंटी।
दोनों एक दूसरे की बाहों में बंधे
रेशमी अँधेरे में पुच पुच की पुच्ची की आवाजें और साथ में बैक ग्राउंड में गाने की हलकी हलकी आवाज ,
किस मी किस मी किस मी
और अब मैंने पाला बदल लिया था ,मैंने ने भी गुड्डी को पीछे से ,... और अब वो मेरे और मेरे इनके ,के बीच सैंडविच बनी ,
गुड्डी का एक उभार इनके हाथ में ,और दूसरा मेरे हाथ में
आगे का मजा ये ले रहे थे तो पीछे का मैं ,
और चूतड़ थे भी मेरी छुटकी ननदिया के बड़े सेक्सी ,
बहुत बड़े और भारी नहीं लेकिन एकदम लौंडों के माफिक ,खूब टाइट ,बब्बल बॉटम ,
बस वैसे ही जिन्हे देख कर लौंडेबाजों की पैंटें टाइट हो जाती हैं और वो ,
बस यही सोचते हैं की ,
किसी तरह पहला मौका पाते ही इसे निहुरा के ठोंक दें।
मेरा एक हाथ गुड्डी के उभारों का रस ले रहा था तो दूसरा उसके चूतड़ों का।
और वो रसीली छिनार हम दोनों का बराबर का साथ दे रही थी ,कभी धक्के आगे दे दे के अपने भैया के खड़े खूंटे पे अपनी चुनमुनिया रगड़ती तो
कभी अपने गोल गोल गोल चूतड़ मेरे ऊपर रगड़ती।
बस थोड़ी सी ट्रेनिंग की जरूरत थी और फुसलाने ,उकसाने की ,
मेरी सीधी साधी ननदिया ,अपने शहर की रेड लाइट एरिया , कालीनगंज की रंडियों को भी मात कर देगी।
क्या मस्त डांस कर रही थी , एकदम टॉपलेस एक बार आ गयी न मेरे चंगुल में पक्का मुजरा करवाउंगी ,
स्ट्रिपटीज
यही तो मैं चाहती थी।
गुड्डी के कान में फुसफुसा के मैं बोली ,
" तुझे क्या इंस्ट्रक्शन दिया था भूल गयी ,अगले पन्दरह मिनट में तुझे भैय्या के लंड को पांच बार कस कस के पकड़ना रगड़ना था
और सात मिनट हो गए , और एक बार भी स्साली तूने लंड को हाथ भी नहीं लगाया , चल ,
देख कित्ता मस्त खूंटा तेरे भैय्या ने खड़ा किया है। "
बस अगले ही पल ,उनके ९० डिग्री पर खड़े हथियार को उनकी कच्ची अमिया वाली बहन ने दबोच लिया ,
और मैंने उस साली की कच्ची अमिया को।
गुड्डी ने न सिर्फ पकड़ा ,बल्कि हलके हलके दबा भी रही थी और फिर मुठियाना भी शुरू कर दिया।
मेरे मोबाइल पर एक मस्त वीडियो बन रहा था , भैय्या बहिनी का।
उन्होंने भी ड्राई हंपिंग की रफ़्तार तेज कर दी ,बस लग रहा था इस कच्ची कली को ,अपनी छुटकी बहिनिया को यहीं खड़े खड़े चोद देंगे।
म्यूजिक बंद हो गयी थी पर इनके खूंटे की उसके गुलबिया पर रगड़ाई जारी थी।
और मस्तायी मेरी ननदिया भी खुल के अपने भैय्या के मोटे खूंटे का मजा ले रही थी।
शादी के शुरू के दिनों में अगर कभी गारी मैं या मजाक में भी उनका नाम ,उस के साथ जोड़ती थी तो वो ऐसा चिहुँकती थी और आज एक दम खुल के उनका लंड पकड़ के रगड़ मसल रही थी।
मैंने अपनी बात धीमे से दुहरायी
" क्यों मजा आ रहा है न अपने भैय्या का पकड़ने दबाने में ,अरे वो भी तेरे कच्चे टिकोरे कैसे रस ले ले के दबा रहे हैं , तू भी ले ले खुल के मजा।
हाँ एक बात और कान खोल के सुन ले , इस कमरे में सिर्फ लंड ,बुर ,चूत गांड और चुदाई ही बोली जायेगी , अगर इसके अलावा कुछ भी स्साली तेरे मुंह से निकला ,जरा भी झिझकी , शरमाई न तो बस समझ ले ,पांच हाथ तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे ,
और इत्ती जोर से छपेगा न की पांच दिन तक मेरे फिंगर प्रिंट्स तेरे गाल और गांड पे नजर आएंगे। "
" हाँ ,भाभी समझ गयी " हलके से मिमियाते उसके मुंह से निकला।
तभी मुझे एक बात और ,बल्कि दो बातें और सूझीं।
एक ओर से उस किशोरी केछोटे छोटे कड़े कड़े बूब्स टॉप से आलमोस्ट बाहर निकले उनके सीने पर रगड़ते हुए ,
और पीछे से मेरे ऑलमोस्ट खुले ब्लाउज से छलकते बड़े बड़े मेरे जोबन की नोक उनके पीठ को बेधते हुए।
मेरे हाथ सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उन्हें बाहों में बांधे हुए उनकी छुटकी बहिनिया को भी पकडे थे ,
,
मेरे एक हाथ ने गुड्डी का छोटा सा स्कर्ट उठा दिया और दुसरे ने उनके एकदम टनटनाये बालिश्त भर के मस्त लंड को सीधे
उसकी कच्ची कली को ढंकने की नाकाम कोशिश करती दो इंच की पट्टी वाली थांग पे ,
म्यूजिक के साथ साथ हम तीनो ग्राइन्ड कर रहे थे ,
टच मी ,टच मी ,टच मी ,
किस मी किस मी किस मी
गुड्डी के होंठ गाने के लफ्जों को न सिर्फ दुहरा रहे थे बल्कि उन्हें खुल के दावत भी दे रहे थे।
और ग्राइंड डांस जल्द ही ड्राई हंपिंग में बदल गया।
गुड्डी और वो एक दूसरे की बाँहों में
और उनका खूंटा सीधे गुड्डी के गुलाबो के ऊपर बस बीच ,में बहुत पतला सा उनका शार्ट और न के बराबर उसकी पैंटी।
दोनों एक दूसरे की बाहों में बंधे
रेशमी अँधेरे में पुच पुच की पुच्ची की आवाजें और साथ में बैक ग्राउंड में गाने की हलकी हलकी आवाज ,
किस मी किस मी किस मी
और अब मैंने पाला बदल लिया था ,मैंने ने भी गुड्डी को पीछे से ,... और अब वो मेरे और मेरे इनके ,के बीच सैंडविच बनी ,
गुड्डी का एक उभार इनके हाथ में ,और दूसरा मेरे हाथ में
आगे का मजा ये ले रहे थे तो पीछे का मैं ,
और चूतड़ थे भी मेरी छुटकी ननदिया के बड़े सेक्सी ,
बहुत बड़े और भारी नहीं लेकिन एकदम लौंडों के माफिक ,खूब टाइट ,बब्बल बॉटम ,
बस वैसे ही जिन्हे देख कर लौंडेबाजों की पैंटें टाइट हो जाती हैं और वो ,
बस यही सोचते हैं की ,
किसी तरह पहला मौका पाते ही इसे निहुरा के ठोंक दें।
मेरा एक हाथ गुड्डी के उभारों का रस ले रहा था तो दूसरा उसके चूतड़ों का।
और वो रसीली छिनार हम दोनों का बराबर का साथ दे रही थी ,कभी धक्के आगे दे दे के अपने भैया के खड़े खूंटे पे अपनी चुनमुनिया रगड़ती तो
कभी अपने गोल गोल गोल चूतड़ मेरे ऊपर रगड़ती।
बस थोड़ी सी ट्रेनिंग की जरूरत थी और फुसलाने ,उकसाने की ,
मेरी सीधी साधी ननदिया ,अपने शहर की रेड लाइट एरिया , कालीनगंज की रंडियों को भी मात कर देगी।
क्या मस्त डांस कर रही थी , एकदम टॉपलेस एक बार आ गयी न मेरे चंगुल में पक्का मुजरा करवाउंगी ,
स्ट्रिपटीज
यही तो मैं चाहती थी।
गुड्डी के कान में फुसफुसा के मैं बोली ,
" तुझे क्या इंस्ट्रक्शन दिया था भूल गयी ,अगले पन्दरह मिनट में तुझे भैय्या के लंड को पांच बार कस कस के पकड़ना रगड़ना था
और सात मिनट हो गए , और एक बार भी स्साली तूने लंड को हाथ भी नहीं लगाया , चल ,
देख कित्ता मस्त खूंटा तेरे भैय्या ने खड़ा किया है। "
बस अगले ही पल ,उनके ९० डिग्री पर खड़े हथियार को उनकी कच्ची अमिया वाली बहन ने दबोच लिया ,
और मैंने उस साली की कच्ची अमिया को।
गुड्डी ने न सिर्फ पकड़ा ,बल्कि हलके हलके दबा भी रही थी और फिर मुठियाना भी शुरू कर दिया।
मेरे मोबाइल पर एक मस्त वीडियो बन रहा था , भैय्या बहिनी का।
उन्होंने भी ड्राई हंपिंग की रफ़्तार तेज कर दी ,बस लग रहा था इस कच्ची कली को ,अपनी छुटकी बहिनिया को यहीं खड़े खड़े चोद देंगे।
म्यूजिक बंद हो गयी थी पर इनके खूंटे की उसके गुलबिया पर रगड़ाई जारी थी।
और मस्तायी मेरी ननदिया भी खुल के अपने भैय्या के मोटे खूंटे का मजा ले रही थी।
शादी के शुरू के दिनों में अगर कभी गारी मैं या मजाक में भी उनका नाम ,उस के साथ जोड़ती थी तो वो ऐसा चिहुँकती थी और आज एक दम खुल के उनका लंड पकड़ के रगड़ मसल रही थी।
मैंने अपनी बात धीमे से दुहरायी
" क्यों मजा आ रहा है न अपने भैय्या का पकड़ने दबाने में ,अरे वो भी तेरे कच्चे टिकोरे कैसे रस ले ले के दबा रहे हैं , तू भी ले ले खुल के मजा।
हाँ एक बात और कान खोल के सुन ले , इस कमरे में सिर्फ लंड ,बुर ,चूत गांड और चुदाई ही बोली जायेगी , अगर इसके अलावा कुछ भी स्साली तेरे मुंह से निकला ,जरा भी झिझकी , शरमाई न तो बस समझ ले ,पांच हाथ तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे ,
और इत्ती जोर से छपेगा न की पांच दिन तक मेरे फिंगर प्रिंट्स तेरे गाल और गांड पे नजर आएंगे। "
" हाँ ,भाभी समझ गयी " हलके से मिमियाते उसके मुंह से निकला।
तभी मुझे एक बात और ,बल्कि दो बातें और सूझीं।