25-06-2020, 12:55 PM
(This post was last modified: 08-09-2021, 08:17 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
होने वाला बुरा हाल
बेचारी उसे नहीं मालूम था ये मर्द उसकी क्या हाल करने वाला था ,
बस किसी तरह फंसा पटा के मुझे अपने साथ इस माल को ले चलना था ,
उसके बाद तो पहुंचते ही उसके सीधे साधे भैया से ऐसी उसकी झिल्ली फड़वाती
की दो दिन तक बिस्तर से उठने लायक नहीं रहती
लेकिन असली खेल तो उसके बाद था ,
इनकी सास ने इन्हे हुकुम सुना दिया था ,
महीने भर के अंदर गाभिन करना था अपनी बहिनिया को , वो भी मेरे और मेरी मम्मी के सामने , अपनी बहिनिया का पेट फुलाना था ,
और
नौ महीने बाद केहाँ केहाँ ,...
उसकी बुर एक सुन्दर सी लड़की उगल देती ,...
मम्मी ने साफ़ साफ़ कहा था , इस छोरी की गाभिन होने की दिन तारीख वो तय करेंगी , ... जिससे श्योर शॉट , ...
न सिर्फ लड़की पैदा हो , बल्कि मेरी ननद से भी दस गुना छिनार हो , ...
मम्मी भी न क्या क्या ,
इनसे तो नहीं पर मुझसे कहा था ,...
तो तू क्या सोचती है १८-१९ साल बाद मेरे दामाद का खूंटा कुछ ढीला पड़ जाएगा ,
एकदम नहीं अरे उस उम्र में तो मरद और अगियाता है , तो क्या पता ,..
मैं मम्मी का इशारा भी समझ रही थी , और इरादा भी , ... बस मुस्करा के रह गयी
और मंजू और गीता ,
मंजू से ज्यादा गीता तो तैयार बैठी थीं इसे ' खिलाने पिलाने' के लिए
पहले ही मुझे बोल रही थी ,
" भाभी , ससुरी को चिचियाने दीजिये , खूब चूतड़ पटकेगी , लेकिन मैं हूँ न , उसके ऊपर चढ़ के उसके मुंह ,... एक रात में सब का स्वाद दिला दूंगी , ' खाना पीना ' दोनों ,...
और अब मेरी बारी थी ,
पीछे से उसे दबोचते ,उसके गदराये बूब्स सहलाते मैंने उस के कान में फुसफुसाया ,
" तुझे मालूम है तेरे भैय्या इन के कित्ते दीवाने हैं , "
"एकदम भाभी , बहुत दिनों से , .... लेकिन बिचारे बहुत सीधे हैं न कुछ कह पाते हैं न कर पाते हैं ,"
अब उन्हें छोड़ कर वो मेरे पास आ गयी थी
लेकिन उस की शरारती आँखे अभी भी इन्हे चिढ़ा उकसा रही थीं
"तो चल के मजा देते हैं न , आगे से तू पीछे से मैं , मिल के उनकी सारी शरम उतार देते हैं। "
हम दोनों कॉलेज की सहेलियों की तरह मस्ती कर रहे थे , खिलखिलाते ,एक दूसरे का हाथ पकड़े ,कान में फुसफुसाते।
वो बोली ,
" एकदम भाभी ,नेकी और पूछ पूछ , चलिए आज हम दोनों मिल के भैय्या की ऐसी की तैसी कर देते हैं।
और आगे से वो ,पीछे से मैं।
कमरे में हल्का अँधेरा था , मखमली ,और स्टीरियो पर ग्राइंड की हलकी हलकी म्यूजिक ,
गुड्डी की कच्ची अमिया ,उनकी नंगी छाती रगड़ रही थी ,गुड्डी की आँखों में भी अभी उस सिगी के लाल डोरे तैर रहे थे।
जोर से वो अपने भैय्या को पकडे , मुस्कराती ,चिढ़ाती
और पीछे से मैं उन्हें उकसाती ,चढाती ,
आज सही मौक़ा है मत छोड़ना इस अपने माल को।
बेचारी उसे नहीं मालूम था ये मर्द उसकी क्या हाल करने वाला था ,
बस किसी तरह फंसा पटा के मुझे अपने साथ इस माल को ले चलना था ,
उसके बाद तो पहुंचते ही उसके सीधे साधे भैया से ऐसी उसकी झिल्ली फड़वाती
की दो दिन तक बिस्तर से उठने लायक नहीं रहती
लेकिन असली खेल तो उसके बाद था ,
इनकी सास ने इन्हे हुकुम सुना दिया था ,
महीने भर के अंदर गाभिन करना था अपनी बहिनिया को , वो भी मेरे और मेरी मम्मी के सामने , अपनी बहिनिया का पेट फुलाना था ,
और
नौ महीने बाद केहाँ केहाँ ,...
उसकी बुर एक सुन्दर सी लड़की उगल देती ,...
मम्मी ने साफ़ साफ़ कहा था , इस छोरी की गाभिन होने की दिन तारीख वो तय करेंगी , ... जिससे श्योर शॉट , ...
न सिर्फ लड़की पैदा हो , बल्कि मेरी ननद से भी दस गुना छिनार हो , ...
मम्मी भी न क्या क्या ,
इनसे तो नहीं पर मुझसे कहा था ,...
तो तू क्या सोचती है १८-१९ साल बाद मेरे दामाद का खूंटा कुछ ढीला पड़ जाएगा ,
एकदम नहीं अरे उस उम्र में तो मरद और अगियाता है , तो क्या पता ,..
मैं मम्मी का इशारा भी समझ रही थी , और इरादा भी , ... बस मुस्करा के रह गयी
और मंजू और गीता ,
मंजू से ज्यादा गीता तो तैयार बैठी थीं इसे ' खिलाने पिलाने' के लिए
पहले ही मुझे बोल रही थी ,
" भाभी , ससुरी को चिचियाने दीजिये , खूब चूतड़ पटकेगी , लेकिन मैं हूँ न , उसके ऊपर चढ़ के उसके मुंह ,... एक रात में सब का स्वाद दिला दूंगी , ' खाना पीना ' दोनों ,...
और अब मेरी बारी थी ,
पीछे से उसे दबोचते ,उसके गदराये बूब्स सहलाते मैंने उस के कान में फुसफुसाया ,
" तुझे मालूम है तेरे भैय्या इन के कित्ते दीवाने हैं , "
"एकदम भाभी , बहुत दिनों से , .... लेकिन बिचारे बहुत सीधे हैं न कुछ कह पाते हैं न कर पाते हैं ,"
अब उन्हें छोड़ कर वो मेरे पास आ गयी थी
लेकिन उस की शरारती आँखे अभी भी इन्हे चिढ़ा उकसा रही थीं
"तो चल के मजा देते हैं न , आगे से तू पीछे से मैं , मिल के उनकी सारी शरम उतार देते हैं। "
हम दोनों कॉलेज की सहेलियों की तरह मस्ती कर रहे थे , खिलखिलाते ,एक दूसरे का हाथ पकड़े ,कान में फुसफुसाते।
वो बोली ,
" एकदम भाभी ,नेकी और पूछ पूछ , चलिए आज हम दोनों मिल के भैय्या की ऐसी की तैसी कर देते हैं।
और आगे से वो ,पीछे से मैं।
कमरे में हल्का अँधेरा था , मखमली ,और स्टीरियो पर ग्राइंड की हलकी हलकी म्यूजिक ,
गुड्डी की कच्ची अमिया ,उनकी नंगी छाती रगड़ रही थी ,गुड्डी की आँखों में भी अभी उस सिगी के लाल डोरे तैर रहे थे।
जोर से वो अपने भैय्या को पकडे , मुस्कराती ,चिढ़ाती
और पीछे से मैं उन्हें उकसाती ,चढाती ,
आज सही मौक़ा है मत छोड़ना इस अपने माल को।