22-06-2020, 03:14 PM
धीरे धीरे करके जेठ जी ने अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया और अब वे चूत में हल्के हल्के धक्के लगाने लगे. लंड ने चूत की चिकनाई से अपनी जगह बना ली तो मेरे जेठ जी ने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी. उनके हर धक्के के साथ मेरे स्तन उछल कूद कर रहे थे. जेठ जी उन्हें बारी बारी चूस कर अपनी कमर से एक लय में धक्के दे रहे थे.
कुछ ही देर बाद मेरी वासना के ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं ज़ोरों से छूट पड़ी. मेरी पानी का जोर इतना था कि उसकी वजह से उनका लंड चुत से सटक कर बाहर आ गया. जेठ जी ने फिर से अपने लंड को मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और जोश से धक्के देने लगे. मेरी चुत की गर्मी में उनका टिक पाना भी मुश्किल लग रहा था. फिर एक जोर के धक्के के साथ उन्होंने अपना लंड जड़ तक अन्दर डाल दिया और झड़ने लगे.
तेज गर्म वीर्य की पिचकारियां मेरी चुत के अन्दर गिरने लगीं. मेरी चुत भी उस गर्मी को सहन नहीं कर सकी और फिर एक बार फूट फूट कर झड़ने लगी.
चुदाई के बाद थकान हो जाने की वजह से जेठ जी मेरे शरीर पर ही पड़े रहे. कुछ ही देर में उनका लंड सिकुड़ने की वजह से बनी हुई जगह से हम दोनों का कामरस बहकर नीचे चादर गीली कर रहा था.
कुछ देर बाद जेठ जी मेरे बदन पर से उठे. हम दोनों के कामरस में सना हुआ रोशनी में चमक रहा था. जेठ जी ने अपना कामरस से सना हुआ लंड मेरी फटी हुई पैंटी से साफ किया. अब वे मुझसे बोले- नीतू रानी, आज मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी हो गई. माफ करना, तुम्हें थोड़ी तकलीफ दी, पर दूसरा कोई चारा नहीं था.
जेठ जी ने अपने कपड़े पहने, फिर मुझे देख कर मुस्कुराकर जाने लगे.
मैं चिल्लाई- वहीं रुक जाइये जेठ जी … मैं भी यह बात मैं आपके सामने कबूल करना चाहती हूं कि आपके इस जबरदस्त सेक्स में मुझे अलग ही मजा मिला. मेरे पति भी मुझे अच्छा चोदते हैं, पर आज जैसा मजा मुझे पहली बार मिला है. कल भी मेरे पति घर से बाहर रहेंगे, आप कल रात का खाना खाने घर आ जाना. कल मैं खुद अपनी मर्जी से आप को साथ दूँगी.
मेरी बातें सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह दौड़ कर मेरे पास आए और मुझे किस कर लिया. जेठ जी बोले- नीतू तुम्हारी बातें सुनकर मैं खुशी से पागल ना हो जाऊं. आज रात मेरी ड्यूटी है, नहीं तो तुम्हारी और एक बार चुदाई करता, पर कोई बात नहीं कल रात मैं छुट्टी ले लूंगा. कल पूरी रात तुम्हारी जम कर चुदाई करूँगा.
यह कहकर जेठ जी मुझे किस करके और मेरे मम्मे सहला कर चले गए. मैं भी चुदाई के नशे में सो गई.
दूसरे दिन मैं देर से उठी. पूरे दिन मैं खुश थी, आज रात मेरा जेठ मेरी मर्जी से मुझे उनके बड़े लंड से जम कर चोदेगा, इसी ख्याल से ही पूरे दिन मेरी चुत गीली होती रही.
घर के कामों में दिन गुजर गया और रात हो गयी, मैं बेड पर बैठे जेठ जी का इंतजार कर रही थी. उतने में जेठ जी आये और मेरे पास बैठ गए- नीतू, कल रात के लिए मुझे माफ़ कर दो.
मैं- जेठ जी, मैंने आपको तो कब का माफ कर दिया है, अब मुझे आपके मूसल लंड से मेरी चुत की कुटाई करवानी है, जल्दी से आ जाओ, अब मुझे मत तरसाओ.
जेठ- नीतू अभी नहीं, आज मैं तुम्हें अच्छे से और बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूं.. जिसमें हम दोनों को मजा आए.
उन्होंने पहले मेरे बालों पर हाथ फेरे, फिर मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ते हुए मेरे होंठों पर किस करने लगे. धीरे धीरे होंठों को चूमते हुए उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी. मैंने भी अपनी जीभ को हरकत में लाते हुए उनकी जीभ से खेलने लगी. हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे के जीभ और होंठों को चूस रहे थे. उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे सीने पर से हटाया और मेरे ब्लाउज के हुक्स खोलने लगे. मेरा ब्लाउज हाथों से पूरा उतारकर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी.
कुछ ही देर बाद मेरी वासना के ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं ज़ोरों से छूट पड़ी. मेरी पानी का जोर इतना था कि उसकी वजह से उनका लंड चुत से सटक कर बाहर आ गया. जेठ जी ने फिर से अपने लंड को मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और जोश से धक्के देने लगे. मेरी चुत की गर्मी में उनका टिक पाना भी मुश्किल लग रहा था. फिर एक जोर के धक्के के साथ उन्होंने अपना लंड जड़ तक अन्दर डाल दिया और झड़ने लगे.
तेज गर्म वीर्य की पिचकारियां मेरी चुत के अन्दर गिरने लगीं. मेरी चुत भी उस गर्मी को सहन नहीं कर सकी और फिर एक बार फूट फूट कर झड़ने लगी.
चुदाई के बाद थकान हो जाने की वजह से जेठ जी मेरे शरीर पर ही पड़े रहे. कुछ ही देर में उनका लंड सिकुड़ने की वजह से बनी हुई जगह से हम दोनों का कामरस बहकर नीचे चादर गीली कर रहा था.
कुछ देर बाद जेठ जी मेरे बदन पर से उठे. हम दोनों के कामरस में सना हुआ रोशनी में चमक रहा था. जेठ जी ने अपना कामरस से सना हुआ लंड मेरी फटी हुई पैंटी से साफ किया. अब वे मुझसे बोले- नीतू रानी, आज मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी हो गई. माफ करना, तुम्हें थोड़ी तकलीफ दी, पर दूसरा कोई चारा नहीं था.
जेठ जी ने अपने कपड़े पहने, फिर मुझे देख कर मुस्कुराकर जाने लगे.
मैं चिल्लाई- वहीं रुक जाइये जेठ जी … मैं भी यह बात मैं आपके सामने कबूल करना चाहती हूं कि आपके इस जबरदस्त सेक्स में मुझे अलग ही मजा मिला. मेरे पति भी मुझे अच्छा चोदते हैं, पर आज जैसा मजा मुझे पहली बार मिला है. कल भी मेरे पति घर से बाहर रहेंगे, आप कल रात का खाना खाने घर आ जाना. कल मैं खुद अपनी मर्जी से आप को साथ दूँगी.
मेरी बातें सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह दौड़ कर मेरे पास आए और मुझे किस कर लिया. जेठ जी बोले- नीतू तुम्हारी बातें सुनकर मैं खुशी से पागल ना हो जाऊं. आज रात मेरी ड्यूटी है, नहीं तो तुम्हारी और एक बार चुदाई करता, पर कोई बात नहीं कल रात मैं छुट्टी ले लूंगा. कल पूरी रात तुम्हारी जम कर चुदाई करूँगा.
यह कहकर जेठ जी मुझे किस करके और मेरे मम्मे सहला कर चले गए. मैं भी चुदाई के नशे में सो गई.
दूसरे दिन मैं देर से उठी. पूरे दिन मैं खुश थी, आज रात मेरा जेठ मेरी मर्जी से मुझे उनके बड़े लंड से जम कर चोदेगा, इसी ख्याल से ही पूरे दिन मेरी चुत गीली होती रही.
घर के कामों में दिन गुजर गया और रात हो गयी, मैं बेड पर बैठे जेठ जी का इंतजार कर रही थी. उतने में जेठ जी आये और मेरे पास बैठ गए- नीतू, कल रात के लिए मुझे माफ़ कर दो.
मैं- जेठ जी, मैंने आपको तो कब का माफ कर दिया है, अब मुझे आपके मूसल लंड से मेरी चुत की कुटाई करवानी है, जल्दी से आ जाओ, अब मुझे मत तरसाओ.
जेठ- नीतू अभी नहीं, आज मैं तुम्हें अच्छे से और बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूं.. जिसमें हम दोनों को मजा आए.
उन्होंने पहले मेरे बालों पर हाथ फेरे, फिर मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ते हुए मेरे होंठों पर किस करने लगे. धीरे धीरे होंठों को चूमते हुए उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी. मैंने भी अपनी जीभ को हरकत में लाते हुए उनकी जीभ से खेलने लगी. हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे के जीभ और होंठों को चूस रहे थे. उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे सीने पर से हटाया और मेरे ब्लाउज के हुक्स खोलने लगे. मेरा ब्लाउज हाथों से पूरा उतारकर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
