20-06-2020, 02:43 PM
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मे खाना खाकर पढ़ने बैठ गया… सारा काम निपटाकर भाभी मेरे लिए बादाम का दूध लेकर आई और मुझे दूध देते हुए बोली – लो पहले इसे ख़तम करो, फिर पढ़ लेना..
मेने उनके हाथ से दूध का ग्लास लिया और पीने लगा.. तभी भाभी बोली – देखो लल्लाजी .. चाची के साथ आज जो हुआ है, उसे इसके आगे मत होने देना.. !
मेने दूध ख़तम करके खाली ग्लास टेबल पर रखा और उनकी तरफ देखते हुए कहा..
भाभी अब मे बड़ा हो गया हूँ.. , अब मुझसे ये सब और ज़्यादा कंट्रोल नही हो पाता…
उपर से आप ना जाने मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो… ऐसा ना हो कि किसी दिन मेरे ना चाहते हुए वो सब हो जाए जो आप नही चाहती.. !
मेने खुले शब्दों में एक तरह से अपने मन की बात कह दी थी..!
वो कुच्छ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, अनायास ही उनके चेहरे पर गुस्से जैसे भाव आगये.. और वो ठंडे लहजे में बोली –
जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा वैसा कुच्छ किया भी तुमने तो…!
मे भी बिफर पड़ा और झुझलाकर बोला – आख़िर आप चाहती क्या हैं..?
वो भभक्ते हुए एक झटके में बोल पड़ी – अपना हक़..!
मे – मतलव… कॉन्सा हक़..? और कैसा हक़..?
गुस्से में बोले हुए अपने शब्दों का जब उन्हें एहसास हुआ तो उनकी नज़र स्वतः ही झुक गयी… और वो आगे कुच्छ बोल नही पाई…!
जब अपने सवाल का कोई जबाब मुझे ना मिला तो मेने उनके कंधे पकड़ कर झकझोरते हुए पुछा..
बताइए ना भाभी… आप कोन्से हक़ की बात कर रही थी…?
उन्होने नज़र नीची किए हुए अपने नीचे के होठ को चवाते हुए कहा – तुम्हारे कुंवारेपन को पाने का हक़ सबसे पहले मेरा है..
कुच्छ देर तक तो उनकी बात मेरी समझ में ही नही आई, लेकिन जैसे ही मुझे समझ पड़ी… मे उनके गले से लग गया और बोला –
सच भाभी … आप मेरे साथ…वो…वो..सब… करेंगी….बोलिए…!
भाभी मुझसे बिना नज़र मिलाए ही बोली – हां लल्लाजी… पर समय आने पर..,
याद है मेने पहले भी कहा था… कि समय पर तुम्हें हर वो चीज़ मिलेगी जिसकी तुम इच्छा रखते हो..
ओह्ह्ह्ह… थॅंक यू भाभी ! आइ लव यू.. ! आप सच में बहुत अच्छी हैं……. पर वो समय कब आएगा भाभी..?
भाभी – तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट के बाद, तुम्हारे बर्तडे पर…तब तक तुम इस बारे में कोई बात नही करोगे…!
और हां ! रिज़ल्ट मुझे फर्स्ट डिविषन में चाहिए…!
इतना कह कर वो उठकर अपने रूम में चली गयी.. मे बस उन्हें जाते हुए देखता रहा.. और फिर अपनी पढ़ाई में जुट गया….!
अब मेरे दिमाग़ से सारे फितूर निकल चुके थे… उस दिन के बाद भाभी कुच्छ सीरीयस हो गयी और में भी.. उनकी भावना को समझ चुका था,
वो जो भी कर रही थी, मेरी खातिर ही कर रही थी…..
मे दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया था… पिताजी मुझे सीरियस्ली पढ़ते हुए देखकर अति-प्रसन्न थे, और उन्हें आशा थी कि मे अच्छे नंबरों से ये बोर्ड की परीक्षा पास कर लूँगा.
आख़िरकार मेरे एग्ज़ॅम भी आगये, और मेने पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ सारे पेपर दिए.
जब सारे पेपर ख़तम हो गये और मे लास्ट पेपर देकर आया, तो भाभी ने मुझे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह लगा लिया और सुबक्ते हुए बोली…
मुझे माफ़ करदेना मेरे बच्चे.. मेने ये सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया है..!
अब तुम अपने रिज़ल्ट तक आज़ाद हो, जैसे चाहे मज़े ले सकते हो, लेकिन एक लिमिट में…!
मे – लेकिन अपना वादा तो याद है ना आपको..?
भाभी – वो मे कैसे भूल सकती हूँ…! जिसका मेने इतने वर्ष इंतेज़ार किया है..
मे – आप सच कह रही हैं.. ! क्या आप पहले से ये सब डिसाइड कर चुकी थी..?
भाभी – हां.. ! जब मेने पहली बार तुम्हें उस तकलीफ़ से निकालने के लिए वो सब किया था, तभी मेने ये डिसाइड कर लिया था, कि तुम्हारी वर्जिनिटी में ही
तुडवाउन्गी…!
मेरे रिज़ल्ट के ठीक एक हफ्ते बाद ही मेरा बर्त डे था, अब हम दोनो ही बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहे थे….!
लेकिन अब में किसी के साथ भी कैसे भी मज़ा कर सकता था, सिवाय सेक्स के……………………………………क्षकशकशकशकशकश!
मेरे चचेरे भाई सोनू और मोनू भी छुट्टियों में घर आए हुए थे, सोनू मेरे से दो साल बड़ा था, और मोनू मेरे बराबर का ही था…
हम तीनों मिलकर सारे दिन धमाल करते रहते, और एक दूसरे से हर तरह की बातें भी कर लेते थे.. वो दोनो भाई तो आपस में बिल्कुल खुले हुए थे..
बातों-2 में उन्होने बताया कि वो अपने मामी और उसकी एक बेटी जो सोनू के बराबर की थी, उनके साथ मज़े भी कर चुके हैं..
मे ये सुनकर बड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि वो दोनो साले अपनी मामी के साथ भी जो उसकी माँ से भी बड़ी थी मज़े ले चुके थे.
पता नही क्यों, छोटी चाची इन दोनो भाइयों को बिल्कुल पसंद नही करती थी, तो ये दोनो भी उनके घर कभी नही जाते थे…!
एक दिन हम तीनों ने मिलकर घर पर वीसीआर ला कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया … ये बात सुन कर घर के सभी लोग बड़े खुश हुए…
टाउन से हमने पूरी रात के लिए वीसीआर किराए से लिया और 3-4 मूवी ले आए, जिनमें 2 फॅमिली ड्रामा, एक पूर्ली आक्षन मूवी और 1 एक्सएक्स देशी मूवी की सीडी थी, जो सोनू ने ही सेलेक्ट की, मुझे तो इन सब का कोई नालेज नही था.
हमारा आँगन काफ़ी लंबा चौड़ा था, सो एक साइड में टीवी और वीसीर लगा कर हमने ज़मीन पर ही गद्दे डाल लिए, चारों परिवार के सभी सद्स्य आज काफ़ी दिनो के बाद एक साथ बैठ कर रात एंजाय करने वाले थे.
रेखा दीदी भी आजकल आई हुई थी, जो अब एक बच्चे की माँ थी, उनका बेटा भी लगभग मेरी भतीजी रूचि के साथ ही पैदा हुआ था…
रेखा दीदी का बदन अब काफ़ी भर चुका था, हाइट कम होने की वजह से वो कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी सी दिखती थी, उनके स्तन तो छोटी चाची से भी बड़े हो गये थे..
घर के काम-काज निपटाते 9 बज गये, सब लोग आकर ज़मीन पर पड़े गद्दों पर अपनी सुविधनुसार आकर बैठ गये….
शुरुआत में सोनू ने फॅमिली ड्रामा ही लगाई, सब मूवी एंजाय कर रहे थे, दोनो बड़ी चाचियाँ और चाचा आगे बैठे थे… !
चाचा और बड़ी चाचियाँ तो दूसरी मूवी के शुरू होते ही ऊंघने लगे और एक-एक करके वो उठकर जाने लगे.. दूसरी मूवी के ख़तम होते-होते भाभी समेत सभी बड़े लोग सोने चले गये…
अब हम बस तीन भाई और तीनों बहनें ही बैठे रह गये…
तीसरी सोनू ने आक्षन वाली फिल्म लगा दी… मे सबसे लास्ट मे बैठा था, और मेरे बगल में रेखा दीदी थी, जो बीच-2 में मुझे छेड़ देती थी, लेकिन मे उनके लिए कोई ऐसी वैसी बात मन में अभी तक नही लाया था..
हमारे आगे रामा और आशा दीदी थी, और उन दोनो के आजू बाजू सोनू और मोनू बैठे थे, मोनू रामा दीदी की तरफ और सोनू आशा दीदी की तरफ.
जब बैठे-2 बोर हो जाते तो कोई किसी की जाँघ पर सर रख कर लेट जाता, तो कभी कोई..
तीसरी मूवी के शुरू होने के कुच्छ देर बाद ही रेखा दीदी बोली – सोनू ये तूने क्या बकवास मूवी लगा दी है, कोई और नही है..?
सोनू – है तो सही दीदी लेकिन… वो आप लोगों के लायक नही है..
वो – क्यों ? ऐसा क्या है उसमें…?
सोनू – अरे दीदी ! समझा करो यार ! क्षकश मूवी है आप क्या करोगी देख कर..
वो – अच्छा तो तेरे देखने लायक है, हमारे नही.. लगा तू.. देखें तो सही कैसी एक्सएक्स है..?
मजबूर होकर उसने वो सीडी लगाड़ी… ये एक भोजपुरी भाषा की बी ग्रेड मूवी थी, जिसमें एक लड़का और लड़की आधे अधूरे कपड़ों में जंगल में भटक रहे होते हैं..
अपना मन बहलाने के लिए कभी-2 वो एकदुसरे के साथ छेड़-छाड़ करने लगते हैं, एकदुसरे को किस करने लगते है,
कपड़ों के उपर से जो केवल नाम मात्र के लिए थे उनके शरीरों पर एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को सहलाने-पकड़ने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..
मे खाना खाकर पढ़ने बैठ गया… सारा काम निपटाकर भाभी मेरे लिए बादाम का दूध लेकर आई और मुझे दूध देते हुए बोली – लो पहले इसे ख़तम करो, फिर पढ़ लेना..
मेने उनके हाथ से दूध का ग्लास लिया और पीने लगा.. तभी भाभी बोली – देखो लल्लाजी .. चाची के साथ आज जो हुआ है, उसे इसके आगे मत होने देना.. !
मेने दूध ख़तम करके खाली ग्लास टेबल पर रखा और उनकी तरफ देखते हुए कहा..
भाभी अब मे बड़ा हो गया हूँ.. , अब मुझसे ये सब और ज़्यादा कंट्रोल नही हो पाता…
उपर से आप ना जाने मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो… ऐसा ना हो कि किसी दिन मेरे ना चाहते हुए वो सब हो जाए जो आप नही चाहती.. !
मेने खुले शब्दों में एक तरह से अपने मन की बात कह दी थी..!
वो कुच्छ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, अनायास ही उनके चेहरे पर गुस्से जैसे भाव आगये.. और वो ठंडे लहजे में बोली –
जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा वैसा कुच्छ किया भी तुमने तो…!
मे भी बिफर पड़ा और झुझलाकर बोला – आख़िर आप चाहती क्या हैं..?
वो भभक्ते हुए एक झटके में बोल पड़ी – अपना हक़..!
मे – मतलव… कॉन्सा हक़..? और कैसा हक़..?
गुस्से में बोले हुए अपने शब्दों का जब उन्हें एहसास हुआ तो उनकी नज़र स्वतः ही झुक गयी… और वो आगे कुच्छ बोल नही पाई…!
जब अपने सवाल का कोई जबाब मुझे ना मिला तो मेने उनके कंधे पकड़ कर झकझोरते हुए पुछा..
बताइए ना भाभी… आप कोन्से हक़ की बात कर रही थी…?
उन्होने नज़र नीची किए हुए अपने नीचे के होठ को चवाते हुए कहा – तुम्हारे कुंवारेपन को पाने का हक़ सबसे पहले मेरा है..
कुच्छ देर तक तो उनकी बात मेरी समझ में ही नही आई, लेकिन जैसे ही मुझे समझ पड़ी… मे उनके गले से लग गया और बोला –
सच भाभी … आप मेरे साथ…वो…वो..सब… करेंगी….बोलिए…!
भाभी मुझसे बिना नज़र मिलाए ही बोली – हां लल्लाजी… पर समय आने पर..,
याद है मेने पहले भी कहा था… कि समय पर तुम्हें हर वो चीज़ मिलेगी जिसकी तुम इच्छा रखते हो..
ओह्ह्ह्ह… थॅंक यू भाभी ! आइ लव यू.. ! आप सच में बहुत अच्छी हैं……. पर वो समय कब आएगा भाभी..?
भाभी – तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट के बाद, तुम्हारे बर्तडे पर…तब तक तुम इस बारे में कोई बात नही करोगे…!
और हां ! रिज़ल्ट मुझे फर्स्ट डिविषन में चाहिए…!
इतना कह कर वो उठकर अपने रूम में चली गयी.. मे बस उन्हें जाते हुए देखता रहा.. और फिर अपनी पढ़ाई में जुट गया….!
अब मेरे दिमाग़ से सारे फितूर निकल चुके थे… उस दिन के बाद भाभी कुच्छ सीरीयस हो गयी और में भी.. उनकी भावना को समझ चुका था,
वो जो भी कर रही थी, मेरी खातिर ही कर रही थी…..
मे दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया था… पिताजी मुझे सीरियस्ली पढ़ते हुए देखकर अति-प्रसन्न थे, और उन्हें आशा थी कि मे अच्छे नंबरों से ये बोर्ड की परीक्षा पास कर लूँगा.
आख़िरकार मेरे एग्ज़ॅम भी आगये, और मेने पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ सारे पेपर दिए.
जब सारे पेपर ख़तम हो गये और मे लास्ट पेपर देकर आया, तो भाभी ने मुझे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह लगा लिया और सुबक्ते हुए बोली…
मुझे माफ़ करदेना मेरे बच्चे.. मेने ये सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया है..!
अब तुम अपने रिज़ल्ट तक आज़ाद हो, जैसे चाहे मज़े ले सकते हो, लेकिन एक लिमिट में…!
मे – लेकिन अपना वादा तो याद है ना आपको..?
भाभी – वो मे कैसे भूल सकती हूँ…! जिसका मेने इतने वर्ष इंतेज़ार किया है..
मे – आप सच कह रही हैं.. ! क्या आप पहले से ये सब डिसाइड कर चुकी थी..?
भाभी – हां.. ! जब मेने पहली बार तुम्हें उस तकलीफ़ से निकालने के लिए वो सब किया था, तभी मेने ये डिसाइड कर लिया था, कि तुम्हारी वर्जिनिटी में ही
तुडवाउन्गी…!
मेरे रिज़ल्ट के ठीक एक हफ्ते बाद ही मेरा बर्त डे था, अब हम दोनो ही बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहे थे….!
लेकिन अब में किसी के साथ भी कैसे भी मज़ा कर सकता था, सिवाय सेक्स के……………………………………क्षकशकशकशकशकश!
मेरे चचेरे भाई सोनू और मोनू भी छुट्टियों में घर आए हुए थे, सोनू मेरे से दो साल बड़ा था, और मोनू मेरे बराबर का ही था…
हम तीनों मिलकर सारे दिन धमाल करते रहते, और एक दूसरे से हर तरह की बातें भी कर लेते थे.. वो दोनो भाई तो आपस में बिल्कुल खुले हुए थे..
बातों-2 में उन्होने बताया कि वो अपने मामी और उसकी एक बेटी जो सोनू के बराबर की थी, उनके साथ मज़े भी कर चुके हैं..
मे ये सुनकर बड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि वो दोनो साले अपनी मामी के साथ भी जो उसकी माँ से भी बड़ी थी मज़े ले चुके थे.
पता नही क्यों, छोटी चाची इन दोनो भाइयों को बिल्कुल पसंद नही करती थी, तो ये दोनो भी उनके घर कभी नही जाते थे…!
एक दिन हम तीनों ने मिलकर घर पर वीसीआर ला कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया … ये बात सुन कर घर के सभी लोग बड़े खुश हुए…
टाउन से हमने पूरी रात के लिए वीसीआर किराए से लिया और 3-4 मूवी ले आए, जिनमें 2 फॅमिली ड्रामा, एक पूर्ली आक्षन मूवी और 1 एक्सएक्स देशी मूवी की सीडी थी, जो सोनू ने ही सेलेक्ट की, मुझे तो इन सब का कोई नालेज नही था.
हमारा आँगन काफ़ी लंबा चौड़ा था, सो एक साइड में टीवी और वीसीर लगा कर हमने ज़मीन पर ही गद्दे डाल लिए, चारों परिवार के सभी सद्स्य आज काफ़ी दिनो के बाद एक साथ बैठ कर रात एंजाय करने वाले थे.
रेखा दीदी भी आजकल आई हुई थी, जो अब एक बच्चे की माँ थी, उनका बेटा भी लगभग मेरी भतीजी रूचि के साथ ही पैदा हुआ था…
रेखा दीदी का बदन अब काफ़ी भर चुका था, हाइट कम होने की वजह से वो कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी सी दिखती थी, उनके स्तन तो छोटी चाची से भी बड़े हो गये थे..
घर के काम-काज निपटाते 9 बज गये, सब लोग आकर ज़मीन पर पड़े गद्दों पर अपनी सुविधनुसार आकर बैठ गये….
शुरुआत में सोनू ने फॅमिली ड्रामा ही लगाई, सब मूवी एंजाय कर रहे थे, दोनो बड़ी चाचियाँ और चाचा आगे बैठे थे… !
चाचा और बड़ी चाचियाँ तो दूसरी मूवी के शुरू होते ही ऊंघने लगे और एक-एक करके वो उठकर जाने लगे.. दूसरी मूवी के ख़तम होते-होते भाभी समेत सभी बड़े लोग सोने चले गये…
अब हम बस तीन भाई और तीनों बहनें ही बैठे रह गये…
तीसरी सोनू ने आक्षन वाली फिल्म लगा दी… मे सबसे लास्ट मे बैठा था, और मेरे बगल में रेखा दीदी थी, जो बीच-2 में मुझे छेड़ देती थी, लेकिन मे उनके लिए कोई ऐसी वैसी बात मन में अभी तक नही लाया था..
हमारे आगे रामा और आशा दीदी थी, और उन दोनो के आजू बाजू सोनू और मोनू बैठे थे, मोनू रामा दीदी की तरफ और सोनू आशा दीदी की तरफ.
जब बैठे-2 बोर हो जाते तो कोई किसी की जाँघ पर सर रख कर लेट जाता, तो कभी कोई..
तीसरी मूवी के शुरू होने के कुच्छ देर बाद ही रेखा दीदी बोली – सोनू ये तूने क्या बकवास मूवी लगा दी है, कोई और नही है..?
सोनू – है तो सही दीदी लेकिन… वो आप लोगों के लायक नही है..
वो – क्यों ? ऐसा क्या है उसमें…?
सोनू – अरे दीदी ! समझा करो यार ! क्षकश मूवी है आप क्या करोगी देख कर..
वो – अच्छा तो तेरे देखने लायक है, हमारे नही.. लगा तू.. देखें तो सही कैसी एक्सएक्स है..?
मजबूर होकर उसने वो सीडी लगाड़ी… ये एक भोजपुरी भाषा की बी ग्रेड मूवी थी, जिसमें एक लड़का और लड़की आधे अधूरे कपड़ों में जंगल में भटक रहे होते हैं..
अपना मन बहलाने के लिए कभी-2 वो एकदुसरे के साथ छेड़-छाड़ करने लगते हैं, एकदुसरे को किस करने लगते है,
कपड़ों के उपर से जो केवल नाम मात्र के लिए थे उनके शरीरों पर एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को सहलाने-पकड़ने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..