20-06-2020, 02:32 PM
(19-06-2020, 11:42 AM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी
आनंद विभोर हो गयी मैं आज तो ..... कुसुम जी , और आप कि पोस्ट आते ही एक उमंग सी जग गयी .....
हम सभी औरतो का एक सा ही हाल है ...... सब खुलने के साथ ... रूटीन चालू ..... क्खाना .... टिफेन .... कपडे तो रोज ही धुल रहे है .... इस कोरोना ने हालत ख़राब कर दी है .... फिर शाम को वो तैयार .... यार आज थक गया ..... आजा ... फिर वो ही औरत होने का कर्त्तव्य निभाना ....
आपने सही कहा ... कोमल जी कि कहानी .... कोमल जी का रुतबा ,,,,, जीत का एहसास ..... और लिखने कि कला ... जितनी तारीफ करो कम ही है ...
पूनम जी .... हम औरते हैं ..... सब झेल जाती है ..... आराम कर के करो ....
निहारिका जी औरत होने का कर्तव्य तो हम सब को निभाना ही है करें भी क्या आखिर रहा हम से भी कहाँ जाता है एक भी दिन
चलिए एक बात शेयर करती हूं जब तक आप अपडेट दे
बात 14 जून की है
शाम को उन की फ़रमाइश आ गयी थी,खाना जल्दी बनाया और नहाने के बाद उन की पसंद का लहंगा चोली ओर छत पे बिस्तर फिर खाना पीना हुआ उस के बाद बर्तन रखने जब निच्चे आ रही थी तो कस के भींच लिया और बोला बाथरूम कर के आना फिर जाने नहीं दूंगा ओर वो लेती आना फिर वो कमीनी मुस्कान
माँ कसम इतनी शरमाई में मत पूछो
हाथ छुड़ा के भागती आई और बर्तन पोछा कर के बाथरूम में घुसी,आराम से हल्की हुई पता था फिर तो वो आने देंगे नहीं ओर रात भर जोर से लगेगी
पर शायद किस्मत खराब थी उस रात एक दौर हमारे प्यार का हुआ निच्चे वाली ने बगावत कर दी
एक गुदगुदी ओर मीठी तड़प चालू
ओर मादरजात नंगी उन की पकड़ में
धीरे से बोली छोड़ो ना, एक बार
क्या हुआ अब ? उन की आवाज में आवेश था
छोड़ो ना एक बार जोर से आ रही है में शर्माती हुई बोली
चटाक एक खिंच के पिछवाड़े पे मेरे पड़ा,,aaiiiii ooihhh नहीं प्लीज ऐसे नहीं लगती है
हाथ हटा गांड से ?
ये शब्द कान में पड़ते ही निच्चे ओर जोर पड़ा में चाह रही थी एक बार छोड़ दे वरना निकल जायेगा वेसे एक बार के बाद मेरे को बाथरूम जाना ही पड़ता है
में मिमियां रही थी नहीं एक बार जाने दो ना
मार खायेगी अब बोली जाने का तो
यहीं कर मेरे सामने
ओर एक चटाक पीछे पड़ा, हल्की बून्द निकल गयी पर उन को पता नहीं चलने दिया मैने
फिर उन्होंने छोड़ा और आप से कहने में शर्मा रही हूं पता नहीं आप क्या सोचेंगी उन के सामने करना पड़ा और फिर वहीँ लिटा के ओर किया 1 बार मेरे साथ
फिर छत की दीवार से सटा के कभी उठा के पूरे 4 घंटे मुझकों नहीं सोने दिया और आखिर में मन भरा फिर मुझको आजाद किया
उफ़्फ़ में क्या बताऊँ उस रात के बाद 3 दिन में लंगड़ी रही
निहारिका जी काश भगवान ने ये छेद नहीं बनाए होते नींद तो निकाल पाती आराम से
पता नहीं क्या मजा मिलता है उन को एक रात बिना नंगी किये नहीं मानते वो उफ़्फ़
क्या लिखूं
अपडेट के साथ हाज़िर होने का इंतजार है