20-06-2020, 11:19 AM
जितना उसने सोचा था उतना ज़ोर नही लगा, शायद इसलिए की वो पहले से अपनी सरदारजी से मरवाती आ रही थी..
लेकिन उसकी गांड के छेद में लंड डालकर राहुल को ऐसा लगा जैसे वो किसी और ही दुनिया में आ चुका है...उसके लंड पर माँस के एक छल्ले ने जोरदार जकड़न के साथ मखमली एहसास दे रखा था.
सरदारनी ने तकिये को ज़ोर से पकड़कर मसल डाला और अपनी गांड की गाड़ी को आगे पीछे धक्का देने लगी, राहुल का लंड उसके पिछवाड़े में अटका पड़ा था जो उसके हिलने से अंदर बाहर हो रहा था....राहुल तो बस उसकी गांड पर हाथ रखकर उसके मखमली एहसास का मज़ा ले रहा था, बाकी का काम तो डिंपल कर रही थी...सच में बड़ी गर्म औरत थी वो..ऐसी सरदारनी की दिन मे चूत और अब गांड मारकर राहुल भी फूला नही समा रहा था.
उधर गुरपाल को नीचे लिटा कर सुमन उसके उपर सवार हो चुकी थी, और अपने घने बालों को और उपर करके वो मस्ती मे उछल रही थी उसके लंड पर...गुरपाल भी थोड़ा उपर की तरफ मुड़कर उसके मुम्मो को दोहता हुआ ज़ोर-2 से अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था..दोनो की चीखों से सॉफ जाहिर था की किसी भी वक़्त दोनो झड़ सकते है..
''आआआआआआअहह सुमन भाभी.....आपके ये मुम्मे कितने मजेदार है.....इन्हे हर रोज दबाने का मन करेगा अब तो....आआआआआआआआआहह''
सुमन भी चिल्लाई : "तो दबा लेना......जब मर्ज़ी हो....... आ जाना...... कोई भी ....... दबा लो.... मार लो.... कुछ भी करो...... सब खुला है....''
सुमन ने तो खुल्ला ऑफर दे डाला सभी को.... वैसे भी कमरे में मोजूद सभी लोग जानते थे की ऐसी महफ़िल तो अब रोज लगा करेगी...सुमन ने तो बस इस बात पर मोहर लगाई थी..
और सुमन ने जब अपने आख़िरी शब्द बोले तो उसके अंदर का लावा फुट पड़ा और उसने भरभराकर अपना ऱज गुरपाल के लंड के उपर छोड़ दिया..
गुरपाल भी उसके गरमा गरम तेल में नहाकार उत्तेजना के शिखर पर जा पहुँचा और अपने लंबे लंड का झंडा वहां गाड़ कर उसने भी सफेद लावा बिखेरना शुरू कर दिया...उसकी चूत की घाटी में ..जो धीरे-2 बहता हुआ अपने आप ही बाहर निकल आया...
सुमन भी निढाल सी होकर नीचे लुडक गयी, और गुरपाल ने बचा हुआ माल उसके चिकने पेट के ऊपर बरसाकर उसे अपने रंग से नहला दिया
राहुल का तो आज बुरा हाल था...उसकी जिंदगी की ये पहली गांड मराई थी, इसलिए कुछ ज़्यादा ही एक्साइटेड होकर वो ज़्यादा स्पीड से सरदारनी की गांड पेल रहा था...और चुदाई का तो नियम है, जितनी तेज़ी से आप अपनी गाड़ी चलाओगे, उतनी जल्दी आपका चालान कटेगा...राहुल के साथ भी यही हुआ...हद से ज़्यादा स्पीड, गांड मारने की एक्ससाइटमेंट और गांड के छल्ले की जोरदार ग्रिप ने उसके लंड की स्पीड को हद से आगे पहुँचा दिया और उसके लंड ने भी दे दना दन सरदारनी की गांड में गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी....वो उसकी फेली हुई गाण्ड को पकड़कर ऐसे झटके मारने लगा जैसे उसके अंदर का सारा माल निकलकर हमेशा के लिए बाहर जा रहा है...और अंत में वो निढाल सा होकर उसकी पीठ पर गिर पड़ा...
डिंपल की चूत की आग अभी तक नही बुझी थी, इसलिए वो पलटकर सीधी हुई और राहुल को नीचे लिटा कर खुद उसके मुँह पर जाकर बैठ गयी...और वो भी बड़े अधिकार से, जैसे उसके बाप प्लॉट हो ...राहुल ने भी मना नही किया, क्योंकि उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू उसे बहुत पसंद आई थी,वो अपनी जीभ निकाल अकर उसकी चूत को चोदने लगा..डिंपल के लिए इतना ही बहुत था...वो भी मचलती हुई उसके होंठों और मुँह पर अपनी चूत को रगड़कर अपने ओर्गेज़म के करीब पहुँचने लगी..
और सबा की तो बात ही ना पूछो, शशांक ने पता नही कैसा तिलस्मी तेल लगाया था अपने लंड पर की वो ना तो झड़ने का नाम ले रहा था और ना ही उसकी स्पीड कम हो रही थी...सबा बेचारी ढंग से साँस भी नही ले पाती थी की 3-4 झटके मारकर शशांक उसे और ज़्यादा तडपा देता था...आज जैसी चुदाई सच में सबा की पहले नही हुई थी...वो अपने उपर नीचे हिलते हुए मुम्मो को पकड़ने का असफल प्रयास करती हुई चिल्लाए जा रही थी....
''याआआआआ अल्लाआाआआहह ..........मार डाला आज इसने................ ऐसा मज़ा आज तक नही मिलाआाआअ.... आआआआआआआहह ऐसे ही मारो मेरी....... सब माआआआअरो...... रंडी बना डालो मुझे इस सोसायटी की............ चोदो मुझे............ ज़ोर-2 से चोदो ................ आआआआआआआआहहयययययययययययययीीईईईईईईईई''
और ना जाने क्या-2 बुदबुदाती हुई वो झड़ती चली गयी....पर शशांक था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था...निढाल सी हो चुकी सबा को उसने उल्टा किया और बेड पर चित्त लिटा दिया, और उसकी चूत की पंखुड़ी को फेला कर अपना लंड एक बार फिर से अंदर डाल दिया...इस बार सबा ने अपना मुँह बेड के अंदर घुसा कर अपनी चीख रोकी, क्योंकि पीछे से लॅंड डलवाने में ज़्यादा दर्द का एहसास हो रहा था...उपर हाथ करके उसने चादर को पकड़ लिया और पीछे से मिल रहे झटको को महसूस करती हुई सिसकारियाँ मारती हुई अपनी चूत मरवाने लगी..
ऐसी गोल मटोल गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा,इसका शशांक को अच्छी तरह से अंदाज़ा था, लेकिन उसके छेद को देखकर वो जान चुका था की वो पीछे से अभी तक कुँवारी है, इसलिए उसने भी गांड मारने की कोशिश नही की,शायद जल्द ही उसे मौका मिल जाए...
उसकी गांड के गुलाबी छेद को देखते हुए शशांक के लंड ने आग उगलनी शुरू कर दी...और वो भी किसी सियार की तरह उपर मुँह करके चिल्लाता हुआ झड़ने लगा...
''आआआआआआआअहह ओह सबाआआआआअ.... मेरी ज़ाआाआआआआअन्णन्न् ...कितने महीनो का सपना आज पूरा हुआ है..... तेरी चूत में अपना माल निकालने का............ आआआआआआहह ले मेरी रानी..... मेरा माल अपनी चूत में .....''
राहुल भी अपने बॉस को इतनी चीप भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान था....अंदर से जानता तो वो शुरू से ही था की उसकी बीबी को सभी लोग दूसरी नज़रों से देखते है,पर आज शशांक के मुँह से ये बात उजागर होती देखकर उसे सब समझ मे आ गया की सबा को चोदने के लिए ही उसके बॉस ने ये सारा जाल बिछाया था..
लेकिन अब तो कुछ हो नही सकता था...वैसे भी वो और सबा इस जाल में फंसकर काफ़ी खुश थे...और शायद आगे भी ऐसे ही फंसकर रहना चाहते थे.
राहुल के मुँह पर चूत के बल डांस करती हुई सरदारनी को भी अपनी मंज़िल मिल गई...और उसने भी अपना पानी राहुल के मुँह में निकाल कर चैन की साँस ली...
अब पूरे कमरे में एक अजीब सी गंध तैर रही थी...ठंडी -2 सी.... चूत और लंड से निकले पानी की गंध थी ये...
करीब आधे घंटे तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद सभी ने एक-2 करके अपने कपड़े पहनने शुरू किए...सभी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे...और वो एक अलग ही खुशी में डूबकर चमक भी रहे थे...और साथ ही सबकी आँखो मे एक प्रश्न भी था की ऐसी महफ़िल फिर कब लगेगी...
शशांक ने उनकी आँखो और मन की बात पड़ ली थी शायद...इसलिए जब सभी लोग कपड़े पहन चुके थे तो वो बोला : "आज की रात मुझे हमेशा याद रहेगी...और शायद आप सभी को भी...और आप सभी ने चाहा तो ये सब ऐसे ही चलता रहेगा...पार्टनर्स बदल-2 कर हम सभी ये मज़ा लगभग रोज ले सकते है..''
सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाकर सहमति जताई.
शशांक और सुमन ये देखकर खुश हो गये की उनकी मेहनत सफल हुई.उनके ग्रुप का निर्माण हो चूका था ।
शशांक : "कल हम सभी आराम करेंगे...परसों दीवाली है...इसलिए सभी लोग अपना-2 काम निपटा कर यहाँ मेरे घर करीब 11 बजे पहुँच जाना..फिर हम एक बार फिर से ये 3 पत्ती गेम खेलेंगे ..''
सभी खुश हो गये..
तभी गुरपाल बोला : "यार शशांक...हम तीनों के अलावा कपूर साहब और गुप्ता जी भी तो है....वो भी तो आएँगे...उनके सामने ये सब कैसे हो पाएगा..''
शशांक ने सुमन की तरफ शरारती नज़रों से देखा और बोला : "ये काम तुम मुझपर और सुमन पर छोड़ दो...और आप सब भी मेरे अनुसार चलना ,फिर देखना, कैसे वो लोग भी अपने-2 पार्टनर्स के साथ इस खेल में शामिल हो जाएँगे...अब बस आप दीवाली के दिन होने वाले खेल की तैयारी करो, उस दिन धमाका होगा...एक ऐसा धमाका जो सभी के लंड और चूतों में आग लगा देगा...''
शशांक की बात सुनकर सभी हंस पड़े..और फिर रात के करीब 3 बजे सब एक-2 करके अपने घर चले गये.
अब सभी को इंतजार था तो बस दवाली के दिन का.
दीवाली के जुए का.
लेकिन उसकी गांड के छेद में लंड डालकर राहुल को ऐसा लगा जैसे वो किसी और ही दुनिया में आ चुका है...उसके लंड पर माँस के एक छल्ले ने जोरदार जकड़न के साथ मखमली एहसास दे रखा था.
सरदारनी ने तकिये को ज़ोर से पकड़कर मसल डाला और अपनी गांड की गाड़ी को आगे पीछे धक्का देने लगी, राहुल का लंड उसके पिछवाड़े में अटका पड़ा था जो उसके हिलने से अंदर बाहर हो रहा था....राहुल तो बस उसकी गांड पर हाथ रखकर उसके मखमली एहसास का मज़ा ले रहा था, बाकी का काम तो डिंपल कर रही थी...सच में बड़ी गर्म औरत थी वो..ऐसी सरदारनी की दिन मे चूत और अब गांड मारकर राहुल भी फूला नही समा रहा था.
उधर गुरपाल को नीचे लिटा कर सुमन उसके उपर सवार हो चुकी थी, और अपने घने बालों को और उपर करके वो मस्ती मे उछल रही थी उसके लंड पर...गुरपाल भी थोड़ा उपर की तरफ मुड़कर उसके मुम्मो को दोहता हुआ ज़ोर-2 से अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था..दोनो की चीखों से सॉफ जाहिर था की किसी भी वक़्त दोनो झड़ सकते है..
''आआआआआआअहह सुमन भाभी.....आपके ये मुम्मे कितने मजेदार है.....इन्हे हर रोज दबाने का मन करेगा अब तो....आआआआआआआआआहह''
सुमन भी चिल्लाई : "तो दबा लेना......जब मर्ज़ी हो....... आ जाना...... कोई भी ....... दबा लो.... मार लो.... कुछ भी करो...... सब खुला है....''
सुमन ने तो खुल्ला ऑफर दे डाला सभी को.... वैसे भी कमरे में मोजूद सभी लोग जानते थे की ऐसी महफ़िल तो अब रोज लगा करेगी...सुमन ने तो बस इस बात पर मोहर लगाई थी..
और सुमन ने जब अपने आख़िरी शब्द बोले तो उसके अंदर का लावा फुट पड़ा और उसने भरभराकर अपना ऱज गुरपाल के लंड के उपर छोड़ दिया..
गुरपाल भी उसके गरमा गरम तेल में नहाकार उत्तेजना के शिखर पर जा पहुँचा और अपने लंबे लंड का झंडा वहां गाड़ कर उसने भी सफेद लावा बिखेरना शुरू कर दिया...उसकी चूत की घाटी में ..जो धीरे-2 बहता हुआ अपने आप ही बाहर निकल आया...
सुमन भी निढाल सी होकर नीचे लुडक गयी, और गुरपाल ने बचा हुआ माल उसके चिकने पेट के ऊपर बरसाकर उसे अपने रंग से नहला दिया
राहुल का तो आज बुरा हाल था...उसकी जिंदगी की ये पहली गांड मराई थी, इसलिए कुछ ज़्यादा ही एक्साइटेड होकर वो ज़्यादा स्पीड से सरदारनी की गांड पेल रहा था...और चुदाई का तो नियम है, जितनी तेज़ी से आप अपनी गाड़ी चलाओगे, उतनी जल्दी आपका चालान कटेगा...राहुल के साथ भी यही हुआ...हद से ज़्यादा स्पीड, गांड मारने की एक्ससाइटमेंट और गांड के छल्ले की जोरदार ग्रिप ने उसके लंड की स्पीड को हद से आगे पहुँचा दिया और उसके लंड ने भी दे दना दन सरदारनी की गांड में गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी....वो उसकी फेली हुई गाण्ड को पकड़कर ऐसे झटके मारने लगा जैसे उसके अंदर का सारा माल निकलकर हमेशा के लिए बाहर जा रहा है...और अंत में वो निढाल सा होकर उसकी पीठ पर गिर पड़ा...
डिंपल की चूत की आग अभी तक नही बुझी थी, इसलिए वो पलटकर सीधी हुई और राहुल को नीचे लिटा कर खुद उसके मुँह पर जाकर बैठ गयी...और वो भी बड़े अधिकार से, जैसे उसके बाप प्लॉट हो ...राहुल ने भी मना नही किया, क्योंकि उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू उसे बहुत पसंद आई थी,वो अपनी जीभ निकाल अकर उसकी चूत को चोदने लगा..डिंपल के लिए इतना ही बहुत था...वो भी मचलती हुई उसके होंठों और मुँह पर अपनी चूत को रगड़कर अपने ओर्गेज़म के करीब पहुँचने लगी..
और सबा की तो बात ही ना पूछो, शशांक ने पता नही कैसा तिलस्मी तेल लगाया था अपने लंड पर की वो ना तो झड़ने का नाम ले रहा था और ना ही उसकी स्पीड कम हो रही थी...सबा बेचारी ढंग से साँस भी नही ले पाती थी की 3-4 झटके मारकर शशांक उसे और ज़्यादा तडपा देता था...आज जैसी चुदाई सच में सबा की पहले नही हुई थी...वो अपने उपर नीचे हिलते हुए मुम्मो को पकड़ने का असफल प्रयास करती हुई चिल्लाए जा रही थी....
''याआआआआ अल्लाआाआआहह ..........मार डाला आज इसने................ ऐसा मज़ा आज तक नही मिलाआाआअ.... आआआआआआआहह ऐसे ही मारो मेरी....... सब माआआआअरो...... रंडी बना डालो मुझे इस सोसायटी की............ चोदो मुझे............ ज़ोर-2 से चोदो ................ आआआआआआआआहहयययययययययययययीीईईईईईईईई''
और ना जाने क्या-2 बुदबुदाती हुई वो झड़ती चली गयी....पर शशांक था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था...निढाल सी हो चुकी सबा को उसने उल्टा किया और बेड पर चित्त लिटा दिया, और उसकी चूत की पंखुड़ी को फेला कर अपना लंड एक बार फिर से अंदर डाल दिया...इस बार सबा ने अपना मुँह बेड के अंदर घुसा कर अपनी चीख रोकी, क्योंकि पीछे से लॅंड डलवाने में ज़्यादा दर्द का एहसास हो रहा था...उपर हाथ करके उसने चादर को पकड़ लिया और पीछे से मिल रहे झटको को महसूस करती हुई सिसकारियाँ मारती हुई अपनी चूत मरवाने लगी..
ऐसी गोल मटोल गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा,इसका शशांक को अच्छी तरह से अंदाज़ा था, लेकिन उसके छेद को देखकर वो जान चुका था की वो पीछे से अभी तक कुँवारी है, इसलिए उसने भी गांड मारने की कोशिश नही की,शायद जल्द ही उसे मौका मिल जाए...
उसकी गांड के गुलाबी छेद को देखते हुए शशांक के लंड ने आग उगलनी शुरू कर दी...और वो भी किसी सियार की तरह उपर मुँह करके चिल्लाता हुआ झड़ने लगा...
''आआआआआआआअहह ओह सबाआआआआअ.... मेरी ज़ाआाआआआआअन्णन्न् ...कितने महीनो का सपना आज पूरा हुआ है..... तेरी चूत में अपना माल निकालने का............ आआआआआआहह ले मेरी रानी..... मेरा माल अपनी चूत में .....''
राहुल भी अपने बॉस को इतनी चीप भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान था....अंदर से जानता तो वो शुरू से ही था की उसकी बीबी को सभी लोग दूसरी नज़रों से देखते है,पर आज शशांक के मुँह से ये बात उजागर होती देखकर उसे सब समझ मे आ गया की सबा को चोदने के लिए ही उसके बॉस ने ये सारा जाल बिछाया था..
लेकिन अब तो कुछ हो नही सकता था...वैसे भी वो और सबा इस जाल में फंसकर काफ़ी खुश थे...और शायद आगे भी ऐसे ही फंसकर रहना चाहते थे.
राहुल के मुँह पर चूत के बल डांस करती हुई सरदारनी को भी अपनी मंज़िल मिल गई...और उसने भी अपना पानी राहुल के मुँह में निकाल कर चैन की साँस ली...
अब पूरे कमरे में एक अजीब सी गंध तैर रही थी...ठंडी -2 सी.... चूत और लंड से निकले पानी की गंध थी ये...
करीब आधे घंटे तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद सभी ने एक-2 करके अपने कपड़े पहनने शुरू किए...सभी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे...और वो एक अलग ही खुशी में डूबकर चमक भी रहे थे...और साथ ही सबकी आँखो मे एक प्रश्न भी था की ऐसी महफ़िल फिर कब लगेगी...
शशांक ने उनकी आँखो और मन की बात पड़ ली थी शायद...इसलिए जब सभी लोग कपड़े पहन चुके थे तो वो बोला : "आज की रात मुझे हमेशा याद रहेगी...और शायद आप सभी को भी...और आप सभी ने चाहा तो ये सब ऐसे ही चलता रहेगा...पार्टनर्स बदल-2 कर हम सभी ये मज़ा लगभग रोज ले सकते है..''
सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाकर सहमति जताई.
शशांक और सुमन ये देखकर खुश हो गये की उनकी मेहनत सफल हुई.उनके ग्रुप का निर्माण हो चूका था ।
शशांक : "कल हम सभी आराम करेंगे...परसों दीवाली है...इसलिए सभी लोग अपना-2 काम निपटा कर यहाँ मेरे घर करीब 11 बजे पहुँच जाना..फिर हम एक बार फिर से ये 3 पत्ती गेम खेलेंगे ..''
सभी खुश हो गये..
तभी गुरपाल बोला : "यार शशांक...हम तीनों के अलावा कपूर साहब और गुप्ता जी भी तो है....वो भी तो आएँगे...उनके सामने ये सब कैसे हो पाएगा..''
शशांक ने सुमन की तरफ शरारती नज़रों से देखा और बोला : "ये काम तुम मुझपर और सुमन पर छोड़ दो...और आप सब भी मेरे अनुसार चलना ,फिर देखना, कैसे वो लोग भी अपने-2 पार्टनर्स के साथ इस खेल में शामिल हो जाएँगे...अब बस आप दीवाली के दिन होने वाले खेल की तैयारी करो, उस दिन धमाका होगा...एक ऐसा धमाका जो सभी के लंड और चूतों में आग लगा देगा...''
शशांक की बात सुनकर सभी हंस पड़े..और फिर रात के करीब 3 बजे सब एक-2 करके अपने घर चले गये.
अब सभी को इंतजार था तो बस दवाली के दिन का.
दीवाली के जुए का.