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Adultery शर्मिली भाभी
#15
चूंकि अभी गर्मी के दिन नहीं थे इसलिये कूलर का उपयोग नहीं होता था और बंद ही रहता था। मैने अपने खाली समय में छत में जा कर उस कूलर के पिछले हिस्से से उसमें लगी खस को काफ़ी कुछ निकाल दिया था और एक जगह से छेद जैसा बना दिया था, कूलर के उसी छेद से मैं भाभी के कमरे की हर चीज को असानी से देख सकता था। मैं दौड़ते हुए अपने कमरे की तरफ़ गया और फ़िर वहां से तेज चाल चलते हुए रश्मी के कमरे दरवाजे के पास जा कर खड़ा हुआ और दरवाजे पर कान लगा कर सुनने की कोशीश करने लगा कि अंदर मेंरी जानेमन क्या कर रही है? मुझे अंदर उसके चहल कदमी की अवाज आई और फ़िर कुछ ही क्षणों में मुझे उसके कपड़ों की अलमारी के खुलने की अवाज आई। मैं तत्काल वहां से हट कर छत में चला गया। वहां घुप्प अंधकार छाया हुआ था बादलों की वजह अकाश में तारे भी नहीं दिख रहे थे।

मैं सीधे कूलर के पास गया और उसके खस को हटा कर बनाए हुए छेद में आंख गड़ाकर देखने लगा। मुझे अंदर का दृष्य उसके कमरे की ट्यूब लाईट की रोशनी के कारण साफ़ दिखई दे रहा था, उसने अलमारी से अपना नाइट गाउन बाहर निकाल कर आल्मारी को बंद किया और वो पलंग की तरफ़ गई वहां उसने अपना गाउन रखा और और उसने अपने पल्लु को हटा कर नीचे गिरा दिया अब उसका ब्लाउस साफ़ दिखाइ दे रहा था अब उसने अपने लहंगे में फ़ंसी साड़ी को भी निकाल कर अलग कर दिया । वो अब केवल लहंगे और ब्लाउस में खड़ी थी । तभी अचानक वो चलते हुए कूलर की तरफ़ बढी मैने देखा चलते वक्त उसके वक्ष बेहतरीन अंदाज में हिल रहे थे। कूलर के ठीक नीचे टी.वी. था वो उसके पास आइ और टी.वी. चालू कर दिया। अब वो t.v. देखते हुए ही अपना हाथ अपने ब्लाउस की तरफ़ ले गई और उसने उसका पहला बटन खोल दिया

अगर छत में कूलर न होता तो मेंरे और उसके बीच केवल एक हाथ का ही अंतर था। इतने पास से उसका बदन देखने से मेंरा मुंह सूखने लगा और लंड़ ने अंदर बगावत कर दी अब मुझे उसको संभालना मुश्किल हो रहा था। जैसे ही उसने अपने ब्लाउस का पहला बटन खोला मुझे उसकी क्लीवेज साफ़ दिखाई देने लगी अब लंड़ बुरी तरह से कड़क हो गया था और उसे संभालने में मुझे दिक्कत होने लगी मैने उसे सीधा करने के लिये जैसे ही खड़ा होने की कोशीश की उत्तेजना के कारण मै हल्का सा कूलर से टकरा गया और थोड़ी सी टकराने की अवाज हुइ मैं घबड़ा गया और कूलर के पास से हट गया और अपने लंड़ को सीधा किया। मुझे ऎसा लगा कि मैं वहां से भाग जाऊं लेकिन रश्मी का गदराया बदन देखने की चाहत में फ़िर जोखिम उठाते हुए कूलर में आंख गड़ाकर अंदर देखने लगा। t.v. चलने की वजह से उसने उस अवाज को नहीं सुना था , मैने देखा वो उसी जगह खडी थी टी.वी. देखते हुए अब तक उसने अपने ब्लाउस के सभी बटन खोल लिये थे और उसकी ब्लाउस के अंदर से मुझे उसकी गुलाबी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी छातीयां पूरी गोलाईयां लिये थी और वो पूरी तरह से कड़क थी लग्भग ३८ की साईज और पूरी तरह से कड़क स्तन मेंरा लंड़ अपने आप हरकत करने लगा और झटके देने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 19-06-2020, 05:31 PM



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