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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
#75
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मेरे उन मेच्यूर दिमाग़ में कुच्छ पल्ले पड़ा कुच्छ नही, पर मे इतना ज़रूर समझ गया, कि भाभी मेरी सब जायज़, नाजायज़ ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं, और जब जिस काम की ज़रूरत होगी वो ज़रूर करेंगी..



मे अपनी पढ़ाई में जुट गया.. समय निकलता रहा, भाभी की प्रेग्नेन्सी का समय नज़दीक आता जा रहा था, अब उनका पेट काफ़ी बड़ा हो गया था.



मे उनके पेट पर हाथ फेर्कर उनको चिड़ाया करता, कभी उनके पेट पर कान लगाकर बच्चे से बात करता.. छोटी चाची, समय समय पर भाभी की देख भाल कर देती.



आख़िरकार वो समय आ गया और भाभी ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया.

सभी बहुत खुश थे उस नन्ही परी के आने से जिसका नाम मेने रूचि रखा.



कुच्छ दिनो बाद मेरे एग्ज़ॅम भी हो गये, और अब में एक बार फिर बोर्ड की क्लास में पहुँच गया था.



उधर कृष्णा कांत भैया ने ग्रॅजुयेशन के फाइनल के साथ प्फ्र के एग्ज़ॅम भी दे दिए थे, और उनका सेलेक्षन होना लगभग तय था.



रामा दीदी ने 1स्ट एअर प्राइवेट से क्लियर कर लिया था, लेकिन प्रेग्नेन्सी की वजह से भाभी एग्ज़ॅम नही दे पाई, जिसका उनको मलाल था.



लेकिन वो जिंदगी के आहें एग्ज़ॅम में तो पास हो ही चुकी थी.



कुच्छ दिनो के बाद मनझले भैया का पीसीएस का रिज़ल्ट आ गया, रॅंक के हिसाब से उनको डीएसपी की पोस्ट के लिए सेलेक्ट किया गया था, अब उन्हें कुच्छ महीनो के लिए ट्रैनिंग पर जाना था.



मेरा इस साल बोर्ड था, सभी को मेरे भविश्य की चिंता थी, सो कॉलेज के पहले दिन से ही सबका अटेन्षन मेरे उपर ही था.



उस दिन सनडे था, दोनो बड़े भाई भी घर आए हुए थे, कल मंझले भैया को ट्रैनिंग के लिए निकलना था, घर में थोड़ा मिल बैठ कर खाने का प्रोग्राम रखा था.



हमारे परिवार में मेरे यहाँ ही मिक्सर था, जो बड़े भैया की शादी में आया था, और इस समय वो छोटी चाची के यहाँ था, वो किसी काम के लिए ले गयी थी उसे.



वैसे तो चाची को भी हमारे घर ही आना था, लेकिन थोड़ा काम जल्दी हो जाए तो भाभी ने मुझे कहा – लल्लाजी ! छोटी चाची के यहाँ से अपना मिक्सर तो ला दो ज़रा, कुच्छ नारियल वग़ैरह की चटनी भी बना लेंगे..



छोटे चाचा का घर भी बगल में ही था, उन्होने अपने हिस्से में अपनी ज़रूरत के ही हिसाब से दो कमरे और एक छोटा सा किचेन मेन गेट के साथ ही बना रखे थे, वाकई की ज़मीन में उँची सी बाउंड्री से कवर कर रखा था.



बाउंड्री की पीछे की दीवार पर छप्पर डाल कर गाय-भैंस के लिए जगह कर रखी थी उसीके साथ में चारा काटने की मशीन लगा रखी थी जो एक सिंगल फेज़ की मोटर से चल जाती थी.



मे चाची के घर पहुँचा तो उनका मैं गेट अंदर से बंद था, मेने गेट खटखटाया, तो अंदर से चाची की आवाज़ आई… कॉन है…?



मे हूँ चाची… मेने जबाब दिया तो वो बोली – रूको लल्ला .. अभी गेट खोलती हूँ..

थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….



थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….



सामने चाची मात्र एक पेटिकोट में जो उनकी पहाड़ की चोटियों जैसी चुचियों पर सिर्फ़ लपेटा हुआ था और वो उसे एक हाथ से पकड़े हुए थी,



वही पेटिकोट नीचे उनके घुटनों से भी 2-3” उपर तक ही आ रहा था और उनकी गोल-गोल खंबे जैसी मांसल जांघे दिखाई दे रही थी.



गेट खोलते ही वो मुझे देख कर मुस्काराई और बोली – आओ छोटू लल्ला..! और इतना कह कर पलट गयी.. अब उनकी हाहकारी गांद मेरी आँखों के सामने थी.



उनकी गांद पीछे को इतनी उभरी हुई थी कि, कमर के कटाव पर अगर कोई तौलिया रख दिया जाए तो गॅरेंटीड वो गिर नही सकता.



उपर से आगे को खिंचा हुआ पेटिकोट.. लगता था गांद के प्रेशर से कहीं फट ना जाए…



कसे हुए पेटिकोट में उनकी गांद ऐसी लग रही थी मानो दो बड़ेवाले तरबूज फिट हो रहे हों…. दोनो के बीच की दरार तरबूजों की कसावट की वजह से बहुत ही कम दिखाई दी मुझे…



वो अपनी तरबूजों को मटकाते हुए अपने बाथरूम की ओर चल दी जो किचेन के साइड से मात्र 3 फीट की तीन तरफ से ऑट सी लगाकर नहाने-धोने के लिए बना रखा था.



उनके मटकते हुए कूल्हे ऐसे लग रहे थे, मानो एक दूसरे से शर्त लगा रहे हों.. कि मे बड़ा कि तू.…



अब रहने वाले दो ही तो प्राणी थे.., शादी के 10 साल बाद भी इतनी उपजाऊ ज़मीन से भी चाचा कोई फसल नही काट पाए थे.



चाची की इस जान मारु गांद को देख कर मेरा पप्पू फड़कने लगा… अब कुच्छ दिन पहले ऐसा कुच्छ हुआ होता तो शायद मेरे लिए ये नॉर्मल बात होती,



लेकिन अब भाभी ने मेरे नाग से जहर निकाल कर ये जता दिया था, कि नारी का बदन क्या, क्यों और किसलिए होता है..?



वो अपनी लंड फादू गांद को मटकाते हुए बाथरूम की ओर बढ़ते हुए बोली – और बतो लल्ला.. कैसे आना हुआ..?



मे हड़बड़ा कर बोला – वो चाची… वो..वो.. भाभी ने.. वो मिक्सर लाने के लिए बोला है…



चाची – अच्छा हां ! तुम थोड़ी देर बैठो.. उसके जार को साफ करना है अभी.. मे थोड़ा नहा लेती हूँ.. उसके बाद साफ करके दूँगी..



मे वहीं आँगन में पड़ी चारपाई पर पैर लटका कर बैठ गया, और कनखियों से उनके बाथरूम की तरफ देखने लगा..
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 17-06-2020, 05:58 PM



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