17-06-2020, 01:35 PM
‘‘क्या झूठ ?”
‘‘कि औफिस में…”
‘‘नहीं, सच कहा था.”
‘‘तो वहीं रहती.”
‘‘बौस देह मांग रहा था,” उस ने साफसाफ कहा.
‘‘क्या…?” मैं अवाक रह गया.
काफी देर बाद मैं ने कहा, ‘‘चलो, मुझे माफ कर दो. गलतफहमी हुई.”
‘‘गलतफहमी में तो तुम अभी भी हो….”
‘‘मतलब…?” मैं इस बार चौंका, ‘‘कैसे?‘‘
‘‘फिर कभी,” नीना ने हंस कर कहा.
‘‘कि औफिस में…”
‘‘नहीं, सच कहा था.”
‘‘तो वहीं रहती.”
‘‘बौस देह मांग रहा था,” उस ने साफसाफ कहा.
‘‘क्या…?” मैं अवाक रह गया.
काफी देर बाद मैं ने कहा, ‘‘चलो, मुझे माफ कर दो. गलतफहमी हुई.”
‘‘गलतफहमी में तो तुम अभी भी हो….”
‘‘मतलब…?” मैं इस बार चौंका, ‘‘कैसे?‘‘
‘‘फिर कभी,” नीना ने हंस कर कहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.