15-06-2020, 03:51 PM
साली सलहज कोहबर
साली सलहज के बिना तो कोहबर क्या ससुराल एकदम सूनी रहती है , और यहाँ तो एकदम गचम गच ,
और वो भी एक दोनों नहीं चार चार टीमें
सबसे छोटी सालियों , छुटकियों की टीम की लीडर थी , मेरी सबसे छोटी बहन , इनकी ख़ास , ... छुटकी
और साथ में मेरी मंझली बहन भी उन दोनों की सहेलियां , गांव की लड़कियां मेरी कजिन्स ,
दूसरी टीम मेरी उम्र वाली , मेरी कजिन , गाँव वाली मेरी बहने , और सहेलियां , चंदा जिसकी लीडर थी ,
और उसके बाद सहलज और चौथी टीम सास लोगों की जो आग जरा भी धीमी पड़ती तो बहुओं , बेटियों को उकसाकर ,...
रस्में शुरू हो गयी ,
एक रस्म थीं एक कपडे की गठरी की गाँठ उन्हें खोलनी थी , सात गांठे , एक से एक टेढ़ी , छह गांठे इनकी सलहजों ने लगाई थी सातवीं मैंने लगाई थी , पूरी ताकत से , ..
उनके दोनों हाथ अभी भी उनकी छोटी सालियों के कब्जे में थे , बड़ी मुश्किल से नेग का वायदा करने पर उन सबने एक हाथ छोड़ा , वो भी बाँया , और उन्हें वो सातो गांठे खोलनी थी , दस की गिनती पूरे होने तक ,...
दोनों हाथ से एक गाँठ खुलनी मुश्किल थी यहाँ सिर्फ एक हाथ से वो भी बाएं ,...
मैं भी बड़े ध्यान से देख रही थी ,
मेरी सब भाभियों ने गाँठ बांधते , मेरे मन में ये गाँठ बंधवा दी थी ,... अगर कोहबर में दूल्हे ने गाँठ खोल ली न तो सोच लो कल रात तेरी लहंगे के नाड़े की गाँठ खुलना तय ,
एक हाथ से कैसे खोल पाएंगे , सपोर्ट कैसे किधर से , मैं सोच रही थी ,
लेकिन मेरी आँखे फटी रह गयी , उन्होंने अपनी देह का सपोर्ट ,
और, जब तक गिनती शुरू भी नहीं हुयी थी , मेरी वाली गाँठ खुल गयी , ...
और देखते देखते , सातो गांठे ,...
और मेरी सब भाभियों की मुस्कराती चिढ़ाती निगाहें मेरी ओर थी ,
जिसका सिर्फ एक मतलब था , ... बिन्नो अब तू लाख कोशिश करले , कल तेरा नाड़ा खुल के रहेगा .
और अब बाती मिलाने की रस्म हुयी जो सलहज करवाती है , और अब उनकी नेग माँगने की बारी थी ,
और अब की चंदा मेरी सहेली ने साली और ननद दोनों का हक़ अदा किया और बोली ,
"जीजू , जो बाती मिलवा रही हैं , बस वही, उन्ही को मांग लो , ... नेग में ,... "
रीतू भाभी बाती मिलवाने की रस्म करवा रही थी , और जिस तरह से उन्होंने भाभी की ओर देखा , ...
वो भी लजा गयीं , और बोलीं ,
'चल पहले मेरी ननद से निबटो ,... परसों सबेरे फोन कर के पूछूँगी , क्या हुआ , जिसको ले जा रहें हैं उसका भरतपुर लूट पाए की नहीं ,... ""
लेकिन अब वो भी रस्मो के , कोहबर की मस्ती में आ गए थे ,
और उनकी सालियाँ भी जोर जोर से उनका साथ दे रही थीं ,
और तय हुआ की जब वो होली में ससुराल आएंगे तब , ...
साथ साथ सालियाँ उनका सिंगार कर रही थीं , काजल लगा ,
बिंदी
और फिर खूब चौड़ी सी सीधी मांग , ...
और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , " एक साली ने चिढ़ाया ,
तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "
साली सलहज के बिना तो कोहबर क्या ससुराल एकदम सूनी रहती है , और यहाँ तो एकदम गचम गच ,
और वो भी एक दोनों नहीं चार चार टीमें
सबसे छोटी सालियों , छुटकियों की टीम की लीडर थी , मेरी सबसे छोटी बहन , इनकी ख़ास , ... छुटकी
और साथ में मेरी मंझली बहन भी उन दोनों की सहेलियां , गांव की लड़कियां मेरी कजिन्स ,
दूसरी टीम मेरी उम्र वाली , मेरी कजिन , गाँव वाली मेरी बहने , और सहेलियां , चंदा जिसकी लीडर थी ,
और उसके बाद सहलज और चौथी टीम सास लोगों की जो आग जरा भी धीमी पड़ती तो बहुओं , बेटियों को उकसाकर ,...
रस्में शुरू हो गयी ,
एक रस्म थीं एक कपडे की गठरी की गाँठ उन्हें खोलनी थी , सात गांठे , एक से एक टेढ़ी , छह गांठे इनकी सलहजों ने लगाई थी सातवीं मैंने लगाई थी , पूरी ताकत से , ..
उनके दोनों हाथ अभी भी उनकी छोटी सालियों के कब्जे में थे , बड़ी मुश्किल से नेग का वायदा करने पर उन सबने एक हाथ छोड़ा , वो भी बाँया , और उन्हें वो सातो गांठे खोलनी थी , दस की गिनती पूरे होने तक ,...
दोनों हाथ से एक गाँठ खुलनी मुश्किल थी यहाँ सिर्फ एक हाथ से वो भी बाएं ,...
मैं भी बड़े ध्यान से देख रही थी ,
मेरी सब भाभियों ने गाँठ बांधते , मेरे मन में ये गाँठ बंधवा दी थी ,... अगर कोहबर में दूल्हे ने गाँठ खोल ली न तो सोच लो कल रात तेरी लहंगे के नाड़े की गाँठ खुलना तय ,
एक हाथ से कैसे खोल पाएंगे , सपोर्ट कैसे किधर से , मैं सोच रही थी ,
लेकिन मेरी आँखे फटी रह गयी , उन्होंने अपनी देह का सपोर्ट ,
और, जब तक गिनती शुरू भी नहीं हुयी थी , मेरी वाली गाँठ खुल गयी , ...
और देखते देखते , सातो गांठे ,...
और मेरी सब भाभियों की मुस्कराती चिढ़ाती निगाहें मेरी ओर थी ,
जिसका सिर्फ एक मतलब था , ... बिन्नो अब तू लाख कोशिश करले , कल तेरा नाड़ा खुल के रहेगा .
और अब बाती मिलाने की रस्म हुयी जो सलहज करवाती है , और अब उनकी नेग माँगने की बारी थी ,
और अब की चंदा मेरी सहेली ने साली और ननद दोनों का हक़ अदा किया और बोली ,
"जीजू , जो बाती मिलवा रही हैं , बस वही, उन्ही को मांग लो , ... नेग में ,... "
रीतू भाभी बाती मिलवाने की रस्म करवा रही थी , और जिस तरह से उन्होंने भाभी की ओर देखा , ...
वो भी लजा गयीं , और बोलीं ,
'चल पहले मेरी ननद से निबटो ,... परसों सबेरे फोन कर के पूछूँगी , क्या हुआ , जिसको ले जा रहें हैं उसका भरतपुर लूट पाए की नहीं ,... ""
लेकिन अब वो भी रस्मो के , कोहबर की मस्ती में आ गए थे ,
और उनकी सालियाँ भी जोर जोर से उनका साथ दे रही थीं ,
और तय हुआ की जब वो होली में ससुराल आएंगे तब , ...
साथ साथ सालियाँ उनका सिंगार कर रही थीं , काजल लगा ,
बिंदी
और फिर खूब चौड़ी सी सीधी मांग , ...
और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , " एक साली ने चिढ़ाया ,
तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "