15-06-2020, 03:21 PM
कोहबर के अंदर
और कोहबर में हम दोनों अंदर , ...
बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,...
" स्साले , भोंसड़ी वाले , मादरचोद , रंडी के जने , ...अब जउन तोहार छिनार भाइचोद बहिनिया , रंडी महतारी , गदहाचोदी कुत्ताचोदी बुआ , मौसी कउनो नहीं आएँगी बचाने , अब इहाँ कोहबर में जउन जउन कहा जाये चुप चुप करवाओ , सास , सलहज साली की बात मान के
, ...समझे मादरचोद , माई बहन के भंडुए ,... "
और ऊपर से मम्मी ने आने वाले हमले को और ,... प्यार से उनके गाल पर सहलाते बोलीं ,
" अरे नहीं, काहें मना करेगा ये , ...
आखिर इसकी महतारी चाची बुआ केहू को मना नहीं करती तो ,
लेकिन एक बात ये भी है की बिदायी की साइत छह बजे सुबह की है , ओकरे बाद शुक्र डूब जाएंगे , ... यह लिए , भैया कोहबर क रस्म कुल जल्दी जल्दी , .. जेहसे , टाइम पर बिदाई , ... अरे तोहार सलहज हई बताय देहिंये , ... लेकिन चलो पहले बैठा , ... "
दो पीढ़े रखे गए थे , मेरे और उनके बैठने के लिए , मैं तो धसक से बैठ गयी ,
लेकिन वो बेचारे सहमते हुए , कुछ झुके , ... सोचते रहे ,... फिर कुछ सोच कर पीढ़ी के उपर रखे गए कवर को हटा कर ,...
उसके नीचे कुछ नहीं था , ...
और सलहज सालियों के साथ हंसी का फवारा , ... एक बार हंसी रुकती तो फिर दूसरी बार ,... और मैं भी बगल में बैठी मुस्करा रही थी ,
" काहो , महतारी बहिन सिखाये के भेजीं थी , कोहबर में पिछवाड़े क ख्याल रखना , कतौं कउनो खतरा न होय जाय ,... कुछ घुस गया तो ,... "
मेरी एक चाची इन्हे चिढ़ाते हुए बोलीं ,
पर इनकी एक नयी नवेली सलहज ने मोर्चा खोल लिया ,
" अरे तो ठिकै तो सिखाई , अइसन चिककन मुलायम ई तो वइसने चिक्क्न मुलायम एंकर पिछवाड़ा , ... "
पर गाँव वाली हमारी भौजाइयां , अइसन साफ़ बोली में ,
सीधे एक ने जोर से इनके पिछवाड़े चिकोटी काटा और इनसे सवाल पूछ लिया ,
" अरे साफ़ साफ़ बोला न , की गाँड़ पर खतरा , ... लेकिन ई हम मान नहीं सकते की आइसन चिकने मस्त नमकीन माल क गाँड़ अभिन तक कोरी बची होगी , और अगर बची है भी तो आज एन्हि कोहबर में ओह्कर भी नेवान हो जाएगा "
( असल में उनकी सावधानी जायज थी , मैंने भी कोहबर में बहुत बार अपनी सहेलियों बहनों की शादी में , पीढ़े के ऊपर पापड़ या कुछ ,... कभी कोई चुभने वाली चीज़ ,... और दूल्हे के बैठते ही , ... वो उचक कर ,... लेकिन सच में लगता है इनके घर में समझा कर , और यही सोच कर जानबूझ के कुछ नहीं रकः गया था , इनकी रगड़वाई वाली चीजें तो अभी आगे थी , ...
यही सोच के मैं मुस्करा रही थी )
और कोहबर में हर उमर की लड़कियां , औरतें , डेढ़ दर्जन से ऊपर तो इनकी सालियाँ ही थीं , ...
कुछ तो छुटकियाँ , ... मेरी छुटकी मंझली ( दोनों नवी दसवीं में थी ) की समौरिया , कुछ मेरी दोनों बहनों की सहेलियां ,
गाँव की लड़कियां और मेरी कजिन्स , ... कुछ सालिया मेरी उम्र की ,
लास्ट आफ टीन्स , ... मेरी दोस्तें , कजिन्स , ...
और करीब उतनी ही सहलजे , ... मेरी कुछ भाभियाँ बॉम्बे और लखनऊ से भी आयी थीं ,
बाकी सब गाँव की , ...
और सास भी कोई कम नहीं थी , मेरी बुआ , चाची , मौसी , ... गाँव की ,... और काम करने वालियाँ , नाउन , कहाईन ,
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
और कोहबर में हम दोनों अंदर , ...
बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,...
" स्साले , भोंसड़ी वाले , मादरचोद , रंडी के जने , ...अब जउन तोहार छिनार भाइचोद बहिनिया , रंडी महतारी , गदहाचोदी कुत्ताचोदी बुआ , मौसी कउनो नहीं आएँगी बचाने , अब इहाँ कोहबर में जउन जउन कहा जाये चुप चुप करवाओ , सास , सलहज साली की बात मान के
, ...समझे मादरचोद , माई बहन के भंडुए ,... "
और ऊपर से मम्मी ने आने वाले हमले को और ,... प्यार से उनके गाल पर सहलाते बोलीं ,
" अरे नहीं, काहें मना करेगा ये , ...
आखिर इसकी महतारी चाची बुआ केहू को मना नहीं करती तो ,
लेकिन एक बात ये भी है की बिदायी की साइत छह बजे सुबह की है , ओकरे बाद शुक्र डूब जाएंगे , ... यह लिए , भैया कोहबर क रस्म कुल जल्दी जल्दी , .. जेहसे , टाइम पर बिदाई , ... अरे तोहार सलहज हई बताय देहिंये , ... लेकिन चलो पहले बैठा , ... "
दो पीढ़े रखे गए थे , मेरे और उनके बैठने के लिए , मैं तो धसक से बैठ गयी ,
लेकिन वो बेचारे सहमते हुए , कुछ झुके , ... सोचते रहे ,... फिर कुछ सोच कर पीढ़ी के उपर रखे गए कवर को हटा कर ,...
उसके नीचे कुछ नहीं था , ...
और सलहज सालियों के साथ हंसी का फवारा , ... एक बार हंसी रुकती तो फिर दूसरी बार ,... और मैं भी बगल में बैठी मुस्करा रही थी ,
" काहो , महतारी बहिन सिखाये के भेजीं थी , कोहबर में पिछवाड़े क ख्याल रखना , कतौं कउनो खतरा न होय जाय ,... कुछ घुस गया तो ,... "
मेरी एक चाची इन्हे चिढ़ाते हुए बोलीं ,
पर इनकी एक नयी नवेली सलहज ने मोर्चा खोल लिया ,
" अरे तो ठिकै तो सिखाई , अइसन चिककन मुलायम ई तो वइसने चिक्क्न मुलायम एंकर पिछवाड़ा , ... "
पर गाँव वाली हमारी भौजाइयां , अइसन साफ़ बोली में ,
सीधे एक ने जोर से इनके पिछवाड़े चिकोटी काटा और इनसे सवाल पूछ लिया ,
" अरे साफ़ साफ़ बोला न , की गाँड़ पर खतरा , ... लेकिन ई हम मान नहीं सकते की आइसन चिकने मस्त नमकीन माल क गाँड़ अभिन तक कोरी बची होगी , और अगर बची है भी तो आज एन्हि कोहबर में ओह्कर भी नेवान हो जाएगा "
( असल में उनकी सावधानी जायज थी , मैंने भी कोहबर में बहुत बार अपनी सहेलियों बहनों की शादी में , पीढ़े के ऊपर पापड़ या कुछ ,... कभी कोई चुभने वाली चीज़ ,... और दूल्हे के बैठते ही , ... वो उचक कर ,... लेकिन सच में लगता है इनके घर में समझा कर , और यही सोच कर जानबूझ के कुछ नहीं रकः गया था , इनकी रगड़वाई वाली चीजें तो अभी आगे थी , ...
यही सोच के मैं मुस्करा रही थी )
और कोहबर में हर उमर की लड़कियां , औरतें , डेढ़ दर्जन से ऊपर तो इनकी सालियाँ ही थीं , ...
कुछ तो छुटकियाँ , ... मेरी छुटकी मंझली ( दोनों नवी दसवीं में थी ) की समौरिया , कुछ मेरी दोनों बहनों की सहेलियां ,
गाँव की लड़कियां और मेरी कजिन्स , ... कुछ सालिया मेरी उम्र की ,
लास्ट आफ टीन्स , ... मेरी दोस्तें , कजिन्स , ...
और करीब उतनी ही सहलजे , ... मेरी कुछ भाभियाँ बॉम्बे और लखनऊ से भी आयी थीं ,
बाकी सब गाँव की , ...
और सास भी कोई कम नहीं थी , मेरी बुआ , चाची , मौसी , ... गाँव की ,... और काम करने वालियाँ , नाउन , कहाईन ,
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,