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Adultery सोलवां सावन
#77
सत्रहवीं फुहार 


[Image: sixteen-82a17fa4ce91c72e02e6d13264ea37ad-1.md.jpg]

मेरे सिवाय तेरे और कितने दीवाने हैं 


[i]और मैं रोपती रही ,भीगती रही ,सोखती रही उसकी बूँद बूँद। 
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे लिपटे रहे। 

न उसका हटने का मन कर रहा था न मेरा। 

बाहर तूफान कब का बंद हो चुका था ,लेकिन सावन की धीमी धीमी रस बुंदियाँ टिप टिप अभी भी पड़ रही थीं , हवा की भी हलकी हलकी आवाज आ रही थी। 
…………

[/i]



[Image: sixteen-tumblr_nr0gp6K5wv1tl6rwso1_540-1.md.jpg]





एक सवाल मेरे मन को बहुत देर से साल रहा था , मैंने पूछ ही लिया ,

" सुन यार, एक बात पूछूं बुरा मत मानना , वो,.... उस दिन , … वो उस दिन ,… मैं सुनील के साथ , वहां गन्ने के खेत में ,… " 
जवाब उस दुष्ट ने तुरंत दिया , अपने तरीके से , कचकचा के मेरी गोरी गोरी चूंची को काट के ,

" तू न हरामी ,सुधरेगी नही , अरे सुनील के साथ क्या , बोल न साफ साफ़ , अब भी तू , … "
मैं समझ गयी वो क्या सुनना चाहता है। और मैं उसी तरह से बोलने लगी , ( जैसे चंपा भाभी और मेरी भाभी बोलती हैं )

" वो वो , उस दिन मैं सुनील के साथ , वहीँ ,.... गन्ने के खेत में चुदवा रही थी तो तूने बुरा तो नहीं माना। " 



धीमे धीमे घबड़ाते मैं बोली।

[Image: sixteen-sugarcrops_sugarcane_clip_image0...2-1.md.jpg]

"पगली ,बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना। अरे सुनील ने तुझे चोदा तो क्या हुआ मैंने भी तो उसके माल को, चंदा को चोदा। तू न एकदम बुद्धू है , अरे १०-१२ दिन के लिए गाँव आई है तो खुल के गाँव का मजा ले न , फिर ये तो पूरे गाँव को मालूम है न की तू माल किसकी है ?"



" एकदम ", 


ख़ुशी से उसके सीने पे अपनी कड़ी कड़ी चूंचियां रगड़ती मैं बोलीं। 

[Image: nips-e0bd079dc08319c77ceead0294873eae.jpg]

" इसमें किसी को कोई शक हो सकता है क्या , सबके सामने मेले में मैंने खुद ही बोला था ,मैं तेरा माल हूँ , थी और रहूंगी। आखिर मेरी कोरी जवानी को , मेरी कच्ची कली को , .... "



उसने चूम के मेरा मुंह बंद करा दिया , और बोला ,

" बस तो तुझे जवाब मिल गया न। सारे गाँव के लड़के मुझसे जलते हैं की एक तो पहली बार मैंने तेरी ली, दूसरे एक दो बार भले कोई ले ले माल तो तू मेरी ही है। बस ये याद रखना ,तू मेरी माल है और रहेगी। "

" एकदम , "

खुश हो के मैं बोली और अबकी मैंने अपने तरीके से ख़ुशी जाहिर की , उसके सोते जागते शेर को पुचकार के। लेकिन जरा सा मेरे मुठियाते ही वो फिर अंगड़ाई लेने लगा। 



[Image: sixteen-209.jpg]

 तो एक ख़ुशी में हो जाय एक राउंड और मेरे माल की चुदाई " 

वो बोला और उसकी ऊँगली मेरी मलाई भरी बुर में। 


[Image: sixteen-7cd91589396592196a6f8b08779c1a6a-1.jpg]

" तुझे न बस एक चीज सूझती है " 
गुस्से से बुरा सा मुंह बना के मैं बोली लेकिन मेरे हाथ उसे मुठियाते ही रहे। 


कुछ रुक के मैंने फिर कहा , मैं गुस्सा हूँ तेरे से। 




[Image: tumblr-static-c6engy19ttkw0ow0s8csc8kgs.jpg]




" क्यों मेरी सोन चिरैया क्या हुआ , "गाल चूमते वो बोला। 



" मैं तेरा माल हूँ , मैं मानती हूँ , पूरा गाँव मानता है , तो फिर तुम पूछते क्यों हो तेरा माल है जब चाहे तब चढ़ जाओ। "
खिलखिलाते मैं बोली लेकिन मैंने जोड़ा 











“खिड़की खोल दो न उमस हो रही है तूफान तो बंद हो गया है।“

वो खिड़की खोलने गया और पीछे पीछे मैं,

उसे पीछे से पकड़ कर , उसके पीठ में अपने जुबना की बरछी धँसाते, जीभ से उसके कान में सुरसुरी करते उसके इयर लोब को हलके से काट के मैंने उसके खूंटे को दायें हाथ में पकड़ ,हलके से मुठियाते पूछा ,



" राज्जा , ये कितनी की सुरंग में घुस चूका है " 

और बिना पीछे मुड़े उसने नाम गिनाने शुरू कर दिए ,



" कजरी ,पूरबी ,चंदा , उर्मि , … , … " कुल १८ नाम थे , आधे दर्जन से ज्यादा तो मैं जानती थी , वो सब अब मेरी पक्की सहेलियां थी , तीन चार उसकी भाभियाँ और बाकी सब खेत और घर में काम करनेवालियाँ, मिल मैं उन सब से भी चुकी थी। 


[i]" तेरे गाँव से वापस लौटने से पहले तेरा रिकार्ड तोड़ दूंगी ,कम से कम बीस " [/i]

[Image: sixteen-035-1.md.jpg]


जोर जोर से उसकी पीठ पर अपनी छोटी छोटी नयी आई चूंची रगड़ती मैंने अपना इरादा जाहिर किया। 

और मेरे इरादे पे उसने सील लगा दी अपने होंठों से , खिड़की खोल के मुड़ के उसने मेरे होंठों को जोर से चूमा और बोला ,



" पक्का , तब मैं मानूंगा की तू मेरी सच में माल है। "





हम दोनों खिड़की से बाहर झाँक रहे थे , यह रात का वह पल था जिसमें रात सबसे गहरी होती है। ढाई तीन बज रहा होगा। 



बाहर घना अँधेरा था , तूफान तो रुक चुका था लेकिन उसके निशान चारो और दिख रहे थे। 



अंदर से कुछ कमरे की रौशनी छन छन कर आ रही थी और उससे ज्यादा मुझे भी गाँव में रहते पारभासी अँधेरे में कुछ कुछ दिखने लगा था। 



अजय के घर के रास्ते वाली पगडण्डी के थोड़ा बगल में वो पुराना पाकुड का पेड़ अररा कर गिरा था , बस बँसवाड़ी के बगल में.



गझिन अमराई की भी एक दो पेड़ों की मोटी मोटी टहनियां गिरी थीं। 



हलकी हलकी बूंदे अभी भी आसमान से झर रहीं थीं , लेकिन उनसे ज्यादा मोटी मोटी बूंदे पेड़ों की पत्तियों से टपक रही थीं , और हम लोगों के घर के छत से तो मोटे परनाले सा पानी बह रहा था। 



हवा अभी भी तेज थी और उसके झोंके से पानी की फुहार हम दोनों के चेहरे को अच्छी तरह भिगो रही थी। मैं खिड़की में लगी सलाखें एक हाथ से पकडे थी , अपना चेहरा खिड़की सटाये बौछार का मजा लेती। और वो मेरे ठीक पीछे , एक हाथ मेरे उभार को दबोचे , और मेरे मस्त नितम्बों के बीच उसका खूंटा अब एकबार फिर ९० डिग्री हो गया था। 



' बौछार कितनी अच्छी लग रही हैं ,न। " मैंने बिना मुंह उसकी ओर घुमाए कहा। 


दोनों हाथों से मेरे निपल्स को पकड़ के गोल गोल घुमाते अपना औजार मेरे पिछवाड़े रगड़ते वो बोला ,


[Image: sixteen-butt77-1.md.jpg]


" जानती हो मेरा क्या मन कर रहा है, "… 

[i]
मैं चुप रही। 

वो खुद बोला ," तुझे बाहर , भीगते पानी में ले जा के हचक हचक के चोदूँ ". 
[/i]




[Image: sixteen-hotrain26.jpg]


      
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Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 26-02-2019, 08:40 AM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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