12-06-2020, 09:58 PM
शशांक ने सुमन की पेंटी उतार दी और उसे भी पूरा नंगा कर दिया...और उसे सोफे पर लिटा कर खुद उसके कदमो में आ बैठा...अब मज़ा लेने की बारी सुमन की थी, उसने अपनी दोनो टांगे शशांक के कंधे पर रख दी और वो अपनी जीभ लपलपाटा हुआ उसकी चूत में मुँह मारने लगा...और अगले ही पल सुमन की गर्म सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज उठा..
''आआआआआआआआआआआहह मेरे राजा.............. एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स ... चूसो .... मेरी चूत को ....... अहह साअले...............भेन चोद ............... चाट मेरी चूत को पूरा.............. चाट इसको .........''
अपने बॉस को इस तरह से गली का कुत्ता बनकर अपनी बीबी से गाली ख़ाता देखकर राहुल भी हंस दिया.ऑफीस में सभी के उपर हुकूमत चलाने वाला उसका ये बॉस इस वक़्त किसी गली के कुत्ते की तरह अपनी बीबी की चूत भी चाट रहा था और उसकी गालियां भी खा रहा था....सच में , चूत में बड़ी ताक़त होती है..
उसने भी देर करनी उचित नही समझी, और सबा को पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया...और एक बार फिर से अपना लंड उसकी चूत में डालकर उसे चोदने लगा..
गुरपाल ने भी डिंपल को घोड़ी बनाया और खड़ा होकर उसके पीछे से अपना लंड उसके अंदर डाल दिया...
सुमन को भी लंड लेने की ललक उठ खड़ी हुई और वो भी उछलकर सोफे से उतर गयी...और शशांक को बिठाकर खुद अपनी गांड उसकी तरफ करके उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया...ऐसा करते हुए उसका चेहरा बाकी की चुदाइयों की तरफ भी था, जिसे वो मिस नही करना चाहती थी.
और इस तरहा से उस कमरे में चुदाई का नंगा नाच शुरू हो गया.
राहुल ने सबा के दोनो मुम्मे पकड़कर उन्हे एक-2 करके चूस डाला....उसे ऐसा करते देखकर शशांक का मन कर रहा था की काश इस वक़्त वो सबा के मुम्मे चूस रहा होता.
सबा भी उसे अपने बच्चे की तरह मुम्मा चुस्वा रही थी, कभी एक निप्पल उसके मुँह में ठूंसती और कभी दूसरा...
गुरपाल तो अपनी धन्नो की गांड को पेलते हुए उसपर चांटे भी बरसा रहा था, क्योंकि वो जानता था की ऐसा करने से डिंपल सरदारनी बहुत उत्तेजित हो जाया करती है..वो तो पहले से ही हो रही थी, राहुल के साथ तो वो चुदाई कर ही चुकी थी, शशांक के साथ चुदाई का सीन बनता देखकर वो घोड़ी की तरह हिनहिनाते हुए अपनी चूत में सरदारजी का लंड पिलवा रही थी...
घचाघच और फका फक की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
और जल्द ही सभी के मुँह से ओर्गास्म की किलकारियाँ निकलने लगी...और एक एक करते हुए सभी एक दूसरे के लंडों और चूतों पर ढेर होने लगे...
सबसे पहले डिंपल सरदारनी झड़ी...
''आआआआआआअहह .......... ओह पााआआआजी........................ उम्म्म्मममममममममम मज़ा आ गया.............''
और फिर सबा की बारी आई...
''आआआआआआआआआआआआअहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... माय डार्लिंग ...................... आई एम कमिंग...................''
और वो अपना गाढ़ापन उसके लंड पर छोड़कर ढीली पड़ गयी..
शशांक और सुमन तो एक साथ बरसे...
''आआआआआआआआआआआआआआआअहह ....... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... डार्लिंग ................. मजाआाआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआआ''
और उनके पीछे-2 राहुल और सरदारजी ने भी अपने-2 गन्ने का रस अपनी बिबीयों की चूतों में निकाल दिया...
और पूरे कमरे में गहरी सांसो के साथ -2 सेक्स की ताज़ा खुश्बू तैर गयी..
शशांक का मन अब इस खेल को अगले मुकाम पर ले जाने का था..
रात के 2 बज रहे थे...और शशांक के घर इस वक़्त सभी लोग नंगे लेटकर अपनी-2 साँसे संयम में लाने का प्रयत्न कर रहे थे...
करीब 10 मिनट के बाद शशांक उठा और अंदर से ताश की गड्डी ले आया..
गुरपाल : "ओये शशांक पाजी, ये कोई वक़्त है पत्ते खेलने का....ऐसे नशीले प्रोग्राम के बाद ये खेल तो बोरिंग सा लगेगा...''
राहुल भी बोला : "यस बॉस, मेरा भी इस वक़्त ये खेलने का कोई मन नही है....और वैसे भी हम इस हिसाब से नही आए थे,मेरी जेब में तो पैसे ही नही है...''
गुरपाल : "हांजी भाई, मेरा भी यही हाल है...''
उसने भी अपनी लूँगी उठा कर लहरा दी...
शशांक (मुस्कुराते हुए) : "फ़िक्र मत करो दोस्तो,आज हम पैसो के बदले नही बल्कि किसी और चीज़ के बदले खेलेंगे..''
उसके कहने का तरीका ही ऐसा था की उस कमरे में बैठे सभी लोगो को समझते देर नही लगी की वो क्या कहना चाहता है...आख़िरकार इस वक़्त सभी के दिमाग़ में सैक्स ही तो दौड़ रहा था.
शशांक ने पत्ते फेंटे हुए सभी के चेहरे देखे...सभी के मन में उथल पुथल चल रही थी...लेकिन कोई कुछ बोल नही रहा था.
शशांक : "अरे यारों ...सिंपल सी गेम है...जो जीतेगा, उसकी बात सभी को माननी होगी...अब आप लोग इसे खेलना चाहते हो या नही,ये आपके उपर है...मैं तो पत्ते बाँट रहा हूँ ..''
राहुल ने सबा की तरफ और गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा...सभी ये दाँव खेलना चाहते थे,पर अपनी तरफ से बोलकर कोई भी पहल नही कर रहा था.
अचानक सबा की तेज आवाज़ आई : "मैं तो खेलूँगी...''
और वो उठी और अपनी चिकनी गांड और मोटे मुम्मे मटकाती हुई नंगी ही जाकर शशांक के सामने बैठ गयी..
शशांक की नज़र सीधा उसकी चूत पर गयी,जिसमें से अभी भी राहुल के लंड का सफेद पानी रिस रहा था...और साथ ही साथ उसने उसके गोरे मुम्मे भी ताड़ लिए,जिसके निप्पल ना जाने क्यो शशांक की नज़र पड़ते ही फेलकर अपनी औकात में आकर बड़े हो गये...
सबा की देखा देखी डिंपल भी उठकर आ गयी और सुमन की बगल में बैठ गयी...राहुल और गुरपाल भी अपने-2 ठुल्लु लटकाते हुए सामने आ गये..
शशांक ने बिना कोई भूमिका बाँधे सभी के सामने पत्ते फेंक दिए...
और बोला : "इस गेम में कोई चाल नही चलेगा...क्योंकि उसका कोई फायदा नही है...जिसके पत्ते बड़े होंगे वो जीत जाएगा..और जो जीतेगा,वो अपनी मर्ज़ी करेगा..''
इतना कहकर उसने अपने पत्ते उठाकर सभी के सामने रख दिए..उसके पास बादशाह के साथ 3,7 नंबर आए थे.
राहुल ने अपने पत्ते पलट दिए, उसके पास इकके के साथ 9,10 आया था.
यानी अभी तक राहुल जीत रहा था, उसके इकके को देखकर और राहुल के लटक रहे लंड को देखकर डिंपल के मन से बस यही दुआ निकल रही थी की या तो राहुल जीते या फिर वो खुद,ताकि वो उसके लंड को चूसकर अपनी प्यास बुझा सके.
लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब सबा ने अपने पत्ते सबके सामने पलटे , उसके पास 9 का पेयर आया था, जिसे देखकर वो खुशी से उछल पड़ी...और साथ ही उछले उसके मुम्मे भी,जिन्हे देखकर गुरपाल और शशांक के लंड धीरे-2 खड़े होने लगे..
अगला नंबर गुरपाल का था, उसके पत्तों की शायद दुश्मनी थी उसके साथ, अभी भी उसके पास सबसे बड़ा पत्ता 10 ही आया था..लेकिन इस वक़्त उसे उतना गुस्सा नही आया जितना सुबह आ रहा था, क्योंकि यहाँ जो भी जीते,उसे उम्मीद थी की जीतने वाली अगर लड़की हुई तो उसके लंड को नजरअंदाज नही कर पाएगी...इसलिए उसने अपने पत्ते साइड में रखकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...और वो भी इतनी बेशरमी से की सबा की नज़रें जब उसपर पड़ी तो वो भी हँसे बिना नही रह सकी...लेकिन जब उसके खुंखार लंड को देखा तो वो हँसी एक सिसकारी में बदल गयी, जो उसके होंठों से होती हुई उसकी चूत तक पहुँचकर उसे गीला कर गयी.
डिंपल का नंबर आया, उसने भी अपने पत्ते देखे, उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन सबा से छोटा, 7 का पेयर...यानी अभी तक तो सबा ही जीत रही थी...और किसी को नही पता था की जीतने के बाद वो किसके उपर मेहरबान होगी.
सुमन ने पत्ते देखे, और सभी को ये देखकर आश्चर्या हुआ की उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन 4 का, यानी तीनों लेडीज़ के पास पेयर आए थे,और सबसे बड़े पत्ते लेकर सबा ये गेम जीत चुकी थी.
शशांक ने सबा की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके नर्म हाथों को पीसता हुआ उसे बधाई देता हुआ बोला : "मुबारक हो सबा...तुम जीत गयी...अब तुम अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकती हो...''
सभी को मालूम था की यहाँ 'कुछ भी' का मतलब सिर्फ और सिर्फ सेक्स ही है
सबा कुछ देर तक चुप रही और फिर बोली : "वैसे देखा जाए तो हम तीनों के पास पेयर आया था और हम तीनो ही जीते हुए माने जाएँगे...''
उसका मतलब समझकर शशांक तपाक से बोला : "हाँ , तो ठीक है ना, आप तीनों ही जीते हुए माने जाओगे, तुम तीनो एक-2 करके अपनी-2 विश बोलो...''
सुमन और डिंपल ने मुस्कुराते हुए सबा को देखा और उसे आँखो ही आँखो में थेंक्स कहा.
सबा (सुमन की तरफ देखकर) : "सुमन भाभी, आप ही शुरू करिए ना...''
उसे शायद थोड़ी झिझक सी हो रही थी...सुमन ने भी मना नही किया, वो तो इस मौके पर झपट ही पड़ी, और बोली : "मैं चाहती हूँ की गुरपाल जी मुझे उपर से नीचे तक सक्क करे...''
सक्क तो सिर्फ कहने की बात थी, असल में उसका मतलब फक्क से था
डिंपल का दिल धक्क से रह गया...आज उसे अपने पति को किसी और के साथ शेयर करना था...ये उसके लिए किसी बड़े धक्के से कम नही था..लेकिन वो भी तो किसी और के साथ मज़े लेगी, ये सोचकर उसने अपनी दिल को थोड़ी तसल्ली दी.
गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा और सबा ने आँखो ही आँखो में उसे इशारा करके सुमन के पास जाने की इजाजत दे दी...
अब सबा का नंबर था, आख़िरकार वो जीती हुई थी,सबसे आख़िर में मौका लेकर वो बचा हुआ माल नही लेना चाहती थी.
और वैसे भी अब चाय्स तो सॉफ ही थी,सामने राहुल और शशांक ही बचे थे, अपने पति से तो वो मज़े ले ही चुकी थी,और अब वो बाहर का मज़ा लेना चाहती थी,उसने शशांक की तरफ देखते हुए कहा : "मैं चाहती हूँ की राहुल के बॉस, यानी शशांक मेरे सामने बैठकर ,एक डॉग की तरह, मेरी पुस्सी को चाटें ...जैसे वो सुमन भाभी की चाट रहे थे...''
अपनी पत्नी के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर राहुल की आँखे भी फैल गयी...आज उसकी बीबी उसके बॉस के साथ सैक्स परफॉर्म करेगी , और उसे वो कुत्ता बनाकर अपनी मीठी चूत चूसने के लिए बोल रही थी..कही शशांक को सबा का ये रवेय्या बुरा लग गया तो उसकी नौकरी पर मुसीबत आ जाएगी...
लेकिन शशांक तो सच में कुत्ता बन गया, क्योंकि सबा की बात पूरी होते ही शशांक अपने घुटनो और हाथों के बल चलता हुआ, भौ-भौ की आवाज करता हुआ, किसी कुत्ते की तरह सबा के पास आया और उसके पैरों को चाटने लगा..
ये देखकर सभी की हँसी निकल गयी...
और आख़िर में डिंपल के हिस्से में आया राहुल, और डिंपल को अगर पहला मौका भी मिलता, तब भी वो राहुल का ही नाम लेती...इसलिए वो राहुल के पास खुद ही चल दी और सीधा जाकर उसकी गोद में बैठ गयी
और बोली : "और मैं चाहती हूँ की राहुल मेरे बूब्स को किसी नन्हे बच्चे की तरह पी डाले, इसमें से निकले या ना निकले, लेकिन दूध निकालने की पूरी कोशिश करे''
''आआआआआआआआआआआहह मेरे राजा.............. एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स ... चूसो .... मेरी चूत को ....... अहह साअले...............भेन चोद ............... चाट मेरी चूत को पूरा.............. चाट इसको .........''
अपने बॉस को इस तरह से गली का कुत्ता बनकर अपनी बीबी से गाली ख़ाता देखकर राहुल भी हंस दिया.ऑफीस में सभी के उपर हुकूमत चलाने वाला उसका ये बॉस इस वक़्त किसी गली के कुत्ते की तरह अपनी बीबी की चूत भी चाट रहा था और उसकी गालियां भी खा रहा था....सच में , चूत में बड़ी ताक़त होती है..
उसने भी देर करनी उचित नही समझी, और सबा को पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया...और एक बार फिर से अपना लंड उसकी चूत में डालकर उसे चोदने लगा..
गुरपाल ने भी डिंपल को घोड़ी बनाया और खड़ा होकर उसके पीछे से अपना लंड उसके अंदर डाल दिया...
सुमन को भी लंड लेने की ललक उठ खड़ी हुई और वो भी उछलकर सोफे से उतर गयी...और शशांक को बिठाकर खुद अपनी गांड उसकी तरफ करके उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया...ऐसा करते हुए उसका चेहरा बाकी की चुदाइयों की तरफ भी था, जिसे वो मिस नही करना चाहती थी.
और इस तरहा से उस कमरे में चुदाई का नंगा नाच शुरू हो गया.
राहुल ने सबा के दोनो मुम्मे पकड़कर उन्हे एक-2 करके चूस डाला....उसे ऐसा करते देखकर शशांक का मन कर रहा था की काश इस वक़्त वो सबा के मुम्मे चूस रहा होता.
सबा भी उसे अपने बच्चे की तरह मुम्मा चुस्वा रही थी, कभी एक निप्पल उसके मुँह में ठूंसती और कभी दूसरा...
गुरपाल तो अपनी धन्नो की गांड को पेलते हुए उसपर चांटे भी बरसा रहा था, क्योंकि वो जानता था की ऐसा करने से डिंपल सरदारनी बहुत उत्तेजित हो जाया करती है..वो तो पहले से ही हो रही थी, राहुल के साथ तो वो चुदाई कर ही चुकी थी, शशांक के साथ चुदाई का सीन बनता देखकर वो घोड़ी की तरह हिनहिनाते हुए अपनी चूत में सरदारजी का लंड पिलवा रही थी...
घचाघच और फका फक की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
और जल्द ही सभी के मुँह से ओर्गास्म की किलकारियाँ निकलने लगी...और एक एक करते हुए सभी एक दूसरे के लंडों और चूतों पर ढेर होने लगे...
सबसे पहले डिंपल सरदारनी झड़ी...
''आआआआआआअहह .......... ओह पााआआआजी........................ उम्म्म्मममममममममम मज़ा आ गया.............''
और फिर सबा की बारी आई...
''आआआआआआआआआआआआअहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... माय डार्लिंग ...................... आई एम कमिंग...................''
और वो अपना गाढ़ापन उसके लंड पर छोड़कर ढीली पड़ गयी..
शशांक और सुमन तो एक साथ बरसे...
''आआआआआआआआआआआआआआआअहह ....... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... डार्लिंग ................. मजाआाआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआआ''
और उनके पीछे-2 राहुल और सरदारजी ने भी अपने-2 गन्ने का रस अपनी बिबीयों की चूतों में निकाल दिया...
और पूरे कमरे में गहरी सांसो के साथ -2 सेक्स की ताज़ा खुश्बू तैर गयी..
शशांक का मन अब इस खेल को अगले मुकाम पर ले जाने का था..
रात के 2 बज रहे थे...और शशांक के घर इस वक़्त सभी लोग नंगे लेटकर अपनी-2 साँसे संयम में लाने का प्रयत्न कर रहे थे...
करीब 10 मिनट के बाद शशांक उठा और अंदर से ताश की गड्डी ले आया..
गुरपाल : "ओये शशांक पाजी, ये कोई वक़्त है पत्ते खेलने का....ऐसे नशीले प्रोग्राम के बाद ये खेल तो बोरिंग सा लगेगा...''
राहुल भी बोला : "यस बॉस, मेरा भी इस वक़्त ये खेलने का कोई मन नही है....और वैसे भी हम इस हिसाब से नही आए थे,मेरी जेब में तो पैसे ही नही है...''
गुरपाल : "हांजी भाई, मेरा भी यही हाल है...''
उसने भी अपनी लूँगी उठा कर लहरा दी...
शशांक (मुस्कुराते हुए) : "फ़िक्र मत करो दोस्तो,आज हम पैसो के बदले नही बल्कि किसी और चीज़ के बदले खेलेंगे..''
उसके कहने का तरीका ही ऐसा था की उस कमरे में बैठे सभी लोगो को समझते देर नही लगी की वो क्या कहना चाहता है...आख़िरकार इस वक़्त सभी के दिमाग़ में सैक्स ही तो दौड़ रहा था.
शशांक ने पत्ते फेंटे हुए सभी के चेहरे देखे...सभी के मन में उथल पुथल चल रही थी...लेकिन कोई कुछ बोल नही रहा था.
शशांक : "अरे यारों ...सिंपल सी गेम है...जो जीतेगा, उसकी बात सभी को माननी होगी...अब आप लोग इसे खेलना चाहते हो या नही,ये आपके उपर है...मैं तो पत्ते बाँट रहा हूँ ..''
राहुल ने सबा की तरफ और गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा...सभी ये दाँव खेलना चाहते थे,पर अपनी तरफ से बोलकर कोई भी पहल नही कर रहा था.
अचानक सबा की तेज आवाज़ आई : "मैं तो खेलूँगी...''
और वो उठी और अपनी चिकनी गांड और मोटे मुम्मे मटकाती हुई नंगी ही जाकर शशांक के सामने बैठ गयी..
शशांक की नज़र सीधा उसकी चूत पर गयी,जिसमें से अभी भी राहुल के लंड का सफेद पानी रिस रहा था...और साथ ही साथ उसने उसके गोरे मुम्मे भी ताड़ लिए,जिसके निप्पल ना जाने क्यो शशांक की नज़र पड़ते ही फेलकर अपनी औकात में आकर बड़े हो गये...
सबा की देखा देखी डिंपल भी उठकर आ गयी और सुमन की बगल में बैठ गयी...राहुल और गुरपाल भी अपने-2 ठुल्लु लटकाते हुए सामने आ गये..
शशांक ने बिना कोई भूमिका बाँधे सभी के सामने पत्ते फेंक दिए...
और बोला : "इस गेम में कोई चाल नही चलेगा...क्योंकि उसका कोई फायदा नही है...जिसके पत्ते बड़े होंगे वो जीत जाएगा..और जो जीतेगा,वो अपनी मर्ज़ी करेगा..''
इतना कहकर उसने अपने पत्ते उठाकर सभी के सामने रख दिए..उसके पास बादशाह के साथ 3,7 नंबर आए थे.
राहुल ने अपने पत्ते पलट दिए, उसके पास इकके के साथ 9,10 आया था.
यानी अभी तक राहुल जीत रहा था, उसके इकके को देखकर और राहुल के लटक रहे लंड को देखकर डिंपल के मन से बस यही दुआ निकल रही थी की या तो राहुल जीते या फिर वो खुद,ताकि वो उसके लंड को चूसकर अपनी प्यास बुझा सके.
लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब सबा ने अपने पत्ते सबके सामने पलटे , उसके पास 9 का पेयर आया था, जिसे देखकर वो खुशी से उछल पड़ी...और साथ ही उछले उसके मुम्मे भी,जिन्हे देखकर गुरपाल और शशांक के लंड धीरे-2 खड़े होने लगे..
अगला नंबर गुरपाल का था, उसके पत्तों की शायद दुश्मनी थी उसके साथ, अभी भी उसके पास सबसे बड़ा पत्ता 10 ही आया था..लेकिन इस वक़्त उसे उतना गुस्सा नही आया जितना सुबह आ रहा था, क्योंकि यहाँ जो भी जीते,उसे उम्मीद थी की जीतने वाली अगर लड़की हुई तो उसके लंड को नजरअंदाज नही कर पाएगी...इसलिए उसने अपने पत्ते साइड में रखकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...और वो भी इतनी बेशरमी से की सबा की नज़रें जब उसपर पड़ी तो वो भी हँसे बिना नही रह सकी...लेकिन जब उसके खुंखार लंड को देखा तो वो हँसी एक सिसकारी में बदल गयी, जो उसके होंठों से होती हुई उसकी चूत तक पहुँचकर उसे गीला कर गयी.
डिंपल का नंबर आया, उसने भी अपने पत्ते देखे, उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन सबा से छोटा, 7 का पेयर...यानी अभी तक तो सबा ही जीत रही थी...और किसी को नही पता था की जीतने के बाद वो किसके उपर मेहरबान होगी.
सुमन ने पत्ते देखे, और सभी को ये देखकर आश्चर्या हुआ की उसके पास भी पेयर आया था, लेकिन 4 का, यानी तीनों लेडीज़ के पास पेयर आए थे,और सबसे बड़े पत्ते लेकर सबा ये गेम जीत चुकी थी.
शशांक ने सबा की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके नर्म हाथों को पीसता हुआ उसे बधाई देता हुआ बोला : "मुबारक हो सबा...तुम जीत गयी...अब तुम अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकती हो...''
सभी को मालूम था की यहाँ 'कुछ भी' का मतलब सिर्फ और सिर्फ सेक्स ही है
सबा कुछ देर तक चुप रही और फिर बोली : "वैसे देखा जाए तो हम तीनों के पास पेयर आया था और हम तीनो ही जीते हुए माने जाएँगे...''
उसका मतलब समझकर शशांक तपाक से बोला : "हाँ , तो ठीक है ना, आप तीनों ही जीते हुए माने जाओगे, तुम तीनो एक-2 करके अपनी-2 विश बोलो...''
सुमन और डिंपल ने मुस्कुराते हुए सबा को देखा और उसे आँखो ही आँखो में थेंक्स कहा.
सबा (सुमन की तरफ देखकर) : "सुमन भाभी, आप ही शुरू करिए ना...''
उसे शायद थोड़ी झिझक सी हो रही थी...सुमन ने भी मना नही किया, वो तो इस मौके पर झपट ही पड़ी, और बोली : "मैं चाहती हूँ की गुरपाल जी मुझे उपर से नीचे तक सक्क करे...''
सक्क तो सिर्फ कहने की बात थी, असल में उसका मतलब फक्क से था
डिंपल का दिल धक्क से रह गया...आज उसे अपने पति को किसी और के साथ शेयर करना था...ये उसके लिए किसी बड़े धक्के से कम नही था..लेकिन वो भी तो किसी और के साथ मज़े लेगी, ये सोचकर उसने अपनी दिल को थोड़ी तसल्ली दी.
गुरपाल ने डिंपल की तरफ देखा और सबा ने आँखो ही आँखो में उसे इशारा करके सुमन के पास जाने की इजाजत दे दी...
अब सबा का नंबर था, आख़िरकार वो जीती हुई थी,सबसे आख़िर में मौका लेकर वो बचा हुआ माल नही लेना चाहती थी.
और वैसे भी अब चाय्स तो सॉफ ही थी,सामने राहुल और शशांक ही बचे थे, अपने पति से तो वो मज़े ले ही चुकी थी,और अब वो बाहर का मज़ा लेना चाहती थी,उसने शशांक की तरफ देखते हुए कहा : "मैं चाहती हूँ की राहुल के बॉस, यानी शशांक मेरे सामने बैठकर ,एक डॉग की तरह, मेरी पुस्सी को चाटें ...जैसे वो सुमन भाभी की चाट रहे थे...''
अपनी पत्नी के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर राहुल की आँखे भी फैल गयी...आज उसकी बीबी उसके बॉस के साथ सैक्स परफॉर्म करेगी , और उसे वो कुत्ता बनाकर अपनी मीठी चूत चूसने के लिए बोल रही थी..कही शशांक को सबा का ये रवेय्या बुरा लग गया तो उसकी नौकरी पर मुसीबत आ जाएगी...
लेकिन शशांक तो सच में कुत्ता बन गया, क्योंकि सबा की बात पूरी होते ही शशांक अपने घुटनो और हाथों के बल चलता हुआ, भौ-भौ की आवाज करता हुआ, किसी कुत्ते की तरह सबा के पास आया और उसके पैरों को चाटने लगा..
ये देखकर सभी की हँसी निकल गयी...
और आख़िर में डिंपल के हिस्से में आया राहुल, और डिंपल को अगर पहला मौका भी मिलता, तब भी वो राहुल का ही नाम लेती...इसलिए वो राहुल के पास खुद ही चल दी और सीधा जाकर उसकी गोद में बैठ गयी
और बोली : "और मैं चाहती हूँ की राहुल मेरे बूब्स को किसी नन्हे बच्चे की तरह पी डाले, इसमें से निकले या ना निकले, लेकिन दूध निकालने की पूरी कोशिश करे''