11-06-2020, 01:06 PM
रेणु की आज खैर नहीं वो ये सोच रहीं थी के , किया चुदाई मैं इतना मजा आती हैं . . लेकिन ऐसा मजा उसे कभी इनहीँ आया पहले . . उसे तो आजतक किसने ऐसे दबाया और चूसा भी नहीं था . .
जेठ जी ऐसा सोच रहे थे के , किया रेणु कभी अच्छे से चुदी हैं , नहीं अगर चुदी हुई होती तो आज मेरा बिलकुल रंडी की तरह साथ देती . .
जेठ जी ने रेणु से कहाँ के रेणु अब तुम मेरे उप्पर आ जाओ , तुम्हारी चुत मेरे मुँह के पास और मेरा लंड तुम्हारी मुँह के ऐसे बहुत मजा आएगा देखना . .
रेणु बिलकुल नंगी थी, कसा हुआ बदन उसके उभहेर उभहेर के मसल जाने को तैयार थी . . उसने वैसा ही अपनी चुत को जेठ जी मुँह के ले गयी और अपने मुँह जेठ जी के लंड के पास . फिर शुरू हुई ना खत्म होने वाली चूसा . . दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे उन्हें वर्ल्ड रिकार्ड बनाना हैं . .
जेठ जी प्लीज़ धीरे धीरे जेव चलाइए थोड़ा मैं आने वाली हूँ . . रेणु की मुँह आ उहह इतनी ज़ोर से निकल रहीं थी के घर के लोग सब कमरे के पीछे आ गाए और अंदर का जायजा लेने लगे . .
दोनों जिस पोज़ मैं थे ये देख बाकी तीन ओ भी अपने अपने चुत ख़ूसने मैं ब्यासत हो गये . .
जेठ जी की जेव की प्रहार से रेणु अब नहीं सहम कर पाई और अहह करके झाड़ गयी वो इतना झारी के झरने के बाद वो एकदम बेहोश जैसी हो गयी . .
ये देख बाहर के तीन ओ भी उम्म्म्म आहह करके अपने अपने पैंटी गेली करदी . .
जेठ जी के अब तक नहीं हुए थे . . जेठ जी उठे और रेणु को आवाज़ दी जो प्यार की बरसात के मारे अर्रम से रेस्ट कर रही थी . . रेणु उठो . . जेठ जी ने कहाँ और रेणु की मुँह से उम्म्म की आवाज़ आई . . ऐसा आवाज़ जैसे उसे प्यार की समादर पाने के बाद वापस आई हो . .
जेठ जी ने उसे सीधा लिटाया और फिरसे उसकी चुत पर जेव टीका दिए .
चुत की पंखें ऐसे लग रहे थे जैसे किसने उनको बाहर रस्सी लगजे खेंच के बाहर कर दिया हो . .
दोनों पंखुरियँ को मुंग मैं लेकर एक ज़ोर चुस्की लेते हैं तो रानु अहं करके आँखें खोल देती हैं . .
जेठ जी बिलकुल वैसे ही चोस रहे थे कभी पंखुइयाँ चोस रहे थे तो कभी जेव से चुदाई कर रहे . .
रेणु फिर से झड़ने वाली थी . .
आह . . उम्म्म्म . . जेठ जी मैं आने वाली हूँ . .
जेठ जी जेव से चुदाई जारी रखा और 1 मिनट के अंदर रेणु फिरसे झाड़ गयी . .
जेठ जी उठे और सीधा खड़े लंड को चुत की मुहाने पर टीका दिया चुत गेली थी तो एक झटके मैं आधा लंड सीधा रेणु की चुत मैं चली गयी . .
रानु कसमसाई जैसे किसने गर्म लोहे पेल दिए हो . .
जेठ जी ने फिरसे और एक धक्का मारा तो पूरा का पूरा अंदर चला गया . .
रेणु दर्द के मारे कांप रहे थे . .
जेठ जी ऐसा सोच रहे थे के , किया रेणु कभी अच्छे से चुदी हैं , नहीं अगर चुदी हुई होती तो आज मेरा बिलकुल रंडी की तरह साथ देती . .
जेठ जी ने रेणु से कहाँ के रेणु अब तुम मेरे उप्पर आ जाओ , तुम्हारी चुत मेरे मुँह के पास और मेरा लंड तुम्हारी मुँह के ऐसे बहुत मजा आएगा देखना . .
रेणु बिलकुल नंगी थी, कसा हुआ बदन उसके उभहेर उभहेर के मसल जाने को तैयार थी . . उसने वैसा ही अपनी चुत को जेठ जी मुँह के ले गयी और अपने मुँह जेठ जी के लंड के पास . फिर शुरू हुई ना खत्म होने वाली चूसा . . दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे उन्हें वर्ल्ड रिकार्ड बनाना हैं . .
जेठ जी प्लीज़ धीरे धीरे जेव चलाइए थोड़ा मैं आने वाली हूँ . . रेणु की मुँह आ उहह इतनी ज़ोर से निकल रहीं थी के घर के लोग सब कमरे के पीछे आ गाए और अंदर का जायजा लेने लगे . .
दोनों जिस पोज़ मैं थे ये देख बाकी तीन ओ भी अपने अपने चुत ख़ूसने मैं ब्यासत हो गये . .
जेठ जी की जेव की प्रहार से रेणु अब नहीं सहम कर पाई और अहह करके झाड़ गयी वो इतना झारी के झरने के बाद वो एकदम बेहोश जैसी हो गयी . .
ये देख बाहर के तीन ओ भी उम्म्म्म आहह करके अपने अपने पैंटी गेली करदी . .
जेठ जी के अब तक नहीं हुए थे . . जेठ जी उठे और रेणु को आवाज़ दी जो प्यार की बरसात के मारे अर्रम से रेस्ट कर रही थी . . रेणु उठो . . जेठ जी ने कहाँ और रेणु की मुँह से उम्म्म की आवाज़ आई . . ऐसा आवाज़ जैसे उसे प्यार की समादर पाने के बाद वापस आई हो . .
जेठ जी ने उसे सीधा लिटाया और फिरसे उसकी चुत पर जेव टीका दिए .
चुत की पंखें ऐसे लग रहे थे जैसे किसने उनको बाहर रस्सी लगजे खेंच के बाहर कर दिया हो . .
दोनों पंखुरियँ को मुंग मैं लेकर एक ज़ोर चुस्की लेते हैं तो रानु अहं करके आँखें खोल देती हैं . .
जेठ जी बिलकुल वैसे ही चोस रहे थे कभी पंखुइयाँ चोस रहे थे तो कभी जेव से चुदाई कर रहे . .
रेणु फिर से झड़ने वाली थी . .
आह . . उम्म्म्म . . जेठ जी मैं आने वाली हूँ . .
जेठ जी जेव से चुदाई जारी रखा और 1 मिनट के अंदर रेणु फिरसे झाड़ गयी . .
जेठ जी उठे और सीधा खड़े लंड को चुत की मुहाने पर टीका दिया चुत गेली थी तो एक झटके मैं आधा लंड सीधा रेणु की चुत मैं चली गयी . .
रानु कसमसाई जैसे किसने गर्म लोहे पेल दिए हो . .
जेठ जी ने फिरसे और एक धक्का मारा तो पूरा का पूरा अंदर चला गया . .
रेणु दर्द के मारे कांप रहे थे . .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.