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Adultery Afgan by vir rathore
#5
वही हालनुमा कमरे में आठ बुर्कापोश स्त्रीया एक दूसरे के साथ दबी आबाज में बातें कर रही हैं । तभी सकीना और उनके साथ बडी
बी को कमरे में प्रवेश करती है । कमरे में चुप्पी छा जाती है और सबकी निगाहें सकीना पर टिक जाती है ।

मातमी सूरत लिए अंदर आते हुए सकीना बोली... बुरी खबर है अम्मी राशिद भाई नहीं रहे । इतना बोल कर सकीना की
आखो से आंसू छलक जाते हैं ।....इमरान हाफिज और उसके आदमियों ने बडी बेरहमी से राशिद भाई को हलाक कर दिया सुन
कर सब बैठे हुए लोग सकते में आ गये और उनके चेहरे पर मातम छा गया । कमरे में कुछ क्षणों के लिए शांति छा गयी ।

अचानक सफेद बुर्का ओढे वृद्धा विचलित आवाज में बोली… सकीना…क्या हुआ था? तू और राशिद तो इमरान के पास इस
साल की फ़सल का सौदे की बात करने गये थे ।

अम्मी... किसी बात पर इमरान और राशिद भाई के बीच में तनातनी हो गयी... मुझको राशिद भाई थोडी दूर पर छोड कर
इमरान से बात करने के गये थे । मेरे देखते-देखते ही दोनो के बीच में तेज आवाज में झगडा शुरु हो गया और इससे पहले में
कुछ समझ पाती इमरान ने गोली चला दी… राशिद जख्मी हालत में मेरी तरफ़ आने को मुडे तब तक इमरान के साथी खंजर लेकर
उन पर टूट पडे… मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया....पास ही मेरा घोडा खडा था बस जिसी तरह राशिद भाई को अपने साथ
लेकर मैं जान बचा कर यहा से भाग निवासी ।

चिंता मुक्त हो कर वृद्धा दबे स्वर में बोलती है फिर तो वह लोग यहा पर आने वाले होगे अब की बार यह लोग हम
सबको भी नहीं छोडेंगे ।

सकीना अपनी अम्मी को दिलासा देती है । ....अम्मी मेरा ख्याल है कि इमरान हाफिज हमारी फसल दी ताक में है रास्ते में
ही घायल राशिद भाई का इन्तकाल हो गया था... उस हालत में हम दोनो का बचना मुश्किल था क्योकि इमरान के आदमी मेरा
पीछा को दूर तक करतै रहे रास्ते मे रहमती दर्रे के पार करने के बाद मुझे भाईजान को वहीं छोड़ कर आना पडा क्योकि वहॉ की
चढाई बहुत सीधी थी । मैने खाई के सिरे पर एक खोह में राशिद भाई की लाश छिपा कर निकल भागी कुछ देर तो उन्होंने पीछा
किया परंतु दरें को पार करते ही वह वापिस लौट गये थे ।

अम्मी के मुख से एक हृदयविदारक आह निकलती है हाय अल्लाह... मेरे बेटे राशिद को ऐसे ही छोड आयी… गुस्से से
भग्नाती हुई सकीना अपनी अम्मी करें घूरती हुई… सारे अफगानी मर्द तो एक दूसरे को मारने पर तुले हुए हैं कनी

कही तो कोम के नाम
पर और कभी सियासत के नाम पर… अब हमारे घर में कोई मर्द तो रहा नहीँ… अगर आप बीच में पड़ कर उससे बात करें तो शायद
हम सब की जान बख्श दे । आखिर इमरान आपका भतीजा है ।

....जब से इमरान तालिबानियों की संगत में आया था तभी से वह बहुत जालिम हो गया है उस नामुराद से बात करना
नामुमकिन है....अब किस मुँह से उसके पास जाऊं जब राशिद ने इमरान के अब्बा का कल्ल करवाया था अफीम की खेती ने हमारे
सारा खानदान ही बर्बाद कर के रख दिया बूढी अम्मी सिसकते हुए बोली । बैठे हुए बाकी सभी लोग चुपचाप माँ-बेटी की बातें सुन
रहे थे ।

सकीना अपनी अम्मी को दिलासा देते हुए कहती है राशिद भाई के मरने का उन्हें कोइ इल्म नहीं है यह सिर्फ जानते हैं
कि भाई घायल है इस लिए मुझे लगता है कि अभी तो इमरान हाफिज कुछ भी करने से डरेगा... वैसे तो मुझे कोई सास अफ़सोस नहीं है आखिर मेरे भाई ने कौन सा अच्छा काम जिया है अब्बा के इन्तकाल के बाद से उसने सिर्फ जुल्म ही किया है ।
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Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 24-02-2019, 10:51 AM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 24-02-2019, 10:59 AM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 24-02-2019, 11:28 AM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 24-02-2019, 11:34 AM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 25-02-2019, 02:46 PM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 25-02-2019, 11:09 PM
RE: Afgan by vir rathore - by Harmesh.patidar0 - 26-02-2019, 09:39 AM
RE: Afgan by vir rathore - by Klpd1234 - 17-03-2019, 02:15 PM
RE: Afgan by vir rathore - by Klpd1234 - 17-03-2019, 08:39 PM



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