09-06-2020, 06:27 AM
मुखिया जी नशे में झूमते झूमते रश्मि भाभी के पास आए,और सहारे के लिए हाथ आगे बढ़ाया,उनका हाथ रश्मि भाभी की पीठ पे पड़ा,वो बोले क्या मस्त पेड़ है,आजकल लकड़ी भी इतनी चिकनी होने लगी है कि मन फिसल जाए।हॉस्पिटल के टेबल में इतना चिकना होल था कि पानी निकल गया।और अब इतनी चिकनी लकड़ी,और अपना मुंह आगे बढ़ा के भाभी की पीठ को चूम लिया।भाभी का बदन एकदम से सिहर उठा,लेकिन नशे में उन्हें कुछ पता नहीं चला। फिर उन्होंने अपना हाथ रश्मि भाभी की पीठ पे फेरते हुए ऊपर से नीचे आने लगा और फिर उनका हाथ भाभी की गांड की दरार के अंदर चला गया जहां उन्हें उनकी छेद जैसा महसूस हुआ तो उन्होंने अपना लन्ड निकाला और बोले आज इस पेड़ के छेद में लंड डाल के हिलाऊंगा और अपना लन्ड भाभी की गेंद में पूरा पेल दिया और गिरने से बचने के लिए उन दोनों को पेड़ समझ के पकड़ लिया,भाभी ने भी तिपिया के दोनों ओर से हाथ बढ़ाया और पेड़ को जितना हो सका कस के पकड़ लिया। अब देवर का लन्ड भाभी की चूत में था बिल्कुल अंदर तक समाया हुआ और ससुर का उनकी गांड में।हम और बाकी सब मुखिया जी को उनकी बहु की गांड मारते देख रहे थे। वो इतने नशे में थे कि एक बार भी आंखें खोल के गौर से नहीं देखा,उधर तिपिया भी गरम हो गया था,उसने भी भाभी की चूत में धक्के लगाना सुरु किया।और भाभी भी कब तक रुकती वो भी मजे लेने लगी।हम लोग भी कब तक रुकते स्लो स्पीड में हमारी भी गाड़ी बढ़ने लगी,रश्मि भाभी को देखने के बाद सबका दिल मुझे और राधिका को उनकी तरह ही चोदने का था,और इसलिए हम लोग भी 2-2 लंड संभाले हुए थे,और अपनी चुदाई की आवाज़ को भी। 30मिनट में तिपिया तो भाभी की चूत में झड़ गया लेकिन मुखिया जी तो नशे में मानो झड़ना ही भूल गए थे बस गांड मारे जा रहे थे,रश्मि भाभी की।
इधर एक घंटे में 5 लोगो ने अपना माल निकाल दिया,3 ने मेरी गान्ड में और 2 ने मेरी चूत में । मेरी चूत ने 5 बार पानी बहा दिया था,भाभी की ऐसी हालत देख के मैं ठंडी ही नहीं हो पा रही थी।और 20 मिनट बीत गए मेरी और रश्मि की चुदाई हो चुकी थी।हम दोनों झड़ झड़ के थक गए थे,दिन में और अब अभी करीब डेढ़ घंटे। लेकिन भाभी तो जैसे फसी हुई थी,और 1 घंटे तक वो भाभी की गांड मारते रहे।और तिपिया भाभी को थामे हुए था और सामने से भी चोद रहा था,उसका लन्ड ये सब देख के एक बार फिर से टनटना गया था,और अब भाभी की चूत में था, जब भी वो झड़ती,भाभी को पिसाब भी आ रहा था लेकिन वो रोके हुए थी,उधर मुखिया जी को भी पिशाब लग गया और उन्होंने उस छेद में ही करना सुरु कर दिया,ये हद से ज्यादा था और भाभी अबकी बार खुद को संभाल नहीं पाई और वो भी मूतने लगी।ससुर जी बहू की गांड में मूत रहे थे,और बहू अपने देवर के लंड पे,और तिपिया भी कब तब चुप रहता उसने भी भाभी की चूत में मूतना सुरु कर दिया।नीचे ज़मीन पर तो जैसे पिसाब की बाल्टी गिर गई हो,मुखिया जी एक पल को पीछे हट गए,और तिपिया भी,भाभी तो वहीं बैठ गई,बस अबकी बार उन्होंने बेचैनी में चेहरा सामने कर लिया था।मुखिया जी ने हल्की सी आंख खोली लेकिन कुछ समझ नहीं पाए और लंड पकड़े आगे आके छेद में घुसा दिया,फर्क सिर्फ इतना था कि भाभी घुटनों पर थी,सामने चेहरा किए हुए तो लंड उनकी गान्ड की जगह मुंह के अंदर था और अब ससुर जी बहू का मुंह चोद रहे थे गले के अंदर तक। 20 मिनट के बाद उन्होंने अपना माल भाभी के गर्दन के अंदर ही उड़ेल दिया।और झड़ने के बाद वहीं लेट के सो गए,भाभी भी वही लेट गई।उन्हें भी कोई होश नहीं था,5मिनट में ही मुखिया जी खर्राटे लेने लगे।फिर हमने भाभी को कपड़े पहनाए और तिपिया के साथ घर लेके गए।जहां सबको बोल दिया भाभी के खाने में एक कीड़ा दिख गया तो उन्हें उल्टी हो गई और उनकी तबीयत खराब हो गई।लेकिन आरव और आरोही भाभी तो जानते ही थे क्या बात है। उनको लग रहा था कि कुछ लौड़ों से चुद के आई है,लेकिन उन्हें क्या पता चाचा ससुर का लन्ड खाके आ रही है बहू।फिर सभी सो गए सुबह उठने के लिए।
इधर एक घंटे में 5 लोगो ने अपना माल निकाल दिया,3 ने मेरी गान्ड में और 2 ने मेरी चूत में । मेरी चूत ने 5 बार पानी बहा दिया था,भाभी की ऐसी हालत देख के मैं ठंडी ही नहीं हो पा रही थी।और 20 मिनट बीत गए मेरी और रश्मि की चुदाई हो चुकी थी।हम दोनों झड़ झड़ के थक गए थे,दिन में और अब अभी करीब डेढ़ घंटे। लेकिन भाभी तो जैसे फसी हुई थी,और 1 घंटे तक वो भाभी की गांड मारते रहे।और तिपिया भाभी को थामे हुए था और सामने से भी चोद रहा था,उसका लन्ड ये सब देख के एक बार फिर से टनटना गया था,और अब भाभी की चूत में था, जब भी वो झड़ती,भाभी को पिसाब भी आ रहा था लेकिन वो रोके हुए थी,उधर मुखिया जी को भी पिशाब लग गया और उन्होंने उस छेद में ही करना सुरु कर दिया,ये हद से ज्यादा था और भाभी अबकी बार खुद को संभाल नहीं पाई और वो भी मूतने लगी।ससुर जी बहू की गांड में मूत रहे थे,और बहू अपने देवर के लंड पे,और तिपिया भी कब तब चुप रहता उसने भी भाभी की चूत में मूतना सुरु कर दिया।नीचे ज़मीन पर तो जैसे पिसाब की बाल्टी गिर गई हो,मुखिया जी एक पल को पीछे हट गए,और तिपिया भी,भाभी तो वहीं बैठ गई,बस अबकी बार उन्होंने बेचैनी में चेहरा सामने कर लिया था।मुखिया जी ने हल्की सी आंख खोली लेकिन कुछ समझ नहीं पाए और लंड पकड़े आगे आके छेद में घुसा दिया,फर्क सिर्फ इतना था कि भाभी घुटनों पर थी,सामने चेहरा किए हुए तो लंड उनकी गान्ड की जगह मुंह के अंदर था और अब ससुर जी बहू का मुंह चोद रहे थे गले के अंदर तक। 20 मिनट के बाद उन्होंने अपना माल भाभी के गर्दन के अंदर ही उड़ेल दिया।और झड़ने के बाद वहीं लेट के सो गए,भाभी भी वही लेट गई।उन्हें भी कोई होश नहीं था,5मिनट में ही मुखिया जी खर्राटे लेने लगे।फिर हमने भाभी को कपड़े पहनाए और तिपिया के साथ घर लेके गए।जहां सबको बोल दिया भाभी के खाने में एक कीड़ा दिख गया तो उन्हें उल्टी हो गई और उनकी तबीयत खराब हो गई।लेकिन आरव और आरोही भाभी तो जानते ही थे क्या बात है। उनको लग रहा था कि कुछ लौड़ों से चुद के आई है,लेकिन उन्हें क्या पता चाचा ससुर का लन्ड खाके आ रही है बहू।फिर सभी सो गए सुबह उठने के लिए।