09-06-2020, 06:23 AM
अब सबकी चूत रात के नाम से गीली हो चुकी थी लेकिन अभी मंदिर चलते है।गांव का छोटा मंदिर था तो ज्यादा भीड़ नहीं थी।जब हम सीढ़ियां चढ़ते तो हमारी गांड और ज्यादा दिखने लगती।ऊपर जाके आरोही भाभी ने पंडित जी से कहा,ये मेरी भाभी है इनके हाथ से पूजा करवानी है,पंडित जी का तो देख के ही लंड टाईट हो गया था,लेकिन मंदिर में हिला भी तो नहीं सकते थे। उन्होंने भाभी के ऊपर चावल छिडके जो कि उनकी चूचियों में जा के फस गए,और जब वो उन्होंने घुटनों पे बैठ के सर झुकाए तो उनकी गांड़ आधे से ज्यादा सामने आ गई। पीछे कुछ औरते फुसफुसा रही थी,और लड़के तो आगे ही नहीं आ रहे थे पीछे से नज़ारे का मज़ा ले रहे थे। फिर हम सबने बारी बारी सर झुकाया,और जब राधिका ने घुटनों पे होके सर झुकाए तो उसकी चूत सबको दिख रही थी जो की खुली हुई थी मानो कह रही हो,है हिम्मत तो चोदो आके।और फिर वही हुआ जिसका डर था,गांव का एक लड़का जो कि चोरी लूटपाट के केस में कई बार जेल भी जा चुका था उसकी नजर हमपे पड़ी और हमारा पीछा किया जाने लगा।
हम नदी किनारे से निकल के रोड पे पहुंच के कार से पहले पूरब के मंदिर निकले जो कि 5 किलोमीटर दूर था लेकिन 1किलोमीटर बाद ही हमारी कार खराब हो गई। हमने घर पे कॉल किया तो आरव दोस्तो के साथ गांव से बाहर गया हुआ था।हमें सामने से एक शेयर ऑटो आता हुआ दिखा,जिसकी सभी सीट भरी हुई थी,कहने पे उसने हमें अंदर घुसने दिया।ये लोग इस गांव के नहीं थे लड़की देखने आए थे और अब बस पकड़ के जाने वाले थे।अब ऑटो इतना ऊंचा तो था नहीं की सही से खड़े हो सके बस या ट्रेन की तरह,हम सभी झुके हुए थे और हमारे गांड सबके सामने दिख रहे थे,तभी मुझे किसी ने मेरी गांड की दरार में किसी के होठ महसूस हुए।रास्ते के गड्ढों की वजह से मेरी गान्ड भी कभी कभी उससे टच हो रही थी,फिर मैं अपनी गांड उसकी मुंह पे बार बार टच कर देती,मुझे मज़ा आ रहा था।फिर उसने एक बोल्ड स्टेप लिया,और अपनी जीभ निकाल कर मेरी गांड की दरार में ऊपर से नीचे तक फिरा दिया। मैंने आंखें बंद कर ली और आह्ह्हह्ह की आवाज़ मेरी मुंह से निकली,मैंने अपने होठ काट लिए।मैंने राधिका की तरफ देखा उसने भी अपनी आंखें बंद की हुई थी।मैंने पीछे देखा तो उसकी फटी लेगिंग का फायदा उठाकर उसके पीछे बैठा सख्स उसकी चूत में उंगली कर रहा था। रश्मि भाभी तो अच्छे से सामने वाले लड़के पे झुक के उसे अपना दूध पिला रही थी और पीछे वाला भी उनकी गांड चाट रहा था।आरोही भाभी को तो उनके पीछे वाले ने हेल्प करके अपनी सीट दे दी और खुद झुक के उनके ऊपर खड़ा हो गया,आरोही भाभी भी आगे झुक के बैठी थी,जिसकी वजह से उसका लन्ड आरोही भाभी के होंठों के सामने आ गया,जिसे उन्होंने अपने गले की गहराई में उतार लिया था।4किलोमीटर हम लोग 20 मिनट में पहुंचे।जिसने मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी,राधिका की चूत ने एक बार पानी बहा दिया था,रश्मि भाभी मुझसे भी ज्यादा गरम हो चुकी थी,और उनके दूध चुसाई के कारण लाल हो चुके थे।आरोही भाभी के मुंह के कोने पे मलाई लगी थी,शायद बाकी का उनके पेट में था।
हम उतरे तो भाभी ने कहा,इनको गांव के बस स्टॉप पर पहुंचा के यहां आ जाना आधे घंटे में,यहां से हम रिजर्व जाएंगे।तुम्हे तुम्हारे पूरे पैसे मिल जायेगे।वो ठीक है बोल के चला गया।
हम मंदिर की ओर बढ़े,बाहर नल से खुद को धो के,आरोही भाभी ने अपना मुंह धोया,रश्मि ने अपनी गांड रुमाल भीगा के पोछी और अपने
चूची धोई।राधिका ने भी अपनी चूत को धोया और मैंने भी पानी ले के अपनी गांड को पोछा क्यूंकि मैं रुमाल लाना भूल गई थी,जिससे मेरी साड़ी थोड़ी नीचे तक गीली हो गई और मेरी पूरी की पूरी गांड की दरार दिखाई देने लगी।खैर पानी सूख जाएगा तो दिखेगा भी नहीं।वहां से दर्शन करके हम निकले तो वहां ऑटो थी लेकिन उसमें सारे सवारी वैसे ही सवार थे,ऑटो वाले ने कहा भाभी जी बस खराब थी और दूसरी बस शाम को है इसलिए सभी वापस हो लिए क्या आपको चलना हो तो देख लो। हम भी क्या करते चढ़ गए लेकिन इस बार सवारी पहले से ज्यादा उत्तेजित थी हमारे मज़े लेने के लिए ,ऑटो वाले ने पूछा कहा जाना है तो भाभी ने कहा जाना तो हमे तीनों मंदिरों में है,पहले उत्तर में चलो फिर दक्षिण में चलना अंत में वेस्ट में चलना उधर ही हमारा घर है,भाभी भूल गई कि पहले सवारियों को पहुंचा देना ठीक रहेगा।सवारियों को भी अपने घर जाने की कोई जल्दी नहीं थी। उत्तर वाला मंदिर काफी दूर था,मतलब गांव के बाहर से घूम के जाना होता था। गांव 10 किलोमीटर में था,वरना अगर पूरब से उत्तर की ओर जाओ तो दक्षिण और फिर पश्चिम भी आ जाए,लेकिन रास्ते जुड़े हुए नहीं थे,इसलिए पूरा घूम के जाना था 16 किलोमीटर जाना फिर दक्षिण वाले मंदिर के लिए 20 किलोमीटर,जो कि यहां से केवल 4 किलोमीटर था। और वहां से घर सिर्फ 3 किलोमीटर जहां पास में ही वेस्ट साइड वाला मंदिर था।
हम नदी किनारे से निकल के रोड पे पहुंच के कार से पहले पूरब के मंदिर निकले जो कि 5 किलोमीटर दूर था लेकिन 1किलोमीटर बाद ही हमारी कार खराब हो गई। हमने घर पे कॉल किया तो आरव दोस्तो के साथ गांव से बाहर गया हुआ था।हमें सामने से एक शेयर ऑटो आता हुआ दिखा,जिसकी सभी सीट भरी हुई थी,कहने पे उसने हमें अंदर घुसने दिया।ये लोग इस गांव के नहीं थे लड़की देखने आए थे और अब बस पकड़ के जाने वाले थे।अब ऑटो इतना ऊंचा तो था नहीं की सही से खड़े हो सके बस या ट्रेन की तरह,हम सभी झुके हुए थे और हमारे गांड सबके सामने दिख रहे थे,तभी मुझे किसी ने मेरी गांड की दरार में किसी के होठ महसूस हुए।रास्ते के गड्ढों की वजह से मेरी गान्ड भी कभी कभी उससे टच हो रही थी,फिर मैं अपनी गांड उसकी मुंह पे बार बार टच कर देती,मुझे मज़ा आ रहा था।फिर उसने एक बोल्ड स्टेप लिया,और अपनी जीभ निकाल कर मेरी गांड की दरार में ऊपर से नीचे तक फिरा दिया। मैंने आंखें बंद कर ली और आह्ह्हह्ह की आवाज़ मेरी मुंह से निकली,मैंने अपने होठ काट लिए।मैंने राधिका की तरफ देखा उसने भी अपनी आंखें बंद की हुई थी।मैंने पीछे देखा तो उसकी फटी लेगिंग का फायदा उठाकर उसके पीछे बैठा सख्स उसकी चूत में उंगली कर रहा था। रश्मि भाभी तो अच्छे से सामने वाले लड़के पे झुक के उसे अपना दूध पिला रही थी और पीछे वाला भी उनकी गांड चाट रहा था।आरोही भाभी को तो उनके पीछे वाले ने हेल्प करके अपनी सीट दे दी और खुद झुक के उनके ऊपर खड़ा हो गया,आरोही भाभी भी आगे झुक के बैठी थी,जिसकी वजह से उसका लन्ड आरोही भाभी के होंठों के सामने आ गया,जिसे उन्होंने अपने गले की गहराई में उतार लिया था।4किलोमीटर हम लोग 20 मिनट में पहुंचे।जिसने मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी,राधिका की चूत ने एक बार पानी बहा दिया था,रश्मि भाभी मुझसे भी ज्यादा गरम हो चुकी थी,और उनके दूध चुसाई के कारण लाल हो चुके थे।आरोही भाभी के मुंह के कोने पे मलाई लगी थी,शायद बाकी का उनके पेट में था।
हम उतरे तो भाभी ने कहा,इनको गांव के बस स्टॉप पर पहुंचा के यहां आ जाना आधे घंटे में,यहां से हम रिजर्व जाएंगे।तुम्हे तुम्हारे पूरे पैसे मिल जायेगे।वो ठीक है बोल के चला गया।
हम मंदिर की ओर बढ़े,बाहर नल से खुद को धो के,आरोही भाभी ने अपना मुंह धोया,रश्मि ने अपनी गांड रुमाल भीगा के पोछी और अपने
चूची धोई।राधिका ने भी अपनी चूत को धोया और मैंने भी पानी ले के अपनी गांड को पोछा क्यूंकि मैं रुमाल लाना भूल गई थी,जिससे मेरी साड़ी थोड़ी नीचे तक गीली हो गई और मेरी पूरी की पूरी गांड की दरार दिखाई देने लगी।खैर पानी सूख जाएगा तो दिखेगा भी नहीं।वहां से दर्शन करके हम निकले तो वहां ऑटो थी लेकिन उसमें सारे सवारी वैसे ही सवार थे,ऑटो वाले ने कहा भाभी जी बस खराब थी और दूसरी बस शाम को है इसलिए सभी वापस हो लिए क्या आपको चलना हो तो देख लो। हम भी क्या करते चढ़ गए लेकिन इस बार सवारी पहले से ज्यादा उत्तेजित थी हमारे मज़े लेने के लिए ,ऑटो वाले ने पूछा कहा जाना है तो भाभी ने कहा जाना तो हमे तीनों मंदिरों में है,पहले उत्तर में चलो फिर दक्षिण में चलना अंत में वेस्ट में चलना उधर ही हमारा घर है,भाभी भूल गई कि पहले सवारियों को पहुंचा देना ठीक रहेगा।सवारियों को भी अपने घर जाने की कोई जल्दी नहीं थी। उत्तर वाला मंदिर काफी दूर था,मतलब गांव के बाहर से घूम के जाना होता था। गांव 10 किलोमीटर में था,वरना अगर पूरब से उत्तर की ओर जाओ तो दक्षिण और फिर पश्चिम भी आ जाए,लेकिन रास्ते जुड़े हुए नहीं थे,इसलिए पूरा घूम के जाना था 16 किलोमीटर जाना फिर दक्षिण वाले मंदिर के लिए 20 किलोमीटर,जो कि यहां से केवल 4 किलोमीटर था। और वहां से घर सिर्फ 3 किलोमीटर जहां पास में ही वेस्ट साइड वाला मंदिर था।