25-02-2019, 01:51 PM
सुबह पूनम जगी तो वो इस प्लान के साथ जगी थी की गुड्डू से कैसे चुदवाना है। उसके मन में कई तरह की बातें चल रही थी। 'गुड्डू के अड्डे पे जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन वहाँ नहीं जाऊँगी तो फिर कहाँ करवाऊँगी। किसी होटल में? नाह... वो तो और ज्यादा रिस्की है। लेकिन अड्डे पे गयी तो पता नहीं वो क्या क्या करेगा, फिर मैं वहाँ क्या कर पाऊँगी। नहीं नहीं... अड्डे पे नहीं जाऊँगी। देखती हूँ की कैसे क्या हो सकता है। मुझे चुदवाने की कोई जल्दी नहीं है। लेकिन कोई परेशानी न हो जाये। उन दोनों का क्या है, लड़के हैं, और उनका काम ही यही है। मैं तो बर्बाद हो जाऊँगी न।'
पूनम अपनी सोच में डूबी हुई ही सारे काम कर रही थी। वो सोच ली थी की अब गुड्डू से चुदाई करवा ही लेना है। आज सुबह से ही गुड्डू मैसेज पे मैसेज भेजे जा रहा था। उससे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो तो फ़ोन करके पूनम को चोद लेना चाहता था, उसे अपने पास बुलाकर उसके मखमली जिस्म को रगड़ लेना चाहता था। लेकिन अभी वो बस मैसेज ही कर सकता था, तो कर रहा था। पूनम जैसे ही मैसेज टोन सुनती तो फ़ोन अनलॉक कर उसे पढ़ती थी और फिर डिलीट कर दे रही थी। मैसेज ऐसे थे की पूनम के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जा रही थी और उसकी चुत से शहद बाहर आकर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था। कुछ मैसेज को वो रखना चाहती थी, लेकिन वो ऐसे थे की उन्हें फ़ोन में रखना मुमकिन नहीं था।
पूनम की माँ जब से अपने भाई के पास से आयी थी, तब से उसे पूनम बदली बदली नज़र आ रही थी। पूनम का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था और वो पूनम को नोटिस कर रही थी। जब पूनम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गयी थी और नाश्ता कर रही थी तो पूनम की माँ बोली "तू कितना बिजी रहती है फ़ोन में। किसका मैसेज आता रहता है।" पूनम को ये अचानक से माँ से ये पूछे जाने की उम्मीद नहीं थी। पूनम घबरा गयी। बोली "न...नहीं तो... कहाँ किसी का..." पूनम की माँ उसके इस जवाब से संतुष्ट तो नहीं ही हुई, उसे घूर कर देखने लगी। पूनम तुरंत ऐसे एक्टिंग की जैसे उसे अब अपनी माँ की बात समझ में आयी। बोली "अच्छा वो... ये तो कंपनी के मैसेज आते रहते हैं। इनका तो काम ही यही है।" पूनम नाश्ते की थाली देखते हुए बोल रही थी। वो पहली बार अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हुई की अपनी माँ की तरफ देख कर ये बात बोल पाए।
पूनम की माँ अपनी हथेली से पूनम की ठुड्डी ऊपर उठायी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "तेरी माँ हूँ। कंपनी के मैसेज पढ़कर किसे हँसी आती है!!!" पूनम फिर से बात घुमाते हुए बोली "अरे अभी तो वो सुषमा का मैसेज आया था। एक चुटकुला भेजी थी।" पूनम की माँ उसे ऐसे देखि जैसे उन्हें पता था कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है, लेकिन वो बात को खींचना नहीं चाहती थी। बोली "देख बेटा, कोई ऐसा काम मत कर देना की माँ बाप की पगड़ी उछल जाये।"
"क्या हो गया भाई?" बोलते हुए पूनम के पापा भी नाश्ते की टेबल पे पहुँच गए। पूनम तो पूरी तरह डर गयी की कहीं पापा को पता न चल जाए और वो गुस्सा न हो जाएं। उसे पता था कि उसके पापा कैसे रूढ़िवादी ख्यालों के हैं। पूनम की माँ भी उनके इस तरह अचानक आ जाने से सकपका गयी, क्यों की वो भी ये बात अभी अपने पति की जानकारी में नहीं आने देना चाहती थी।
पूनम के पापा ने फिर से पूछा "क्या हो गया? कौन किसकी पगड़ी उछाल रहा है?" दोनों माँ बेटी थोड़े रिलैक्स हो गए की पापा ने पूरी बात सुनी भी नहीं थी और अभी उनका मूड भी अच्छा था। पूनम तो चैन की साँस ली, लेकिन उसकी ये चैन की साँस कितनी देर तक रहती ये अभी अब उसकी माँ क्या बोलती है, ये उसपे निर्भर कर रहा था।
पूनम की माँ बोली "वो शर्मा जी की बेटी भागकर शादी कर ली थी न, उसी की बात हो रही थी। वही पूनम को बोल रही थी की वो तो अपने माँ बाप की पगड़ी ही उछाल दी न।" पूनम के पापा का मुँह बुरा सा बन गया। बोले "आजकल के बच्चों को अपनी माँ बाप की फिक्र नहीं होती। माँ बाप का चाहे जो हाल हो, समाज में उसकी जो थू थू हो, लेकिन बच्चे को तो बस अपने आप से मतलब है कि हम तो अपने मन की ही करेंगे।" पूनम की माँ बोली "माँ बाप क्या करेंगे। वो तो बस बच्चों को समझा ही सकते हैं न। हर घड़ी तो उसके पीछे नहीं लगे रहेंगे। बेटा हो या बेटी हो, पढ़ने बाहर जायेंगे ही, काम करने बाहर जायेंगे ही। पूनम ही बाहर जाती है या पंकज ही बाहर में रह रहा है, तो ये लोग क्या करते हैं बाहर में, ये तो यही लोग जानेंगे न।" पूनम की तो साँस अटक गयी।
पूनम के पापा ने एक लंबा साँस लिया और बोले "हाँ... सही बात है। कौन क्या करेगा कौन जानता है। इसलिए तो मैं चाहता हुँ की बच्चों की जल्दी शादी हो जाये की हम निश्चिन्त हों।" पूनम को लगा की आज उसका बुरा दिन है। बोली "ये कौन सी बात करने लगे आपलोग।" पूनम के पापा ने पूनम के कंधे पे हाथ रखा और आँखों में आंसू भरकर बोले "बेटा, तुम ऐसा कुछ मत कर देना जिससे हमारी पगड़ी उछल जाये।" पूनम की भी ऑंखें भर आयी।
बोली "कैसी बात कर रहे पापा आप!" पूनम के पापा आगे कुछ नहीं बोले। पूनम की माँ तुरंत ही उनके सामने नाश्ते की थाली रखी और माहौल को हल्का करती हुई बोली "हमारे बच्चे ऐसे नहीं हैं। मुझे भरोसा है अपनी बेटी पर, और बेटे पर भी।" पूनम बस इतना ही बोल पायी "मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी।" पूनम के पापा बोले "भरोसा तो मुझे भी है। तभी तो इसे नौकरी करने दिया।"
पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।
'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।
"नहीं...नहीं, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। जितना हो चूका, बस हो चूका। अब आगे और कुछ नहीं करुँगी। अमित के साथ जो भी हुआ, लेकिन अभी उसके साथ कुछ नहीं है। और वो इसका जिक्र भी नहीं करेगा किसी के सामने, यहाँ तक की अगर उसने मुझे कहीं देख भी लिया तो पहचानेगा भी नहीं। और गुड्डू के साथ कुछ नहीं करुँगी मैं। अमित के साथ तो फिर भी प्यार था, इसके साथ तो बस सेक्स है। नहीं.... अब और कोई मस्ती नहीं। कुछ नहीं। मैं अपने पेरेंट्स का भरोसा नहीं तोड़ सकती। मैं वैसी लड़की नहीं हूँ।'
पूनम फिर से मजबूती से फैसला की। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'क्यों कई बार ये फैसला लेने के बाद भी की मैं गुड्डू से कोई मतलब नहीं रखूंगी, मैं उसकी तरफ आगे बढ़ती गयी। वो सब उसके दिए एन्वेलोप का असर है। लेकिन अब कुछ नहीं। वो पिक्स भी नहीं देखूँगी और ना ही वो कहानी पढूँगी। गुड्डू से बात भी नहीं करुँगी और अगर रास्ते में कुछ बोला या कुछ दिया, तो भी साफ़ साफ़ मना कर दूँगी।'
दिन में गुड्डू के मैसेज आते जा रहे थे। कई मैसेज को तो पूनम बिना पढ़े ही डिलीट कर दी और कुछ को पढ़ी भी तो आधे मन से और तुरंत डिलीट कर दी। दो बार गुड्डू का फोन भी आया, लेकिन दोनों बार पूनम कॉल कट कर दी। हालाँकि गुड्डू दिन में कॉल नहीं करता था, लेकिन आज तो वो इस उम्मीद में था कि कहीं पूनम उसके पास आने के लिए मान जाये तो मज़ा आ जाये। कितने दिनों का इंतज़ार आज ख़त्म हो जाय और आज ही पूनम के संगमरमरी बदन का लुत्फ़ उठाने का मौका मिल जाये। पूनम शाम में घर लौटी तो अभी गुड्डू या विक्की कोई रोड पे नहीं था।
रात भर पूनम अपने कमरे में आयी तो मोबाइल बंद कर दी। उसे डर था कि अगर गुड्डू का कॉल या मैसेज आ जायेगा तो फिर हो सकता है कि वो खुद को सम्हाल न पाए और फिर से वही सब करे जो वो नहीं करना चाहती है। पूनम को नींद नहीं आ रही थी, लेकिन वो आलमीरा से एन्वेलोप नहीं निकाली और इसी तरह अपने फैसले को मजबूत बनाते हुए और कुछ कुछ सोंचते हुए सो गयी।
सुबह जब पूनम जगी तो वो खुद को बहुत ताज़ा ताज़ा महसूस कर रही थी। उसे खुद पे गर्व हुआ की वो खुद को सम्हाल पायी। आज ऑफिस जाते वक़्त भी दोनों में से कोई रोड पर नहीं था। आज दिन भर में गुड्डू ने भी बस 3-4 मैसेज ही किया। शाम में भी कोई नहीं था। पूनम आज भी रात में अपना मोबाइल बंद कर दी और सोने लगी, लेकिन आज भी उसे नींद नहीं आ रही थी।
जब बहुत देर तक उसे नींद नहीं आयी और उसके दिमाग में कुछ भी उलूलजुलुल सा चल रहा था। उसने ट्रोउजर और पैंटी को घुटने तक कर दिया था और चुत को ऐसे ही सहला रही थी। उसका मन ना तो ऊँगली करने का हो रहा था और ना ही पैंटी ऊपर करने का। वो सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब उसे नींद नहीं आयी तो वो उठी और आलमीरा से एन्वेलोप निकाल कर पिक्स देखने लगी और फिर कहानी पढ़ने लगी। उसे सोची की 'इसमें कोई दिक्कत नहीं है, मुझे बस गुड्डू से दूर रहना है।'
कहानी में वो वही हिस्सा पढ़ रही थी जहाँ चुदाई का दृश्य था और जिसे पढ़ कर उसे ज्यादा मज़ा आया था। वो अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी। आज कहानी पढ़ने में उसे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन वो चुत में ऊँगली अंदर बाहर करती रही। जब उसे मज़ा नहीं आया तो वो कहानी रख दी और फिर से पिक्स देखने लगी।
उसे याद आया की कैसे गुड्डू उसे एक एक पिक समझा रहा था और बता रहा था। वो पिक्स को भी रख दी और ऑंखें बंद करके उस रात की बात इमेजिन करने लगी। वो दोनों पैरों को फैला कर चुत में ऊँगली कर रही थी। इस तरह सोंचने से उसे ज्यादा अच्छा लग रहा था। वो बहुत कुछ सोंचती रही चुदाई के बारे में की अगर गुड्डू और विक्की उसे चोदते तो कैसे कैसे चोदते।
वो गर्म हो गयी थी। उसकी चुत का गीलापन बढ़ गया था। उसका मन हुआ की गुड्डू को कॉल कर ले और चुदवा ले उससे फ़ोन पर, लेकिन वो खुद को रोक ली। वो अपने मोबाइल को ऑन कर ली, लेकिन गुड्डू को कॉल नहीं की और चुदाई की बात सोंचती हुई चुत में ऊँगली करती रही और फिर चुत से पानी निकल जाने के बाद वो सो गयी।
इसी तरह 2-3 दिन और बीत गए. पूनम अपनी मौसेरी बहन की शादी में जाने की तैयारी में व्यस्त रह रही थी तो उसका ध्यान गुड्डू से थोड़ा कम था। पूनम रात में मोबाइल बंद करके सोती थी। दिन में अगर कभी गुड्डू कॉल करता भी था तो वो कट कर देती थी। सुबह शाम भी उसे दोनों में से कोई दिख नहीं रहा था आजकल। शायद वो दोनों भी कहीं और व्यस्त थे। पूनम को लग रहा था कि वो गुड्डू से अब दूर हो गयी है, लेकिन उसके मन में ख़ुशी की जगह बेचैनी थी। उसका मन उदास था। रात में वो रोज पैंटी नीचे करके सोती थी और अगर उसकी चुत चुदाई की बात सोंचते हुए गर्म हो जाती थी तो वो अपनी चुत से पानी निकाल लेती थी।
आज पूनम जब ऑफिस में थी तो गुड्डू ने मैसेज किया कि "तुम मोबाइल रात में बंद क्यों कर देती हो और बात क्यों नहीं कर रही हो?" पूनम अभी ऑफिस में खाली थी और गुड्डू ने कॉल किया तो पूनम कॉल रिसीव कर ली और "गुड्डू के वही सवाल पूछने पैट बोल दी की "मम्मी साथ में सोती है, इसलिए फ़ोन ऑफ रखती हूँ।"
पूनम इसलिए कॉल रिसीव की थी ताकि गुड्डू को बोल सके की अब वो बात नहीं करना चाहती है, उससे दूर रहना चाहती है, लेकिन ऐसा कुछ उसे बोलने का मौका ही नहीं मिला। गुड्डू खुद किसी चीज़ में व्यस्त था, तो उसने "ठीक है, तेरे से बाद में बात करता हूँ फुर्सत में।" बोलता हुआ तुरंत ही कॉल कट कर दिया।
पूनम अपनी सोच में डूबी हुई ही सारे काम कर रही थी। वो सोच ली थी की अब गुड्डू से चुदाई करवा ही लेना है। आज सुबह से ही गुड्डू मैसेज पे मैसेज भेजे जा रहा था। उससे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो तो फ़ोन करके पूनम को चोद लेना चाहता था, उसे अपने पास बुलाकर उसके मखमली जिस्म को रगड़ लेना चाहता था। लेकिन अभी वो बस मैसेज ही कर सकता था, तो कर रहा था। पूनम जैसे ही मैसेज टोन सुनती तो फ़ोन अनलॉक कर उसे पढ़ती थी और फिर डिलीट कर दे रही थी। मैसेज ऐसे थे की पूनम के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जा रही थी और उसकी चुत से शहद बाहर आकर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था। कुछ मैसेज को वो रखना चाहती थी, लेकिन वो ऐसे थे की उन्हें फ़ोन में रखना मुमकिन नहीं था।
पूनम की माँ जब से अपने भाई के पास से आयी थी, तब से उसे पूनम बदली बदली नज़र आ रही थी। पूनम का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था और वो पूनम को नोटिस कर रही थी। जब पूनम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गयी थी और नाश्ता कर रही थी तो पूनम की माँ बोली "तू कितना बिजी रहती है फ़ोन में। किसका मैसेज आता रहता है।" पूनम को ये अचानक से माँ से ये पूछे जाने की उम्मीद नहीं थी। पूनम घबरा गयी। बोली "न...नहीं तो... कहाँ किसी का..." पूनम की माँ उसके इस जवाब से संतुष्ट तो नहीं ही हुई, उसे घूर कर देखने लगी। पूनम तुरंत ऐसे एक्टिंग की जैसे उसे अब अपनी माँ की बात समझ में आयी। बोली "अच्छा वो... ये तो कंपनी के मैसेज आते रहते हैं। इनका तो काम ही यही है।" पूनम नाश्ते की थाली देखते हुए बोल रही थी। वो पहली बार अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हुई की अपनी माँ की तरफ देख कर ये बात बोल पाए।
पूनम की माँ अपनी हथेली से पूनम की ठुड्डी ऊपर उठायी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "तेरी माँ हूँ। कंपनी के मैसेज पढ़कर किसे हँसी आती है!!!" पूनम फिर से बात घुमाते हुए बोली "अरे अभी तो वो सुषमा का मैसेज आया था। एक चुटकुला भेजी थी।" पूनम की माँ उसे ऐसे देखि जैसे उन्हें पता था कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है, लेकिन वो बात को खींचना नहीं चाहती थी। बोली "देख बेटा, कोई ऐसा काम मत कर देना की माँ बाप की पगड़ी उछल जाये।"
"क्या हो गया भाई?" बोलते हुए पूनम के पापा भी नाश्ते की टेबल पे पहुँच गए। पूनम तो पूरी तरह डर गयी की कहीं पापा को पता न चल जाए और वो गुस्सा न हो जाएं। उसे पता था कि उसके पापा कैसे रूढ़िवादी ख्यालों के हैं। पूनम की माँ भी उनके इस तरह अचानक आ जाने से सकपका गयी, क्यों की वो भी ये बात अभी अपने पति की जानकारी में नहीं आने देना चाहती थी।
पूनम के पापा ने फिर से पूछा "क्या हो गया? कौन किसकी पगड़ी उछाल रहा है?" दोनों माँ बेटी थोड़े रिलैक्स हो गए की पापा ने पूरी बात सुनी भी नहीं थी और अभी उनका मूड भी अच्छा था। पूनम तो चैन की साँस ली, लेकिन उसकी ये चैन की साँस कितनी देर तक रहती ये अभी अब उसकी माँ क्या बोलती है, ये उसपे निर्भर कर रहा था।
पूनम की माँ बोली "वो शर्मा जी की बेटी भागकर शादी कर ली थी न, उसी की बात हो रही थी। वही पूनम को बोल रही थी की वो तो अपने माँ बाप की पगड़ी ही उछाल दी न।" पूनम के पापा का मुँह बुरा सा बन गया। बोले "आजकल के बच्चों को अपनी माँ बाप की फिक्र नहीं होती। माँ बाप का चाहे जो हाल हो, समाज में उसकी जो थू थू हो, लेकिन बच्चे को तो बस अपने आप से मतलब है कि हम तो अपने मन की ही करेंगे।" पूनम की माँ बोली "माँ बाप क्या करेंगे। वो तो बस बच्चों को समझा ही सकते हैं न। हर घड़ी तो उसके पीछे नहीं लगे रहेंगे। बेटा हो या बेटी हो, पढ़ने बाहर जायेंगे ही, काम करने बाहर जायेंगे ही। पूनम ही बाहर जाती है या पंकज ही बाहर में रह रहा है, तो ये लोग क्या करते हैं बाहर में, ये तो यही लोग जानेंगे न।" पूनम की तो साँस अटक गयी।
पूनम के पापा ने एक लंबा साँस लिया और बोले "हाँ... सही बात है। कौन क्या करेगा कौन जानता है। इसलिए तो मैं चाहता हुँ की बच्चों की जल्दी शादी हो जाये की हम निश्चिन्त हों।" पूनम को लगा की आज उसका बुरा दिन है। बोली "ये कौन सी बात करने लगे आपलोग।" पूनम के पापा ने पूनम के कंधे पे हाथ रखा और आँखों में आंसू भरकर बोले "बेटा, तुम ऐसा कुछ मत कर देना जिससे हमारी पगड़ी उछल जाये।" पूनम की भी ऑंखें भर आयी।
बोली "कैसी बात कर रहे पापा आप!" पूनम के पापा आगे कुछ नहीं बोले। पूनम की माँ तुरंत ही उनके सामने नाश्ते की थाली रखी और माहौल को हल्का करती हुई बोली "हमारे बच्चे ऐसे नहीं हैं। मुझे भरोसा है अपनी बेटी पर, और बेटे पर भी।" पूनम बस इतना ही बोल पायी "मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी।" पूनम के पापा बोले "भरोसा तो मुझे भी है। तभी तो इसे नौकरी करने दिया।"
पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।
'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।
"नहीं...नहीं, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। जितना हो चूका, बस हो चूका। अब आगे और कुछ नहीं करुँगी। अमित के साथ जो भी हुआ, लेकिन अभी उसके साथ कुछ नहीं है। और वो इसका जिक्र भी नहीं करेगा किसी के सामने, यहाँ तक की अगर उसने मुझे कहीं देख भी लिया तो पहचानेगा भी नहीं। और गुड्डू के साथ कुछ नहीं करुँगी मैं। अमित के साथ तो फिर भी प्यार था, इसके साथ तो बस सेक्स है। नहीं.... अब और कोई मस्ती नहीं। कुछ नहीं। मैं अपने पेरेंट्स का भरोसा नहीं तोड़ सकती। मैं वैसी लड़की नहीं हूँ।'
पूनम फिर से मजबूती से फैसला की। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'क्यों कई बार ये फैसला लेने के बाद भी की मैं गुड्डू से कोई मतलब नहीं रखूंगी, मैं उसकी तरफ आगे बढ़ती गयी। वो सब उसके दिए एन्वेलोप का असर है। लेकिन अब कुछ नहीं। वो पिक्स भी नहीं देखूँगी और ना ही वो कहानी पढूँगी। गुड्डू से बात भी नहीं करुँगी और अगर रास्ते में कुछ बोला या कुछ दिया, तो भी साफ़ साफ़ मना कर दूँगी।'
दिन में गुड्डू के मैसेज आते जा रहे थे। कई मैसेज को तो पूनम बिना पढ़े ही डिलीट कर दी और कुछ को पढ़ी भी तो आधे मन से और तुरंत डिलीट कर दी। दो बार गुड्डू का फोन भी आया, लेकिन दोनों बार पूनम कॉल कट कर दी। हालाँकि गुड्डू दिन में कॉल नहीं करता था, लेकिन आज तो वो इस उम्मीद में था कि कहीं पूनम उसके पास आने के लिए मान जाये तो मज़ा आ जाये। कितने दिनों का इंतज़ार आज ख़त्म हो जाय और आज ही पूनम के संगमरमरी बदन का लुत्फ़ उठाने का मौका मिल जाये। पूनम शाम में घर लौटी तो अभी गुड्डू या विक्की कोई रोड पे नहीं था।
रात भर पूनम अपने कमरे में आयी तो मोबाइल बंद कर दी। उसे डर था कि अगर गुड्डू का कॉल या मैसेज आ जायेगा तो फिर हो सकता है कि वो खुद को सम्हाल न पाए और फिर से वही सब करे जो वो नहीं करना चाहती है। पूनम को नींद नहीं आ रही थी, लेकिन वो आलमीरा से एन्वेलोप नहीं निकाली और इसी तरह अपने फैसले को मजबूत बनाते हुए और कुछ कुछ सोंचते हुए सो गयी।
सुबह जब पूनम जगी तो वो खुद को बहुत ताज़ा ताज़ा महसूस कर रही थी। उसे खुद पे गर्व हुआ की वो खुद को सम्हाल पायी। आज ऑफिस जाते वक़्त भी दोनों में से कोई रोड पर नहीं था। आज दिन भर में गुड्डू ने भी बस 3-4 मैसेज ही किया। शाम में भी कोई नहीं था। पूनम आज भी रात में अपना मोबाइल बंद कर दी और सोने लगी, लेकिन आज भी उसे नींद नहीं आ रही थी।
जब बहुत देर तक उसे नींद नहीं आयी और उसके दिमाग में कुछ भी उलूलजुलुल सा चल रहा था। उसने ट्रोउजर और पैंटी को घुटने तक कर दिया था और चुत को ऐसे ही सहला रही थी। उसका मन ना तो ऊँगली करने का हो रहा था और ना ही पैंटी ऊपर करने का। वो सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब उसे नींद नहीं आयी तो वो उठी और आलमीरा से एन्वेलोप निकाल कर पिक्स देखने लगी और फिर कहानी पढ़ने लगी। उसे सोची की 'इसमें कोई दिक्कत नहीं है, मुझे बस गुड्डू से दूर रहना है।'
कहानी में वो वही हिस्सा पढ़ रही थी जहाँ चुदाई का दृश्य था और जिसे पढ़ कर उसे ज्यादा मज़ा आया था। वो अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी। आज कहानी पढ़ने में उसे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन वो चुत में ऊँगली अंदर बाहर करती रही। जब उसे मज़ा नहीं आया तो वो कहानी रख दी और फिर से पिक्स देखने लगी।
उसे याद आया की कैसे गुड्डू उसे एक एक पिक समझा रहा था और बता रहा था। वो पिक्स को भी रख दी और ऑंखें बंद करके उस रात की बात इमेजिन करने लगी। वो दोनों पैरों को फैला कर चुत में ऊँगली कर रही थी। इस तरह सोंचने से उसे ज्यादा अच्छा लग रहा था। वो बहुत कुछ सोंचती रही चुदाई के बारे में की अगर गुड्डू और विक्की उसे चोदते तो कैसे कैसे चोदते।
वो गर्म हो गयी थी। उसकी चुत का गीलापन बढ़ गया था। उसका मन हुआ की गुड्डू को कॉल कर ले और चुदवा ले उससे फ़ोन पर, लेकिन वो खुद को रोक ली। वो अपने मोबाइल को ऑन कर ली, लेकिन गुड्डू को कॉल नहीं की और चुदाई की बात सोंचती हुई चुत में ऊँगली करती रही और फिर चुत से पानी निकल जाने के बाद वो सो गयी।
इसी तरह 2-3 दिन और बीत गए. पूनम अपनी मौसेरी बहन की शादी में जाने की तैयारी में व्यस्त रह रही थी तो उसका ध्यान गुड्डू से थोड़ा कम था। पूनम रात में मोबाइल बंद करके सोती थी। दिन में अगर कभी गुड्डू कॉल करता भी था तो वो कट कर देती थी। सुबह शाम भी उसे दोनों में से कोई दिख नहीं रहा था आजकल। शायद वो दोनों भी कहीं और व्यस्त थे। पूनम को लग रहा था कि वो गुड्डू से अब दूर हो गयी है, लेकिन उसके मन में ख़ुशी की जगह बेचैनी थी। उसका मन उदास था। रात में वो रोज पैंटी नीचे करके सोती थी और अगर उसकी चुत चुदाई की बात सोंचते हुए गर्म हो जाती थी तो वो अपनी चुत से पानी निकाल लेती थी।
आज पूनम जब ऑफिस में थी तो गुड्डू ने मैसेज किया कि "तुम मोबाइल रात में बंद क्यों कर देती हो और बात क्यों नहीं कर रही हो?" पूनम अभी ऑफिस में खाली थी और गुड्डू ने कॉल किया तो पूनम कॉल रिसीव कर ली और "गुड्डू के वही सवाल पूछने पैट बोल दी की "मम्मी साथ में सोती है, इसलिए फ़ोन ऑफ रखती हूँ।"
पूनम इसलिए कॉल रिसीव की थी ताकि गुड्डू को बोल सके की अब वो बात नहीं करना चाहती है, उससे दूर रहना चाहती है, लेकिन ऐसा कुछ उसे बोलने का मौका ही नहीं मिला। गुड्डू खुद किसी चीज़ में व्यस्त था, तो उसने "ठीक है, तेरे से बाद में बात करता हूँ फुर्सत में।" बोलता हुआ तुरंत ही कॉल कट कर दिया।