04-06-2020, 07:39 PM
यानी की उनके पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था..और वो भी मुफ़लिस वाली गेम में ..यानी वो ब्लफ खेल रहे थे.
उनके पत्ते देखकर राहुल ने खुशी के मारे सबा को गले से लगा लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा...
''ओह सबा.....माय डार्लिंग ....तुम जीत गयी....तुम जीत गयी ....''
सरदारजी ने सबा के पत्ते देखे और बोले : "अच्छा हुआ, मैने पैक कर दिया, वरना बेकार में मारा जाता...''
उन्होने बताया की उनके पास सबसे बड़ा पत्ता J था.
सभी लेडीज़ भी वहीं आ गयी...सभी सबा को उसकी पहली गेम जीतने की बधाई दे रही थी...
पर सबा का सारा ध्यान शशांक के उपर था...जो बड़ी रहस्यमयी मुस्कान के साथ अपने पेग के सीप लगा रहा था...
अब कल की गेम की डिस्कशन होने लगी...डिंपल ने खाना लगा दिया था...सभी खाना खाते हुए अगले दिन की गेम के बारे में बाते करने लगे...जो कपूर साहब के घर पर थी.
सबा के मन में काफ़ी देर से जो सवाल था, उसके लिए वो वापिस टेबल पर गयी और शशांक के पत्ते पलट कर देखे...और उन्हे देखकर वो चकित रह गयी...वो सच में उससे छोटे थे...सबसे बड़ा पत्ता उनके पास 8 आया था...यानी वो चाहते तो आगे खेलकर जीत सकते थे...सिर्फ़ सबा को जिताने के लिए उन्होने पैक कर दिया...वो मन ही मन उन्हे फिर से थेंक्स बोलने लगी..
फिर उसके मन में आया की अब तो उन्हे उनके तरीके से ही थेंक्स बोलेगी, जैसा उन्होने बोला था...पर क्या राहुल इसके लिए तैयार होगा...
सबा को इसके लिए काफ़ी मेहनत करनी थी.
लेकिन वो ये नही जानती थी की शशांक ने उसका भी हल ढूँढ लिया है..उसने पहले से ही अपनी वाइफ सुमन को इस काम पर लगा दिया...इसलिए, जब सभी लोग खाना खा रहे थे तो सुमन चुपचाप उठकर राहुल की तरफ गयी, जो अपनी खाने की प्लेट में कुछ डाल रहा था.
सुमन : "सो, मिस्टर. राहुल, कैसा लगा....मज़ा आया ना एक ही दिन में अपनी सोसायटी की 2-2 भाभियों की चुदाई करने में ...''
राहुल उसे इतने खुले तरीके से बोलता देखकर शरमा सा गया.
सुमन : "मेरे साथ रहना है तो ये शरमाना तो छोड़ ही दो...मुझ जैसे बेशरम बनकर रहोगे तो फ़ायदे में रहोगे...''
राहुल : "कैसा फ़ायदा ...''
सुमन : "अभी तो शुरूवात हुई है राहुल...अभी तो और भी भाभीयां और कुँवारी लड़कियाँ है इस सोसाइटी की, जो तुम्हारे इस लंबे लंड को अपने अंदर लेने के लिए तैयार हो सकती है...बस मेरी तरह बेशरम बन जाओ...''
राहुल तो सोसायटी की दूसरी भाभियो और कुँवारी लड़कियों के बारे में सोचकर ही उत्तेजित हो उठा..
सुमन आगे बोली : "अब काम की बात सुनो...आज रात को तुम अपनी वाइफ के साथ बाल्कनी में आना...''
राहुल : "बाल्कनी में ....वो क्यों ..''
सुमन : "तुम्हे कुछ दिखाना है...11 बजे आ जाना...पता चल जाएगा...''
और वो उसके मन में जिज्ञासा जगा कर वापिस चली गयी...राहुल बेचारा मुँह खोले वहीं खड़ा होकर सोचता रह गया की ऐसा क्या दिखाने को कह रही है सुमन भाभी...
खैर, कुछ ही देर में सभी ने खाना ख़त्म किया और अपने-2 घर चल दिए...
सरदारजी ने तो आज सोच ही लिया था की बाल्कनी में ही चुदाई करेंगे...वो इस मामले में शशांक से पीछे नही रहना चाहता था...
सबा को भी पता था की आज बाल्कनी में क्या होने वाला है...लेकिन वो राहुल को समझाने के लिए परेशान हुए जा रही थी...वो ये नही जानती थी की वो काम सुमन ने पहले ही कर दिया है..
रात को जब कपड़े बदल कर सबा बाथरूम से आई तो उसने फिर से अपनी फ़ेवरेट गुलाबी नाईटी पहन रखी थी...वो ये नाईटी अक्सर तभी पहनती थी जब वो खुद पहले से चुदने की तैयारी करके आई हो...
राहुल भी उसकी दिन ब दिन बाद रही सेक्स की भूख देखकर हैरान हो रहा था....उसके दोस्तो ने बताया तो था की शादी के कुछ टाइम बाद लड़की में चुदासी पूरी तरह से जाग जाती है और वो खुलकर इस खेल में उतर जाती है...यही हाल आजकल सबा का हो रहा था...दिन ब दिन उसका रूप और शरीर निखर रहा था और सेक्स की भूख भी बड़ रही थी...राहुल को इससे कोई परेशानी नही थी..बल्कि उसे तो इसमें बहुत मज़ा आ रहा था...बस उसे इस बात का अंदाज़ा नही था की उसकी बीबी की ये भूख उसे कहां तक ले जाएगी..
राहुल बेड पर बैठकर उसे शीशे के सामने क्रीम लगाते हुए देखने लगा.....11 भी बज चुके थे...सुमन भाभी ने उसे बाल्कनी में बुलाया था और यहाँ सबा चुदने के मूड में थी...राहुल तो दुविधा में पड़ गया...
वो सोच ही रहा था की बालकनी में जाने का क्या बहाना बनाए की तभी सबा बोल पड़ी : "राहुल...चलो ना...बाहर चलते है...बाल्कनी में ...काफ़ी अच्छी हवा चल रही है..''
राहुल तो एकदम खुशी से उछल पड़ा....जो बात वो करने से हिचकिचा रहा था, वो सबा ने खुद ही कर दी...वो तुरंत खड़ा हो गया और सबा के साथ बाहर निकल आया..
बाहर आते ही राहुल की नज़रें सबसे पहले सुमन भाभी के फ्लेट की तरफ गयी...पर वहां तो कोई भी नही था..
सबा ने भी तिरछी नज़रों से देख लिया था...शशांक अभी तक नही पहुँचा था वहां ..
लेकिन अंदर ही अंदर राहुल और सबा तो सैक्स के लिए तैयार ही थे...इसलिए दोनो एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये ...और बाते करने लगे..राहुल ने सबा को पीछे से पकड़ रखा था...और दोनो नीचे देख रहे थे...पूरे कॉंप्लेक्स में सन्नाटा था...सब सो चुके थे...राहुल के हाथ सबा के उरोजों पर फिसल रहे थे और उसके लंड ने उसकी गांड की घिसाई शुरू कर दी.
सबा: "राहुल...ये दीवाली के जुए की वजह से हमारी फाइनेंशल कंडीशन कितनी अच्छी हो गयी है....इतने पैसे तो पूरा महीना जॉब करके भी नही मिलते तुम्हे, जितना आज हमने जीत लिया..''
राहुल (उसके निप्पल्स को मसलते हुए) : "हमने नही...ये तो तुमने जीते है....अब हम दोनो वर्किंग कपल बन चुके है...''
दोनो इस बात पर हंस दिए.
राहुल : "लेकिन एक बात तो है...तुम्हारा लॅक काफ़ी अच्छा है...मैं तो कहता हूँ कल भी तुम ही खेलना...मुझे नही लगता की कोई मना करेगा....''
सबा ने मन में सोचा 'वो साले तो मरे जा रहे है मेरे साथ खेलने के लिए...मना करने का तो सवाल ही नही है..'
पर वो बस मुस्कुरा कर रह गयी...वो भी जानती थी की उसके लॅक से ज़्यादा उसे जिताने में शशांक का हाथ है...और उसी के एहसान का बदला चुकाने के लिए तो वो यहाँ खड़ी थी इस वक़्त..लेकिन वो अभी तक आए क्यो नही...
सबा ने एक बार फिर से उनकी बाल्कनी की तरफ देखा..वो अभी तक नहीं आये थे .
लेकिन तभी उन दोनो को गुरपाल सिंह की आवाज़ सुनाई दी...वो उनके नीचे वाले फ्लेट में ही रहते थे...इसलिए वो जब बालकनी में आए तो उनकी बातों की आवाज़ें उन्हे सुनाई देने लगी...राहुल और सबा ने नीचे देखा तो डिंपल भी वहीं थी...और दोनो एक दूसरे से कुछ देर तक बाते करने के बाद एक गहरी स्मूच में डूब गये..
राहुल और सबा ने अपनी हँसी दबाते हुए एक दूसरे को देखा और फिर छुपकर नीचे देखने लगे..
सभी की बाल्कनी में काफ़ी अंधेरा था...लेकिन गौर से देखने पर सब कुछ सॉफ देखा जा सकता था....और वैसे भी ये तो उनके नीचे वाली बाल्कनी में थे...राहुल को ऐसा लग रहा था जैसे वो सिनेमा हॉल में बाल्कनी की टिकट लेकर बैठे है और उन दोनो की चुदाई की फिल्म देखने आए है.
सरदारजी ने एक मिनट के अंदर ही डिंपल का गाउन उतार फेंका और उसे नंगा कर दिया...और अपना पायजामा नीचे करके उसे अपना लंड चूसने बिठा दिया.
सबा ने जब डिंपल को नंगा होते देखा तो उसने मज़ाक में राहुल की आँखे ढकनी चाही , और उसके कान में फुसफुसाई ''गंदे बच्चे ...बंद करो अपनी आँखे...डिंपल भाभी को ऐसे मत देखो तुम....''
राहुल ने अपने होंठ दांतो के नीचे दबाते हुए कहा : "तुम भी तो देख रही हो...सरदारजी को ऐसे ... नंगा ......मैने मना किया क्या...''
उसकी बात सही थी...सबा ने जब सरदारजी के खूंखार लंड को देखा तो एक पल के लिए तो वो साँस लेना ही भूल गयी...कुछ ज़्यादा ही मोटा और लंबा था उनका लंड ...और एकदम काला...जिसे डिंपल सरदारनी बड़े मज़े ले-लेकर चॉकलेट आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी..
राहुल का लंड भी एकदम कड़क हो चुका था...वो सरदारनी के लंड चुसाई के तरीके को देखकर अच्छी तरह से अंदाज़ा लगा सकता था की इस वक़्त गुरपाल को कितना मज़ा आ रहा होगा...क्योंकि कुछ समय पहले वही सरदारनी उसके लंड को भी ऐसे ही चूस चुकी थी...
राहुल ने अपना खड़ा हुआ लंड सबा की गांड पर टिका दिया...उसे लग रहा था की सबा उसे मना करेगी..लेकिन उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा जब सबा ने अपनी शॉर्ट नाइटी को अपनी गांड वाले हिस्से से उपर कर दिया और अपने नंगे कूल्हे राहुल के लंड वाली जगह पर रगड़ने लगी..
मतलब सॉफ था, सबा की चूत में भी वही आग लगी हुई थी जो इस वक़्त राहुल के लंड में थी...राहुल ने भी बिना कोई देरी किए अपना पायज़ामा नीचे खिसका दिया और अपने नंगे लंड को उसकी डनलप गद्दे जैसी गांड के उपर रखकर रगड़ने लगा...
सबा के मुँह से सिसकारी निकल गयी...
आज गुरपाल के साथ-2 उनकी बाल्कनी में भी एक तूफान आने वाला था...और शायद उन दोनो के साथ-2 शशांक और सुमन की बाल्कनी में भी...क्योंकि वो भी अब बाहर आ चुके थे..और वो भी नंगे।
राहुल ने अपने लंड पर थूक लगाई और उसे सबा की चूत पर रखकर धीरे से धक्का दिया...कुछ धक्का सबा ने भी लगाया ..और दोनो की मेहनत पहले शॉट में ही रंग लाई और वो लंड एक ही बार में सनसनाता हुआ अंदर घुसता चला गया...
''आआआआआआआआहह...........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......म्*म्म्मममममम....''
मादकता में डूबकर सबा की आँखे बंद होती चली गयी....और जब वो खुली तो उसकी नज़र सबसे पहले शशांक की बाल्कनी में गयी...और वहां शशांक अपनी बीबी के सुमन के साथ बड़े ही मज़े से उन्हे देख रहा था...और सबसे बड़ी बात, वो दोनो भी नंगे थे इस वक़्त और एक दूसरे से चिपककर उन दोनो का खेल देख रहे थे...
ये वो पल था जब सबा अपने आप को किसी वाइल्ड क्वीन से कम नही समझ रही थी....ऐसा ही कुछ करने की ना जाने कब से तमन्ना थी उसके दिल में ..कुछ घरवालों के संस्कार, कुछ लोगो का डर , और बाकी अपनी इज़्ज़त खोने का ख़तरा...
पर इस वक़्त खुले में अपनी चुदाई करवाते हुए उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो सभ्य समाज में नही बल्कि आदिवासी जिंदगी का हिस्सा है...जहाँ सब लोग नंगे होते है, किसी को नंगा होने में या खुले में चुदाई करवाने में शर्म नही आती....
सबा ने राहुल के लंड को अपनी चूत की ओखली में जकड़कर एक जोरदार ढंग से अंगड़ाई ली और अपना टॉप उपर की तरफ खिसका दिया...और इतना खिसकाया की उसके मुम्मे एक पल के लिए नंगे होकर शशांक की आँखो में चमक गये...
उनके पत्ते देखकर राहुल ने खुशी के मारे सबा को गले से लगा लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा...
''ओह सबा.....माय डार्लिंग ....तुम जीत गयी....तुम जीत गयी ....''
सरदारजी ने सबा के पत्ते देखे और बोले : "अच्छा हुआ, मैने पैक कर दिया, वरना बेकार में मारा जाता...''
उन्होने बताया की उनके पास सबसे बड़ा पत्ता J था.
सभी लेडीज़ भी वहीं आ गयी...सभी सबा को उसकी पहली गेम जीतने की बधाई दे रही थी...
पर सबा का सारा ध्यान शशांक के उपर था...जो बड़ी रहस्यमयी मुस्कान के साथ अपने पेग के सीप लगा रहा था...
अब कल की गेम की डिस्कशन होने लगी...डिंपल ने खाना लगा दिया था...सभी खाना खाते हुए अगले दिन की गेम के बारे में बाते करने लगे...जो कपूर साहब के घर पर थी.
सबा के मन में काफ़ी देर से जो सवाल था, उसके लिए वो वापिस टेबल पर गयी और शशांक के पत्ते पलट कर देखे...और उन्हे देखकर वो चकित रह गयी...वो सच में उससे छोटे थे...सबसे बड़ा पत्ता उनके पास 8 आया था...यानी वो चाहते तो आगे खेलकर जीत सकते थे...सिर्फ़ सबा को जिताने के लिए उन्होने पैक कर दिया...वो मन ही मन उन्हे फिर से थेंक्स बोलने लगी..
फिर उसके मन में आया की अब तो उन्हे उनके तरीके से ही थेंक्स बोलेगी, जैसा उन्होने बोला था...पर क्या राहुल इसके लिए तैयार होगा...
सबा को इसके लिए काफ़ी मेहनत करनी थी.
लेकिन वो ये नही जानती थी की शशांक ने उसका भी हल ढूँढ लिया है..उसने पहले से ही अपनी वाइफ सुमन को इस काम पर लगा दिया...इसलिए, जब सभी लोग खाना खा रहे थे तो सुमन चुपचाप उठकर राहुल की तरफ गयी, जो अपनी खाने की प्लेट में कुछ डाल रहा था.
सुमन : "सो, मिस्टर. राहुल, कैसा लगा....मज़ा आया ना एक ही दिन में अपनी सोसायटी की 2-2 भाभियों की चुदाई करने में ...''
राहुल उसे इतने खुले तरीके से बोलता देखकर शरमा सा गया.
सुमन : "मेरे साथ रहना है तो ये शरमाना तो छोड़ ही दो...मुझ जैसे बेशरम बनकर रहोगे तो फ़ायदे में रहोगे...''
राहुल : "कैसा फ़ायदा ...''
सुमन : "अभी तो शुरूवात हुई है राहुल...अभी तो और भी भाभीयां और कुँवारी लड़कियाँ है इस सोसाइटी की, जो तुम्हारे इस लंबे लंड को अपने अंदर लेने के लिए तैयार हो सकती है...बस मेरी तरह बेशरम बन जाओ...''
राहुल तो सोसायटी की दूसरी भाभियो और कुँवारी लड़कियों के बारे में सोचकर ही उत्तेजित हो उठा..
सुमन आगे बोली : "अब काम की बात सुनो...आज रात को तुम अपनी वाइफ के साथ बाल्कनी में आना...''
राहुल : "बाल्कनी में ....वो क्यों ..''
सुमन : "तुम्हे कुछ दिखाना है...11 बजे आ जाना...पता चल जाएगा...''
और वो उसके मन में जिज्ञासा जगा कर वापिस चली गयी...राहुल बेचारा मुँह खोले वहीं खड़ा होकर सोचता रह गया की ऐसा क्या दिखाने को कह रही है सुमन भाभी...
खैर, कुछ ही देर में सभी ने खाना ख़त्म किया और अपने-2 घर चल दिए...
सरदारजी ने तो आज सोच ही लिया था की बाल्कनी में ही चुदाई करेंगे...वो इस मामले में शशांक से पीछे नही रहना चाहता था...
सबा को भी पता था की आज बाल्कनी में क्या होने वाला है...लेकिन वो राहुल को समझाने के लिए परेशान हुए जा रही थी...वो ये नही जानती थी की वो काम सुमन ने पहले ही कर दिया है..
रात को जब कपड़े बदल कर सबा बाथरूम से आई तो उसने फिर से अपनी फ़ेवरेट गुलाबी नाईटी पहन रखी थी...वो ये नाईटी अक्सर तभी पहनती थी जब वो खुद पहले से चुदने की तैयारी करके आई हो...
राहुल भी उसकी दिन ब दिन बाद रही सेक्स की भूख देखकर हैरान हो रहा था....उसके दोस्तो ने बताया तो था की शादी के कुछ टाइम बाद लड़की में चुदासी पूरी तरह से जाग जाती है और वो खुलकर इस खेल में उतर जाती है...यही हाल आजकल सबा का हो रहा था...दिन ब दिन उसका रूप और शरीर निखर रहा था और सेक्स की भूख भी बड़ रही थी...राहुल को इससे कोई परेशानी नही थी..बल्कि उसे तो इसमें बहुत मज़ा आ रहा था...बस उसे इस बात का अंदाज़ा नही था की उसकी बीबी की ये भूख उसे कहां तक ले जाएगी..
राहुल बेड पर बैठकर उसे शीशे के सामने क्रीम लगाते हुए देखने लगा.....11 भी बज चुके थे...सुमन भाभी ने उसे बाल्कनी में बुलाया था और यहाँ सबा चुदने के मूड में थी...राहुल तो दुविधा में पड़ गया...
वो सोच ही रहा था की बालकनी में जाने का क्या बहाना बनाए की तभी सबा बोल पड़ी : "राहुल...चलो ना...बाहर चलते है...बाल्कनी में ...काफ़ी अच्छी हवा चल रही है..''
राहुल तो एकदम खुशी से उछल पड़ा....जो बात वो करने से हिचकिचा रहा था, वो सबा ने खुद ही कर दी...वो तुरंत खड़ा हो गया और सबा के साथ बाहर निकल आया..
बाहर आते ही राहुल की नज़रें सबसे पहले सुमन भाभी के फ्लेट की तरफ गयी...पर वहां तो कोई भी नही था..
सबा ने भी तिरछी नज़रों से देख लिया था...शशांक अभी तक नही पहुँचा था वहां ..
लेकिन अंदर ही अंदर राहुल और सबा तो सैक्स के लिए तैयार ही थे...इसलिए दोनो एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये ...और बाते करने लगे..राहुल ने सबा को पीछे से पकड़ रखा था...और दोनो नीचे देख रहे थे...पूरे कॉंप्लेक्स में सन्नाटा था...सब सो चुके थे...राहुल के हाथ सबा के उरोजों पर फिसल रहे थे और उसके लंड ने उसकी गांड की घिसाई शुरू कर दी.
सबा: "राहुल...ये दीवाली के जुए की वजह से हमारी फाइनेंशल कंडीशन कितनी अच्छी हो गयी है....इतने पैसे तो पूरा महीना जॉब करके भी नही मिलते तुम्हे, जितना आज हमने जीत लिया..''
राहुल (उसके निप्पल्स को मसलते हुए) : "हमने नही...ये तो तुमने जीते है....अब हम दोनो वर्किंग कपल बन चुके है...''
दोनो इस बात पर हंस दिए.
राहुल : "लेकिन एक बात तो है...तुम्हारा लॅक काफ़ी अच्छा है...मैं तो कहता हूँ कल भी तुम ही खेलना...मुझे नही लगता की कोई मना करेगा....''
सबा ने मन में सोचा 'वो साले तो मरे जा रहे है मेरे साथ खेलने के लिए...मना करने का तो सवाल ही नही है..'
पर वो बस मुस्कुरा कर रह गयी...वो भी जानती थी की उसके लॅक से ज़्यादा उसे जिताने में शशांक का हाथ है...और उसी के एहसान का बदला चुकाने के लिए तो वो यहाँ खड़ी थी इस वक़्त..लेकिन वो अभी तक आए क्यो नही...
सबा ने एक बार फिर से उनकी बाल्कनी की तरफ देखा..वो अभी तक नहीं आये थे .
लेकिन तभी उन दोनो को गुरपाल सिंह की आवाज़ सुनाई दी...वो उनके नीचे वाले फ्लेट में ही रहते थे...इसलिए वो जब बालकनी में आए तो उनकी बातों की आवाज़ें उन्हे सुनाई देने लगी...राहुल और सबा ने नीचे देखा तो डिंपल भी वहीं थी...और दोनो एक दूसरे से कुछ देर तक बाते करने के बाद एक गहरी स्मूच में डूब गये..
राहुल और सबा ने अपनी हँसी दबाते हुए एक दूसरे को देखा और फिर छुपकर नीचे देखने लगे..
सभी की बाल्कनी में काफ़ी अंधेरा था...लेकिन गौर से देखने पर सब कुछ सॉफ देखा जा सकता था....और वैसे भी ये तो उनके नीचे वाली बाल्कनी में थे...राहुल को ऐसा लग रहा था जैसे वो सिनेमा हॉल में बाल्कनी की टिकट लेकर बैठे है और उन दोनो की चुदाई की फिल्म देखने आए है.
सरदारजी ने एक मिनट के अंदर ही डिंपल का गाउन उतार फेंका और उसे नंगा कर दिया...और अपना पायजामा नीचे करके उसे अपना लंड चूसने बिठा दिया.
सबा ने जब डिंपल को नंगा होते देखा तो उसने मज़ाक में राहुल की आँखे ढकनी चाही , और उसके कान में फुसफुसाई ''गंदे बच्चे ...बंद करो अपनी आँखे...डिंपल भाभी को ऐसे मत देखो तुम....''
राहुल ने अपने होंठ दांतो के नीचे दबाते हुए कहा : "तुम भी तो देख रही हो...सरदारजी को ऐसे ... नंगा ......मैने मना किया क्या...''
उसकी बात सही थी...सबा ने जब सरदारजी के खूंखार लंड को देखा तो एक पल के लिए तो वो साँस लेना ही भूल गयी...कुछ ज़्यादा ही मोटा और लंबा था उनका लंड ...और एकदम काला...जिसे डिंपल सरदारनी बड़े मज़े ले-लेकर चॉकलेट आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी..
राहुल का लंड भी एकदम कड़क हो चुका था...वो सरदारनी के लंड चुसाई के तरीके को देखकर अच्छी तरह से अंदाज़ा लगा सकता था की इस वक़्त गुरपाल को कितना मज़ा आ रहा होगा...क्योंकि कुछ समय पहले वही सरदारनी उसके लंड को भी ऐसे ही चूस चुकी थी...
राहुल ने अपना खड़ा हुआ लंड सबा की गांड पर टिका दिया...उसे लग रहा था की सबा उसे मना करेगी..लेकिन उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा जब सबा ने अपनी शॉर्ट नाइटी को अपनी गांड वाले हिस्से से उपर कर दिया और अपने नंगे कूल्हे राहुल के लंड वाली जगह पर रगड़ने लगी..
मतलब सॉफ था, सबा की चूत में भी वही आग लगी हुई थी जो इस वक़्त राहुल के लंड में थी...राहुल ने भी बिना कोई देरी किए अपना पायज़ामा नीचे खिसका दिया और अपने नंगे लंड को उसकी डनलप गद्दे जैसी गांड के उपर रखकर रगड़ने लगा...
सबा के मुँह से सिसकारी निकल गयी...
आज गुरपाल के साथ-2 उनकी बाल्कनी में भी एक तूफान आने वाला था...और शायद उन दोनो के साथ-2 शशांक और सुमन की बाल्कनी में भी...क्योंकि वो भी अब बाहर आ चुके थे..और वो भी नंगे।
राहुल ने अपने लंड पर थूक लगाई और उसे सबा की चूत पर रखकर धीरे से धक्का दिया...कुछ धक्का सबा ने भी लगाया ..और दोनो की मेहनत पहले शॉट में ही रंग लाई और वो लंड एक ही बार में सनसनाता हुआ अंदर घुसता चला गया...
''आआआआआआआआहह...........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......म्*म्म्मममममम....''
मादकता में डूबकर सबा की आँखे बंद होती चली गयी....और जब वो खुली तो उसकी नज़र सबसे पहले शशांक की बाल्कनी में गयी...और वहां शशांक अपनी बीबी के सुमन के साथ बड़े ही मज़े से उन्हे देख रहा था...और सबसे बड़ी बात, वो दोनो भी नंगे थे इस वक़्त और एक दूसरे से चिपककर उन दोनो का खेल देख रहे थे...
ये वो पल था जब सबा अपने आप को किसी वाइल्ड क्वीन से कम नही समझ रही थी....ऐसा ही कुछ करने की ना जाने कब से तमन्ना थी उसके दिल में ..कुछ घरवालों के संस्कार, कुछ लोगो का डर , और बाकी अपनी इज़्ज़त खोने का ख़तरा...
पर इस वक़्त खुले में अपनी चुदाई करवाते हुए उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो सभ्य समाज में नही बल्कि आदिवासी जिंदगी का हिस्सा है...जहाँ सब लोग नंगे होते है, किसी को नंगा होने में या खुले में चुदाई करवाने में शर्म नही आती....
सबा ने राहुल के लंड को अपनी चूत की ओखली में जकड़कर एक जोरदार ढंग से अंगड़ाई ली और अपना टॉप उपर की तरफ खिसका दिया...और इतना खिसकाया की उसके मुम्मे एक पल के लिए नंगे होकर शशांक की आँखो में चमक गये...