04-06-2020, 05:01 PM
(This post was last modified: 27-08-2021, 01:39 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अगली शर्त
और मैंने उसे अगली शर्त बता दी ,उसके 'सीधे साधे भैय्या के बारे में
" सुन बहन की लौंड़ी , तूने अपने अच्छे अच्छे सीधे साधे भैय्या का लंड देखा है की नहीं। वो तेरी चूँचियाँ घूरते रहते हैं और तू , तो बस अब तू अगले दो घंटे तक तेरी निगाह सीधे उनके शार्ट से झांकते लंड पे ,एकदम खुल्लम खुला ,
समझी घूर घूर के और अगले पंद्रह मिनट में कम से कम पांच बार शार्ट के ऊपर से तू उनके लंड को छूएगी ,
एकदम साफ़ साफ़ , पकड़ेगी रगडेगी ,ये नहीं की गलती से हाथ लग गया , समझी साली। "
और अबकी जो मेरा हाथ उसके नमकीन गाल पे पड़ा वो कतई प्यार भरी चपत नहीं था।
" ओह्ह हाँ भाभी "
मेरा एक हाथ अभी भी उसके जोबन की नाप जोख कर रहा था और दूसरा उसकी खुली जांघों के बीच उसकी छोटी सी स्कर्ट उठाकर सीधे उसके थांग के ऊपर से उसकी चुनमुनिया को हलके हलके दबा रहा था।
मन तो कर रहा था यहीं पटक के उस स्साली को चोद दूँ ,
अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ रगड़ के ,कचकचा के उसकी चूँचियाँ काट लूँ ,
मन को मैंने बहुत समझया , मान जा कोमलिया ,अभी आज उसके भैय्या के लिए पटा , इसकी नथ उतरवा फिर वो मौका भी जल्दी आएगा।
वो अभी भी अलमारी ठीक कर रहे थे और मुझे गुड्डी की एक पुरानी बात याद आ गयी ,
" मेरे भैय्या कुछ भी अपने हाथ से नहीं करते ,एक ग्लास पानी तक भी नहीं लेते ,भाभी आप को ये सब पता होना चाहिए। "
सररर सररर ,मेरी साडी मैंने उतार के उनकी ओर फेंक दी ,
" अरे जरा सम्हाल के अच्छी तरह से तहिया के रख दी , एकदम ठीक से ,... "
और वो काम पर लग गए ,
मेरे और दरवाजे के बीच दबी उनकी बहना देखती रही।
बिचारी ,अभी उसे बहुत कुछ देखना था।
उस की हिरणी सी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे अपने 'कुछ भी काम न करने वाले भईया को ' मेरी साडी खूब ध्यान से तहियाते देख रही थी।
और में उसकी कच्ची अमिया को , जिसने पूरे शहर भर में आग लगा रखी थी।
लड़की के जवान होने की खबर उसे हो न हो ,उसके मोहल्ले के लौंडों को सबसे पहले हो जाती है।
और यहां तो गुड्डी एकदम जिल्ला टाप माल थी।
वो अपने भैय्या को देख रही थी और मैं उसके नए नए आये उभारों को , और साथ में क्लिक क्लिक क्लिक
भला हो मोबाइल कंपनी वालों का , क्या अच्छे कैमरे बनाते हैं ,
उसकी कच्ची अमिया का
कटाव , उभार कड़ापन , क्लीवेज सब कुछ और साथ में उसकी मटर के दाने के बराबर की घुंडियां भी , एकदम कड़क
स्साली की चूँचियाँ सच में ,एकदम ,...
और हर फोटो में , यहाँ तक की निप्स के क्लोजअप्स में भी
उसका भोला भाला चेहरा , जिससे उसके बचपन की निशानी अभी तक गयी नहीं थी ,
लगता था जैसे उसके दूध के दांत भी न टूटे हों।
पर उसके हाल्टर टॉप से झांकते गदराये जोबन एकदम इस बात की गवाही दे रहे थे की लौंडिया एकदम लेने लायक हो गयी है।
और जब गुड्डी की निगाहैं वापस मेरी ओर आयीं तो मैंने क्लिक क्लिक बंद नहीं किया , बल्कि गरजी ,
" खोल स्साली , तुरंत ".
और साथ में एक कर्रारा झापड़ उसके गाल पे ,
गाल पे मेरी उँगलियाँ छप गयीं।
वो पूरी तरह कन्फुज , दर्द अलग , ..
झपटपट उसने अपनी टॉप का बटन खोल दिया ,और अब तो उसके टेनिस बॉल साइज बूब्स ऑलमोस्ट बाहर ,
क्लिक क्लिक क्लिक क्लिक
गुड्डी के एक हाथ में उसका फोन ,
खोलती है छिनार या लगाऊं कान के नीचे एक,... "
मेरी ठंडी आवाज ने उसकी जान सुखा दी।
और मैंने उसे अगली शर्त बता दी ,उसके 'सीधे साधे भैय्या के बारे में
" सुन बहन की लौंड़ी , तूने अपने अच्छे अच्छे सीधे साधे भैय्या का लंड देखा है की नहीं। वो तेरी चूँचियाँ घूरते रहते हैं और तू , तो बस अब तू अगले दो घंटे तक तेरी निगाह सीधे उनके शार्ट से झांकते लंड पे ,एकदम खुल्लम खुला ,
समझी घूर घूर के और अगले पंद्रह मिनट में कम से कम पांच बार शार्ट के ऊपर से तू उनके लंड को छूएगी ,
एकदम साफ़ साफ़ , पकड़ेगी रगडेगी ,ये नहीं की गलती से हाथ लग गया , समझी साली। "
और अबकी जो मेरा हाथ उसके नमकीन गाल पे पड़ा वो कतई प्यार भरी चपत नहीं था।
" ओह्ह हाँ भाभी "
मेरा एक हाथ अभी भी उसके जोबन की नाप जोख कर रहा था और दूसरा उसकी खुली जांघों के बीच उसकी छोटी सी स्कर्ट उठाकर सीधे उसके थांग के ऊपर से उसकी चुनमुनिया को हलके हलके दबा रहा था।
मन तो कर रहा था यहीं पटक के उस स्साली को चोद दूँ ,
अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ रगड़ के ,कचकचा के उसकी चूँचियाँ काट लूँ ,
मन को मैंने बहुत समझया , मान जा कोमलिया ,अभी आज उसके भैय्या के लिए पटा , इसकी नथ उतरवा फिर वो मौका भी जल्दी आएगा।
वो अभी भी अलमारी ठीक कर रहे थे और मुझे गुड्डी की एक पुरानी बात याद आ गयी ,
" मेरे भैय्या कुछ भी अपने हाथ से नहीं करते ,एक ग्लास पानी तक भी नहीं लेते ,भाभी आप को ये सब पता होना चाहिए। "
सररर सररर ,मेरी साडी मैंने उतार के उनकी ओर फेंक दी ,
" अरे जरा सम्हाल के अच्छी तरह से तहिया के रख दी , एकदम ठीक से ,... "
और वो काम पर लग गए ,
मेरे और दरवाजे के बीच दबी उनकी बहना देखती रही।
बिचारी ,अभी उसे बहुत कुछ देखना था।
उस की हिरणी सी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे अपने 'कुछ भी काम न करने वाले भईया को ' मेरी साडी खूब ध्यान से तहियाते देख रही थी।
और में उसकी कच्ची अमिया को , जिसने पूरे शहर भर में आग लगा रखी थी।
लड़की के जवान होने की खबर उसे हो न हो ,उसके मोहल्ले के लौंडों को सबसे पहले हो जाती है।
और यहां तो गुड्डी एकदम जिल्ला टाप माल थी।
वो अपने भैय्या को देख रही थी और मैं उसके नए नए आये उभारों को , और साथ में क्लिक क्लिक क्लिक
भला हो मोबाइल कंपनी वालों का , क्या अच्छे कैमरे बनाते हैं ,
उसकी कच्ची अमिया का
कटाव , उभार कड़ापन , क्लीवेज सब कुछ और साथ में उसकी मटर के दाने के बराबर की घुंडियां भी , एकदम कड़क
स्साली की चूँचियाँ सच में ,एकदम ,...
और हर फोटो में , यहाँ तक की निप्स के क्लोजअप्स में भी
उसका भोला भाला चेहरा , जिससे उसके बचपन की निशानी अभी तक गयी नहीं थी ,
लगता था जैसे उसके दूध के दांत भी न टूटे हों।
पर उसके हाल्टर टॉप से झांकते गदराये जोबन एकदम इस बात की गवाही दे रहे थे की लौंडिया एकदम लेने लायक हो गयी है।
और जब गुड्डी की निगाहैं वापस मेरी ओर आयीं तो मैंने क्लिक क्लिक बंद नहीं किया , बल्कि गरजी ,
" खोल स्साली , तुरंत ".
और साथ में एक कर्रारा झापड़ उसके गाल पे ,
गाल पे मेरी उँगलियाँ छप गयीं।
वो पूरी तरह कन्फुज , दर्द अलग , ..
झपटपट उसने अपनी टॉप का बटन खोल दिया ,और अब तो उसके टेनिस बॉल साइज बूब्स ऑलमोस्ट बाहर ,
क्लिक क्लिक क्लिक क्लिक
गुड्डी के एक हाथ में उसका फोन ,
खोलती है छिनार या लगाऊं कान के नीचे एक,... "
मेरी ठंडी आवाज ने उसकी जान सुखा दी।