24-02-2019, 07:25 PM
सोलहवीं फुहार ,जारी
बाहर बारिश , अंदर बारिश
![[Image: Guddi-erotic-tumblr_okkp64o0xo1w1mqudo1_400.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/Guddi-erotic-tumblr_okkp64o0xo1w1mqudo1_400.md.gif)
और उस हलकी मखमली रोशनी में मैंने पहली बार खुद को देखा और शरमा गयी।
मेरे जवानी के फूलों पे नाखूनों की गहरी खरोंचे , दांत के निशान ,टूटी हुयी चूड़ियाँ , और थकी फैली जाँघों के बीच धीमे धीमे फैल कर बिखरता , अजय का , सफेद गाढ़ा ,…
![[Image: sixteen-120383_16.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/sixteen-120383_16.jpg)
क्या क्या छिपाती , क्या ढकती।
मैंने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे ही मूँद ली। और चादर ओढ़ ली
लेकिन तबतक अजय एक बार फिर मेरे पास , चारपाई पर ,
और जिसने मुझे मुझसे ही चुरा लिया था वो कबतक मेरी शरम की चादर मुझे ओढ़े रहने देता।
और उस जालिम के तरकश में सिर्फ एक दो तीर थोड़े ही थे , पहले तो वो मेरी चादर में घुस गया , फिर कभी गुदगुदी लगा के ( ये बात जरूर उसे भाभी ने बतायी होगी की गुदगुदी से झट हार जाती हूँ ,आखिर हर बार होली में वो इसी का तो सहारा लेती थीं। )
तो कभी हलकी हलकी चिकोटी काट के तो कभी मीठे मीठे झूठे बहाने बना के और जब कुछ न चला तो अपनी कसम धरा के ,
और उसकी कसम के आगे मेरी क्या चलती।
पल भर के लिए मैने आँखे खोली, तो फिर उसकी अगली शर्त , बस जरा सा चद्दर खोल दूँ , वो एक बार जरा बस ,एक मिनट के लिए उन उभारों को देख ले जिन्होंने सारे गाँव में आग लगा रखी है , बहाना बनाना और झूठी तारीफें करना तो कोई अजय से सीखे।
उस दिन अमराई में भी अँधेरा था और आज तो एकदम घुप्प अँधेरा , बस थोड़ी देर , बस चादर हटाउ और झट से फिर बंद कर लूँ ,
मैं भी बेवकूफ , उसकी बातों में आ गयी।
हलकी सी चादर खोलते ही उसने कांख में वो गुदगुदी लगाई की मैं खिलखिला पड़ी , और फिर तो
" देखूं कहाँ कहाँ दाँतो के निशान है , अरे ये तो बहुत गहरा है ,उफ़ नाख़ून की भी खरोंच , अरे ये निपल तेरे एकदम खड़े , "
मुझे पता भी न चला की कब पल भर पांच मिनट में बदल गए और कब खरोंच देखते देखते वो एक बार फिर हलके से उरोज मेरे सहलाने लगा।
![[Image: sixteen-tumblr_n0vir6sTrz1qciaxlo1_1280.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/sixteen-tumblr_n0vir6sTrz1qciaxlo1_1280.jpg)
चादर हम दोनों की कमर तक था , और नया बहाना ये था की हे तू बोलेगी की मैंने तुम्हे अपना दिखा दिया , तू भी तो अपना दिखाओ।
और मैंने झटके से बुद्धू की तरह हाँ बोल दिया , और चादर जब नीचे सरक गयी तो मुझे समझ में आया , की जनाब अपना दिखाने से ज्यादा चक्कर में थे देख लें ,
और चादर सिर्फ नीचे ही नहीं उतरी , पलंग से सरक कर नीचे भी चली गयी.
और अपना हाथ डाल कर , कुछ गुदगुदी कुछ चिकोटियां , मेरी जांघे उस बदमाश ने पूरी खोल के ही दम लिया और ऊपर से उसकी कसम , मैं अपनी आँखे भी नहीं बंद कर सकती थी।
मैंने वही किया जो कर सकती थी , बदला।
और एक बेशर्म इंसान को दिल देने का नतीजा यही होना था ,मैं भी उसके रंग में रंग गयी।
मैंने वही किया जो अजय कर रहा था।
सावन से भादों दुबर,
अजय ने गुदगुदी लगा के मुझे जांघे फैलाने पे मजबूर कर दिया और जब तक मैं सम्हलती,सम्हलती उसकी हथेली सीधे मेरी बुलबुल पे।
चारा खाने के बाद बुलबुल का मुंह थोड़ा खुला था इसलिए मौके का फायदा उठाने में एक्सपर्ट अजय ने गचाक से ,
![[Image: fingering-pussy-J-17884144.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/fingering-pussy-J-17884144.md.gif)
एक झटके में दो पोर तक उसकी तर्जनी अंदर थी और हाथ की गदोरी से भी वो रगड़ मसल रहा था।
मैं गनगना रही थी लेकिन फिर मैंने भी काउंटर अटैक किया।
मेरे मेहंदी लगे हाथ उसके जाँघों के बीच ,
और उसका थोड़ा सोया ,ज्यादा जागा खूंटा मेरी कोमल कोमल मुट्ठी में।
" अब बताती हूँ तुझे बहुत तंग किया था न मुझे " बुदबुदा के बोली मैं।
क्या हुआ जो इस खेल में मैं नौसिखिया थी , लेकिन थी तो अपनी भाभी की पक्की ननद और यहाँ आके तो और ,
चंपा भाभी और बसंती की पटु शिष्या,
मैंने हलके हलके मुठियाना शुरू किया।
![[Image: holding-cock-213.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/holding-cock-213.md.gif)
लेकिन थोड़ी ही देर में शेर ने अंगड़ाई ली , गुर्राना शुरू किया और मेरे मेहंदी लगे हाथों छुअन ,
कहाँ से मिलता ऐसे कोमल कोमल हाथों का सपर्श ,
फूल के 'वो ' कुप्पा हो गया ,
कम से कम दो ढाई इंच तो मोटा रहा ही होगा , और मेरी मुट्ठी की पकड़ से बाहर होने की कोशिश करने लगा।
माना मेरे छोटे छोटे हाथों की मुट्ठी की कैद में उसे दबोचना मुश्किल था , लेकिन मेरे पास तरीकों की कमी नहीं थी।
अंगूठे और तरजनी से पकड़ के ,उसके बेस को मैंने जोर से दबाया ,भींचा और फिर ऊपर नीचे ,ऊपर नीचे और
एक झटके में जो उसका चमड़ा खींचा तो जैसे दुल्हन का घूंघट हटे,
खूब मोटा ,गुस्सैल ,भूखा बड़ा सा धूसर सुपाड़ा बाहर आ गया।
+
![[Image: Guddi-holding-cock-tumblr_odrcatvYmk1vx3...540.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/Guddi-holding-cock-tumblr_odrcatvYmk1vx3telo5_540.md.gif)
ढिबरी की रौशनी में वो और भयानक,भीषण लग रहा था।
बाहर बारिश , अंदर बारिश
![[Image: Guddi-erotic-tumblr_okkp64o0xo1w1mqudo1_400.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/Guddi-erotic-tumblr_okkp64o0xo1w1mqudo1_400.md.gif)
और उस हलकी मखमली रोशनी में मैंने पहली बार खुद को देखा और शरमा गयी।
मेरे जवानी के फूलों पे नाखूनों की गहरी खरोंचे , दांत के निशान ,टूटी हुयी चूड़ियाँ , और थकी फैली जाँघों के बीच धीमे धीमे फैल कर बिखरता , अजय का , सफेद गाढ़ा ,…
![[Image: sixteen-120383_16.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/sixteen-120383_16.jpg)
क्या क्या छिपाती , क्या ढकती।
मैंने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे ही मूँद ली। और चादर ओढ़ ली
लेकिन तबतक अजय एक बार फिर मेरे पास , चारपाई पर ,
और जिसने मुझे मुझसे ही चुरा लिया था वो कबतक मेरी शरम की चादर मुझे ओढ़े रहने देता।
और उस जालिम के तरकश में सिर्फ एक दो तीर थोड़े ही थे , पहले तो वो मेरी चादर में घुस गया , फिर कभी गुदगुदी लगा के ( ये बात जरूर उसे भाभी ने बतायी होगी की गुदगुदी से झट हार जाती हूँ ,आखिर हर बार होली में वो इसी का तो सहारा लेती थीं। )
तो कभी हलकी हलकी चिकोटी काट के तो कभी मीठे मीठे झूठे बहाने बना के और जब कुछ न चला तो अपनी कसम धरा के ,
और उसकी कसम के आगे मेरी क्या चलती।
पल भर के लिए मैने आँखे खोली, तो फिर उसकी अगली शर्त , बस जरा सा चद्दर खोल दूँ , वो एक बार जरा बस ,एक मिनट के लिए उन उभारों को देख ले जिन्होंने सारे गाँव में आग लगा रखी है , बहाना बनाना और झूठी तारीफें करना तो कोई अजय से सीखे।
उस दिन अमराई में भी अँधेरा था और आज तो एकदम घुप्प अँधेरा , बस थोड़ी देर , बस चादर हटाउ और झट से फिर बंद कर लूँ ,
मैं भी बेवकूफ , उसकी बातों में आ गयी।
हलकी सी चादर खोलते ही उसने कांख में वो गुदगुदी लगाई की मैं खिलखिला पड़ी , और फिर तो
" देखूं कहाँ कहाँ दाँतो के निशान है , अरे ये तो बहुत गहरा है ,उफ़ नाख़ून की भी खरोंच , अरे ये निपल तेरे एकदम खड़े , "
मुझे पता भी न चला की कब पल भर पांच मिनट में बदल गए और कब खरोंच देखते देखते वो एक बार फिर हलके से उरोज मेरे सहलाने लगा।
![[Image: sixteen-tumblr_n0vir6sTrz1qciaxlo1_1280.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/sixteen-tumblr_n0vir6sTrz1qciaxlo1_1280.jpg)
चादर हम दोनों की कमर तक था , और नया बहाना ये था की हे तू बोलेगी की मैंने तुम्हे अपना दिखा दिया , तू भी तो अपना दिखाओ।
और मैंने झटके से बुद्धू की तरह हाँ बोल दिया , और चादर जब नीचे सरक गयी तो मुझे समझ में आया , की जनाब अपना दिखाने से ज्यादा चक्कर में थे देख लें ,
और चादर सिर्फ नीचे ही नहीं उतरी , पलंग से सरक कर नीचे भी चली गयी.
और अपना हाथ डाल कर , कुछ गुदगुदी कुछ चिकोटियां , मेरी जांघे उस बदमाश ने पूरी खोल के ही दम लिया और ऊपर से उसकी कसम , मैं अपनी आँखे भी नहीं बंद कर सकती थी।
मैंने वही किया जो कर सकती थी , बदला।
और एक बेशर्म इंसान को दिल देने का नतीजा यही होना था ,मैं भी उसके रंग में रंग गयी।
मैंने वही किया जो अजय कर रहा था।
सावन से भादों दुबर,
अजय ने गुदगुदी लगा के मुझे जांघे फैलाने पे मजबूर कर दिया और जब तक मैं सम्हलती,सम्हलती उसकी हथेली सीधे मेरी बुलबुल पे।
चारा खाने के बाद बुलबुल का मुंह थोड़ा खुला था इसलिए मौके का फायदा उठाने में एक्सपर्ट अजय ने गचाक से ,
![[Image: fingering-pussy-J-17884144.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/fingering-pussy-J-17884144.md.gif)
एक झटके में दो पोर तक उसकी तर्जनी अंदर थी और हाथ की गदोरी से भी वो रगड़ मसल रहा था।
मैं गनगना रही थी लेकिन फिर मैंने भी काउंटर अटैक किया।
मेरे मेहंदी लगे हाथ उसके जाँघों के बीच ,
और उसका थोड़ा सोया ,ज्यादा जागा खूंटा मेरी कोमल कोमल मुट्ठी में।
" अब बताती हूँ तुझे बहुत तंग किया था न मुझे " बुदबुदा के बोली मैं।
क्या हुआ जो इस खेल में मैं नौसिखिया थी , लेकिन थी तो अपनी भाभी की पक्की ननद और यहाँ आके तो और ,
चंपा भाभी और बसंती की पटु शिष्या,
मैंने हलके हलके मुठियाना शुरू किया।
![[Image: holding-cock-213.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/holding-cock-213.md.gif)
लेकिन थोड़ी ही देर में शेर ने अंगड़ाई ली , गुर्राना शुरू किया और मेरे मेहंदी लगे हाथों छुअन ,
कहाँ से मिलता ऐसे कोमल कोमल हाथों का सपर्श ,
फूल के 'वो ' कुप्पा हो गया ,
कम से कम दो ढाई इंच तो मोटा रहा ही होगा , और मेरी मुट्ठी की पकड़ से बाहर होने की कोशिश करने लगा।
माना मेरे छोटे छोटे हाथों की मुट्ठी की कैद में उसे दबोचना मुश्किल था , लेकिन मेरे पास तरीकों की कमी नहीं थी।
अंगूठे और तरजनी से पकड़ के ,उसके बेस को मैंने जोर से दबाया ,भींचा और फिर ऊपर नीचे ,ऊपर नीचे और
एक झटके में जो उसका चमड़ा खींचा तो जैसे दुल्हन का घूंघट हटे,
खूब मोटा ,गुस्सैल ,भूखा बड़ा सा धूसर सुपाड़ा बाहर आ गया।
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![[Image: Guddi-holding-cock-tumblr_odrcatvYmk1vx3...540.md.gif]](https://picsbees.com/images/2018/10/22/Guddi-holding-cock-tumblr_odrcatvYmk1vx3telo5_540.md.gif)
ढिबरी की रौशनी में वो और भयानक,भीषण लग रहा था।