02-06-2020, 11:42 AM
नहा ले पागल ...... खुद से बोली .....
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
फिर स्कर्ट उतर के .... "सु-सु" करने बैठ गयी .... मधुर आवाज मेरी सीटी कि .. आज दुगना मजा आ रहा था सुनने मैं .... पूरा सुना जब तक आखरी बूद न टपक गयी ... फिर उठी और उठ कर सीधा शावर के नीचे ....
रगड़ -रगड़ के नहा लिया ... जोबन को अलग बदमाशी चढ़ रही थी .... साले दोनों निप्पल खड़े ही रहे पूरा टाइम ..... और वो "नीचे" वाली भी टपकाती रही .... बस अब बहुत हुआ.... जोबन पर टॉवल लपेट कर धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला ..... आज भी कपडे नहीं ला पायी थी ...... बस सपने मैं चलती हुई आ गयी बाथरूम तक ... देखा कि कोई नहीं है सामने ...... तेजी से चलते हुए ..... लगभग भागते हुए आ गयी रूम तक.....
अब क्या पहेनु ? माँ और सुमन भाभी भी है .... सूट ही ठीक रहेगा .... माँ को बिना दुपट्टा लिए बहार जाना बिलकुल पसंद नहीं था ..... अब स्कर्ट - टॉप मैं दुपट्टा ..... नहीं सूट ही ठीक है ....
अब कलर ? हम्म, एक पीली कुर्ती और सफ़ेद चूड़ीदार सलवार निकाल ली जिसके साथ दो रंग वाला दुपट्टा था पीले - सफ़ेद रंग का मिक्स.... हम्म यह चलेगा...
अब ब्रा ? उफ़ .... ब्लैक तो साफ़ दिखेगी .... और माँ मार डालेगी ... फिर पीली वाली ब्रा भी लानी पड़ेगी ..... अभी तो सफ़ेद से ही काम चलाना पड़ेगा .....
पेंटी ? हम्म, एक क्रीम कलर कि थी ... थोड़ी पुरानी थी ... हलकी सी टाइट .... चलो यह ही सही .... चिकनाहट तो रोकेगी ..... मुझे मेरी "नीचे" वाली पर पूरा भरोसा था कि वो बाजार मैं तंग करेगी .... सुमन भाभी जो साथ मैं है ..... याद आती ही रहेगी सपने कि ....
अब सब निकल लिया ..... निहारिका ... जल्दी कर माँ का फरमान आता ही होगा ....
जल्दी से टॉवल खोला .. जोबन दबाये .... "नीचे " वाली पर हात अपने आप ही चला गया ... एक हालही चपत लगायी ..... दोनों पर ... परेशान कर दिया था ..... सुबह से .... न ,न रात से .... क्यों ठीक किया ....है न ..
पेंटी पहेनी ..... कुछ टाइट थी .... मेरे गोलमटोल कुछ ज्यादा ही गोल हो गए थे एन दिनों ..... सुमन भाभी भी कह रही थी .... फिर अंगूठा डाला कमर के इलास्टिक मैं और सेट किया पेंटी को .... फिर "नीचे" वाली जगह को भी उंगलियो से सेट किया टाइट थी पर आज चल जाएगी .... सोच रही थी कुछ और कलर कि पेंटी - ब्रा लानी होंगी .... देखते हैं ...
फिर ब्रा पहेनी ... उफ़ मेरे जोबन को क्या हुआ .... एक ही रात मैं बढ़ गए क्या? ... खुद से पुछा .... जो भी हो अच्छे लग रहे थे . ..
फिर कुर्ती पहेनी उफ़. .... कुर्ती मैं से मेरे जोबन ... एकदम निकल कर बाहर आ रहे थे ... फिर जल्दी से चूड़ीदार पहेना ...एकदम फिट ... मेरे पीछे वाले "गोलमटोल" एकदम जानमारू लग रहे थे ...... जवानी का असर ...... अब दिखाई दे रह था ........... मेरे जिस्म पर .
तभी मुझे मेरी सहेली कि बात याद आई "एटम बम" है तू निहारिका ..... तू जानती नहीं ....
आ गयी मुझे हंसी .....
अब गीले बाल को सुखा कर कंगी करी ,,, बांध तो नहीं सकती थी कुछ गीले थे .... और टाइम न था .... फिर एक छोटी क्लिप लगा ली बालो को समेट कर और लिपस्टिक ... रेड वाली लगा ली मेरे होंठ चमक उठे ... और भाभी कि याद आ गयी ..... मैं तो पागल ही हो जाउंगी ...... आँखों मैं काजल लगा कर , हाथ मैं दुपट्टा लिया और रूम से बाहर आ गयी .....
सामने से माँ आ रही थी .... शायद देखने .... कि मैं तैयार हुई या नहीं ?
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका