01-06-2020, 04:31 PM
हमारे परिवार में सिर्फ़ चार लोग थे, मैं, मेरी बड़ी बहन सुनीता और मेरे मम्मी-पापा। हमारे घर में एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम थे। एक बेडरूम में मम्मी-पापा और दूसरे में हम दोनों बहनें सोती थी। इसके अलावा ऊपर की मंजिल पर एक कमरा था जिसमें राज रहा करता था।
पापा सुनील खन्ना सरकारी नौकरी में थे और मम्मी सविता खन्ना भी एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करती थी। उस समय हम पुणे(महाराष्ट्र) में रहते थे। हम चारों के अतिरिक्त एक सजीला युवक राज हमारे घर में घर के सभी काम करने के लिए रहता था। राज पूरा दिन घर में रह कर सारा काम करता था।
एक दिन मैं कॉलेज से ग्यारह बजे ही आ गई और सीधे अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने देखा कि सुनीता राज के साथ कमरे में थी, दोनों पूरे नंगे थे, राज बेड पर लेटा था और सुनीता उसके ऊपर बैठ कर आगे की ओर झुकी हुई धीरे धीरे हिल रही थी, राज के मुँह में सुनीता का एक चुचूक था। दोनों में से किसी ने मुझे नहीं देखा पर मेरे मुख से चीख सी निकली- सुनीता, यह क्या हो रहा है?
पापा सुनील खन्ना सरकारी नौकरी में थे और मम्मी सविता खन्ना भी एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करती थी। उस समय हम पुणे(महाराष्ट्र) में रहते थे। हम चारों के अतिरिक्त एक सजीला युवक राज हमारे घर में घर के सभी काम करने के लिए रहता था। राज पूरा दिन घर में रह कर सारा काम करता था।
एक दिन मैं कॉलेज से ग्यारह बजे ही आ गई और सीधे अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने देखा कि सुनीता राज के साथ कमरे में थी, दोनों पूरे नंगे थे, राज बेड पर लेटा था और सुनीता उसके ऊपर बैठ कर आगे की ओर झुकी हुई धीरे धीरे हिल रही थी, राज के मुँह में सुनीता का एक चुचूक था। दोनों में से किसी ने मुझे नहीं देखा पर मेरे मुख से चीख सी निकली- सुनीता, यह क्या हो रहा है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.