01-06-2020, 04:22 PM
मैंने दीदी की पीठ सहलाई और फिर ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया. अब उनको बेक साइड अप करके थोड़ा धक्का दिया और आसानी से वो सो गई. अब तो वो भी तैयार लग रही थीं. उनकी कुर्ती को मैंने ऊपर किया जिसमें दीदी ने भी पूरा साथ दिया.
अब केवल ब्रा और पैंटी बची थी. मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और बस अंडरवियर में आ गया. मैं दीदी को सर से लेकर पैर तक चूमता चला गया. फिर मैंने बेख़ौफ़ होकर उनकी पैंटी भी निकाल दी. अब बस चूतड़ों को मसल कर मजा ले रहा था.. इसके बाद अब बारी थी दीदी के मम्मों को मसलने की.
अब केवल ब्रा और पैंटी बची थी. मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और बस अंडरवियर में आ गया. मैं दीदी को सर से लेकर पैर तक चूमता चला गया. फिर मैंने बेख़ौफ़ होकर उनकी पैंटी भी निकाल दी. अब बस चूतड़ों को मसल कर मजा ले रहा था.. इसके बाद अब बारी थी दीदी के मम्मों को मसलने की.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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