01-06-2020, 04:18 PM
उन्होंने एकटक मुझे देखा, मैं घबराकर जाने लगा तो वो बोलीं- अरे स्माइली, प्यास लगी है पानी तो पिला दे यार..
फिर मैं कुछ शांत हुआ.. उनको जग से पानी लेकर पिलाया और उनको तिरछी निगाहों से देखता रहा. इस बार देखने के बाद से मेरे दिल में कुछ होने लगा.
एक दिन खबर आई कि चाची की माँ की तबियत ख़राब है, तो चाची अगले दिन वहाँ चली गईं और चाचा अगले दिन उनको छोड़ कर वापस आ गए. फिर एक हफ्ते बाद चाचा चाची को लेने गए और चाची की तबियत ख़राब होने की वजह से 5 दिनों के बाद चाची के साथ वापस आए.
लेकिन इन पाँच दिनों के दौरान जो हुआ वो मेरे साथ पहली बार हुआ.
जब चाचा चाची को छोड़ने गए, उस दिन दीदी और मैं बिल्कुल अकेले थे, उस दिन मैं कॉलेज से आया तो दीदी बाजार जाने के लिए तैयार होकर बैठी थीं. मैं उनको लेकर बाजार गया. उन्होंने कुछ सब्जी फल आदि लिए और हम दोनों वापस आ गए.
शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला.
फिर मैं कुछ शांत हुआ.. उनको जग से पानी लेकर पिलाया और उनको तिरछी निगाहों से देखता रहा. इस बार देखने के बाद से मेरे दिल में कुछ होने लगा.
एक दिन खबर आई कि चाची की माँ की तबियत ख़राब है, तो चाची अगले दिन वहाँ चली गईं और चाचा अगले दिन उनको छोड़ कर वापस आ गए. फिर एक हफ्ते बाद चाचा चाची को लेने गए और चाची की तबियत ख़राब होने की वजह से 5 दिनों के बाद चाची के साथ वापस आए.
लेकिन इन पाँच दिनों के दौरान जो हुआ वो मेरे साथ पहली बार हुआ.
जब चाचा चाची को छोड़ने गए, उस दिन दीदी और मैं बिल्कुल अकेले थे, उस दिन मैं कॉलेज से आया तो दीदी बाजार जाने के लिए तैयार होकर बैठी थीं. मैं उनको लेकर बाजार गया. उन्होंने कुछ सब्जी फल आदि लिए और हम दोनों वापस आ गए.
शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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