01-06-2020, 03:22 PM
शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''
सबा का दिल जोरों से धड़क उठा...ऐसा लग रहा था की उसका दिल शरीर से निकलकर टेबल पर ही गिर पड़ेगा...वो सोचने लगी की उसके पति के बॉस ने अगर कल रात वाली इन सबके सामने बता दी तो वो क्या करेगी...इन सभी से वो कभी मुँह उठा कर बात भी नही कर सकेगी...ये सही था की अभी तक की बातों को वो काफ़ी अच्छे से एंजाय कर रही थी...गंदी बाते जब तक दूसरो के बारे में हो तब तक उसे पसंद थी...लेकिन उसके खुद के बारे में और वो भी सेक्स वाली बाते, ये उसके लिए बहुत ज्यादा था...उसे खुद पता नही था की अगर शशांक ने वो सब बोल दिया तो वो कैसे रिएक्ट करेगी..
शशांक ने शरारती हँसी से सबा की आँखो मे झाँका, दोनो की नज़रे मिली और आँखो ही आँखो मे सबा ने उसे ऐसा ना करने को कहा...लेकिन उसके मना करने के बाद भी शशांक ने बात शुरू कर ही दी..
शशांक : "कल रात एक और जगह ब्लास्ट हुआ था...और ऐसा ब्लास्ट जो आज से पहले कभी नही हुआ...''
सबा का शरीर काँप सा गया...उसने अपने पैरों से ज़मीन कुरेदनी शुरू कर दी...
कपूर साहब भी बड़े मज़े लेकर बोले : "तो सूनाओ भी यार....इतना भाव क्यो खा रहे हो...''
शशांक : "कल रात सुमन ने वो किया, जिसके लिए मैं कब से उसे तैयार कर रहा था...''
सबा का चेहरा हैरानी से शशांक की तरफ उठता चला गया...यानी वो उसकी नही बल्कि खुद की कहानी बता रहा था...शायद ये सबा की रीक़ुएस्ट का असर था....सबा ने एक बार फिर से आँखो ही आँखो मे उसे थेंक्स कहा....
शशांक ने धीरे से उसके करीब खिसक कर कहा : "वैसे मुझे तुम्हारी वाली स्टोरी भी पता थी जो तुमने सुमन को बताई थी ...लेकिन वो फिर कभी...लेकिन अभी के लिए इसे छुपाने का टैक्स देना होगा तुम्हे....''
टैक्स देने की बात सुनकर सबा मुस्कुरा दी....वो तो ऐसे बात कर रहे थे जैसे कोई बीएफ अपनी जीएफ को छेड़ते हुए कहता है...ये सोचकर उसकी चूत का पानी एक बार फिर से उभर आया...और वो सोचने लगी की ऐसा हो जाए तो वो क्या करेगी...अपने ही पति के बॉस के साथ....कैसे...
वो ये सोचने मे लगी हुई थी और गुप्ता जी की आवाज़ ने उसे फिर से वापिस खींच लिया, वो बोले : "अब बता भी दो भाई, ऐसा क्या काम था जो सुमन भाभी भी नही कर पा रही थी...वो तो हर काम में माहिर है, ही ही.ही...... ''
गुप्ता के दिमाग में बस यही विचार कोंध रहा था की शायद सुमन ने अपने दूसरे छेद में लंड डालने की इजाजत दे दी है कल शशांक को, तभी उसकी गांड मारकर वो इतना खुश है, लेकिन वो ऐसी बात तो सभी के सामने बताने से रहा, यही सोचकर गुप्ता जी की उत्सुक्तता बढ़ती जा रही थी.
वो लोग शायद समझ रहे थे की आज शशांक को कुछ ज़्यादा ही चढ़ गयी है, इसलिए वो अपनी कहानी इस तरह से सबके सामने सुना रहा है...पर शशांक अच्छी तरह से जानता था की वो ये सब किसलिए कर रहा है.
शशांक ने सुमन की तरफ देखा, जो उन्ही की बाते कान लगाकर सुन रही थी...और बोला : "ओपन में सैक्स ....कल हमने ओपन में सैक्स किया....बाल्कनी में ...''
ये सुनते ही सभी की आँखे बाहर निकल आई....यानी कल शशांक ने अपनी बीबी को बाल्कनी में खड़े करके चोदा ...बिल्कुल नंगा करके....और ये बात वो सभी को इस तरह बता भी रहा है , सैक्स के बारे में सभी के सामने अपने एक्सपेरिएंस शेयर करने का ये पहला वाक्या था
सरदारजी बोल पड़े : "ओह्ह्ह तेरी.....क्या बात है शशांक भ्रा....मेरा फ्लेट तो तेरी बिल्डिंग के बिल्कुल सामने है...काश मुझे पता होता तो मैं भी आकर दर्शन कर लेता भाभी जी के...हा हा ''
इतना कहते हुए गुरपाल की नज़र सुमन की तरफ चली गयी, जो उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी....
सुमन को अपनी तरफ देखते पाकर सरदारजी सकपका से गये और धीरे से बोले : "ओये मॅर गया....भाभिजी तो मेरी तरफ ही देख रही है...कही इन्होने सुन तो नही लिया...''
शशांक : "सुन भी लिया तो कोई बात नही....वो इन बातों का बुरा नही मानती....हम दोनो इस मामले में काफ़ी ओपन है....''
कपूर साहब बोले : "तभी तो आपने कल भाभी जी को खुल्ले में ही....चोद डाला.... हा हा...''
सभी उनकी बात सुनकर हंस दिए....सबा भी.... चुदाई बातें इतने ओपन तरीके से शायद पहली बार हो रही थी
सबा तो शशांक और सुमन की हिम्मत देखकर हैरान हुए जा रही थी....की कैसे उन दोनो ने इतनी बड़ी बाल्कनी में नंगे खड़े होकर सैक्स किया...उसकी कल रात वाली चुदाई की बात तो इसके सामने कुछ भी नही है...
अचानक उसके मन में आया की वो भी ट्राइ करेगी...आज ही करेगी....राहुल के साथ...रात को...अपनी बालकनी में.
और ये सोचकर वो मंद मंद मुस्कुराने लगी....तभी एक बार फिर से शशांक उसके कान के पास आकर बोला : "मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो....मुझे थॅंक्स कहने का यही तरीका है की आज तुम बाल्कनी में वो सब करना...और मैं भी सुमन के साथ वो करूंगा ..''
और इतना कहकर वो पीछे हो गया....सबा तो उसे देखती ही रह गयी की कितनी आसानी से इतनी बड़ी बात उसके पति के बॉस ने बोल डाली...उनका फ्लॅट भी गुरपाल वाली बिल्डिंग में ही था...यानी शशांक की बिल्डिंग के बिल्कुल सामने.
गुप्ता जी बोल पड़े : "अर्रे सरजी, सबा भाभी के कान में ही बताते रहोगे...हमे भी तो बताओ...कौनसी पोजीशन में किया सब...''
गुप्ता सोच रहा था की अभी तो इसे चढ़ी हुई है, शायद उकसाने पर और भी बातें उगल डाले
तभी पीछे से आवाज़ आई : "स्टेंडिंग ...डुग्गी स्टाइल "
ये सुमन की आवाज़ थी....जो कुछ ज़्यादा ही खुलकर बोल पड़ी थी अचानक...अपनी मंडली में एक और भाभी की इस तरह से एंट्री होती देखकर सभी बहुत खुश हुए....सबा भी उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गयी...
अचानक सुमन ने सबा की तरफ देखा और बोली : "ये तो तुम्हारी भी फ़ेवरेट पोज़िशन है ना...क्यों सबा''
बेचारी का चेहरा शर्म से लाल हो उठा....हाँ के अलावा वो कुछ बोल ही नही सकी...
सभी खुली आँखों से सुमन और सबा को डुग्गी स्टाइल में चुदते हुए देखने की कल्पना करने लगे
गेम तो जैसे रुक सी गयी थी....वो भी आगे बढ़ानी ज़रूरी थी...
कपूर साहब ने पत्ते पैक करते हुए कहा : "लो जी....मैं तो पेक होता हू.....मुझे नही लगता की इन पत्तो के साथ मैं जीत सकता हूँ ..वैसे भी माहोल इतना गर्म हो चुका है की गेम में तो कोई इंटेरेस्ट ही नही रह गया अब...''
सबने उसके पत्ते देखे...उनके पास 2,3 और बादशाह था....सबा की हिम्मत अब बढ़ चुकी थी...उसके पत्ते तो इनसे काफ़ी बेहतर थे.
2 पत्ते तो उसके भी छोटे थे...पर बादशाह की वजह से मारा गया था बेचारा....
गुप्ता जी ने फिर से चाल चल दी....बीच मे अब करीब 20 हज़ार आ चुके थे...
शशांक के दिमाग़ में जैसे कुछ प्लानिंग चल रही थी...उसका नंबर आया तो उसने एक पल के लिए सबा को देखा और उसे आँख मारते हुए पैक कर दिया..उसके ऐसा करने से पता नही सबा को ये क्यों लगा की उसने ऐसा जान बूझकर किया है और उसके पत्ते सबा से छोटे है...
सबा का नंबर आया तो उसने भी चाल चल दी..
इस बार गुरपाल चाल चलते हुए सोच रहा था...शायद उसके मन में भी दुविधा थी की वो चाल चले या पैक कर दे...
वो सोच ही रहा था की शशांक बोला : "सरदारजी ...आज तो आप पैक कर ही दो...सबा के काफ़ी बड़े और जानदार है...इनसे ना जीत पाओगे आप...''
ये बोलते हुए वो सबा के मुम्मों को घूर कर देख रहा था
एक बार फिर से द्विअर्थी संवाद सुनकर सबा मुस्कुरा दी...ऐसे शब्द उसे अंदर तक झंझोड़ जाते थे..
और इस बार, पता नही क्या जादू था शशांक की आवाज़ में , सरदारजी ने उसकी बात मानकर पैक कर दिया..
सबा का दिल अब जोरो से धड़कने लगा...अब सिर्फ़ वो और गुप्ता जी ही बचे थे....तीन लोग टेबल से पैक कर चुके थे...
गुप्ता जी ने इस बार चाल डबल करते हुए 4 हज़ार की कर दी..
अब तो सबा के माथे पर पसीना आ गया....उसे पक्का विश्वास हो रहा था की गुप्ता जी के पत्ते उससे छोटे ही होंगे...तभी वो इतने कॉन्फिडेंस से चाल को डबल कर रहे है...
वो भी सोचने लगी की चाल चले या पैक कर दे...और तभी राहुल बाहर आ गया... (चुदाई करके)....और उसे देखकर सबा की जान में जान आई...वो सीधा आकर सबा की बगल में बैठ गया...थोड़ी देर में डिंपल भी बाहर निकल आई... दोनो के चेहरे पर ताज़ा चुदाई की लाली सॉफ झलक रही थी ...उस लाली का राज शशांक और सुमन को तो अच्छी तरह से पता था ... लेकिन बाकी के सब लोग अंजान थे..
सबसे पहले तो राहुल ने माहौल का जायजा लिया, किसी को भी उसके उपर शक नही हुआ था...फिर उसने गेम के बारे में पूछा तो सबा ने सब बता दिया...बीच में पड़े पैसों का ढेर देखकर राहुल समझ गया की गेम काफ़ी आगे निकल चुकी है...इस गेम को जीत लिया तो उसके तो मज़े ही हो जाएँगे...लेकिन सामने गुप्ता जी बैठे थे, जो इस खेल के काफ़ी माहिर खिलाड़ी थे...
सबा ने राहुल को अपने पत्ते दिखाए और पूछा की अब वो क्या करे....राहुल ने उसे यही कहा की वो अपने दिल से खेले...पैसों की चिंता ना करे...क्योंकि अभी भी उनके पास काफ़ी पैसे थे, जो उन्होने कल जीते थे...
लेकिन अंदर से सबा को डर सा लग रहा था....एक मन कह रहा था की पैक कर दे और शो ना माँगे, कही ऐसा ना हो की शो माँगने के बाद वो पैसे भी जाए...लेकिन राहुल की बात से उसे थोड़ी हिम्मत मिली, उसने भी हिसाब लगाया कि शो माँगने के बाद भी उनके पास काफ़ी पैसे बचेंगे...इसलिए उसने भारी दिल से पैसे बीच में फेंकते हुए शो माँग लिया...
गुप्ता जी के चेहरे पर हँसी आ गयी...उन्होने अपने पत्ते बीच में फेंकने शुरू किए...
पहला पत्ता था 2
दूसरा था 3
इतने छोटे पत्तो के बाद तो कोई भी पत्ता आ जाए, 10 के अंदर का, वो ही जीतेंगे..
सभी की नज़रें गुप्ता जी पर थी...सबा भी मन ही मन कलमा पड़कर अपनी जीत की दुआ माँगने में लगी हुई थी...
और आख़िरकार थोड़ा सस्पेंस रखने के बाद गुप्ता जी ने अपना आख़िरी पत्ता भी नीचे फेंक दिया..
ये था इक्का...
सबा का दिल जोरों से धड़क उठा...ऐसा लग रहा था की उसका दिल शरीर से निकलकर टेबल पर ही गिर पड़ेगा...वो सोचने लगी की उसके पति के बॉस ने अगर कल रात वाली इन सबके सामने बता दी तो वो क्या करेगी...इन सभी से वो कभी मुँह उठा कर बात भी नही कर सकेगी...ये सही था की अभी तक की बातों को वो काफ़ी अच्छे से एंजाय कर रही थी...गंदी बाते जब तक दूसरो के बारे में हो तब तक उसे पसंद थी...लेकिन उसके खुद के बारे में और वो भी सेक्स वाली बाते, ये उसके लिए बहुत ज्यादा था...उसे खुद पता नही था की अगर शशांक ने वो सब बोल दिया तो वो कैसे रिएक्ट करेगी..
शशांक ने शरारती हँसी से सबा की आँखो मे झाँका, दोनो की नज़रे मिली और आँखो ही आँखो मे सबा ने उसे ऐसा ना करने को कहा...लेकिन उसके मना करने के बाद भी शशांक ने बात शुरू कर ही दी..
शशांक : "कल रात एक और जगह ब्लास्ट हुआ था...और ऐसा ब्लास्ट जो आज से पहले कभी नही हुआ...''
सबा का शरीर काँप सा गया...उसने अपने पैरों से ज़मीन कुरेदनी शुरू कर दी...
कपूर साहब भी बड़े मज़े लेकर बोले : "तो सूनाओ भी यार....इतना भाव क्यो खा रहे हो...''
शशांक : "कल रात सुमन ने वो किया, जिसके लिए मैं कब से उसे तैयार कर रहा था...''
सबा का चेहरा हैरानी से शशांक की तरफ उठता चला गया...यानी वो उसकी नही बल्कि खुद की कहानी बता रहा था...शायद ये सबा की रीक़ुएस्ट का असर था....सबा ने एक बार फिर से आँखो ही आँखो मे उसे थेंक्स कहा....
शशांक ने धीरे से उसके करीब खिसक कर कहा : "वैसे मुझे तुम्हारी वाली स्टोरी भी पता थी जो तुमने सुमन को बताई थी ...लेकिन वो फिर कभी...लेकिन अभी के लिए इसे छुपाने का टैक्स देना होगा तुम्हे....''
टैक्स देने की बात सुनकर सबा मुस्कुरा दी....वो तो ऐसे बात कर रहे थे जैसे कोई बीएफ अपनी जीएफ को छेड़ते हुए कहता है...ये सोचकर उसकी चूत का पानी एक बार फिर से उभर आया...और वो सोचने लगी की ऐसा हो जाए तो वो क्या करेगी...अपने ही पति के बॉस के साथ....कैसे...
वो ये सोचने मे लगी हुई थी और गुप्ता जी की आवाज़ ने उसे फिर से वापिस खींच लिया, वो बोले : "अब बता भी दो भाई, ऐसा क्या काम था जो सुमन भाभी भी नही कर पा रही थी...वो तो हर काम में माहिर है, ही ही.ही...... ''
गुप्ता के दिमाग में बस यही विचार कोंध रहा था की शायद सुमन ने अपने दूसरे छेद में लंड डालने की इजाजत दे दी है कल शशांक को, तभी उसकी गांड मारकर वो इतना खुश है, लेकिन वो ऐसी बात तो सभी के सामने बताने से रहा, यही सोचकर गुप्ता जी की उत्सुक्तता बढ़ती जा रही थी.
वो लोग शायद समझ रहे थे की आज शशांक को कुछ ज़्यादा ही चढ़ गयी है, इसलिए वो अपनी कहानी इस तरह से सबके सामने सुना रहा है...पर शशांक अच्छी तरह से जानता था की वो ये सब किसलिए कर रहा है.
शशांक ने सुमन की तरफ देखा, जो उन्ही की बाते कान लगाकर सुन रही थी...और बोला : "ओपन में सैक्स ....कल हमने ओपन में सैक्स किया....बाल्कनी में ...''
ये सुनते ही सभी की आँखे बाहर निकल आई....यानी कल शशांक ने अपनी बीबी को बाल्कनी में खड़े करके चोदा ...बिल्कुल नंगा करके....और ये बात वो सभी को इस तरह बता भी रहा है , सैक्स के बारे में सभी के सामने अपने एक्सपेरिएंस शेयर करने का ये पहला वाक्या था
सरदारजी बोल पड़े : "ओह्ह्ह तेरी.....क्या बात है शशांक भ्रा....मेरा फ्लेट तो तेरी बिल्डिंग के बिल्कुल सामने है...काश मुझे पता होता तो मैं भी आकर दर्शन कर लेता भाभी जी के...हा हा ''
इतना कहते हुए गुरपाल की नज़र सुमन की तरफ चली गयी, जो उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी....
सुमन को अपनी तरफ देखते पाकर सरदारजी सकपका से गये और धीरे से बोले : "ओये मॅर गया....भाभिजी तो मेरी तरफ ही देख रही है...कही इन्होने सुन तो नही लिया...''
शशांक : "सुन भी लिया तो कोई बात नही....वो इन बातों का बुरा नही मानती....हम दोनो इस मामले में काफ़ी ओपन है....''
कपूर साहब बोले : "तभी तो आपने कल भाभी जी को खुल्ले में ही....चोद डाला.... हा हा...''
सभी उनकी बात सुनकर हंस दिए....सबा भी.... चुदाई बातें इतने ओपन तरीके से शायद पहली बार हो रही थी
सबा तो शशांक और सुमन की हिम्मत देखकर हैरान हुए जा रही थी....की कैसे उन दोनो ने इतनी बड़ी बाल्कनी में नंगे खड़े होकर सैक्स किया...उसकी कल रात वाली चुदाई की बात तो इसके सामने कुछ भी नही है...
अचानक उसके मन में आया की वो भी ट्राइ करेगी...आज ही करेगी....राहुल के साथ...रात को...अपनी बालकनी में.
और ये सोचकर वो मंद मंद मुस्कुराने लगी....तभी एक बार फिर से शशांक उसके कान के पास आकर बोला : "मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो....मुझे थॅंक्स कहने का यही तरीका है की आज तुम बाल्कनी में वो सब करना...और मैं भी सुमन के साथ वो करूंगा ..''
और इतना कहकर वो पीछे हो गया....सबा तो उसे देखती ही रह गयी की कितनी आसानी से इतनी बड़ी बात उसके पति के बॉस ने बोल डाली...उनका फ्लॅट भी गुरपाल वाली बिल्डिंग में ही था...यानी शशांक की बिल्डिंग के बिल्कुल सामने.
गुप्ता जी बोल पड़े : "अर्रे सरजी, सबा भाभी के कान में ही बताते रहोगे...हमे भी तो बताओ...कौनसी पोजीशन में किया सब...''
गुप्ता सोच रहा था की अभी तो इसे चढ़ी हुई है, शायद उकसाने पर और भी बातें उगल डाले
तभी पीछे से आवाज़ आई : "स्टेंडिंग ...डुग्गी स्टाइल "
ये सुमन की आवाज़ थी....जो कुछ ज़्यादा ही खुलकर बोल पड़ी थी अचानक...अपनी मंडली में एक और भाभी की इस तरह से एंट्री होती देखकर सभी बहुत खुश हुए....सबा भी उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गयी...
अचानक सुमन ने सबा की तरफ देखा और बोली : "ये तो तुम्हारी भी फ़ेवरेट पोज़िशन है ना...क्यों सबा''
बेचारी का चेहरा शर्म से लाल हो उठा....हाँ के अलावा वो कुछ बोल ही नही सकी...
सभी खुली आँखों से सुमन और सबा को डुग्गी स्टाइल में चुदते हुए देखने की कल्पना करने लगे
गेम तो जैसे रुक सी गयी थी....वो भी आगे बढ़ानी ज़रूरी थी...
कपूर साहब ने पत्ते पैक करते हुए कहा : "लो जी....मैं तो पेक होता हू.....मुझे नही लगता की इन पत्तो के साथ मैं जीत सकता हूँ ..वैसे भी माहोल इतना गर्म हो चुका है की गेम में तो कोई इंटेरेस्ट ही नही रह गया अब...''
सबने उसके पत्ते देखे...उनके पास 2,3 और बादशाह था....सबा की हिम्मत अब बढ़ चुकी थी...उसके पत्ते तो इनसे काफ़ी बेहतर थे.
2 पत्ते तो उसके भी छोटे थे...पर बादशाह की वजह से मारा गया था बेचारा....
गुप्ता जी ने फिर से चाल चल दी....बीच मे अब करीब 20 हज़ार आ चुके थे...
शशांक के दिमाग़ में जैसे कुछ प्लानिंग चल रही थी...उसका नंबर आया तो उसने एक पल के लिए सबा को देखा और उसे आँख मारते हुए पैक कर दिया..उसके ऐसा करने से पता नही सबा को ये क्यों लगा की उसने ऐसा जान बूझकर किया है और उसके पत्ते सबा से छोटे है...
सबा का नंबर आया तो उसने भी चाल चल दी..
इस बार गुरपाल चाल चलते हुए सोच रहा था...शायद उसके मन में भी दुविधा थी की वो चाल चले या पैक कर दे...
वो सोच ही रहा था की शशांक बोला : "सरदारजी ...आज तो आप पैक कर ही दो...सबा के काफ़ी बड़े और जानदार है...इनसे ना जीत पाओगे आप...''
ये बोलते हुए वो सबा के मुम्मों को घूर कर देख रहा था
एक बार फिर से द्विअर्थी संवाद सुनकर सबा मुस्कुरा दी...ऐसे शब्द उसे अंदर तक झंझोड़ जाते थे..
और इस बार, पता नही क्या जादू था शशांक की आवाज़ में , सरदारजी ने उसकी बात मानकर पैक कर दिया..
सबा का दिल अब जोरो से धड़कने लगा...अब सिर्फ़ वो और गुप्ता जी ही बचे थे....तीन लोग टेबल से पैक कर चुके थे...
गुप्ता जी ने इस बार चाल डबल करते हुए 4 हज़ार की कर दी..
अब तो सबा के माथे पर पसीना आ गया....उसे पक्का विश्वास हो रहा था की गुप्ता जी के पत्ते उससे छोटे ही होंगे...तभी वो इतने कॉन्फिडेंस से चाल को डबल कर रहे है...
वो भी सोचने लगी की चाल चले या पैक कर दे...और तभी राहुल बाहर आ गया... (चुदाई करके)....और उसे देखकर सबा की जान में जान आई...वो सीधा आकर सबा की बगल में बैठ गया...थोड़ी देर में डिंपल भी बाहर निकल आई... दोनो के चेहरे पर ताज़ा चुदाई की लाली सॉफ झलक रही थी ...उस लाली का राज शशांक और सुमन को तो अच्छी तरह से पता था ... लेकिन बाकी के सब लोग अंजान थे..
सबसे पहले तो राहुल ने माहौल का जायजा लिया, किसी को भी उसके उपर शक नही हुआ था...फिर उसने गेम के बारे में पूछा तो सबा ने सब बता दिया...बीच में पड़े पैसों का ढेर देखकर राहुल समझ गया की गेम काफ़ी आगे निकल चुकी है...इस गेम को जीत लिया तो उसके तो मज़े ही हो जाएँगे...लेकिन सामने गुप्ता जी बैठे थे, जो इस खेल के काफ़ी माहिर खिलाड़ी थे...
सबा ने राहुल को अपने पत्ते दिखाए और पूछा की अब वो क्या करे....राहुल ने उसे यही कहा की वो अपने दिल से खेले...पैसों की चिंता ना करे...क्योंकि अभी भी उनके पास काफ़ी पैसे थे, जो उन्होने कल जीते थे...
लेकिन अंदर से सबा को डर सा लग रहा था....एक मन कह रहा था की पैक कर दे और शो ना माँगे, कही ऐसा ना हो की शो माँगने के बाद वो पैसे भी जाए...लेकिन राहुल की बात से उसे थोड़ी हिम्मत मिली, उसने भी हिसाब लगाया कि शो माँगने के बाद भी उनके पास काफ़ी पैसे बचेंगे...इसलिए उसने भारी दिल से पैसे बीच में फेंकते हुए शो माँग लिया...
गुप्ता जी के चेहरे पर हँसी आ गयी...उन्होने अपने पत्ते बीच में फेंकने शुरू किए...
पहला पत्ता था 2
दूसरा था 3
इतने छोटे पत्तो के बाद तो कोई भी पत्ता आ जाए, 10 के अंदर का, वो ही जीतेंगे..
सभी की नज़रें गुप्ता जी पर थी...सबा भी मन ही मन कलमा पड़कर अपनी जीत की दुआ माँगने में लगी हुई थी...
और आख़िरकार थोड़ा सस्पेंस रखने के बाद गुप्ता जी ने अपना आख़िरी पत्ता भी नीचे फेंक दिया..
ये था इक्का...