01-06-2020, 02:55 PM
सुमन भाभी - हम्म, यह ठीक रहेगा .... निहारिका जा .... आच्छे से नहा ले .... हँसती हुई बोली ...
मुझे .... "सरम " [जी पता है - शर्म लिखना था पर , न जाने क्यों ... सरम आ गयी..]
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
जी, मैं चल दी बाथरूम कि ओर अपनी टपकती हुई "नीचे वाली" को लेकर जब मैं चल रही थी तो एक अनजानी लगभग जानी पहचानी कसक महसूस हुई ... शायद सुमन भाभी कि बातो का असर ..... हम्म वो ही था ... अरे रात भर सपने मैं जो हुआ एक बार फिर से आँखों के सामने आ गया बाथरूम तक जाते - जाते .
बाथरूम के अन्दर जाकर .... सबसे पहेले खुद को देखा ... ध्यान से और प्यार से ... मेरी आँखों कि चमक को देख कर कोई भी बता देता कि मैं "नीचे " से गीली हूँ... फिर वो ही सरम आ गयी मुझे अपने आप से ..... और हंसी भी ...
फिर मेरे हात मेरे जोबन पर .... जो कि आज पहेली बार बिना ब्रा के इतरा रहे थे .... बदमाश .... दोनों निप्पल ऐसे कड़े और खड़े हो गए थे कि बिना दबाये रहा ही न गया मुझसे ... उफ़ क्या एहसास था ..... जो सीधा मेरे "नीचे वाली" तक गया था .... बस फिर क्या निकल पड़ी मेरी चाशनी ... इसके निकलते ही .... मेरा हाथ अपने आप पहुंच गया चासनी को मेरे मुह तक लाने के लिए ... एक बार फिर वो दो - तार कि चाशनी मेरे मुह मैं घुल रही थी .....
मेरा एक हाथ मेरे निप्पल और जोबन से खेल रहा था .... कुछ देर बाद एह्साह हुआ कि .... नहाना है .... सुमन भाभी वेट कर रही हैं और माँ तो भजन सुना ही देने वाली है .... जल्दी कर निहारिका.....
फिर उतारी कुर्ती .... ब्रा तो थी ही नहीं ....... बस दो बदमाश मुझे देख रहे थे सामने कांच मैं से ..... फिर पेंटी निकली स्कर्ट उठा कर और पेंटी के बीच का हिस्सा "गीला" हो गया था "चाट" लिया मैंने ..... सब साफ़ ... ठीक मेरी उसी पेंटी कि तरह जो मेरी सहेली चाट गयी थी उस दिन ..... साली ... उसका कितना निकला होगा ... उसकी चासनी कैसी होगी ..... मेरे जैसी ? या ...... उफ़ मैं क्या सोचने लगी ....
नहा ले पागल ...... खुद से बोली .....
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका