31-05-2020, 02:50 PM
तिलक से तैयारी
मेरी सहेलियों को भी खूब मजा आता था , पर उससे एक चीज़ और बारातियों की रगड़ाई कैसे की जायेगी , उसका प्लान भी वो सब मेरी बहनों और भाभियों से मिल के ,
पर उसकी शुरुआत तिलक में ही हो गयी थी ,
औरतें तो लड़की वालों की ओर तिलक में जाती नहीं थी , ज्यादातर लड़के ,ही जाते हैं , लड़की का भइआ तिलक ही चढ़ाता है ,... मेरा कोई सगा भाई तो था नहीं , लेकिन ममेरे , चचेरे , फुफेरे , दर्जन भर रहे होंगे ,
पर छुटकी ने बहुत जिद्द की तो मेरी दोनों छोटी बहने और एक दो कजिन्स , उन्ही की हम उम्र सब की सब मुझसे छोटी ,...
बस जाने के पहले रीतू भाभी और मेरी सहेलियों ने उन लड़कियों की जिन्हे तिलक में जाना था , पूरे ४ घण्टे की कोचिंग क्लास ली , एक एक चीज समझा समझा कर , अर्था अर्था कर ,
पहला प्लान था की सिर्फ वहां से जो लड़कियां , इनकी कोई सगी बहन तो थीं , हाँ कजिन्स थीं थोक भाव की , हर उमर की , और औरतों का नाम पता करने का , ...
रिश्ता और नाम ले ले कर ही तो गारी गाने का असली मज़ा है वरना खाली दूल्हे की बहिनी या बहुत हुआ तो लाल डुपट्टेवाली कह के , ...
लेकिन नाम तो पहला स्टेप था ,
मेरी बहनें , कजिन्स तो व्हाट्सऐप वाली थीं , फेस बुक वाली , ...
उन लड़कियों के फेसबुक , मोबाइल और व्हाट्सऐप ,...
और एक कजिन मेरी आलमोस्ट मेरी उम्र की , उसने तो तगड़ी जुगत लगायी , लड़के वालों के यहाँ के कई लड़के उसके पीछे पड़े थे , वही मोबाईल नंबर ,व्हाट्सऐप , और उसने बहुत चक्कर कटाने के बाद दो चार को दे दिया , ...
उनकी फेमली कोई ब्रदस्र सिस्टर ग्रुप था , उसमें ज्वाइन कर के , ..और बाकी लड़कियों के। लड़के वालों के घर की सारी लड़कियों के मोबाइल नंबर, व्हाट्सऐप बस वो ग्रुप ज्वाइन कर के झटक लिए
जैसे उनके कोई सगी बहन नहीं थी , मेरा कोई सगा भाई नहीं था , पर गाँव में सब सगे होते हैं , तो मेरे कजिन्स भी ,
और ज्यादातर तो बाहर से आये थे , मेरे दो ममेरे भाई लखनऊ से एक चाचा का लड़का नोयडा से , ... हाँ तो उन सबों ने भी , कुछ कुछ
दो चार से उन सबों ने जो ज्यादा स्मार्ट बनतीं जींस वाली टाइप
उनसे भी दोस्ती कर ली , और उनके मोबाइल , व्हाट्सऐप
हाँ तो बात मैं अपनी सहेलियों की कर रही थीं , न और ,.. असल में उन सबो का दिमाग एकदम शैतान का , ...
बस मेरी बहनों कजिन ने दूल्हे की ओर वाली सारी लड़कियों के नाम दे दिए,
मीता , गीता , मिली , कजली , ... और भी कुल दस या बारह थीं , ...
मेरी सहेलियों में एक नन्ही,
एकदम इंटरेनट उस्ताद , पांच तो उसके फेसबुक अकाउंट थे और दो और लड़कों के नाम से, ...
बस उसने उन सबसे फेसबुक पे , उन सारी लड़कियों से ,..और दो लड़का भी बन के , ...
फिर जो इन्फो मिली वो उसने मेरे भाइयों को , ... और दो चार बरात में आने वाली लड़कियों से दोस्ती भी करवा दी , ...
और सब मिल के रात में वो ' अच्छी वाली चैट ' करते थे , दो तो वीडयो चैट तक पहुँच गयी थी ,
रही सही कसर मम्मी के इंतजाम ने पूरी कर दी थी ,
बताया था न जो गझिन आम की बाग़ थी उसी में इंतज़ाम था , लल्लू टेंट वाले ने , ... वही जो कुम्भ मेले में लगाते हैं , बस मम्मी ने औरतों का इंतज़ाम अलग किया था , एक लंगड़े आम वाली बाग़ थी पास में ही , ...
और उनके यहाँ से औरतों में बड़ी औरतों में बस एक दो , वो भी मेरी जेठानियाँ , और एक दो शादी शुदा ननदें ,... बस मेरी सास और उस तरह की औरतें तो घर में ही ,
और बस मेरी सहेलियों ने जैसे फुटबाल के गेम में मार्किंग होती हैं ,
बरात की हर लड़की के साथ , मेरे घर के एक एक लड़के की सेटिंग पहले से ही कर दी , बाकायदा लिस्ट बना दी , ...
और साथ में मेरी कजिन सिस्टर्स , सहेलियां , ... लड़कियों औरतों के स्वागत सतकार के लिए यह हुआ था की शादी रात में दस बजे शुरू होजानी थी। इसलिए बारात दिन में ही आजयेगी द्वार पूजा , दिन ढले , और दस बजे शादी बैठ जायेगी , ...
मैं भी न कहाँ बात शुरू की थी कोहबर से ,
कोहबर में माने थे की पहली होली ससुराल में अपने , और कहाँ ये सब , ... परपंच ,...
इसीलिए तो मेरी कहानी न कोई पढ़ता है न कमेंट करता है , बात कहाँ से शुरू करती हूँ , कहाँ पहुंचा देती हूँ , ... तो चलिए कोहबर की बात सीधे ,...
जैसा मैंने पहले कहा था न , ... बारात पहले ही आ जानी थी , ... और आ भी गयी , ...
फिर मेरी सहेलियों ने जैसा प्लान किया था , बारात की एक एक लड़कियों के लिए ,...एकदम लिस्ट के हिसाब से जिस लड़के का नाम तय था , ... उनको वेलकम करने , इंतजाम देखने तो हम लोगों के घर की लड़कियां औरतें ही थीं , पर साथ में लड़के लग लिए और थैंक्स टू व्हाट्सऐप , फेसबुक ,... ज्यादातर तो एक दूसरे क अच्छी तरह , ...
फिर लड़कियां पीछे ,... और लड़कियों औरतों का इंतजाम , वो लंगड़े आम वाली बगिया में था , एकदम गझिन , दिन में नहीं कुछ दिखता था , ...
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , ..हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , ...
और गाने , गारियाँ ,.. आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,
मेरी सहेलियों को भी खूब मजा आता था , पर उससे एक चीज़ और बारातियों की रगड़ाई कैसे की जायेगी , उसका प्लान भी वो सब मेरी बहनों और भाभियों से मिल के ,
पर उसकी शुरुआत तिलक में ही हो गयी थी ,
औरतें तो लड़की वालों की ओर तिलक में जाती नहीं थी , ज्यादातर लड़के ,ही जाते हैं , लड़की का भइआ तिलक ही चढ़ाता है ,... मेरा कोई सगा भाई तो था नहीं , लेकिन ममेरे , चचेरे , फुफेरे , दर्जन भर रहे होंगे ,
पर छुटकी ने बहुत जिद्द की तो मेरी दोनों छोटी बहने और एक दो कजिन्स , उन्ही की हम उम्र सब की सब मुझसे छोटी ,...
बस जाने के पहले रीतू भाभी और मेरी सहेलियों ने उन लड़कियों की जिन्हे तिलक में जाना था , पूरे ४ घण्टे की कोचिंग क्लास ली , एक एक चीज समझा समझा कर , अर्था अर्था कर ,
पहला प्लान था की सिर्फ वहां से जो लड़कियां , इनकी कोई सगी बहन तो थीं , हाँ कजिन्स थीं थोक भाव की , हर उमर की , और औरतों का नाम पता करने का , ...
रिश्ता और नाम ले ले कर ही तो गारी गाने का असली मज़ा है वरना खाली दूल्हे की बहिनी या बहुत हुआ तो लाल डुपट्टेवाली कह के , ...
लेकिन नाम तो पहला स्टेप था ,
मेरी बहनें , कजिन्स तो व्हाट्सऐप वाली थीं , फेस बुक वाली , ...
उन लड़कियों के फेसबुक , मोबाइल और व्हाट्सऐप ,...
और एक कजिन मेरी आलमोस्ट मेरी उम्र की , उसने तो तगड़ी जुगत लगायी , लड़के वालों के यहाँ के कई लड़के उसके पीछे पड़े थे , वही मोबाईल नंबर ,व्हाट्सऐप , और उसने बहुत चक्कर कटाने के बाद दो चार को दे दिया , ...
उनकी फेमली कोई ब्रदस्र सिस्टर ग्रुप था , उसमें ज्वाइन कर के , ..और बाकी लड़कियों के। लड़के वालों के घर की सारी लड़कियों के मोबाइल नंबर, व्हाट्सऐप बस वो ग्रुप ज्वाइन कर के झटक लिए
जैसे उनके कोई सगी बहन नहीं थी , मेरा कोई सगा भाई नहीं था , पर गाँव में सब सगे होते हैं , तो मेरे कजिन्स भी ,
और ज्यादातर तो बाहर से आये थे , मेरे दो ममेरे भाई लखनऊ से एक चाचा का लड़का नोयडा से , ... हाँ तो उन सबों ने भी , कुछ कुछ
दो चार से उन सबों ने जो ज्यादा स्मार्ट बनतीं जींस वाली टाइप
उनसे भी दोस्ती कर ली , और उनके मोबाइल , व्हाट्सऐप
हाँ तो बात मैं अपनी सहेलियों की कर रही थीं , न और ,.. असल में उन सबो का दिमाग एकदम शैतान का , ...
बस मेरी बहनों कजिन ने दूल्हे की ओर वाली सारी लड़कियों के नाम दे दिए,
मीता , गीता , मिली , कजली , ... और भी कुल दस या बारह थीं , ...
मेरी सहेलियों में एक नन्ही,
एकदम इंटरेनट उस्ताद , पांच तो उसके फेसबुक अकाउंट थे और दो और लड़कों के नाम से, ...
बस उसने उन सबसे फेसबुक पे , उन सारी लड़कियों से ,..और दो लड़का भी बन के , ...
फिर जो इन्फो मिली वो उसने मेरे भाइयों को , ... और दो चार बरात में आने वाली लड़कियों से दोस्ती भी करवा दी , ...
और सब मिल के रात में वो ' अच्छी वाली चैट ' करते थे , दो तो वीडयो चैट तक पहुँच गयी थी ,
रही सही कसर मम्मी के इंतजाम ने पूरी कर दी थी ,
बताया था न जो गझिन आम की बाग़ थी उसी में इंतज़ाम था , लल्लू टेंट वाले ने , ... वही जो कुम्भ मेले में लगाते हैं , बस मम्मी ने औरतों का इंतज़ाम अलग किया था , एक लंगड़े आम वाली बाग़ थी पास में ही , ...
और उनके यहाँ से औरतों में बड़ी औरतों में बस एक दो , वो भी मेरी जेठानियाँ , और एक दो शादी शुदा ननदें ,... बस मेरी सास और उस तरह की औरतें तो घर में ही ,
और बस मेरी सहेलियों ने जैसे फुटबाल के गेम में मार्किंग होती हैं ,
बरात की हर लड़की के साथ , मेरे घर के एक एक लड़के की सेटिंग पहले से ही कर दी , बाकायदा लिस्ट बना दी , ...
और साथ में मेरी कजिन सिस्टर्स , सहेलियां , ... लड़कियों औरतों के स्वागत सतकार के लिए यह हुआ था की शादी रात में दस बजे शुरू होजानी थी। इसलिए बारात दिन में ही आजयेगी द्वार पूजा , दिन ढले , और दस बजे शादी बैठ जायेगी , ...
मैं भी न कहाँ बात शुरू की थी कोहबर से ,
कोहबर में माने थे की पहली होली ससुराल में अपने , और कहाँ ये सब , ... परपंच ,...
इसीलिए तो मेरी कहानी न कोई पढ़ता है न कमेंट करता है , बात कहाँ से शुरू करती हूँ , कहाँ पहुंचा देती हूँ , ... तो चलिए कोहबर की बात सीधे ,...
जैसा मैंने पहले कहा था न , ... बारात पहले ही आ जानी थी , ... और आ भी गयी , ...
फिर मेरी सहेलियों ने जैसा प्लान किया था , बारात की एक एक लड़कियों के लिए ,...एकदम लिस्ट के हिसाब से जिस लड़के का नाम तय था , ... उनको वेलकम करने , इंतजाम देखने तो हम लोगों के घर की लड़कियां औरतें ही थीं , पर साथ में लड़के लग लिए और थैंक्स टू व्हाट्सऐप , फेसबुक ,... ज्यादातर तो एक दूसरे क अच्छी तरह , ...
फिर लड़कियां पीछे ,... और लड़कियों औरतों का इंतजाम , वो लंगड़े आम वाली बगिया में था , एकदम गझिन , दिन में नहीं कुछ दिखता था , ...
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , ..हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , ...
और गाने , गारियाँ ,.. आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,