30-05-2020, 09:14 PM
(This post was last modified: 30-05-2020, 09:17 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब तक माँ सारा घर सर पर उठा देती .....
बाहर आई तो ... देखा .....
............
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
"सुमन भाभी "
माँ के साथ चाय पी रही थी ...... और हंस - हंस के बाते जैसे कुछ हुआ ही न हो ...... हालाँकि कुछ हुआ नहीं था .... पर मेरे लिए तो बहुत था .. बहुत से भी जायदा ....
माँ - अब उठी तू .... सब ठीक .
सुमन भाभी - "निहारिका" आजा .... बैठ .... . चाय पी ले .
मैं मन मे सोच रही थी ... चाय छोड़ो भाभी "चाशनी" चटा दो ...
मैं - जी भाभी ... आज लेट हो गयी ..... न जाने क्यों आँख ही नहीं खुली ....
सुमन भाभी - बैठ न , कहाँ जा रही है ..... [मैं चाय लेने जा रही थी]
मैं - सुमन भाभी वो मैं चाय ....
सुमन भाभी - रुक मैं ला देती हूँ ....
माँ - वाह , सुमन ..... बड़ा प्यार आ रहा है ..... निहारिका पर ....
सुमन भाभी - अब है ही इतनी प्यारी बेटी .... क्यों है न ..... ले चाय पी.
निहारिका जब तू सोयी हुई थी .... तब तेरी माँ और मैं ....
मैं - चाय पीते पीते रुक गयी ...... कर लिया सब ....? [मन मैं सोचा]
सुमन भाभी -हम बात कर रहे थे कि अगले सन्डे शादी है ... मेरी रिश्तेदारी मैं .... इसी शहर मैं ही है ... पांच सितारा होटल बुक करवाया है शादी के लिए ... तुम दोनों को भी चलना है .... और तेरी माँ ... नाटक कर रही है ...
अब तू ही बात कर ....
मैं - क्या हुआ माँ ... चलते हैं न .... थोड़ी आउटिंग हो जाएगी .... वो होटल भी शहर से बाहर है ....
माँ - मेरे बस का नहीं ...... यह सुमन न जाने क्या खाती है .... इसकी जवानी जा ही नहीं रही .....
सुमन भाभी - अरे तू भी खा और इसी भी खिला .... मेरी तरह जवान ही रहोगे .... हा हा हा ....
माँ - तू ही खा ..... निहारिका तू चली जाना सुमन के साथ ....... और साथ ही आ जाना ... अकेले नहीं
सुमन भाभी - तू भी कहे चिंता करती है ..... मैं हु न और शीतल भी तो है न वहा .... और फिर मेरी रिश्तेदारी मैं ही तो जा रही है ... इसी शहर मैं .... कोई विलायत थोड़ी जा रही है तेरी बेटी ....
इतनी चिंता हो रही है तो करवा दे इसकी शादी ...... हा हा हा ह....
मैं - सुमन भाभी, आप भी न ,,,, सब मेरी शादी के पीछे पड़े हैं ....
सुमन भाभी - आच्छा अब शादी कि बात से याद आया ... क्या पहनेगी शादी मैं .....
मैं - हम्म, सूट ...... वो ही जो उस दिन "गोद भराई " मैं पहेना था.
सुमन भाभी - तेरा बचपना कब जायेगा .... बच्चे होने के बाद?
सुमन भाभी थोडा गुस्से मैं आ गयी .... और मैं चुप ... माँ भी चुप ... फिर सुमन भाभी - बोली ..
सुमन भाभी - [मेरी माँ से ] अरी , तू कुछ समझती नहीं है क्या लड़की को .... निरा ढपोर ही बना कर रखना है क्या ... आजे क्या करेगी ?
माँ - हम्म, बात तो तू सही कह रही है सुमन .... अब तू ही बता क्या पेहेनेगी शादी मैं ....
सुमन भाभी - देख , मेरी बात माने तो .... अभी है एक हफ्ता शादी को , और कौन से वहा जाकर कम करवाने है .... शाम को ही जाना है .....
कल बाजार चलते हैं ... और एक - दो बढ़िया साड़ी ले आते हैं ... ब्लाउज मैं सिल्वा दुंगी .... मेरे टेलर से .
मैं - पर सुमन भाभी, मुझे साड़ी ..... नहीं .... मतलब मुझे साड़ी पेहेनना नहीं आती ..... कभी कोशिश नहीं करी .... जरुरत भी नहीं पड़ी ....
सुमन भाभी - उफ़, अब सारे काम शादी के बाद ही करने है क्या ? [मेरी माँ से] . क्या यार अब तक साड़ी भी नहीं सिखाई इसे ? कुछ लख्हन सिखा के आगे भेजना नहीं तो नाक कटवा लेगी अपनी ... कह रही हूँ ..
माँ - हम्म, इस और तो ध्यान ही नहीं दिया मैंने ..... अभी बच्ची है ....
सुमन भाभी - बच्ची ...... देख तो इसका जोबन ....... क्या उभर कर आया है, जवानी भी माशा - अल्लहा .. नजर न लगे मेरी बच्ची को ... निहारिका उठ कर खड़ी होना...
मैं - जी भाभी
सुमन भाभी - घूम .. दो चक्कर लगा ..... धीरे - धीरे
में लगी घुमने .... मेरे बिना ब्रा के जोबन जो रात भर मसले और दबाये गए थे कुछ जायदा ही बड़े दिख रहे थे ... मेरे गोलमटोल - गोल्कुंदे .... स्कर्ट मैं से झांक रहे थे कह रहे थे आओ खेलो हमसे.
मेरी जवानी कि नुमाइश हो रही थी ..... सुमन भाभी जयका और मजा ले रही थी.
माँ - सुमन , सुन अभी चलते हैं , हम तो तैयार हैं ही .... न्हारिका ... तू नहा कर तैयार हो जा .... तेरे लिए साड़ी ले आते हैं, फिर आगे भी काम आ जाएगी .... अगले महीने शादी मैं भी जाना है .....
सुमन भाभी - हम्म, यह ठीक रहेगा .... निहारिका जा .... आच्छे से नहा ले .... हँसती हुई बोली ...
मुझे .... "सरम " [जी पता है - शर्म लिखना था पर , न जाने क्यों ... सरम आ गयी..]
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका