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Adultery दिवाली का जुआ Part 2 (With Pictures)
#17
राहुल भी अपने पंजो पर खड़ा हो गया, क्योंकि उसके चूसने की शक्ति ही इतनी ज़्यादा थी की उसे तो ऐसा लग रहा था की वो बरसों से प्यासी है..

कुछ देर तक चूसने के बाद उसने राहुल के लंड को बाहर निकाला और खड़ी हो गयी...वो एक-2 पल को पूरी तरह से इस्तेमाल करना चाहते थे...लेकिन अब जो डिंपल ने करने के लिए कहा, उसे सुनकर तो एक पल के लिए राहुल भी सोच में पड़ गया..

वो जल्दी से एक साइड टेबल पर झुकी और अपनी ड्रेस को पीछे से उपर उठा कर अपना पिछवाड़ा नंगा करके बोली : "राहुल...जल्दी आओ...प्लीज़....जल्दी अंदर डालो...''

वो बेचारा क्या बोलता...उसकी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था...डिंपल ऐसा सोच भी कैसे सकती है...बाहर सब बैठे हुए है...ये चूमा चाटी तो ठीक था, लेकिन उन सभी के बाहर रहते हुए वहां चुदाई करना उसे थोड़ा रिस्की सा लगा...उसकी खुद की बीबी बाहर थी...और तो और सरदारनी का पति भी बाहर था...और साथ में कॉलोनी के दूसरे लोग भी....ऐसे में डिंपल उससे चुदने के लिए बोल रही थी...वो मना तो करना चाहता था लेकिन तभी उसकी नज़र डिंपल की रस टपकाती हुई चूत पर गयी....उसमे से शहद की तरह छूट का रस बूँद - २ करके टपक रहा था , और एक बूँद अभी भी उसकी चूत पर ओस की बूँद जैसी लटकी हुई थी , ऐसी चिकनाई देखकर वो उसकी चूत में लंड डालने से खुद को रोक ही नही सका..

[Image: 480051_14big.jpg]

वो आगे बड़ा और उसने उसकी फेली हुई गांड को पकड़ा और ढप्प से अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में सरक दिया...

ये सरदारनियो का पिछवाड़ा कितना सेक्सी होता है...उसे देखकर वो पहले भी कई बार उसकी पीछे से मारने के बारे में सोच चुका था...वो भला क्या जानता था की उसकी मन की आस इस तरह से पूरी होगी..

और जैसे ही उसका कसरती लंड डिंपल की चूत के अंदर घुसा, वो पीछे की तरफ सिर करके हिनहीना उठी...और बाँये हाथ से उसने राहुल के सिर को पकड़कर अपने करीब किया और एक गहरी स्मूच दे डाली.

...दोनो एक गीली वाली किस्स में डूब गये...राहुल ने कुछ पल तक उसके होंठ चूमे और फिर उसने अपना पूरा ध्यान उसकी चुदाई में लगा दिया..

वो उसकी कमर को पकड़कर उसे बुरी तरह से चोद रहा था..
[Image: 282165_08big.jpg]

और ऐसा करते हुए उन दोनो ने अपने मुँह बड़ी मुश्किल से बंद करके अपनी चीखे दबा रखी थी...लेकिन इस क़्वीकी में उन दोनो को काफ़ी मज़ा आ रहा था...सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे अभी तक डिंपल को अंदर आए हुए...और इतनी देर में उसकी चूत में राहुल का लंड था...

लेकिन ज़्यादा देर तक रुककर वो किसी के मन में शक़ नही पैदा करना चाहते थे....इसलिए डिंपल ने खुद ही अपनी चूत के दाने को आगे की तरफ से रगड़ना शुरू कर दिया...दूसरे हाथ से वो अपने स्तन मसल रही थी...राहुल भी अपने घोड़े को पूरी गति से उसकी चूत के हाइवे पर दौड़ा रहा था....और अगले 2 मिनट के अंदर दोनो के मुँह से टूटी - फूटी सिसकारियाँ निकलने लगी....और आख़िर में एक जोरदार शॉट के साथ राहुल ने भरभराकर अपना सारा माल उसकी चूत में उडेल दिया....

राहुल के गर्म पानी को महसूस करके वो भी झड़ने लगी...और दोनो का मिला जुला रस उसकी चूत से बाहर की तरफ बहते हुए उसकी जांघों को गीला करने लगा..

डिंपल ने साइड मे रखा एक टावल उठाया और अपनी चूत को सॉफ किया...और राहुल की तरफ पलटकर बोली : "अब तुम बाहर जाओ... वरना किसी को शक हो जाएगा...आज के लिए इतना काफी है, लेकिन याद रखना , कल तुम्हे नहीं छोडूंगी ''

राहुल ने भी अपने लंड को सॉफ किया... सिर्फ़ 10 मिनट के अंदर उसने अपनी पड़ोसन को चोद डाला था...ऐसी जल्दबाज़ी वाली चुदाई तो उसने आज तक नही की थी... लेकिन इसका भी अपना अलग मज़ा मिला...एक अलग तरहा की एक्साइटमेंट का एहसास हुआ था उसे आज...

और इन दस मिनटों में बाहर क्या हुआ, ये भी देखते है ।

जब राहुल ने सबा को अपनी जगह पर बैठने को कहा था तो उसे अपने बीच बिठाकर सभी ठर्कियों की तो मौज ही हो गयी थी...कारण था उसकी ड्रेस.... आज सबा ने जो ड्रेस पहनी हुई थी , उसका गला काफ़ी खुला था...और बिना दुपट्टे वाला था.. इसलिए जब वो उन हरामियों के बीच बैठी तो उसके आधी से ज़्यादा नंगी छातियों की सफेदी देखकर पत्तो पर तो किसी की नज़र ही नही गयी.... सब उसके मुम्मो को अपनी-2 आँखो से चोदने में लगे थे...

[Image: 431348_04big.jpg]

उनमे से सिर्फ़ शशांक को छोड़कर किसी को भी ये अंदाज़ा नही था की राहुल अंदर क्या कर रहा है... सब अपने-2 मन में बस यही दुआ माँग रहे थे की जल्दी बाहर ना निकले... और इन सबसे अंजान, अपनी पहली गेम खेल रही सबा थोड़ा नर्वस सी होकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ पत्तो पर लगाकर बैठी थी... उसे तो ये भी पता नहीं था की आज की ये गेम उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है... और ना चाहते हुए भी वो उन सभी ठर्कियों की उस चाल में फँसने वाली थी जो काफ़ी पहले से शशांक ने उसके बारे में सोचकर रखी हुई थी.

पहली बाजी शुरू हुई और सबके सामने पत्ते आ गये...इस बार का वैरीएशन था मुफ़लिस...यानी सबसे छोटे पत्ते वाला जीतेगा..

सबकी देखा-देखी सबा ने भी 500 की 2 ब्लाइंड चल दी... घर पर राहुल के साथ तो वो फ्री में खेल लेती थी (वो अलग बात थी की जीतने वाला अपनी मर्ज़ी से चुदाई करता था) लेकिन आज करारे नोटों के साथ खेलते हुए सबा को एक अलग ही रोमांच का अनुभव हो रहा था...आज वो खुद पैसे जीतकर राहुल को दिखा देना चाहती थी की वो भी कुछ कर सकती है इस खेल में ...

सबसे पहले कपूर साहब ने अपने पत्ते उठाए...उन्होने कुछ देर तक पत्तो को घूरा और फिर 1 हज़ार की चाल चल दी..

गुप्ता जी ने भी पत्ते देखकर 1 हज़ार की चाल चल दी..सरदारजी ने हर बार की तरह एक और ब्लाइंड चली..और शशांक जो कब से अपने पत्ते उठा कर बैठा था, उसने भी एक चाल चल दी..

यानी सबा का नंबर आते-आते 3 चाल आ चुकी थी...उसने धड़कते दिल से अपने पत्ते उठाए...उसके पास 2,5 और 9 आया था...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...उसे तो खुद के पत्ते छोटे ही लग रहे थे...क्योंकि एक बार घर पर भी ऐसी मुफ़लिस वाली गेम खेलते हुए राहुल ने बताया था की 10 के अंदर जो भी पत्ते आते है उनसे ये गेम खेली जा सकती है...लेकिन सबा को थोड़ा डाउट हो रहा था की जब सामने से 3 चालें आ जाए तो क्या तब भी गेम आगे खेलनी चाहिए या नही..

उसने कुछ देर सोचने के बाद चाल चल ही दी...ये सोचते हुए की जो होगा देखा जाएगा , अपनी पहली ही गेम में वो डरपोक नहीं कहलाना चाहती थी

सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा लिए और उन्हे देखकर बड़े ही जोश के साथ 1 के बदले 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब आलम ये था की टेबल पर 5 लोग थे और सभी की चाल आ चुकी थी...ऐसा शायद पहली बार हो रहा था...

इसी बीच दूसरे टेबल पर सुमन ने सभी का ध्यान बाँट रखा था...उसने सभी के सामने वोड्का के बड़े-2 ग्लास फिर से भरकर रखवा दिए थे...और साथ ही तंबोला की गेम को भी काफ़ी रोचक मुकाम तक पहुँचा दिया था... इसलिए किसी को भी दूसरे टेबल पर देखने की जरुरत ही महसूस नही हो रही थी.. और ना ही डिंपल सरदारनी और राहुल की अनुपस्थिति का एहसास हो रहा था..जो इस वक़्त अंदर जबरदस्त चुदाई में व्यस्त थे..

सबा ने देखा की सभी की चाल आ चुकी है और वो सोच रही थी की ये अभी ही होना था...काश राहुल वहां होता...लेकिन अब उसे राहुल से ज़्यादा गेम की चिंता थी...

सबने सरदारजी के बाद, उनकी देखा देखी 2-2 हज़ार की चाल चल दी...सबा ने भी सोचा की अब इस गेम में पैर फँसा ही दिया है तो देखी जाएगी...क्योंकि कल के जीते हुए पैसो के बाद कुछ रिस्क तो लिया ही जा सकता था...उसने भी 2 हज़ार की चाल चल दी..

वो जानती थी की जीतना तो किसी एक को ही है...और वो अगर कॉन्फिडेंस से खेलती रही तो शायद वो भी जीत सकती है...

उसने जब 2 हज़ार फेंके तो कपूर साहब बोल पड़े : "आज तो सबा भाभी बड़े तैश मैं है...ये सबको झाड़ कर मानेगी...''

उसने जब 'झाड़ कर' बोला तो सबा की आँखे गोल होती चली गयी...झाड़ने का मतलब तो सेक्स में होता है...लेकिन जिस तरीके से उन्होने वो शब्द बोला था, ऐसा लग रहा था की वो नॉर्मल सी बात है...वो बोलकर हँसे भी नही...इन्फेक्ट कोई भी नही हंसा...इसलिए सबा ने भी कोई रिएक्शन नही दिया...वो समझ गयी की इस शब्द का मतलब ''पैसे झाड़ना'' है...वो सेक्स वाला झाड़ना नही...अपनी गंदी सोच पर वो खुद ही मुस्कुरा दी.

उसकी इस मुस्कुराहट को हर ठरकी तिरछी नज़रों से देख रहा था...उन सभी के बीच ,आँखो-2 में ही, बिना बोले ही, इस बात पर सहमति हो चुकी थी की इस गेम में वो सबा से हर तरह का मज़ा लेंगे...चाहे उसे बुरा ही लगे जाए...क्योंकि आज जैसा मौका वो हाथ से नही जाने देना चाहते थे.

कपूर साहब ने पैसे फेंककर गेम को आगे बढ़ाया ..

गुप्ता जी ने भी 2 हज़ार निकाले और नीचे फेंकते हुए बोले : "लो जी....मेरे कड़क खंबे जैसे कड़क नोट मेरी तरफ से...''
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RE: दिवाली का जुआ Part 2 (With Pictures) - by badmaster122 - 30-05-2020, 01:33 PM



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