29-05-2020, 08:25 PM
यही सब सोचते और नीचे वाली कि दरार पर ऊँगली चलते हुए पंलंग पास नीचे बैठे सोच रही थी ... अब कैसे जाऊं भाभी के पास ...........
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
सपनो कि दुनिया से निकल कर अब खुली आँखों से सपने देख रही थी ..... अब यों तो मैंने दो सपने देखे थे ... एक जिसमे "मूड्स" का इस्तेमाल देखा था ... और दूसरा "सुमन भाभी" वाला .... जान ही नहीं निकली बस मेरी .......
दोनों बढ़िया थे पर सुमन भाभी वाला जायदा रसीला था ....... हो सकता है कि सुमन भाभी मेरे साथ थी और उनके जोबन- ब्लाउज और साये मैं मैंने करीब से देखा था ,,,,, जो भी हो मजा आ गया था.
अब कुछ - कुछ समझ आ रहा था ... जिन्दगी किताबो के अलावा भी है .... और मैं एक किताबी कीड़ा .... जिसे कुछ न पता हो ... मुझ से अच्छी मेरी सहेली है .... जो मजा ले रही है .... जिंदिगी का ..
यह सब मैं बाथरूम मैं खड़ी ब्रश करते सोच रही थी .... आज कुछ मन कर ही नहीं रह था .... जैसे सारी ताकत "बह" गयी हो . आज फिर कॉलेज गोल ..... आज तो कॉलेज मैं भी मन नहीं लगना .... आ गयी अपने रूम मैं और मेरा हाथ अपने आप "चाशनी" कि दुकान पर ..... और दो तार कि चाशनी मेरे मुह मैं ..........
अब तो पेंटी पहन ले निहारिका ... पागल लड़की क्या हुआ तुजे .... कहा अपने आप से .
आज से पहेले मैं कभी ब्रा - पेंटी के बिना नहीं रही ... रात को भी पहन कर सोती थी .
निकली अनमने मन से पेंटी ..... रेड वाली - सुमन भाभी के जैसी करीब करीब . मेरी वाली मैं नेट सिर्फ कमर पर ही था .... पर फीलिंग आ गयी ....
अब मैं बिना ब्रा कि कुर्ती और स्कर्ट मैं खड़ी थी .... चलो बाहर ... खाओ माँ कि मार .... बताओ क्यों नहीं गयी कॉलेज ..... पिछली बार "मूड्स" ने कॉलेज मिस करवाया और अबकी बार "चाशनी" ने ....
क्या हो सकता था .... मन मैं दबी हुई इच्छा ..... सुमन भाभी और शीतल भाभी मिल जाये ..... क्या करुँगी .... हा हा ... पागल ... करेंगी तो वो ही .... मन - ही - मन बात कर रही थी अपने आप से ..
फिर माँ कि मार का ध्यान आया तो सोचा अब तक माँ कि आवाज क्यों नहीं आई .... अब तक माँ सारा घर सर पर उठा देती .....
बाहर आई तो ... देखा .....
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका