29-05-2020, 11:09 AM
नेहा अजीब सी घुटन का शिकार रहने लगी.
एक रात अनिल ने उस से पूछा, ‘‘नेहा, क्या बात है, आजकल परेशान दिख रही हो?’’
नेहा कुछ नहीं बोली. अनिल ने फिर कुछ नहीं पूछा तो नेहा की आंखें भर आईं, क्या अनिल को मेरी परेशानी की वजह का अंदाजा नहीं होगा? इतने संगदिल क्यों हैं अनिल? बच्चे तो नहीं हैं, जो मेरी मनोदशा समझ न आ रही हो… जानबूझ कर अनजान बन रहे हैं. नेहा रात भर मन ही मन घुटती रही. बगल में अनिल गहरी नींद सो रहा था.
एक संडे सब साथ लंच कर के थोड़ी देर बातें कर के अपनेअपने रूम में आराम
करने जाने लगे तो किचन से निकलते हुए नेहा के कदम ठिठक गए. अंजलि बहुत धीरे से अनिल से कह रही थी, ‘‘शाम को 7 बजे छत पर मिलना.’’
एक रात अनिल ने उस से पूछा, ‘‘नेहा, क्या बात है, आजकल परेशान दिख रही हो?’’
नेहा कुछ नहीं बोली. अनिल ने फिर कुछ नहीं पूछा तो नेहा की आंखें भर आईं, क्या अनिल को मेरी परेशानी की वजह का अंदाजा नहीं होगा? इतने संगदिल क्यों हैं अनिल? बच्चे तो नहीं हैं, जो मेरी मनोदशा समझ न आ रही हो… जानबूझ कर अनजान बन रहे हैं. नेहा रात भर मन ही मन घुटती रही. बगल में अनिल गहरी नींद सो रहा था.
एक संडे सब साथ लंच कर के थोड़ी देर बातें कर के अपनेअपने रूम में आराम
करने जाने लगे तो किचन से निकलते हुए नेहा के कदम ठिठक गए. अंजलि बहुत धीरे से अनिल से कह रही थी, ‘‘शाम को 7 बजे छत पर मिलना.’’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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