27-05-2020, 07:09 PM
(This post was last modified: 22-08-2021, 01:27 PM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
गुड्डी रानी ने खोल दिया , ...
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। ' गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
……..
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। " मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया
जैसे ही गुड्डी ने वो प्लेट खोली , गुड्डी की आँखे एकदम फ़ैल गयी, विस्फारित।
वो महक , रस से भीनी सुगंध , वो रंग ,एक नशा सा तारी हो गया सिर्फ देख कर , महक से
छिले,कटे , सिन्दूरी अल्फांसो की खूब लम्बी लम्बी फांके , छलकते हुए रस से भीगे ,
रसीले, स्वाद उसकी महक से भिन रहा था ,सीधे रत्नागरी से एक्सपोर्ट क्वालिटी ,
पूरी प्लेट रसीली बड़ी बड़ी लम्बी रस से भरी ,फांको से भरी थी ,एक महक और बस चखे बिना ही कोई दीवाना हो जाए
असर तो गुड्डी पर प्लेट खोलते ही पड़ा , लेकिन कनखियों से गुड्डी ने अपने 'भैय्या ' की ओर देखा ,
( यही एक्प्रेसन तो मैं देखना चाहती थी , मेरे भैय्या नाम भी नहीं ले सकते , टेबल पर कोई आम की बात कर ले तो उठ जाते हैं , टेबल पर रखना तो दूर ,भाभी आप को ये सब चीजें भैय्या के बारे में जान लेना चाहिए ,पहले दिन से ही ये बात सुनते सुनते ,... )
और उसके भैय्या टेबल से नहीं उठे थे बल्कि हम सभी की तरह अल्फांसो के रस की भीनी भीनी सुगंध का मजा ले रहे थे।
गुड्डी ने एक फांक छूई।
और वो उसका टच फील इंज्वाय कर रही थी , फिर मेरी ननद ने एक फांक उठा कर मुंह से लगाया , खूब रस से भरा हुआ ,
उसे होंठों से थोड़ा किया , फिर हलकी सी बाइट , आम का मीठा मीठा रस छलक रहा था ,
और गुड्डी को स्वाद भी खूब आ रहा था। फिर आधी फांक सीधे मुंह में , चूसने लगी।
बीच में एक दो बार अपने 'भैय्या ' की ओर भी देखा उसने कहीं वो , बुरा तो नहीं मान रहे ,
लेकिन बुरा कौन , वो तो अपनी इस छुटकी बहिनिया की कच्ची कोरी बुर के सपने में डूबे , गुड्डी के रसीले किशोर होंठों के बीच रस से भरी फांक से छलकता रस निहार रहे थे।
गुड्डी ने एक दो फांके मेरी जेठानी को और एक फांक मेरी प्लेट में रखी लेकिन उनके प्लेट में नहीं।
पर उनकी निगाहें उस किशोरी पर टिकी थीं ,कैसे उसने दो उँगलियों के बीच लम्बी मोटी फांक पकड़ रखी थी ,
कैसे उसे अपने गुलाबी भीगे भीगे रसीले होंठो के बीच हलके हलके दबा के चूस रही थी
और कैसे जब रस की एक बूँद छलक कर उसकी ठुड्डी पर आ गयी तो गुड्डी ने कैसे जीभ निकाल के उसे चाट लिया।
गुड्डी की उँगलिया कैसे उस भीने भीने रस से गीली हो रही हैं।
कैटरीना कैफ का मैंगो वाला ऐड याद है न ,
गुड्डी उससे कहीं कहीं ज्यादा सेक्सी रसीली लग रही थी।
मैंने उनको कुहनी मार के उस जादूगरनी के जादू से निकालने की कोशिश की और हलके से ,बहुत धीमे से थोड़ा झिझकते वो बोले ,
" गुड्डी ,.. "
गुड्डी ने एक और बड़ी सी रसीली फांक अपने मुंह में डाल ली और उनकी ओर देखा।
और उस सारंग नयनी ने मुड़ कर अपनी बड़ी बड़ी नाचती गाती रतनारी आँखों से ,जैसे कोई हिरणी मुड़ के देखे ,उन्हें देखा।
उस किशोरी के गुलाबी रसीले होंठों पर आम रस लिपटा हुआ था ,
और दोनों होंठों के बीच एक खूब मोटी सी सिंदूरी रसीली फाँक ,
मैंने उन्हें फिर कोहनी मारी और कान में फुसफुसाया , " अरे बोल न "
गुड्डी , और फिर चुप हो गए।
हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।
और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।
" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "
जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। ' गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
……..
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। " मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया
जैसे ही गुड्डी ने वो प्लेट खोली , गुड्डी की आँखे एकदम फ़ैल गयी, विस्फारित।
वो महक , रस से भीनी सुगंध , वो रंग ,एक नशा सा तारी हो गया सिर्फ देख कर , महक से
छिले,कटे , सिन्दूरी अल्फांसो की खूब लम्बी लम्बी फांके , छलकते हुए रस से भीगे ,
रसीले, स्वाद उसकी महक से भिन रहा था ,सीधे रत्नागरी से एक्सपोर्ट क्वालिटी ,
पूरी प्लेट रसीली बड़ी बड़ी लम्बी रस से भरी ,फांको से भरी थी ,एक महक और बस चखे बिना ही कोई दीवाना हो जाए
असर तो गुड्डी पर प्लेट खोलते ही पड़ा , लेकिन कनखियों से गुड्डी ने अपने 'भैय्या ' की ओर देखा ,
( यही एक्प्रेसन तो मैं देखना चाहती थी , मेरे भैय्या नाम भी नहीं ले सकते , टेबल पर कोई आम की बात कर ले तो उठ जाते हैं , टेबल पर रखना तो दूर ,भाभी आप को ये सब चीजें भैय्या के बारे में जान लेना चाहिए ,पहले दिन से ही ये बात सुनते सुनते ,... )
और उसके भैय्या टेबल से नहीं उठे थे बल्कि हम सभी की तरह अल्फांसो के रस की भीनी भीनी सुगंध का मजा ले रहे थे।
गुड्डी ने एक फांक छूई।
और वो उसका टच फील इंज्वाय कर रही थी , फिर मेरी ननद ने एक फांक उठा कर मुंह से लगाया , खूब रस से भरा हुआ ,
उसे होंठों से थोड़ा किया , फिर हलकी सी बाइट , आम का मीठा मीठा रस छलक रहा था ,
और गुड्डी को स्वाद भी खूब आ रहा था। फिर आधी फांक सीधे मुंह में , चूसने लगी।
बीच में एक दो बार अपने 'भैय्या ' की ओर भी देखा उसने कहीं वो , बुरा तो नहीं मान रहे ,
लेकिन बुरा कौन , वो तो अपनी इस छुटकी बहिनिया की कच्ची कोरी बुर के सपने में डूबे , गुड्डी के रसीले किशोर होंठों के बीच रस से भरी फांक से छलकता रस निहार रहे थे।
गुड्डी ने एक दो फांके मेरी जेठानी को और एक फांक मेरी प्लेट में रखी लेकिन उनके प्लेट में नहीं।
पर उनकी निगाहें उस किशोरी पर टिकी थीं ,कैसे उसने दो उँगलियों के बीच लम्बी मोटी फांक पकड़ रखी थी ,
कैसे उसे अपने गुलाबी भीगे भीगे रसीले होंठो के बीच हलके हलके दबा के चूस रही थी
और कैसे जब रस की एक बूँद छलक कर उसकी ठुड्डी पर आ गयी तो गुड्डी ने कैसे जीभ निकाल के उसे चाट लिया।
गुड्डी की उँगलिया कैसे उस भीने भीने रस से गीली हो रही हैं।
कैटरीना कैफ का मैंगो वाला ऐड याद है न ,
गुड्डी उससे कहीं कहीं ज्यादा सेक्सी रसीली लग रही थी।
मैंने उनको कुहनी मार के उस जादूगरनी के जादू से निकालने की कोशिश की और हलके से ,बहुत धीमे से थोड़ा झिझकते वो बोले ,
" गुड्डी ,.. "
गुड्डी ने एक और बड़ी सी रसीली फांक अपने मुंह में डाल ली और उनकी ओर देखा।
और उस सारंग नयनी ने मुड़ कर अपनी बड़ी बड़ी नाचती गाती रतनारी आँखों से ,जैसे कोई हिरणी मुड़ के देखे ,उन्हें देखा।
उस किशोरी के गुलाबी रसीले होंठों पर आम रस लिपटा हुआ था ,
और दोनों होंठों के बीच एक खूब मोटी सी सिंदूरी रसीली फाँक ,
मैंने उन्हें फिर कोहनी मारी और कान में फुसफुसाया , " अरे बोल न "
गुड्डी , और फिर चुप हो गए।
हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।
और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।
" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "
जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।