27-05-2020, 12:50 PM
(26-05-2020, 09:05 PM)Niharikasaree Wrote:पर सपने मैं आगे थी सुमन भाभी ......
जब तक मेरे साथ "सब कुछ" नहीं हो गया तब तक दिल मैं इच्छा थी कि वो जब करे तब "मूड्स" लगा कर करे , और जब किया तब तक
और भी कई आ गए थे मूड्स जैसे , रोज रात नया और फ्लेवर वाला भी .... लीची , चॉकलेट ...... उफ़ मैं भी क्या बताने लग गयी .... मिलती हूँ जल्दी .... सपने मैं --- सुमन भाभी के साथ ...........
प्रिय सहेलिओं ,निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,अब आगे ,
वो रात मेरे लिए कितनी चिकनी थी यह तो सबह उठ कर ही पता चला था , मेरी स्कर्ट काफी भीग गयी थी मेरी कामरस और चाशनी मैं. और
मेरे जोबन कुछ जायदा ही दबा दिए थे मैंने रात को उस वजह से मेरे निप्पल एकदम लाल हो रहे थे और थोडा दर्द भी हो रहा था हाथ लगाने पर.
हम्म,
तो अब चलते हैं वापस सपनो कि दुनिया मैं .... सुमन भाभी के साथ ......
तो, मेरा एक सपना पूरा हुआ तो दूसरा शुरू हुआ जो बेहद चिकना था , आखिर सुमन भाभी जो थी मेरे साथ तो जब मुझे याद आया कि सुमन
भाभी भी गीली थी तो अरमान जग गए कि सुमन भाभी भी वो सब मेरे साथ कर रही है जो वो दोनों लड़कियां कर रही थी ..... अलग एहसास
उस सपने मैं मैं कोई स्विमिंग पूल के पास तो नहीं थी पर सुमन भाभी के बेड पर बैठी थी, और सुमन भाभी ठीक मेरे सामने ब्लाउज और साये मैं आधी लेटी हुई थी और सामने से उनके जोबन छलक रहे थे मनो कह रहे हो कि आओ और हमे खा लो ..... और मैं भी यही सोच रही थी
कि कितने बड़े हैं जोबन भाभी के , उफ़ कैसे सँभालते होंगी ..... और कितने नरम होंगे ...... मेरे मुह मैं पानी आ रहा था और नीचे "चाशनी" .
तभी सुमन भाभी उठी और मेरे करीब - बहुत करीब आ गयी उनकी सां मैं अपने होंठो पर महसूस कर रही थी , मेरी आँखे बंद थी और इंतज़ार
कर रही थी कि किसकी बारी होंतो कि या मेरे जोबन कि ..... दुपट्टा सरका मेरे कंधे से और तेज़ हुई मेरी सांस उठने लगे मेरे जोबन उपर - नीचे और मेरे होंठ कापने लगे ..... फडकने लगे सुमन भाभी के होंठो के लिए ......
सुमन भाभी ने एक ऊँगली मेरे जोबन पर फिराई हलके से मेरी ब्रा कि लाइन और उसकी स्ट्रैप्स को छूती हुई धीरे धीरे हाथ चलती रही और मैं कांपती रही ...... कुछ होने वाले एह्साह से.......
उनके हाथ मेरे पीठ के पीछे आ गए और मुझे और करीब खेंच लिया अपनी और , और मैं एक कटी पतंग कि तरह खिंची चली गयी .....
फिर क्या था मेरे होंठ अपने आप खुल गए उनके होंठ को अपने मैं सामने के लिए ......... एक् मीठा एहसास ..... उनकी रसीली जुबान मेरे मुह मैं
एक मछली के जैसे तैर रही थी फिसल रही थी... मेरे निचले होंठ "जी वो ही ... " मेरे उन्ग्लिओं मैं मसले जा रहे थे और कुछ देर थक मेरे होंठो का रसपान करने के बाद सुमन भाभी अलग हुई, और पुछा "निहारिका मजा आया" ....
मैं कुछ कहने के काबिल ही कहाँ बची थी बस हम्म, कह कर मुस्कुरा दी और एक बार फिर उनके पास सरक गयी .... और भाभी पीछे ....
मैंने कहा क्या हुआ भाभी ......