25-05-2020, 04:24 PM
(This post was last modified: 03-01-2024, 04:32 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिस दिन से शशांक ने राहुल की बीबी को ऑफिस की पार्टी में देखा था, उसके मन मे उसे चोदने के ख़याल आने लगे...इसलिए वो अपनी तरफ से बढ़ - चड़कर उसकी मदद करने लगा..उसकी वाइफ को अपने ही ऑफीस में जॉब भी दिलवा दी...अच्छी सैलरी के साथ...और अपनी सोसायटी में ही उसे फ्लैट भी दिलवा दिया...और उसका कारण था उसकी जैसी मानसिकता वाले उसके ये तीनों दोस्त..
वैसे तो ये सभी अच्छे बिज़नेसमॅन या ऑफिस में उँची पोस्ट पर थे...पर रात को एक साथ बैठकर ये दारू पीते तो पूरी सोसायटी में रहने वाली औरतों की माँ-बेटी एक कर देते थे...चारो एक नंबर के ठरकी थे...सभी की उम्र 40-50 के बीच थी..कई सालों से पड़ोसी रहने की वजह से सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी...कई बार मिलकर इन्होने रंडिया भी चोदी थी...जब भी किसी की बीबी किसी काम से बाहर या मायके जाती तो उसके खाली घर में ये चारों मिलकर हवस का नंगा खेल खेलते...हर उम्र की और खासकर कच्ची कलियों को चोदना ही इनका मकसद रहा करता था...इसलिए सोसायटी में रहने वाली औरतों के साथ-2 उनकी जवान हो रही लड़कियों को भी ये नही छोड़ते थे...
इन सभी की ऐसी हरकतों की वजह से ही सोसायटी के ज़्यादातर मर्द इनसे दूर रहते थे...पर इनकी बेबाक शरारतों की वजह से इन्होने अपनी कॉलोनी की कई औरतों को चोद भी डाला था...क्योंकि वहां रहने वाली कई औरतों की चूत भी काफ़ी खुजलाती थी...लेकिन फिर भी हर बार नए माल की तलाश में इनकी भूखी नजरें लगी रहती थी
बस ऐसे ही इन सभी की जिंदगी चल रही थी जब एक रात दारू पीते हुए शशांक ने अपने ऑफीस में काम करने वाले राहुल की जवान बीबी सबा का ज़िक्र छेड़ दिया...एक तो नाम इतना सेक्सी...उपर ने नयी ब्याही हुई लड़की...उन सभी के लंड तन कर खड़े हो गये...और उसकी बीबी को फ़साने और चोदने के अलग-2 तरीके वो शशांक को बताने लगे...उन्ही तरीक़ो पर अमल करते-2 उसने उसकी बीबी को जॉब दे डाली...अपनी सोसायटी में कम रेंट पर फ्लेट भी दिलवा दिया..लेकिन इस बीच शशांक या उसके इन दोस्तों ने कभी भी अपने गंदे इरादो की भनक राहुल या सबा को नही लगने दी...वो सभी उन दोनो के सामने बड़े ही सभ्य तरीके से पेश आते थे....और ये भी उन्ही का प्लान था...जिसके अनुसार वो सही मौके की तलाश कर रहे थे...
और इन 4-5 महीनो में वो जब भी एकसाथ मिलकर बैठते तो उनकी चर्चा का विषय सबा ही होती..
शशांक अक्सर बोलता : "यार.....आज तो ऑफीस में साली टाइट स्लेक्स पहन कर आई थी....और उसमें से उस रंडी की मोटी जांघे ऐसे दिख रही थी जैसे एक बड़ा सा चबा जाने लायक लेग पीस....बस स्लेक्स उतारो और चबा जाओ उसकी टंगड़ी को....''
उपर से गुप्ता जी अपने लंड को मसलते हुए कहते : "भेन की लौड़ी के मुम्मे तो देखो...कल सुबह जब सीडियों से उतर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे दो छोटी-2 फुटबॉल उछल रही है...मुझे दुनियादारी की परवाह ना होती तो इस रंडी को वहीं नंगा करके पेल देता...''
सरदारजी बोले : "आज सुबह मेरी वाइफ अपने घर की चाबी इनके घर छोड़ गयी थी...शाम को जब मैं वापिस आया तो इसे लगा की राहुल आया है...मदारचोद ऐसी ही भागती चली आई दरवाजा खोलने ....छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में ..ऐसी मलाई जैसी टांगे थी यारो...बस चाटते रहो...लंड रगड़ते रहो उसपर....''
कपूर साहब भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...वो भी बोलते : "ऐसी खूबसूरत रंडी को चोदकर ही मेरे लंड को सकून मिलेगा...संडे को मेरी मिसेज के साथ मेरे ही बैडरूम में बैठकर बाते कर रही थी , बस उसी बेड पर चोदना है मुझे तो उसे , दोस्तों अब हमे जल्द से जल्द कुछ करना होगा...''
उन्हे जो भी करना था, तरीके से करना था...जैसे अभी तक योजना बनाकर वो करते आए थे...सबा को अपने जाल में फँसाकर चोदना तो बस एक ज़रिया था अपनी लाइफ का मज़ा लेने का...वरना चारों की पत्निया एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी...वो भी अपने पतियों की तरह आपस में घुल मिलकर रहती थी और उनके रंगीन मिज़ाज से वो सब भी वाकिफ़ थी...लेकिन वो अपने रंगीन मिज़ाज के लिए क्या-2 करते है, ये उनमे से कोई भी नही जानता था...और उन्हे ज़रूरत भी नही थी उनकी जिंदगी में दखल देने की...सभी को ऐश की जिंदगी जीने को मिली हुई थी...ऐसे में अपने पतियों के उपर लगाम लगाकर उन्हे कुछ मिलने वाला तो नही था...और वैसे भी, जो आग इन मर्दों को जलाती थी, वो क्या इन गर्म औरतों को कम जलाती थी ..
बिल्कुल जलाती थी जनाब.
सभी की उम्र 30 - 4 0 के बीच थी, ये सब भी आपस में इतनी घुल मिल चुकी थी की अपने-2 पुराने बॉयफ्रेंडस और चुदाई के किस्से एक दूसरे से आसानी से शेयर कर लेती थी....हर जवान मर्द को ये सब भी ऐसे देखती थी जैसे आजकल के मर्द कमसिन लड़कियों को देखकर लंड सहलाते है...फ़र्क सिर्फ़ इतना होता था की इनके हाथ अपनी चूत की लकीरों पर चलते थे...यानी देखा जाए तो ये पूरा गैंग सेक्स के मामले में काफ़ी खुला हुआ सा था...बस थोड़ा बहुत परदा था आपस में ..और वो कितनी देर तक रहने वाला था ये वो भी नही जानते थे..
राहुल के आने के बाद अक्सर ये चारों औरतें उसी के बारे में बाते करती रहती थी....क्योंकि राहुल देखने में बिल्कुल मॉडल जैसा था...और एकदम जवान भी ...इसलिए उन्होने सबा को अपनी सहेली बना लिया था ताकि उसके और राहुल के अतरंग पलों को सुन सके...पर सबा थी की अपनी प्राइवेट बातों को छुपा लेती थी...वो काफ़ी उगलवाने की कोशिश करती पर उसके शर्म से लाल हुए चेहरे से कुछ निकलता ही नही था..
ऐसे ही दशहरे वाले दिन भी हो रहा था...जब उनके हस्बेंड्स एक टेबल पर बैठे थे और सबा इस गेंग के साथ एक बड़ी सी टेबल पर...सभी के हाथ में वोडका के ग्लास थे, वो सभी मिलकर आज भी सबा को छेड़ रहे थे ...
शशांक की बीबी, सुमन सिन्हा, जो इस ग्रूप में सबसे शरारती थी ,वो बोली : "सबा...बता ना...कल राहुल ने कितने राउंड लिए....वो तेरी एस्स फकिंग भी करता है क्या...तेरी बेक देखकर तो लगता है की वो इसके बहुत मज़े ले रहा है आजकल ...बोल ना...''
मिसेज काजल गुप्ता बोली : "यार...मुझे तो लगता है की राहुल इसके बूब्स ही चूसता रहता है...देख ना, कितने बड़े हो गये है पिछले 2 महीने में ...मेरा साइज़ भी ऐसे ही बढ़ता था, जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी...अह्ह्हहह इसे देखकर तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये...''
मिसेज नीरू कपूर बोली : "लेकिन जो भी है, इसकी चुप्पी देखकर तो लग रहा है की जो भी हम बोल रहे है वो सब सच है...काश हमारे पति भी ऐसे ही रोजाना हमारी अंदर की आग बुझा सकते....''
उनकी बात सुनकर सबा का चेहरा हमेशा की तरहा लाल हो उठा...उसे सेक्स बहुत पसंद था, इतना की राहुल उसे जितना भी चोदता था उसे कम ही लगता था ...लेकिन सेक्स के बारे में बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था उसे ...इसलिए आज भी वो अपना चेहरा झुका कर बस इतना ही बोल पाई : "नही...ऐसा कुछ भी नही है....''
और इस बार सोहनी सरदारनी डिंपल बोली : "क्या ऐसा कुछ नही है.....तेन्नु राहुल मज़े नही देंदा की .....दस मैन्नू ....मेरे सरदारजी तो मुझे सोने भी नही देते थे....रात को कपड़े भी नही पहने मैने तो शादी के 1 साल बाद तक...समझी....''
वो सब अपनी बाते सुनाकर उसे उकसा रही थी ,पर वो अपने बैडरूम के राज खोलने को राजी ही नहीं हो रही थी
वो बाते कर ही रही थी की राहुल वहां आया और सबा से बोला : "सबा....अब हमे चलना चाहिए....''
सबा भी वहां से भागने की फिराक में थी...वो जल्दी से उठी....उन दोनो ने सभी को गुड नाइट बोला और अपने फ्लैट में चल दिए...पीछे से डिंपल ने आवाज़ लगाकर सबा से कहा : "गुड नाइट जी....एंजाय करो...''
जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी
दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.
दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.
इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.
पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी...
और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.
अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..
और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..
पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.
वैसे तो ये सभी अच्छे बिज़नेसमॅन या ऑफिस में उँची पोस्ट पर थे...पर रात को एक साथ बैठकर ये दारू पीते तो पूरी सोसायटी में रहने वाली औरतों की माँ-बेटी एक कर देते थे...चारो एक नंबर के ठरकी थे...सभी की उम्र 40-50 के बीच थी..कई सालों से पड़ोसी रहने की वजह से सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी...कई बार मिलकर इन्होने रंडिया भी चोदी थी...जब भी किसी की बीबी किसी काम से बाहर या मायके जाती तो उसके खाली घर में ये चारों मिलकर हवस का नंगा खेल खेलते...हर उम्र की और खासकर कच्ची कलियों को चोदना ही इनका मकसद रहा करता था...इसलिए सोसायटी में रहने वाली औरतों के साथ-2 उनकी जवान हो रही लड़कियों को भी ये नही छोड़ते थे...
इन सभी की ऐसी हरकतों की वजह से ही सोसायटी के ज़्यादातर मर्द इनसे दूर रहते थे...पर इनकी बेबाक शरारतों की वजह से इन्होने अपनी कॉलोनी की कई औरतों को चोद भी डाला था...क्योंकि वहां रहने वाली कई औरतों की चूत भी काफ़ी खुजलाती थी...लेकिन फिर भी हर बार नए माल की तलाश में इनकी भूखी नजरें लगी रहती थी
बस ऐसे ही इन सभी की जिंदगी चल रही थी जब एक रात दारू पीते हुए शशांक ने अपने ऑफीस में काम करने वाले राहुल की जवान बीबी सबा का ज़िक्र छेड़ दिया...एक तो नाम इतना सेक्सी...उपर ने नयी ब्याही हुई लड़की...उन सभी के लंड तन कर खड़े हो गये...और उसकी बीबी को फ़साने और चोदने के अलग-2 तरीके वो शशांक को बताने लगे...उन्ही तरीक़ो पर अमल करते-2 उसने उसकी बीबी को जॉब दे डाली...अपनी सोसायटी में कम रेंट पर फ्लेट भी दिलवा दिया..लेकिन इस बीच शशांक या उसके इन दोस्तों ने कभी भी अपने गंदे इरादो की भनक राहुल या सबा को नही लगने दी...वो सभी उन दोनो के सामने बड़े ही सभ्य तरीके से पेश आते थे....और ये भी उन्ही का प्लान था...जिसके अनुसार वो सही मौके की तलाश कर रहे थे...
और इन 4-5 महीनो में वो जब भी एकसाथ मिलकर बैठते तो उनकी चर्चा का विषय सबा ही होती..
शशांक अक्सर बोलता : "यार.....आज तो ऑफीस में साली टाइट स्लेक्स पहन कर आई थी....और उसमें से उस रंडी की मोटी जांघे ऐसे दिख रही थी जैसे एक बड़ा सा चबा जाने लायक लेग पीस....बस स्लेक्स उतारो और चबा जाओ उसकी टंगड़ी को....''
उपर से गुप्ता जी अपने लंड को मसलते हुए कहते : "भेन की लौड़ी के मुम्मे तो देखो...कल सुबह जब सीडियों से उतर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे दो छोटी-2 फुटबॉल उछल रही है...मुझे दुनियादारी की परवाह ना होती तो इस रंडी को वहीं नंगा करके पेल देता...''
सरदारजी बोले : "आज सुबह मेरी वाइफ अपने घर की चाबी इनके घर छोड़ गयी थी...शाम को जब मैं वापिस आया तो इसे लगा की राहुल आया है...मदारचोद ऐसी ही भागती चली आई दरवाजा खोलने ....छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में ..ऐसी मलाई जैसी टांगे थी यारो...बस चाटते रहो...लंड रगड़ते रहो उसपर....''
कपूर साहब भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...वो भी बोलते : "ऐसी खूबसूरत रंडी को चोदकर ही मेरे लंड को सकून मिलेगा...संडे को मेरी मिसेज के साथ मेरे ही बैडरूम में बैठकर बाते कर रही थी , बस उसी बेड पर चोदना है मुझे तो उसे , दोस्तों अब हमे जल्द से जल्द कुछ करना होगा...''
उन्हे जो भी करना था, तरीके से करना था...जैसे अभी तक योजना बनाकर वो करते आए थे...सबा को अपने जाल में फँसाकर चोदना तो बस एक ज़रिया था अपनी लाइफ का मज़ा लेने का...वरना चारों की पत्निया एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी...वो भी अपने पतियों की तरह आपस में घुल मिलकर रहती थी और उनके रंगीन मिज़ाज से वो सब भी वाकिफ़ थी...लेकिन वो अपने रंगीन मिज़ाज के लिए क्या-2 करते है, ये उनमे से कोई भी नही जानता था...और उन्हे ज़रूरत भी नही थी उनकी जिंदगी में दखल देने की...सभी को ऐश की जिंदगी जीने को मिली हुई थी...ऐसे में अपने पतियों के उपर लगाम लगाकर उन्हे कुछ मिलने वाला तो नही था...और वैसे भी, जो आग इन मर्दों को जलाती थी, वो क्या इन गर्म औरतों को कम जलाती थी ..
बिल्कुल जलाती थी जनाब.
सभी की उम्र 30 - 4 0 के बीच थी, ये सब भी आपस में इतनी घुल मिल चुकी थी की अपने-2 पुराने बॉयफ्रेंडस और चुदाई के किस्से एक दूसरे से आसानी से शेयर कर लेती थी....हर जवान मर्द को ये सब भी ऐसे देखती थी जैसे आजकल के मर्द कमसिन लड़कियों को देखकर लंड सहलाते है...फ़र्क सिर्फ़ इतना होता था की इनके हाथ अपनी चूत की लकीरों पर चलते थे...यानी देखा जाए तो ये पूरा गैंग सेक्स के मामले में काफ़ी खुला हुआ सा था...बस थोड़ा बहुत परदा था आपस में ..और वो कितनी देर तक रहने वाला था ये वो भी नही जानते थे..
राहुल के आने के बाद अक्सर ये चारों औरतें उसी के बारे में बाते करती रहती थी....क्योंकि राहुल देखने में बिल्कुल मॉडल जैसा था...और एकदम जवान भी ...इसलिए उन्होने सबा को अपनी सहेली बना लिया था ताकि उसके और राहुल के अतरंग पलों को सुन सके...पर सबा थी की अपनी प्राइवेट बातों को छुपा लेती थी...वो काफ़ी उगलवाने की कोशिश करती पर उसके शर्म से लाल हुए चेहरे से कुछ निकलता ही नही था..
ऐसे ही दशहरे वाले दिन भी हो रहा था...जब उनके हस्बेंड्स एक टेबल पर बैठे थे और सबा इस गेंग के साथ एक बड़ी सी टेबल पर...सभी के हाथ में वोडका के ग्लास थे, वो सभी मिलकर आज भी सबा को छेड़ रहे थे ...
शशांक की बीबी, सुमन सिन्हा, जो इस ग्रूप में सबसे शरारती थी ,वो बोली : "सबा...बता ना...कल राहुल ने कितने राउंड लिए....वो तेरी एस्स फकिंग भी करता है क्या...तेरी बेक देखकर तो लगता है की वो इसके बहुत मज़े ले रहा है आजकल ...बोल ना...''
मिसेज काजल गुप्ता बोली : "यार...मुझे तो लगता है की राहुल इसके बूब्स ही चूसता रहता है...देख ना, कितने बड़े हो गये है पिछले 2 महीने में ...मेरा साइज़ भी ऐसे ही बढ़ता था, जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी...अह्ह्हहह इसे देखकर तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये...''
मिसेज नीरू कपूर बोली : "लेकिन जो भी है, इसकी चुप्पी देखकर तो लग रहा है की जो भी हम बोल रहे है वो सब सच है...काश हमारे पति भी ऐसे ही रोजाना हमारी अंदर की आग बुझा सकते....''
उनकी बात सुनकर सबा का चेहरा हमेशा की तरहा लाल हो उठा...उसे सेक्स बहुत पसंद था, इतना की राहुल उसे जितना भी चोदता था उसे कम ही लगता था ...लेकिन सेक्स के बारे में बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था उसे ...इसलिए आज भी वो अपना चेहरा झुका कर बस इतना ही बोल पाई : "नही...ऐसा कुछ भी नही है....''
और इस बार सोहनी सरदारनी डिंपल बोली : "क्या ऐसा कुछ नही है.....तेन्नु राहुल मज़े नही देंदा की .....दस मैन्नू ....मेरे सरदारजी तो मुझे सोने भी नही देते थे....रात को कपड़े भी नही पहने मैने तो शादी के 1 साल बाद तक...समझी....''
वो सब अपनी बाते सुनाकर उसे उकसा रही थी ,पर वो अपने बैडरूम के राज खोलने को राजी ही नहीं हो रही थी
वो बाते कर ही रही थी की राहुल वहां आया और सबा से बोला : "सबा....अब हमे चलना चाहिए....''
सबा भी वहां से भागने की फिराक में थी...वो जल्दी से उठी....उन दोनो ने सभी को गुड नाइट बोला और अपने फ्लैट में चल दिए...पीछे से डिंपल ने आवाज़ लगाकर सबा से कहा : "गुड नाइट जी....एंजाय करो...''
जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी
दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.
दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.
इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.
पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी...
और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.
अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..
और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..
पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.