25-05-2020, 04:14 PM
(This post was last modified: 03-01-2024, 04:27 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तो दोस्तो..ये था राहुल की जिंदगी का पहला भाग...और दूसरा भाग शुरू हुआ कुछ महीने बाद...जब दीवाली करीब थी..
राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी, इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.
दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.
राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.
डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...
सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..
ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और
बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा, जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..
गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''
राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''
गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''
उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''
राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था, एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...
उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''
राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''
राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''
वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.
उसने खुशी-2 हाँ कर दी..
शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.
राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.
उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...
दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..
और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.
राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी, इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.
दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.
राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.
डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...
सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..
ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और
बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा, जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..
गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''
राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''
गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''
उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''
राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था, एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...
उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''
राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''
राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''
वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.
उसने खुशी-2 हाँ कर दी..
शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.
राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.
उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...
दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..
और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.