22-02-2019, 07:47 PM
गुड्डी
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ," मम्मी ,गुड्डी। "
" गुड्डी , हाँ वही " ,मम्मी ने बात जारी रखी
" तभी मैं कहूँ , उस छिनार से इनकी शक्ल क्यों मिलती है। तेरे मामा और समधन का , पुराना चक्कर होगा बचपन से फँसी होंगी इसलिए। तभी तेरी और गुड्डीकी शकल , इतनी मिलती है। "
फिर मम्मी कुछ रुक के सीरियसली बोलीं ,
" सुन उस ने तेरी माँ चोद दी , तू उसकी बेटी चोद दे हिसाब बराबर। "
खिलखलाते मेरी हालत खराब हो गयी , मैंने किसी तरह हंसी रोक के बोला ,
" मम्मी ये तो आपने इनके मुंह की बात छीन ली। ये तो खुद उसे चोदना चाहते ,… "
मेरी बात काटके मम्मी तुरंत अपने दामाद की ओर से बोलीं ,
" तो क्या गलत चाहता है , बिचारा मेरा दामाद। वो तेरी ननद खुद हाथ में लेके टहल रही है ,तो बिचारे मेरे सीधे साधे दामाद को क्यों दोष देती है। "
कुछ देर रुक कर फिर उन्होंने रुख उनकी ओर मोड़ दिया ,
' तेरे घर में दो दो माल ,एक कच्ची कली और एक भोसड़े वाली , तो भी तुम भूखे प्यासे , इतने दिन तक, अभी भी ज्यादा बिगड़ा नहीं ,है चढ़ जाओ। "
" अरे मामा की मुलगी ,.... तो चलता है यार। "
मैंने भी तड़का लगाया।
मम्मी की बातों का पता नहीं चलता उन्होंने तुरंत पैतरा बदल के दूसरा मोर्चा खोला , उनका फेवरिट, उनकी समधन।
" सुन तू सुबह ,समधन के मस्त जोबन के बारे में बात कर रहा था , बोल क्या साइज होगी , उनकी। ये मत कहना की देखा नहीं। कभी तो रगड़वाते ,मिजवाते,दबवाते तो देखा होगा , इत्ते तो यारों की लाइन लगी रही है , दूधवाला , धोबी , … "
मैंने भी मम्मी की हाँ में हाँ मिलायी।
"मम्मी,सच तो कह रही हैं ,बोलो न क्या साइज होगी , नहीं पकड़ा होगा तो अंदाज से बोल न "
बिचारे , सिर्पफ ब्लश कर रहे थे।
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ," मम्मी ,गुड्डी। "
" गुड्डी , हाँ वही " ,मम्मी ने बात जारी रखी
" तभी मैं कहूँ , उस छिनार से इनकी शक्ल क्यों मिलती है। तेरे मामा और समधन का , पुराना चक्कर होगा बचपन से फँसी होंगी इसलिए। तभी तेरी और गुड्डीकी शकल , इतनी मिलती है। "
फिर मम्मी कुछ रुक के सीरियसली बोलीं ,
" सुन उस ने तेरी माँ चोद दी , तू उसकी बेटी चोद दे हिसाब बराबर। "
खिलखलाते मेरी हालत खराब हो गयी , मैंने किसी तरह हंसी रोक के बोला ,
" मम्मी ये तो आपने इनके मुंह की बात छीन ली। ये तो खुद उसे चोदना चाहते ,… "
मेरी बात काटके मम्मी तुरंत अपने दामाद की ओर से बोलीं ,
" तो क्या गलत चाहता है , बिचारा मेरा दामाद। वो तेरी ननद खुद हाथ में लेके टहल रही है ,तो बिचारे मेरे सीधे साधे दामाद को क्यों दोष देती है। "
कुछ देर रुक कर फिर उन्होंने रुख उनकी ओर मोड़ दिया ,
' तेरे घर में दो दो माल ,एक कच्ची कली और एक भोसड़े वाली , तो भी तुम भूखे प्यासे , इतने दिन तक, अभी भी ज्यादा बिगड़ा नहीं ,है चढ़ जाओ। "
" अरे मामा की मुलगी ,.... तो चलता है यार। "
मैंने भी तड़का लगाया।
मम्मी की बातों का पता नहीं चलता उन्होंने तुरंत पैतरा बदल के दूसरा मोर्चा खोला , उनका फेवरिट, उनकी समधन।
" सुन तू सुबह ,समधन के मस्त जोबन के बारे में बात कर रहा था , बोल क्या साइज होगी , उनकी। ये मत कहना की देखा नहीं। कभी तो रगड़वाते ,मिजवाते,दबवाते तो देखा होगा , इत्ते तो यारों की लाइन लगी रही है , दूधवाला , धोबी , … "
मैंने भी मम्मी की हाँ में हाँ मिलायी।
"मम्मी,सच तो कह रही हैं ,बोलो न क्या साइज होगी , नहीं पकड़ा होगा तो अंदाज से बोल न "
बिचारे , सिर्पफ ब्लश कर रहे थे।