22-02-2019, 07:42 PM
मम्मी की समधन
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा।
"हाँ मम्मी ," अब वो एकदम खुल के मम्मी से बोल रहे थे। उनकी झिझक बहुत कम हो गयी थी।
"जोबन तो तेरे मस्त लग रहे हैं , " मम्मी बोली और उन्हें दुपट्टा कैसे ओढ़ें की उभार दिखें ज्यादा ,छुपे कम ,समझाने लगी। लेकिन फिर उन्होंने अचानक एक सवाल दाग दिया ,
" तुम इत्ते मस्त चिकने हो ,नमकीन, बचपन में लड़के तेरे पीछे बहुत पड़े रहते होंगे। "
अब तो उन्होंने ऐसे ब्लश की जैसे कोई गौने की दुल्हन , जिसके मायके के राज उसकी सास को पता चल गए हों।
और मैं भी मम्मी के साथ ,
" अरे बोल न , क्या शरमा रहे हो ,मम्मी से कोई बात छिपाता है क्या।
" अरे तेरी माँ बहन सारे मोहल्ले को बांटती फिरती है , उसमे बुराई थोड़े ही है ,कोई पैसे थोड़े लेती हैं बस सब का दिल रखती हैं , तो अगर तुमने भी दो चार का दिल रख दिया तो क्या बुरी बात है। "
मम्मी बोलीं और हम दोनों खिलखिलाने लगे।
लेकिन इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,
" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों ,
बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "
मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
चोली मत मांगो समधन ,देह का सिंगार रे ,
कहे सुने जो चोली दूंगी , बंध लुंगी काट रे ,
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
बरतन मत मांगो समधन ,रसोई का सिंगार रे ,
कहे सुने जो बटला दूंगी , पेंदा लूंगी काट रे।
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा।
"हाँ मम्मी ," अब वो एकदम खुल के मम्मी से बोल रहे थे। उनकी झिझक बहुत कम हो गयी थी।
"जोबन तो तेरे मस्त लग रहे हैं , " मम्मी बोली और उन्हें दुपट्टा कैसे ओढ़ें की उभार दिखें ज्यादा ,छुपे कम ,समझाने लगी। लेकिन फिर उन्होंने अचानक एक सवाल दाग दिया ,
" तुम इत्ते मस्त चिकने हो ,नमकीन, बचपन में लड़के तेरे पीछे बहुत पड़े रहते होंगे। "
अब तो उन्होंने ऐसे ब्लश की जैसे कोई गौने की दुल्हन , जिसके मायके के राज उसकी सास को पता चल गए हों।
और मैं भी मम्मी के साथ ,
" अरे बोल न , क्या शरमा रहे हो ,मम्मी से कोई बात छिपाता है क्या।
" अरे तेरी माँ बहन सारे मोहल्ले को बांटती फिरती है , उसमे बुराई थोड़े ही है ,कोई पैसे थोड़े लेती हैं बस सब का दिल रखती हैं , तो अगर तुमने भी दो चार का दिल रख दिया तो क्या बुरी बात है। "
मम्मी बोलीं और हम दोनों खिलखिलाने लगे।
लेकिन इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,
" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों ,
बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "
मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
चोली मत मांगो समधन ,देह का सिंगार रे ,
कहे सुने जो चोली दूंगी , बंध लुंगी काट रे ,
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
बरतन मत मांगो समधन ,रसोई का सिंगार रे ,
कहे सुने जो बटला दूंगी , पेंदा लूंगी काट रे।
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।